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गुरुवार, 10 जून 2010
at 6:54 pm | 0 comments | सी. आदिकेशवन
पोस्को को लेकर उड़ीसा में बवाल - भाकपा ने पोस्को-विरोधी आंदोलन को तेज किया
उड़ीस में दक्षिण कोरिया की इस्पात कंपनी पोस्को द्वारा संयत्र लगाने के खिलाफ जनभावना उग्र होती जा रही है। पुलिस द्वारा पोस्को प्रतिरोध संग्राम समिति के सदस्यों पर जो लोकतांत्रिक ढंग से संघर्ष चला रहे हैं, बर्बर अत्याचार किये जाने के बाद जनभावना और उग्र हो गयी है। केन्द्र एवं राज्य सरकार पुलिस बल का इस्तेमाल करके इस आंदोलन को दबाना चाहती हैं जिससे यह आंदोलन हिंसक हो गया है।उड़ीसा सरकार ने पोस्को संयंत्र स्थल के पास बड़ी संख्या में पुलिस को तैनात कर रखा है। लेकिन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी इस आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प है। 19 मई को भाकपा महासचिव ए।बी. बर्धन ने पोस्को संयंत्र स्थल के निकट एक विशाल विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कहा कि पोस्को प्रतिरोध संग्राम समिति पिछले पांच साल से लोकतांत्रिक ढंग से आंदोलन चला रही है।उन्होंने आरोप लगाया कि धरने पर बैठे हजारों लोगों को तितर-बितर करने के लिए सरकार ने सशस्त्र बल के 40 प्लाटून तैनात कर रखे हैं। पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज, आंसू गैस और रबर की गोलियां दागने से 100 से ज्यादा लोग घायल हो गये जिसमें 60 महिलाएं थीं। बर्धन ने सरकार के इस दावे को गलत एवं झूठा बताया कि कुछ प्रर्शनकारियों ने बम फेंके। उन्होंने कहा, “यह बिल्कुल झूठ है।”बर्धन ने कहा कि पुलिस अत्याचार के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार दोनों दोषी हैं। यहां तक कि पुलिस ने एक 70 वर्षीय महिला को भी नहीं बख्शा जो पोस्को का विरोध करने वहां आयी थी। बर्धन ने कहा कि विरोध प्रदर्शन देखने जो निर्दोष लोग वहां जमा हुए थे पुलिस ने बेरहमी से उनकी पिटाई की और उनके घरों में आग लगायी।भाकपा महासचिव ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि हम चार कारणों से पोस्को का विरोध करते हैं। प्रथम, हम नहीं चाहते हैं कि इतनी अच्छी उपजाऊ जमीन पर पोस्को संयंत्र लगाये। द्वितीय, इस परियोजना को कहीं और ले जायें। तीसरा, सरकार कैप्टिव माइंस और कैप्टिव पोर्ट दे रही है जिससे पाराद्वीप बंदरगाह को खतरा पहुंचेगा। चौथा, परियोजना के लिए पानी महानदी से दिया जायेगा जिससे पेयजल एवं सिंचाई प्रभावित होगी।बर्धन ने कहा कि सरकार ने पेास्को प्रतिरोध संग्राम समिति के नेताओं को बातचीत के लिए कभी नहीं बुलाया। समिति ने नेता सरकार से वार्ता के लिए तैयार हैं। लेकिन साथ ही हम सरकार को यह भी चेतावनी देना चाहते हैं कि हमारा आंदोलन लोकतांत्रिक ढंग से चलता रहेगा। बर्धन ने कहा कि उनकी पार्टी उड़ीसा के मुख्य मंत्री नवीन पटनायक को अनेक पत्र लिख चुकी है, जिनमें उड़ीसा में पोस्को एवं टाटा पोर्ट सहित कई मामलों में आदिवासियों के साथ अन्याय करने तथा उनका हक छीनने का विरोध किया गया है।बर्धन ने कहा कि पोस्को द्वारा कैप्टिव पोर्ट और इस्पात संयंत्र लगाने की मांग स्वीकार नहीं है क्योंकि यदि सब कुछ प्राइवेट हो जायेगा तो ट्रांजेक्शन का कोई हिसाब-किताब नहीं रहेगा।अभव साहू ने विरोध सभा की अध्यक्षता की। उन्होनंे शंातिपूर्ण एवं निर्दोष लोगों पर- जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल है, पुलिस बर्बरता की कड़ी निंदा की। भाकपा के प्रदेश सचिव दिवाकर नायक, सहायक सचिव आशीष कानूनगो, भाकपा राष्ट्रीय परिषद के सदस्य रामकृष्ण पंडा, सांसद विभु तराई, पार्टी विधायक आदिकंडा सेठी, भाकपा (एम) नेता सुरेश पाणिगृही, आरजेडी नेता हरीश महापात्रा, समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रवि देहरा, फारवर्ड ब्लाक के सचिव संतोष मित्रा और झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता अरुण जेना ने भी सभा को सम्बोधित किया। वामपंथी पार्टियों समेत छह गैर-कांग्रेस, गैर-भाजपा राजनीति दलों ने 20 और 21 मई को राज्यव्यापी रास्ता रोको आंदोलन का आह्वान किया है।15 मई, शनिवार को उड़ीसा के जगतसिंहपुर जिले में पुलिस ने सैकड़ों ग्रामीणों पर लाठीचार्ज किया, रबर की गोलियां चलायी और आंसू गैस के गोले छोड़े गये जिसमें करीब 100 लोग घायल हो गये। पुलिस ने यह कारवाई पोस्को इस्पात परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण करने में प्रशासन की मदद करने के लिए की।पुलिस ने परियोजना के प्रवेश द्वार पर जमा हुए ग्रामीणों से तितर-बितर होने के लिए कहा। लेकिन विरोध कर रहे ग्रामीणों ने जब इसकी अनदेखी कर दी तो पुलिस ने लाठीचार्ज करना शुरू कर दिया। इस परियोजना के तहत 12 मिलियन टन क्षमता का इस्पात संयंत्र लगाया जाना है।धिनकिया और आसपास के अन्य गांवों के सैकड़ों किसान एवं अन्य लोग 26 जनवरी से ही परियोजना स्थल बालीटुथा में धरने पर बैठे हुए हैं ताकि प्रशासन एवं पोस्को अधिकारियों को यहां आने से रोका जा सके। 19 मई को सुबह पुलिस ने धारा 144 लागू कर दी और लोगों के जमा होने पर रोक लगा दी। दोपहर बाद दो बजे के करीब आंदोलनकारियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई शुरू हो गयी।पोस्को प्रतिरोध संग्राम समिति के प्रवक्ता पैकेरे ने आरोप लगाया कि प्रशासन एवं पुलिस अधिकारियों ने इस तरह से कार्रवाई की मानो वे पोस्को के कर्मचारी है। उन्होंने बर्बरतापूर्वक ग्रामीणों की पिटाई करनी शुरू कर दी जिनमें महिलाएं भी थीं। पुलिस ने 15 लोगों को गिरफ्तार कर लिया जिनमें 5 महिलाएं भी थीं। गंभीर रूप से घायल दो लोगों के नाम हैं- नौगांव के नत्था स्वैन और धिनकिया गांव के रमेश दास।गांव वाले जिस अस्थायी ढांचे के चीचे बैठ पिछले चार महीने से धरना दे रहे थे पुलिस ने उसे भी खाली करा लिया। पुलिस का कहना है कि पोस्को विरोधी कार्यकर्ताओं ने उन पर कुछ देशी बम फेंके जिसमें उनके चार लोग जख्मी हो गये। इसके पहले भाकपा सांसद विभु प्रसाद तराई को पुलिस ने तब गिरफ्तार कर लिया जब वे धरना स्थल पर जाने की कोशिश कर रहे थे।धिनकिया और अन्य गांवों के लोगों ने घर लौटने पर आशंका व्यक्त की कि पुलिस की कार्रवाई फिर हो सकती है क्योंकि बड़ी संख्या में पुलिस के जवान उस क्षेत्र में मौजूद हैं।इस बीच कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं एवं समर्थकों ने पार्टी सांसद को गिरफ्तार करने तथा पोस्को परियोजना का विरोध करने वालों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के विरोध में भुवनेश्वर, कटक, छतरपुर एवं अन्य जगहों में प्रदर्शन किया। पोस्को ने उड़ीसा में इस्पात संयंत्र लगाने के लिए राज्य सरकार के साथ जून, 2005 में एक समझौता किया था लेकिन ज्यादातर ग्रामीणों द्वारा अपनी भूमि नहीं देने के कारण परियोजना कार्य में काफी देरी हो रही है।आंदोलनकारी पोस्को द्वारा एक कैप्टिव पोर्ट बनाने का भी विरोध कर रहे हैं क्योंकि पारादीप बंदरगाह पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इसी तरह पोस्को द्वारा कैप्टिव लौह अयस्क खानें (आयरन और माइन्स) का भी विरोध किया जा रहा है क्योंकि पोस्को कंपनी उड़ीसा सरकार से लौह अयस्क खरीदना नहीं चाहती।पोस्को द्वारा अपनी परियोजना के लिए महानदी बराज से पानी लेने का प्रस्ताव है जिससे राज्य में सिंचाई प्रभावित होगी तथा पर्यावरण संतुलन भी बिगडे़गा। लेकिन इन सभी बातों को नजरअंदाज करके केन्द्र एवं राज्य सरकार पोस्को का समर्थन कर रही है।इस क्षेत्र में तनाव व्याप्त है क्योंकि ग्रामीण एवं अन्य आंदोलनकारी झुकने के बजाय अपने संघर्ष को तेज करने की तैयारी कर रहे हैं। संग्राम समिति के अध्यक्ष अभय साहू ने कहा कि पुलिस और जिला प्रशासन से लोहा लेने के लिए हम गांववालों को संगठित कर रहे हैं। गांवों में 24 घंटे सुरक्षा के प्रबंध किये गये हैं। इस बीच भाकपा के राष्ट्रीय सचिव एवं सांसद डी. राजा ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखकर पुलिस कार्रवाई पर विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि पुलिस की बर्बर कार्रवाई को कभी उचित नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने उड़ीसा सरकार के रवैये की निंदा करते हुए कहा कि पर्यावरण मंत्रालय द्वारा इस परियोजना को दी गयी मंजूरी वापस ली जानी चाहिए।विपक्षी पार्टियों द्वारा निन्दा16 मई को उड़ीसा की कई विपक्षी पार्टियों और जनसंगठनों ने पुलिस कार्रवाई की निंदा की। विभिन्न कम्पनियों के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए निर्दोष लोगों के विरुद्ध पुलिस बल का इस्तेमाल करने के लिए उन्होंने बीजू जनता दल सरकार को चेतावनी दी।विपक्षी दलों ने कहा कि पोस्को इंडिया और टाटा स्टील जैसी कम्पनियों के लिए जमीन अधिग्रहण करने के लिए मुख्यमंत्री पटनायक सरकार जनता के हितों के साथ समझौता कर रही है। राजनेताओं और विस्थापन विरोधी कार्यकर्ताओं ने जनता का आह्वान किया है कि वे राज्य सरकार के जनविरोधी इरादों को नाकाम करें। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव दिवाकर नायक ने अन्य विपक्षी पार्टियों से अपील की कि वे विरोध दिवस कार्यक्रमों-रैलियों, प्रदर्शनों और धरनों में अपना सहयोग दें। कई राजनैतिक पार्टियों और जनसंगठनों ने राज्य की राजधानी में एक राज्य स्तरीय सम्मेलन किया और पोस्को परियोजना का विरोध करने वाले आदिवासियों के विरुद्ध बढ़ती पुलिस नृशंसता का विरोध किया।पोस्को परियोजना को लगभग 4000 एकड़ जमीन चाहिए जिसका बड़ा हिस्सा वनभूमि है। कार्यकर्ताओं ने कहा है कि इसके निर्माण से लोगों से खेती की जमीन छिन जायेंगी और 20,000 लोग विस्थापित हो जायेगे। एक किसान ने कहा कि हम जमीन नहीं देंगे, परियोजना के विरुद्ध हमारी लड़ाई जारी रहेगी। एक अन्य किसान ने कहा कि इस तरह की परियोजनाओं को उपजाऊ जमीन नहीं दी जानी चाहिए जहां अधिकांश आबादी की रोजी-रोटी खेती पर निर्भर है।पोस्को प्रतिरोध संग्राम समिति के कार्यकर्ता संघर्ष को आगे बढ़ा रहे हैं- उन्होंने तीन ग्राम पंचायत धिनकिया, नौगांव और गोविन्दपुर को जाने वाली सड़कों को खोद दिया है ताकि वहां वाहन न जा पायें। बलीटूथा पर कब्जा करने के बाद पुलिस ने वहां स्थायी चौकी बना ली है, और लोगों के आने जाने पर नजर रखे हुए हैं। गांववालों के विरुद्ध अदालत ने वारंट जारी कर दिये हैं। पुलिस उन्हें खोज रही है।आशंका है अगले कुछ दिनों में पुलिस गांवों में दाखिल हो सकती है। पुलिस ने पोस्को स्थल के चारों तरफ सुरक्षा बढ़ा दी है। विपक्षी राजनैतिक पार्टियों और विस्थापन विरोधी ताकतों ने आंदोलनों का एक सिलसिला शुरू कर दिया है।
- सी. आदिकेशवन
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