फ़ॉलोअर
शुक्रवार, 25 जून 2010
at 8:42 pm | 0 comments | प्रदीप तिवारी
नगर-निकायों के चुनावों का अराजनैतिककरण
मायावती सरकार ने हाल ही में एक ऐसा कार्य किया है जिससे यह एक बार फिर साबित हुआ कि उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती का लोकतंत्र पर और लोकतांत्रिक परम्पराओं पर कोई विश्वास एवम् आस्था नहीं है। मायावती सरकार ने गुपचुप तरीके से नगर निकायों के चुनावों में राजनीतिक दलों की भागीदारी को एक तरह से प्रतिबंधित कर दिया है।पिछले दशक की शुरूआत में ससंद ने 74वें संविधान संशोधन द्वारा सत्ता का विकेन्द्रीकरण करते हुए विकास योजनाओं एवम् गरीबी उन्मूलन तथा समाज-कल्याण का कार्य पंचायतों तथा नगर निकायों को सौंपने का मार्ग प्रशस्त कर दिया था। फलतः पंचायतें और नगर-निकाय किसी राज्य सरकार के मोहताज़ नहीं रह गये बल्कि वे अब संवैधानिक संस्थायें बन चुके हैं।तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य निर्वाचन आयोग (पंचायती राज एवं नगर निकाय) का गठन कर दिया था जिसने राजनीतिक दलों के पंजीकरण एवम् निर्वाचन प्रतीक (आरक्षण एवम् आबंटन) आदेश 1998 जारी किया और नए ढांचे में नगर निकायों के चुनावों में राजनीतिक दलों की सहभागिता की रूपरेखा तैयार की। तब से ये चुनाव राजनीतिक दलों के चिन्ह पर हो रहे थे।शहरों में जनाधार न होने के कारण नगर निकायों के पिछले निर्वाचन में बसपा ने भाग नहीं लिया था और चुनाव परिणामों के आने पर निर्दलीय निर्वाचित तमाम प्रत्याशियों को बसपाई घोषित कर दिया था।मायावती सन् 2012 में होने वाले विधानसभा चुनावों के प्रति बहुत सशंकित हैं। डुमरियागंज विधान सभा उपचुनाव के बाद उन्होंने घोषणा कर दी कि अगले विधान-सभा आम चुनावों तक बसपा किसी उप चुनाव में भाग नहीं लेगी क्योंकि उन्हें आशंका है कि उपचुनावों में पराजय आम चुनावों के परिणामों पर प्रतिकूल असर डाल सकती है।बसपा का शहरों में जनाधार सीमित है और बसपा अधिकतर नगर निकायों में चुनाव जीतने की स्थिति में नहीं है। इस वर्ष के अन्त में होने वाले इन चुनावों के परिणामों का असर 2012 के विधानसभा चुनावों के माहौल पर पड़ सकता है। इसीलिए मायावती ने गुपचुप तरीके से इन चुनावों में राजनीतिक दलों की सहभागिता को ही समाप्त करने का फैसला कर लिया।इस तरह के किसी दूरगामी बदलाव की स्थिति में लोकतांत्रिक परम्परा यह रही है कि बदलाव की पूर्व सूचना व्यापक रूप से प्रचारित की जाती जिसमें गजट की प्रति सरकार द्वारा राजनीतिक दलों के कार्यालयों को भेजा जाना शामिल है। अचानक 10 जून 2010 को समाचार-पत्रों से आम जनता को ज्ञात होता है कि प्रदेश सरकार नगर-निकायों के निर्वाचन की नई नियमावली बना रही है जिस पर आपत्तियों की अंतिम तिथि 11 जून है। इसी नई नियमावली द्वारा सरकार पार्टी चिन्ह पर निकाय-चुनाव न करवाने तथा सरकार द्वारा नामित सदस्यों की संख्या बढ़ाने जा रही है। आनन-फानन में भाकपा सहित राजनीतिक दलों ने सरकार को अपनी आपत्तियां प्रेषित कीं। वास्तव में सरकार कौन-सी नियमावली बना रही है और उसमें क्या-क्या है, यह ज्ञात न होने के कारण तथ्यों पर आपत्तियां प्रस्तुत करना किसी के लिए संभव नहीं था। भाकपा ने अपनी आपत्ति में उक्त दोनों प्रविधानों को अलोकतांत्रिक तथा अपनाई गई प्रक्रिया को संविधान की मूल भावना के प्रतिकूल तथा लोकतांत्रिक परम्पराओं के खिलाफ होने के कारण अस्वीकार्य बताया। मंत्रिमंडल ने 18 जून को अपनी बैठक में प्राप्त आठों आपत्तियों कोे गुणदोष पर विचार किए बगैर निरस्त करते हुए प्रस्तावित नियमावली की स्वीकृत कर दिया। आज तक किसी को नहीं मालूम कि इस नियमावली में और क्या-क्या लिख दिया गया है।ज्ञातव्य हो कि देश के 4 राज्यों को छोड़कर सारे राज्यों में नगर-निकायों के चुनाव राजनीतिक दलों के चुनाव-चिन्ह पर लड़े जाते हैं। मायावती सरकार का यह रवैया घोर अलोकतांत्रिक है, संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। हमें व्यापक माहौल बना कर इसके खिलाफ संघर्ष करना होगा। अच्छा तो यह होगा कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव भी राजनैतिक दलों के चिन्ह पर आयोजित किये जायें।
- प्रदीप तिवारी
- प्रदीप तिवारी
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
मेरी ब्लॉग सूची
-
CPI Condemns Attack on Kanhaiya Kumar - *The National Secretariat of the Communist Party of India issued the following statement to the Press:* The National Secretariat of Communist Party of I...6 वर्ष पहले
-
No to NEP, Employment for All By C. Adhikesavan - *NEW DELHI:* The students and youth March to Parliament on November 22 has broken the myth of some of the critiques that the Left Parties and their mass or...8 वर्ष पहले
-
रेल किराये में बढोत्तरी आम जनता पर हमला.: भाकपा - लखनऊ- 8 सितंबर, 2016 – भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने रेल मंत्रालय द्वारा कुछ ट्रेनों के किराये को बुकिंग के आधार पर बढाते चले जाने के कदम ...9 वर्ष पहले
Side Feed
Hindi Font Converter
Are you searching for a tool to convert Kruti Font to Mangal Unicode?
Go to the link :
https://sites.google.com/site/technicalhindi/home/converters
Go to the link :
https://sites.google.com/site/technicalhindi/home/converters
लोकप्रिय पोस्ट
-
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय परिषद यूरोपीय यूनियन और इस्राइल के साथ बिना किसी सार्वजनिक चर्चा के मुक्त व्यापार समझौता करने के प्रया...
-
Left Parties along with other secular democratic parties and opposition in general have called for a countrywide hartal on 5th July from 6 a...
-
जातीय जनगणना , अल्पसंख्यकों के प्रति घ्रणा अभियान , विधायक निधि में बढ़ोत्तरी , महंगाई और बेरोजगारी , बुलडोजरवाद और पुलिसराज के विरूध्द...
-
हापुड़ में फैक्ट्री मजदूरों की दर्दनाक मौत पर भाकपा ने गहरी वेदना प्रकट की भाकपा की मेरठ मंडल की इकाइयों को आवश्यक कदम उठाने और 8 जून को ...
-
बिहार की तरह उत्तर प्रदेश में भी जाति आधारित गणना करायी जाये: वामदल प्रकरण पर सर्वदलीय बैठक शीघ्र बुलाये जाने की मुख्यमंत्री से मांग की ...
-
अखनूर बस हादसे के लिये उत्तर प्रदेश सरकार पूरी तरह जिम्मेदार: डा॰ गिरीश भाकपा नेता ने म्रतकों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की , घायलों क...
-
उत्तर प्रदेश में निरंतर सामने आ रहे भ्रष्टाचार के मामलों पर केंद्र और राज्य सरकार की चुप्पी हैरान करने वाली भाकपा ने घोटालों की ज़िम्मेदा...
-
कानपुर की दुर्भाग्यपूर्ण घटनायें सत्ता प्रतिष्ठान द्वारा निर्मित घ्रणा और उन्माद के वातावरण की देन प्रशासन ही नहीं शासन की भी है ज़िम्मेद...
-
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी , उत्तर प्रदेश राज्य काउंसिल 22 , कैसर बाग , लखनऊ- 226001 दिनांक- 1 जुलाई , 2022 प्रकाशनार्थ- पुलिस क...
-
वामपंथी एवं जनवादी दलों का राज्य स्तरीय ‘ सम्मिलन ’ संपन्न बुलडोजरवाद , पुलिस उत्पीड़न , वामपंथी कार्यकर्ताओं पर हमले , संविधान और लो...
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें