फ़ॉलोअर
शुक्रवार, 25 जून 2010
at 9:38 pm | 0 comments |
नये मनुष्य, नये समाज के निर्माण की कार्यशाला: क्यूबा -1
1959 में जब क्यूबा में सशस्त्र संघर्ष द्वारा बटिस्टा की सरकार कोअपदस्थ करके फिदेल कास्त्रो, चे ग्वेवारा और उनके क्रान्तिकारी साथियोंने क्यूबा की जनता को पूँजीवादी गुलामी और शोषण से आजाद कराया तो उसकेबाद मार्च 1960 में माक्र्सवाद के दो महान विचारक और न्यूयार्क से निकलनेवाली माक्र्सवादी विचार की प्रमुखतम् पत्रिकाओं में से एक के संपादकद्वयपॉल स्वीजी और लिओ ह्यूबरमेन तीन हफ्ते की यात्रा पर क्यूबा गए थे। अपनेअध्ययन, विश्लेषण और अनुभवों पर उनकी लिखी किताब ’क्यूबाः एनाटाॅमी आॅफ एरिवाॅल्यूशन’ को वक्त के महत्त्व के नजरिये से पत्रकारिता, और गहरीतीक्ष्ण दृष्टि के लिए अकादमिकता के संयोग का बेहतरीन नमूना माना जाताहै। आज भी क्यूबा को, वहाँ के लोगों, वहाँ की क्रान्ति और हालातों कोसमझने का यह एक ऐतिहासिक दस्तावेज है। बहरहाल, अपनी क्यूबा यात्रा की वजहसे उन्हें अमेरिकी सरकार और गुप्तचर एजेंसियों के हाथों प्रताड़ित होनापड़ा था। ऐसे ही मौके पर दिए गए एक भाषण के कारण 7 मई 1963 को उन्हेंअमेरिका विरोधीगतिविधियों में लिप्त होने और क्यूबा की अवैध यात्रा करने और कास्त्रोसरकार के प्रोपेगंडा अभियान का हिस्सा होने के इल्जाम में एक सरकारीसमिति ने जवाब-तलब किया था। वह पूछताछ स्मृति के आधार पर प्रकाशित की गईथी। उसी के एक हिस्से का हिन्दी तर्जुमाःसवालः यह मंथली रिव्यू में 1960 से 1963 के दौरान क्यूबा पर प्रकाशितलेखों की एक सूची है। क्या यह सही है?जवाबः यह सही तो है, लेकिन अधूरी है। हमने क्यूबा पर इससे ज्यादा लेखछापे हैं।सवालः क्या इन लेखों को छापने के लिए आपको क्यूबाई सरकार ने कहा था?जवाबः हर्गिज नहीं। हमने ये लेख अपने विवेक से प्रकाशित किए क्योंकिहमारी दिलचस्पी लम्बे समय से इस बात में है कि गरीबी, बेरोजगारी, बीमारी,अशिक्षा, रिहाइश के खराब हालात और अविकसित देशों में महामारी की तरहमौजूद असंतुलित अर्थव्यवस्था से उपजने वाली जो बुराइयाँ हैं, उनसे किसतरह निजात पाई जा सकती है। क्यूबा में क्रान्ति की गई और इन समस्याओं कोहल किया गया। लैटिन अमेरिका के दूसरे देशों में ये बुराइयाँ अभी भी मौजूदहैं। सारे अविकसित लैटिन अमेरिकी देशों में सिर्फ एक ही देश है जहाँ येबुराइयाँ खत्म की जा सकीं, और वह है क्यूबा।सवालः क्या आप लैटिन अमेरिका के देशों में कम्युनिस्ट कब्जे/ तख्तापलट कीहिमायत कर रहे हैं?जवाबः मैंने ऐसा नहीं कहा बल्कि आपने कहा। मैंने कहा कि ये सारी बुराइयाँसभी अविकसित देशों के लिए बड़ी समस्याएँ हैं, जिनमें लैटिन अमेरिका के देशभी शामिल हैं, और मेरे खयाल से इन समस्याओं का हल उस तरह के इंकलाब सेनिकलेगा, जो फिदेल कास्त्रो ने क्यूबा में किया है।प्रसंगवश मैं ये भी बता दूँ कि लैटिन अमेरिका के लिए इस तरह के इंकलाब कीतरफदारी मैं तब से कर रहा हूँ जब फिदेल कास्त्रो की उम्र सिर्फ करीब 10बरस रही होगी।सवालः क्या आप क्यूबा की कम्युनिस्ट सरकार के प्रोपेगैंडिस्ट (प्रचारक)हैं?जवाबः मैं क्यूबा की ही नहीं, किसी भी सरकार का, या किसी पार्टी का याकिसी और संगठन का प्रोपेगैंडिस्ट नहीं हूँ, लेकिन हाँ, मैंप्रोपेगैंडिस्ट हूँ-सच्चाई का।इसके भी पहले लिओ ह्यूबरमैन ने जून 1961 में दिए एक भाषण में जो कहा था,वह आज भी प्रासंगिक है।’’मैं एक क्षण के लिए भी स्वतंत्र चुनावों, अभिव्यक्ति की आज़ादी या प्रेसकी आज़ादी के महत्त्व को कम नहीं समझता हूँ। ये उन लोगों के लिए बेहदजरूरी और सबसे महत्त्वपूर्ण आज़ादियाँ हैं जिनके पास खाने के लिए भरपूरहै, रहने, पढ़ने-लिखने और स्वास्थ्य की देखभाल करने के लिए अच्छी सुविधाएँहैं, लेकिन इन आजादियों की जरूरत उनके लिए सबसे पहली नहीं है जो भूखेहैं, निरक्षर हैं, बीमार और शोषित हैं। जब हममें से कुछ भरे पेट वालेखाली पेट वालों को जाकर यह कहते हैं कि उनके लिए मुक्त चुनाव सबसे बड़ीजरूरत हैं तो वे नहीं सुनेंगे; वे बेहतर जानते हैं कि उनके लिए दुनियामें सबसे ज्यादा जरूरी क्या है। वे जानते हैं कि उनके लिए सबसे ज्यादा औरकिसी भी और चीज से पहले जरूरी है रोटी, जूते, उनके बच्चों के लिए स्कूल,इलाज की सुविधा, कपड़े और एक ठीक-ठाक रहने की जगह। जिंदगी की ये सारीजरूरतें और साथ में आत्म सम्मान-ये क्यूबाई लोगों को उनके समूचे इतिहासमें पहली बार हासिल हो रहा है। इसीलिए, जो जिंदगी में कभी भूखे नहीं रहे,उन्हेें ताज्जुब होता है कि वे (क्यूबा के लोग) कम्युनिज्म का ठप्पाचस्पा होने से घबराने के बजाय उत्साह में ’पैट्रिया ओ म्यूर्ते’ (देश यामौत) का नारा क्यों लगाते हैं।’’जुल्म जब हद से गुजर जाए तो1959 में क्यूबा में क्रान्ति होने के पहले तक बटिस्टा की फौजी तानाशाहीवाली अमेरिका समर्थित सरकार थी। बटिस्टा ने अपने शासनकाल के दौरान क्यूबाको वहशियों की तरह लूटा था। अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने पर ही नहीं,शासकों के मनोरंजन के लिए भी वहाँ आम लोगों को मार दिया जाता था। अमेरिकाके ठीक नाक के नीचे होने वाले इस अन्याय को अमेरिकी प्रशासन देखकर भीअनदेखा किया करता था क्योंकि एक तो क्यूबा के गन्ने के हजारों हेक्टेयरखेतों पर अमेरिकी कंपनियों का कब्जा था, चारागाहों की लगभग सारी ही जमीनअमेरिकी कंपनियों के कब्जे में थी, क्यूबा का पूरा तेल उद्योग और खनिजसंपदा पर अमेरिकी व्यावसायिक घराने ही हावी थे। वे हावी इसलिए हो सके थेक्योंकि फौजी तानाशाह बटिस्टा ने अपने मुनाफे के लिए अपने देश का सबकुछबेचना कबूल कर लिया था।
-विनीत तिवारीमोबाइल : 09893192740
(क्रमश:)
-विनीत तिवारीमोबाइल : 09893192740
(क्रमश:)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
मेरी ब्लॉग सूची
-
CUT IN PETROL-DIESEL PRICES TOO LATE, TOO LITTLE: CPI - *The National Secretariat of the Communist Party of India condemns the negligibly small cut in the price of petrol and diesel:* The National Secretariat of...5 वर्ष पहले
-
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र - विधान सभा चुनाव 2017 - *भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र* *- विधान सभा चुनाव 2017* देश के सबसे बड़े राज्य - उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार के गठन के लिए 17वीं विधान सभा क...7 वर्ष पहले
-
No to NEP, Employment for All By C. Adhikesavan - *NEW DELHI:* The students and youth March to Parliament on November 22 has broken the myth of some of the critiques that the Left Parties and their mass or...7 वर्ष पहले
Side Feed
Hindi Font Converter
Are you searching for a tool to convert Kruti Font to Mangal Unicode?
Go to the link :
https://sites.google.com/site/technicalhindi/home/converters
Go to the link :
https://sites.google.com/site/technicalhindi/home/converters
लोकप्रिय पोस्ट
-
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य और उत्तर प्रदेश राज्य काउंसिल के सचिव डा0 गिरीश ने 17 से 21 सितंबर तक काठमांडू में संपन...
-
भाकपा की राज्य कौंसिल बैठक शुरू भाकपा राष्ट्रीय सचिव शमीम फैजी ने जारी किया आन्दोलन का पोस्टर लखनऊ 18 अप्रैल। भारतीय कम्युनिस्ट पार्...
-
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की 16वीं विधान सभा का चुनाव हो रहा है। यह चुनाव स्वतंत्र भ...
-
सहारनपुर की स्थिति को शीघ्र काबू में करे राज्य सरकार: भाकपा लखनऊ- 10 मई 2017, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने आरोप लगाया है क...
-
MANIFESTO OF PROGRESSIVE WRITERS ASSOCIATION ADOPTED IN THE FOUNDATION CONFERENCE 1936 Radical changes are taking place in India...
-
लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने रायबरेली के पावर प्लांट में हुयी ह्रदयविदारक घटना पर गहरा दुःख व्यक्त किया है. ...
-
चले चलो दिलों में घाव ले के भी चले चलो चलो लहूलुहान पांव ले के भी चले चलो चलो कि आज साथ-साथ चलने की जरूरतें चलो कि ख़त्म हो न जाएं जिन्द...
-
हरिशंकर परसाई की कहानियों में पात्र-वैविध्य की बात हम कर चुके हैं, इस वैविध्य का बहुत बड़ा कारण परिस्थितियां, उनसे जूझते चरित्र का निर्मित हो...
-
लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार के अब तक के कार्यकाल को 'असफलता के सौ दिन' शीर्षक से नवाजा है. ...
-
भारतीय खेत मजदूर यूनियन की केन्द्रीय कार्यकारिणी समिति की बैठक 23 एवं 24 अगस्त 2010 को नई दिल्ली में यूनियन के अध्यक्ष अजय चक्रवर्ती पूर्व स...
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें