भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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बुधवार, 25 अगस्त 2021

जहरीली शराब से मौतों और अपराधों पर रोक नहीं लगा पारही उत्तर प्रदेश सरकार: भाकपा


लखनऊ- 25 अगस्त 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कहाकि उत्तर प्रदेश में जहरीली शराब से मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। साथ ही प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति भी बद से बदतर होती जारही है। माफियाराज और गुंडागर्दी पर डींगें हाँकने वाली सरकार इन तत्वों के सामने पूरी तरह असफल नजर आरही है।

कल ही आगरा जनपद में जहरीली शराब से कम से कम 8 लोगों की मौत होगयी। गत सप्ताह बुलंदशहर नोएडा एवं अन्य जनपदों में भी कई मौतें हुयीं हैं। इसके साथ ही हत्या, आत्महत्या, बैंक लूट, छिनेती, महिलाओं के साथ बलात्कार और उनकी हत्याओं में भारी उछाल आया है।

राज्य सरकार का ध्यान सुशासन और लोगों के जानमाल की रक्षा पर न होकर आगामी चुनावों पर केन्द्रित होगया है। जनता परेशान है और शासक दल उससे जबरिया आशीर्वाद ग्रहण करने में जुटा है। भाकपा ने सरकार से मांग की कि वह प्रदेश के स्त्री- पुरुषों के जानमाल और सम्मान की रक्षा के लिये ठोस कदम उठाए।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा,  उत्तर प्रदेश

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शुक्रवार, 20 अगस्त 2021

उत्तर प्रदेश मेन भ्रष्टाचार के खुलासे

 

सीएजी रिपोर्ट और विधान सभा में हुये भ्रष्टाचार के खुलासों पर संज्ञान लें महामहिम राज्यपाल

भाकपा ने कड़ी कार्यवाही की मांग की: मुद्दे को जनता के बीच लेजाने की चेतावनी दी

लखनऊ- 20 अगस्त 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मण्डल ने कहाकि भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक ( सीएजी ) की रिपोर्टों और अल्पकालीन विधायी सत्र में हुये कुछेक खुलासों से भाजपा सरकार का भ्रष्टाचारी और जनपीड़क चेहरा सामने आगया है। अभी चंद मामले सामने आए हैं और आगे कई और मामले सामने आ सकते हैं। भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेंस की बात करने वाली सरकार आज भ्रष्टाचार की हीरो नजर आरही है। इन खुलासों की बिना पर भाकपा ने राज्य सरकार के सत्ता में बने रहने का नैतिक सवाल उठाया है।

उजागर हुये घोटालों में से एक है बिल्डर्स घोटाला। इसके तहत चहेते और भगवा रंग में रंगे बिल्डर्स को जनता के गाड़े पसीने की कमाई में से 170 करोड़ से अधिक लुटा दिये गये। सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा हाईटेक टाउनशिप योजना में बिल्डरों को मनमाने तरीके से लाभ पहुंचाने की गरज से अधिक ऊंची बिल्डिंग बनाने के नाम पर फ्लोर एरिया रेशियो में छूट दी गयी और इसके लिए शुल्क में छूट दे दी गयी। इससे जनराजस्व का 170॰ 99 करोड़ का नुकसान हुआ है।

सीएजी ने मार्च 2020 में ही इस मामले को शासन को भेज दिया था, लेकिन राज्य सरकार ने आज तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं की। इसी तरह के कई और मामले भी प्रकाश में आए हैं जिनमें चहेतों को लाभ मिला और सरकारी राजस्व को करोड़ों की चपत लगी। इसी तरह गाजियाबाद विकास प्राधिकरण जीडीए में भी बिल्डरों को 2. 51 करोड़ का लाभ पहुँचने का खुलासा भी सीएजी ने किया है।

सीएजी जांच में 11 जिलों में बरती गयी अनियमितता के जरिये दवा सप्लायरों को 6. 17 करोड़ का लाभ पहुँचाने का भी खुलासा हुआ है। सप्लायरों ने दवाओं और अन्य चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति तय समय पर नहीं की। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को ऐसे सप्लायरों पर अर्थ दंड लगाना था, मगर उन्होने ऐसा नहीं किया। इस लापरवाही के चलते दवा सप्लायरों को 6. 17 करोड़ का अनुचित लाभ पहुंचाया गया जबकि दवाओं की उपलब्धता न होने से बीमार लोगों को बाजार से दवा खरीदने के लिये मजबूर होना पड़ा।

 जांच के अनुसार 4 सालों में 374 दवा आपूर्तिकताओं को 37. 37 करोड़ के 3339 आपूर्ति आदेश दिये गये। सप्लाई आर्डर मिलने के 60 दिन बाद भी इन सप्लायरों ने दवा की आपूर्ति नहीं की। ऐसे में नियमानुसार यह सप्लाई आदेश स्वतः निरस्त हो जाना चाहिए था। अन्य तमाम नियमों की अवहेलना वाले इस घोटाले की शासन ने जांच कर कार्यवाही करने का आश्वासन 2019 में सीएजी को दिया था, मगर जनवरी 2021 तक ऐसी किसी कार्यवाही की जानकारी सीएजी तक नहीं पहुंची। तो ऐसे चल बन रहा है मोदी जी का आयुष्मान भारत।

यहाँ तक कि छात्रों को बैग बांटना भी सरकार को गवारा नहीं था। बैग न बांटे जाने से 5. 33 करोड़ का नुकसान तो हुआ ही 1. 55 करोड़ विद्यार्थी इससे वंचित रह गये। ये कैसा सबका साथ और सबका विकास है इस सरकार का।

टोल कंपनियों द्वारा सरकार को 287 करोड़ का चूना लगाने और सरकार द्वारा इससे आँखें मूँदने का मामला भी विधान सभा में प्रश्नोत्तर के दौरान सामने आया है। एक तो वाहन चालन पर कई कई टैक्स सरकार द्वारा बसूलने के बाद भी उपभोताओं पर टोल टैक्स थोपा गया है। वह भी टूटी फूटी सड़कों पर। अब सरकार की चहेती इन टोल बसूलने वाली कंपनियों ने सरकार से होने वाले एग्रीमेंट्स पर कम स्टांप लगा कर जनता के राजस्व को 287 करोड़ का चूना लगाया गया है। बानगी देखिये कि अलीगढ़ गाजियाबाद के बीच टोल बसूली के 1141 करोड़ का अनुबंध मात्र 100 रूपये के स्टांप पर किया गया है। घोटालों से संबंधित वाद 10- 10 वर्षों से लटके पड़े हैं, पर सरकार चहेतों के हित में आंख मूँदे हुये है।

भ्रष्टाचार के ये चंद खुलासे ही सरकार के स्वच्छ और भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने के दावों को तार तार कर देते हैं। जब अन्य निर्मित और निर्माणाधीन योजनाओं और विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार के मामले उजागर होंगे तो इस सरकार का असली चेहरा और खुल कर सामने आ जायेगा।

भाकपा ने आश्चर्य व्यक्त किया है कि इन महाघोटालों के मीडिया में उजागर होजाने के बाद भी इस सरकार ने इस पर कोई सक्रियता नहीं दिखायी। इसको छिपाने को वह तमाम विभाजनकारी और जनता को गुमराह करने के हथकंडे अपना रही है। बचने के लिये सरकार ने विधान मंडल का सत्र बहुत ही छोटा रखा और मुद्दों पर बात करने के बजाय मुख्यमंत्री अब्बाजान, तालिबान और अफगानिस्तान पर उलट्बांसियां करते रहे।

भाकपा ने महामहिम राज्यपाल महोदय से मांग की कि वे इन घोटालों का तुरंत संज्ञान लें और ठोस दंडात्मक कार्यवाही करें। सीएजी की रिपोर्ट और विधान सभा में सरकार की स्वीकारोक्ति के इन मामलों में किसी भी जांच की आवश्यकता भी नहीं है। भाकपा ने चेतावनी दी है कि वह इन सवालों को जनता के बीच ले जायेगी।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश  

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बुधवार, 18 अगस्त 2021

अलीगढ़ और मैनपुरी का नाम बदलने की कोशिश पर भाकपा ने कड़ा विरोध जताया


लखनऊ- 18 अगस्त 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने भाजपा और उसकी राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने पहले तो लोकतान्त्रिक निकायों पर घोर आलोकतांत्रिक तरीकों से कब्जा किया और अब वह उन निकायों का इस्तेमाल विभाजन और कट्टरता की राजनीति को हवा देने के लिये कर रही है। 16 अगस्त को अलीगढ़ एवं मैनपुरी की भाजपा द्वारा हथियाई गयी जिला पंचायतों द्वारा दोनों जिलों का नाम बदलने का प्रस्ताव इसी तालिबानी इरादे से किया गया है। ज्ञात हो कि कुछ दिन पहले फीरोजाबाद की जिला पंचायत ने भी उसका नाम बदलने का प्रस्ताव पास किया था।

भाकपा ने कहाकि वह 2022 के विधान सभा चुनावों में समाज में विभाजन/ ध्रुवीकरण कर लाभ उठाने की गरज से की जारही इन कार्यवाहियों का वह पुरजोर विरोध करेगी तथा सभी लोकतान्त्रिक ताकतों से अपील करती है कि वे भी इन तालिबानी करतूतों का मुखर विरोध करें।

भाकपा ने कहा कि जिन जिला पंचायत सदस्यों ने ये प्रस्ताव पारित किए हैं वे जनता से विकास, भ्रष्टाचार मुक्त और जबावदेह प्रशासन के वायदे करके चुनाव जीत कर आए थे। उनमें से अधिकतर को भाजपा के विरूध्द वोट देकर मतदाताओं ने विजयी बनाया था। लेकिन सत्ता धन और छल के बल पर भाजपा ने उनको अपने पाले में घसीट लिया और अब उन्हें अपनी विभाजन की राजनीति का औज़ार बना रही है। अलीगढ़ मैनपुरी और फीरोजाबाद जनपदों की जनता की अनगिनत समस्याएं हैं जो उनका नाम बदलने से नहीं सच्चाई के साथ किए गए विकास से दूर होंगी। जिला पंचायतों को वही करना चाहिए, उसी के लिये उन्हें चुना भी गया है।

जहां तक ऐतिहासिक तथ्यों का सवाल है न तो अलीगढ़ का नाम कभी हरिगढ़ रहा और नहीं मैनपुरी का कभी मयन नगर रहा। समूचे अलीगढ़ जनपद का नाम 18 वीं शताब्दी से पहले कोल या कोइल था, जिसकी भौगोलिक सीमायें समय समय पर बदलतीं रहीं। 18वीं सदी में मुगल सल्तनत ने इस क्षेत्र का सूबेदार नजफ़ अली शाह को नियुक्त किया था जिसका किला अलीगढ़ कहलाया। तभी से इसका नाम अलीगढ़ है। विभाजन की राजनीति के लिये समय समय पर संघ और उसके आंगिक संगठन हरिगढ़ नाम उछालते रहे हैं और 1989 में वे इसको लेकर अलीगढ़ में भीषण दंगा कराने में कामयाब रहे थे।

इसी तरह मैनपुरी नाम का भी संत मयन के नाम से कोई रिश्ता नहीं रहा, कल्पित नाम संघियों के खुराफाती दिमाग की देन है।

भाकपा ने कहा कि जिस समय देश और उत्तर प्रदेश की जनता आसमान छूती महंगाई, कोरोना महामारी की तवाही, अभूतपूर्व बेरोजगारी, भुखमरी और खराब से खराब कानून व्यवस्था के दंश को झेल रही है उस समय भाजपा और उसकी सरकार निहित स्वार्थों के तहत और ध्यान बंटाने को विभाजनकारी मुद्दे उठा कर जनता के जीवन और जजवातों से खिलवाड़ कर रही है। यह सब यूं ही चलने नहीं दिया जायेगा। जनता को धोखा देने के षडयंत्रों को कदम कदम पर उजागर किया जायेगा।

डा॰ गिरीश ने बताया कि भाजपा की जनविरोधी नीतियों से जनता को निजात दिलाने के उद्देश्य से वामपंथी दलों ने 1 सितंबर को समूचे प्रदेश में जबर्दस्त प्रतिरोध जताने का निर्णय लिया है।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा,  उत्तर प्रदेश

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शनिवार, 14 अगस्त 2021

कानपुर की घटना पर भाकपा ने गहरा रोष जताया। मुख्यमंत्री से खेद व्यक्त करने और पीड़ित परिवार से माफी मांगने की मांग की।


लखनऊ- 14 अगस्त 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने गत दिन कानपुर महानगर के बर्रा में बजरंगदलियों द्वारा पुलिस की मौजूदगी में सरेराह एक गरीब रिक्शा चालक की पिटाई और उसकी सामाजिक प्रताड़ना को उत्तर प्रदेश सरकार के माथे पर कलंक का का एक बदनुमा दाग बताते हुये इसकी कठोरतम शब्दों में भर्त्सना की है। पार्टी ने सभी दोषियों जिनके कि चेहरे वीडियो में स्पष्ट दिखाई देरहे हैं तथा उनके संरक्षणदाताओं को माकूल दफाओं में गिरफ्तार करने की मांग की है। भाकपा ने इस जघन्य और निंदनीय कांड पर कानपुर महानगर पुलिस की ढिलाई पर भी गहरी हैरानी जतायी है।

यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव मंडल ने कहा कि आखिर सत्ता और वोटों की खातिर भाजपा किस हद तक समाज और देश की एकता से खिलवाड़ कर सकती है यह हाल ही में जंतर मंतर, कानपुर और देश के अन्य हिस्सों में हुयी पोलिटिकल लिंचिंग की इन घटनाओं से साबित होगया है। दिन रात विकास का ढिंढोरा पीटने वाली भाजपा आखिर चुनाव से पहले कैसे लिंचिंग, अल्पसंख्यक उत्पीड़न, फर्जी गोकशी, कथित लव जेहाद एवं धर्मांतरण जैसे पर-उत्पीड़क एजेंडों पर पहुँच जाती है, यह अब सबके सामने स्पष्ट हो गया है। एक गरीब के खिलाफ दूसरे गरीब को खड़ा कर धर्मांतरण के लिए ललचाने का आरोप लगवाना समुदाय विशेष को पीड़ित करने और विद्वेष फैलाने की साजिश है।

भाकपा ने सवाल किया कि भाजपा और संघ का ये कैसा हिन्दुत्व है जो गरीबों की लिंचिंग, हत्या, पिटाई और उन्हें फर्जी मुकदमों में फंसाने तक सीमित रह गया है। यहां इंकलाब जिंदाबाद का ऐतिहासिक नारा लगाने वालों पर देशद्रोह के आरोप लगाये जाते हैं और समाज में सांप्रदायिक जहर घोलने और हिंसा करने तथा भड़काने वालों को न केवल बचाया जाता  है अपितु महिमामंडित किया जाता है। भाकपा मांग करती है कि पुलिस संरक्षण में हुयी लोकतन्त्र और भाईचारे को शर्मसार करने वाली इस घटना पर प्रदेश के मुख्यमंत्री को खेद प्रकट करना चाहिये और पीड़ित परिवार से क्षमा मांगनी चाहिये।

भाकपा ने सभी लोकतान्त्रिक शक्तियों और शख़्सियतों का आह्वान किया कि वे अन्याय और अत्याचार के विरूध्द सशक्त और संगठित आवाज उठायेँ

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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शुक्रवार, 13 अगस्त 2021

जमीनी स्तर पर हो बाढ़ से राहत और बचाव का काम : भाकपा


लखनऊ- 13 अगस्त 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न भागों में बाढ़ से भारी तवाही और लाखों लोगों की दुश्वारियों पर गहरी चिन्ता जताई है। भाकपा ने संगीन बने हालातों के बावजूद राज्य सरकार की हालातों के प्रति उपेक्षा पर भी अफसोस जताया है।

यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहाकि प्रदेश के 30 जिलों के लगभग 3000 गांव और कई शहरी क्षेत्र भीषण बाढ़ की चपेट में हैं। इन गांवों के किसानों की फसल पूरी तरह नष्ट होगयी है, उनके घर द्वार डूब और ढह गये हैं, लोग दाने दाने और आशियाने को मुंहताज हैं, उन्हें स्वच्छ पानी और दवाई तक नहीं मिल पारही तथा दर्जनों की जानें जा चुकी हैं। वाराणसी और इलाहाबाद के हजारों मकानों की पहली मंज़िलें तक डूब गयी हैं।

भाकपा ने कहाकि राहत एवं बचाव कार्य चिंताजनक स्थिति तक अपर्याप्त हैं। पीढ़ितों की समस्याओं का जमीनी स्तर पर निदान करने के बजाय शासक नौकायन और व्योमायान का लुत्फ उठा रहे हैं। लोगों की तकलीफ़ों के प्रति सरकार की यह असंवेदनशीलता असहनीय और अक्षम्य है।

भाकपा ने मांग की कि प्रभावित इलाकों में बचाव और राहत कार्य जमीनी स्तर पर किये जायें, जहां वाहन अथवा नाव नहीं पहुंच सके वहां हवाई जहाजों/ हेलिकोप्टर्स से सामग्री पहुंचाई जाये। सामग्री में आटा, चावल, नमक, मसाले, रिफाइंड, हरी मिर्च, प्याज, अदरक , नीबू, मिट्टी का तेल, माचिस, स्टोव, पेयजल, फल, बिस्कुट, जरूरी दवाएं एवं टार्च आदि जरूरी वस्तुएं शामिल की जायें।

भाकपा ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की सभी जिला इकाइयों से आग्रह किया है कि वे जनता के सहयोग से लोगों की हर संभव मदद करें।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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सोमवार, 9 अगस्त 2021

उत्तर प्रदेश के वामपंथी दलों की आन लाइन बैठक संपन्न : लिए गये कई अहम फैसले


विद्युत ( संशोधन ) बिल 2021 के खिलाफ कल होने वाली अभियन्ताओं और कर्मचारियों की हड़ताल को संपूर्ण समर्थन प्रदान किया गया

केन्द्र और उत्तर प्रदेश सरकार की मनमानी के खिलाफ और जनता के ज्वलंत सवालों पर 1 सितंबर को जिला मुख्यालयों पर संयुक्त प्रदर्शन करने का लिया गया निर्णय

काकोरी कांड और भारत छोड़ो आंदोलन के महा योध्दाओं को नमन कर उनके प्रति आदरांजलि व्यक्त की गयी।

लखनऊ- 9 अगस्त 2021, उत्तर प्रदेश के वामपंथी दलों की आन लाइन बैठक आज संपन्न हुयी। बैठक में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी के राज्य सचिव डा॰ हीरालाल यादव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी- एमएल, लिबेरेशन के सचिव का॰ सुधाकर यादव एवं आल इंडिया फारबर्ड ब्लाक के प्रदेश संयोजक अभिनव कुशवाहा शामिल रहे।

बैठक में सबसे पहले काकोरी कांड के महानायकों को नमन करते हुये उनके प्रति क्रान्तिकारी क्रतज्ञता ज्ञापित की गयी। आज के ही दिन 1925 को भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के क्रांतिकारियों द्वारा ब्रिटिश राज के विरूध्द भयंकर युध्द छेड़ने की इच्छा से हथियार खरीदने के लिये ब्रिटिश सरकार का खजाना लूटने को लखनऊ के निकट काकोरी स्टेशन पर ट्रेन रुकवा कर इस महान घटना को अंजाम दिया गया था। कम्युनिस्ट, सोशलिस्ट, और कांग्रेस आदि धाराओं के भारत छोड़ो आंदोलन के अमर नायकों के प्रति भी सम्मान व्यक्त किया गया और उनके प्रति क्रान्तिकारी आदरांजली अर्पित की गयी। कहा गया कि जो लोग इन आंदोलनों और समूचे स्वतन्त्रता संग्राम का विरोध कर रहे थे और अंग्रेजों के पिट्ठू बने हुये थे, दुर्भाग्यवश वे ही आज  देश और प्रदेशों की गद्दी पर काबिज हैं और लोकतन्त्र, संविधान, अब तक की उपलब्धियों और आमजनों को निर्ममता से रौंद रहे हैं।

रेखांकित किया गया कि कम्युनिस्ट, सोशलिस्ट और लोकतान्त्रिक शक्तियाँ आज इन दोनों ऐतिहासिक पर्वों को धूमधाम से मना रहे हैं और देश भर में जनता के ज्वलंत सवालों पर आवाज उठा रहे हैं।

बैठक में विद्युत  ( संशोधन ) बिल 2021 के विरूध्द कल 10 अगस्त को होने जा रही विद्युत कर्मचारियों और अभियन्ताओं की राष्ट्रव्यापी हड़ताल को समर्थन प्रदान करने का निर्णय लिया गया। वामदलों की कतारों का आह्वान किया गया कि वे इस हड़ताल को पूर्ण समर्थन प्रदान करें।

बैठक में प्रमुख एजेंडा पीड़ित जनता के विभिन्न सवालों पर आंदोलन करने का था। सर्वसम्मत निर्णय लिया गया कि महंगाई पर कारगर रोक लगाने, डीजल पेट्रोल रसोई गैस पर लगे असहनीय टैक्सों को पर्याप्त मात्रा में घटाने, हर बेरोजगार को काम दिलाने- मनरेगा में 200 दिन काम और प्रतिदिन 600 रुपये मजदूरी दिलाने, इस तरह की योजना शहरों में चलाये जाने, दवाओं और खाद्य वस्तुओं के दाम बांधने, हर व्यक्ति को रुपए 7500/- प्रति माह दिये जाने, खाने की सभी सामाग्री किट के रूप में उपलब्ध कराये जाने, टीकाकरण में तेजी लाने, जनता पर बोझ बढ़ाने वाले बिजली बिल 2021 को वापस लेने, तीन क्रषी क़ानूनों को वापस कराने, एमएसपी की गारंटी करने, योगी सरकार द्वारा दमनकारी असंवैधानिक आलोकतांत्रिक रवैया रोके जाने, कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने- दलितों अल्पसंख्यकों महिलाओं व अन्य कमजोर तबकों पर अत्याचार रोके जाने, भ्रष्टाचार पर कारगर रोक लगाने आदि सवालों पर 1 सितंबर 2021 को जिला मुख्यालयों पर संयुक्त प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया।

केन्द्र और उत्तर प्रदेश सरकार अंध निजीकरण से बाज आये, पैगासस कांड की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में करायी जाये, स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार और सुधार किया जाये, गरीब बच्चों की पढ़ाई में हुयी हानि की भरपाई की जाये तथा आंदोलनकारी किसानों से सरकार तत्काल वार्ता करे आदि सवालों को भी उठाया जाएगा।

लोकतान्त्रिक जनता दल उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष जुबेर अहमद कुरैशी ने भी अपने दल की वामपंथी दलों के साथ आंदोलन में भागीदारी की घोषणा की है।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश              मो॰ नं॰ 9412173664, 7055893132

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रविवार, 8 अगस्त 2021

भाजपा मुक्त उत्तर प्रदेश बनाने को गंभीर प्रयास करेगी भाकपा: राज्य कार्यकारिणी बैठक मेन कई अहम मुद्दों पर हुयी चर्चा


लखनऊ- 8 अगस्त 2021, उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष के प्रारंभ में होने जारहे विधान सभा चुनावों में पार्टी की भागीदारी एवं तैयारियों पर चर्चा करने हेतु भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य कार्यकारिणी की एक दिवसीय बैठक इलाहाबाद के वरिष्ठ श्रमिक नेता का॰ नसीम अंसारी की अध्यक्षता में संपन्न हुयी। बैठक को पार्टी के केन्द्रीय सचिव अतुल अंजान ने भी संबोधित किया। राज्य सचिव एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डा॰ गिरीश ने देश और प्रदेश के मौजूदा हालातों रिपोर्ट प्रस्तुत की। सहसचिव का॰ अरविन्दराज स्वरूप ने सांगठानिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। सहसचिव का॰ इम्तियाज़ अहमद (पूर्व विधायक) सहित राज्य कार्यकारिणी के सभी सदस्यों ने चर्चा में भाग लिया।

बैठक के निष्कर्षों की जानकारी देते हुये राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहाकि कारपोरेट घरानों और धनवानों के हितों की पोषक, गरीब और सामान्यजनों के हितों पर निरंतर चोट कर रही, संविधान और लोकतन्त्र पर हमलावर एवं खुलेआम समाज को बांटने के काम में जुटी केन्द्र और उत्तर प्रदेश की सरकारों से जनता आजिज़ आ चुकी है। 2022 में उत्तर प्रदेश और 2024 में केन्द्र सरकार को क्रमशः हटाना जरूरी है।

भाकपा राज्य कार्यकारिणी ने कहाकि वह 2022 के चुनावों में भाजपा मुक्त उत्तर प्रदेश बनाने के लिये गंभीर प्रयास करेगी। इसके लिये वह वामपंथी दलों की एकजुटता के साथ ही  सभी प्रासंगिक एवं प्रभावी लोकतान्त्रिक शक्तियों की एकता के लिये काम करेगी। विपक्ष के वोटों का विखराव कम से कम हो इसके लिये अभियान चलायेगी। भाकपा खुद सभी सीटों पर न लड़ कर संतुलित संख्या में अपने उम्मीदवार उतारेगी।

डा॰ गिरीश ने बताया कि राज्य कार्यकारिणी ने राज्य नेत्रत्व को अधिक्रत  किया है कि वह सीटों के चयन की प्रक्रिया तेज करे। तदनुसार सभी राज्य कार्यकारिणी सदस्यो को निर्देश दिया गया है कि वे जिलों की जिला काउंसिल एवं आम कार्यकर्ता बैठकें आयोजित कर 10 सितंबर तक अपनी रिपोर्ट राज्य केंन्द्र को भेजें। सितंबर के मध्य में राज्य काउंसिल की बैठक की जायेगी जिसमें चुनावों की तैयारी पर और व्यापक रूप में चर्चा की जायेगी।

राज्य कार्यकारिणी बैठक में महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, निजीकरण, कोरोनाकाल में लोगों के जीवन- रोजगार आदि की रक्षा करने में असफलता, बेरोजगारी, स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली, छात्र- छात्राओं को शिक्षा से वंचित करने, संविधान और लोकतन्त्र पर हमलों, जर्जर कानून व्यवस्था और समाज को बांटने की भाजपा और संघ की कोशिशों आदि सवालों पर सरकार को घेरने एवं उसके खिलाफ संयुक्त और स्वतंत्र आंदोलन करने पर बल दिया गया।

इस मुद्दे पर गहन चर्चा करने को प्रदेश के वामपंथी दलों का नेत्रत्व कल आन लाइन बैठक कर निर्णय लेगा।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश  

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सोमवार, 2 अगस्त 2021

वोट की राजनीति का खेल: फीरोजाबाद का नाम बदलने की साजिश। भाकपा ने कडा एतराज जताया


लखनऊ- 2 अगस्त 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार पर जनता के बीच जाने को मुद्दे नहीं बचे हैं, अतएव मुद्दाविहीन सरकार चुनावी लाभ के लिये विभाजन पैदा करने का खेला करने जा रही है। ऐसे अनेक खेलों में से एक शहरों का नाम बदलना भी है। इसके तहत फीरोजाबाद का नाम बदल कर चंद्र नगर करने की योजना है।

भाकपा विभाजन कर वोट बटोरने की इस प्रस्तावित कार्यवाही का कड़ा विरोध करती है।

एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव ने आरोप लगाया कि नियत योजनानुसार फीरोजाबाद की जिला परिषद द्वारा उपर्युक्त संबंधी प्रस्ताव पास कर राज्य सरकार को भेजा गया है। कितना हास्यास्पद है कि जिला परिषद की पहली बैठक में फीरोजाबाद जनपद के विकास पर कोई चर्चा नहीं हुयी और विद्वान पार्षद नाम बदलने की अनूठी योजना लेकर सामने आगये। ये फीरोजाबाद जनपद की उस जनता का अपमान और उनके हितों से खिलवाड़ है जिसने कि हाल ही में उन्हे जनपद के विकास के लिये चुन कर भेजा है।

भाकपा राज्य सचिव ने सरकार से कहा कि यदि फीरोजाबाद पर क्रपा करनी ही है तो फीरोजाबाद की जनता को उन दुश्वारियों से निजात दिलाइये जिन्हें वह दशकों से झेल रही है। फीरोजाबाद में बड़े पैमाने पर जल भराव होता है, जिले और शहर की सड़कों की हालत बेहद खस्ता है, पानी और बिजली की सप्लाई अस्त व्यस्त है, कारखानों में काम करने वाले श्रमिकों को गुजरे लायक वेतन तक नहीं मिलता, हर परिवार में तीन में से दो सदस्य बेरोजगार हैं, स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है, कांच उद्योग से निकलने वाला धुआं और प्रदूषण लोगों के फेफड़ों को छलनी कर रहा है तथा जनपद की तीन चौथाई आबादी कुपोषित है। इन विकराल समस्याओं की ओर न सरकार का ध्यान है न जिला परिषद का।

डा॰ गिरीश ने राज्य सरकार से पूछा है कि वह बताए कि इलाहाबाद और मुगल सराय का नाम बदलने से वहाँ के लोगों के जीवन में कितना उत्थान हुआ?

असफल सरकार और उसके पैरोकार निहित राजनैतिक स्वार्थों के लिये इतिहास से भी छेड़ छाड़ पर उतारू हैं। अपने कुत्सित उद्देश्यों को सांप्रदायिक जामा पहनाने को वो कह रहे हैं कि फीरोजाबाद का नाम पूर्व में चंद्रावर नगर था, और सम्राट अकबर ने 15वीं शताब्दी में बदल कर इसे फीरोजाबाद कर दिया। जबकि देश के जाने माने इतिहासकार और एएमयू के मानद प्रोफेसर इरफान हबीब कहते हैं कि इस तरह का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है कि फीरोजाबाद का नाम चंद्रावर नगर था। फीरोजाबाद नाम फ़ीरोज शाह तुगलक के शासन काल में अस्तित्व में आया। यह गलत है कि अकबर ने किसी प्राचीन नाम को बदल कर इसे फीरोजाबाद नाम दिया।

नाम बदलने के पैरोकार जिले की अधिक्रत वेबसाइट का हवाला देते हैं जिसमें स्थान का नाम चंद्रावर नगर बताया गया है, जिसे अकबर के मनसबदार फ़ीरोजशाह ने 1556 में बदल कर फीरोजाबाद कर दिया। सभी जानते हैं कि ये वेबसाइट्स ब्रिटिशकाल में तैयार गज़ट पर आधारित हैं, और अंग्रेजों ने बांटो और राज करो की नीति के तहत तथ्यों से मनमानी छेड़छाड़ की।

इस संबंध में अन्य इतिहासकारों का कथन है कि प्राचीन काल में चंद्रावर शहर यमुना नदी के किनारे स्थित था। सन 1193- 94 के युध्द में मोहम्मद गौरी ने कन्नौज के राजा जयचंद को हरा कर नगर पर कब्जा कर लिया था। ऐतिहासिक तथ्यों और भौगोलिक स्थितियों का विश्लेषण करने पर निष्कर्ष निकलता है कि चंद्रावर नगर का वर्तमान फीरोजाबाद से दूर दूर तक संबंध नहीं है।

स्थानों के नाम बदल कर और अन्य विभाजनकारी मुद्दों को उछाल कर वोटों की राजनीति करना योगी सरकार का प्रमुख मुद्दा रहा है जिसे वह 2017 से निर्बाध रूप से चला रही है। इसके लिये वह जन सरोकारों की उपेक्षा भी कर रही है और इतिहास से भी छेड़छाड़ कर रही है। भाकपा इन क्रत्यों पर कड़ा विरोध जताती है, डा॰ गिरीश ने कहा है।

डा॰ गिरीश

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गुरुवार, 22 जुलाई 2021

अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पर सरकार के हमलों पर भाकपा ने प्रतिरोध जताया


लखनऊ- 22 जुलाई 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने उत्तर प्रदेश के मुखर टीवी चेनल भारत समाचार पर भाजपा सरकार की दमनात्मक कार्यवाही की कड़े शब्दों में भर्त्सना की है। भाकपा ने दैनिक भाष्कर समाचार समूह पर इसी तरह की कार्यवाही की भी भर्त्सना की है।

डा॰ गिरीश ने कहा कि पिछले कई माहों से भारत समाचार सरकार की गंभीर विफलताओं और जनता के प्रति दमनात्मक कार्यवाहियों को बेबाकी से उजागर कर रहा था। इससे एक डरी हुयी, विफल और निरंकुश भाजपा सरकार बौखला रही थी, और आज उसने संपादक ब्रजेश मिश्रा एवं चेनल हैड वीरेंद्र सिंह के घरों और दफ्तर पर आईटी की रेड करा दी।

यह प्रेस की स्वतन्त्रता पर आपातकाल से भी बड़ा हमला है। अब ये अघोषित नहीं घोषित आपातकाल है। यह पेगासस का विस्तार है। यह भाजपा और संघ के कथित हिन्दुत्व और राष्ट्रवाद का असली चेहरा है, जो अब देश और दुनियां के सामने स्पष्ट उजागर होगया है। ये सब वह भाजपा करा रही है जिसके शीर्ष नेता, प्रवक्ता, आईटी सेल और प्रचार तंत्र दिन भर झूठ, भ्रम और भय फैलाते हैं। जिम्मेदार नागरिकों की जासूसी कराते हैं।

डा॰ गिरीश ने कहा कि भाकपा लोकतन्त्र, संविधान और अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा के लिये आगे बढ़ कर काम करती रही है। इस घटना से भाकपा कार्यकर्ताओं में गहरा रोष है, और वे अपने गुस्से का लोकतान्त्रिक तरीकों से हर जगह इजहार करेंगे।

डा॰ गिरीश  

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गुरुवार, 15 जुलाई 2021

सर्वोच्च न्यायालय की सुस्पष्ट टिप्पणियों के बाद भी उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कांबड़ यात्रा रद्द न करना आश्चर्यजनक: भाकपा


लखनऊ-15 जुलाई 2021, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कांबड़ यात्रा निकलवाने पर अपनी प्रतिक्रिया जताते हुये भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कहाकि कोरोना की दूसरी लहर का असर इतना व्यापक था कि उसकी चपेट में गांव और शहर के वे गरीब और निम्न मध्यवर्गीय परिवार भी बड़े पैमाने पर आये थे जिनके युवा/ युवतियां अधिकतर कांवड यात्रा पर जाते रहे हैं।

उनमें से अनेक परिवारों ने अपनों को खोया है। असंख्य परिवार ऐसे हैं जिनमें पूरे के पूरे परिवार कोरोना की चपेट में आये और इलाज और अव्यवस्थाओं से आर्थिक रूप से टूट कर रह गये हैं। रही सही कसर लाक डाउन से फैली बेरोजगारी और सरकार प्रायोजित महंगाई ने पूरी कर दी है।

ऐसे में उन्हें रोजगार और आर्थिक सहयोग प्रदान करने के बजाय योगी सरकार उन्हें कांबड़ यात्रा का लालीपाप दिखा रही है। भाकपा ने कहाकि लोग गमजदा हैं, कोरोना की भयावहता से वाकिफ़ हैं तथा वे अपने बचाव के प्रति सजग भी हुये हैं, अतएव कहीं से किसी ने भी कांबड़ यात्रा शुरू करने की मांग नहीं की। लेकिन ये भाजपा की राज्य सरकार है जो कांबड़ यात्रा के लिये लोगों को उकसा रही है।

भाकपा ने कहाकि अभी हम सबने कुम्भ मेले से कोरोना के प्रसार और उसकी तवाही का मंजर खुली आँखों से देखा है। हम यह भी जानते हैं कि भाजपा की इन्हीं सरकारों ने पहली लहर के दौराना दिल्ली में हुये तबलीगी जमात के सम्मेलन पर खूब बावेला मचाया था और तमाम तबलीगियों के जेल के सींखचों के पीछे पहुंचा दिया था। उनमें से कई आज भी जेलों में बंद हैं। यह महामारी पर दोगली राजनीति का स्पष्ट उदाहरण है।

भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने आरोप लगाया कि योगी सरकार वोट की राजनीति के लिये लोगों के जीवन से खिलबाड़ करने पर आमादा है। उत्तराखंड सरकार द्वारा यात्रा रद्द करने और प्रधानमंत्री और गृह मंत्रालय द्वारा नागरिकों की सुरक्षा के प्रति आगाह करने के बावजूद उसने अभी तक कांबड़ यात्रा रद्द करने का फैसला नहीं लिया है। इसका अर्थ है कि योगी सरकार को लोगों की जान- जीवन की कोई परवाह नहीं है और अपने निहित राजनैतिक स्वार्थों के लिये वह लोगों की आस्था का दोहन करना चाहती है।

भाकपा ने इस बात पर गहरा संतोष जताया कि देश की सर्वोच्च अदालत ने मामले को गंभीरता से लिया है और राज्य/ केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया है। आश्चर्यजनक है कि सर्वोच्च न्यायालय की खरी खरी टिप्पणियों के बाद भी उत्तर प्रदेश सरकार ने अभी अपने फैसले को रद्द नहीं किया है। इसे राज्य सरकार की ढीढता ही कहा जायेगा।

भाकपा ने आशा जताई कि निश्चय ही सर्वोच्च न्यायालय लोगों के जनजीवन की रक्षा के लिये समय रहते उचित निर्णय लेकर मगरूर सरकार को निर्देशित करेगा।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश।

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शनिवार, 10 जुलाई 2021

उत्तर प्रदेश: त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में लोकतन्त्र के चीरहरण पर भाकपा ने गहरी चिन्ता जतायी


लखनऊ-10 जुलाई 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मंडल ने कहा कि तीन दिनों तक चले हिंसक तांडव के बाद आखिर उत्तर प्रदेश में भाजपा ने ब्लाक प्रमुख के अधिकतम पदों पर कब्जा जमा लिया। कमरतोड़ महंगाई, कोरोना के झपट्टे से लोगों के जीवन बचाने में मुजरिमाना असफलता, अर्थव्यवस्था में महा गिरावट, बेरोजगारी और भुखमरी से पीड़ित उत्तर प्रदेश के आम मतदाताओं ने जिला पंचायत और बीड़ीसी सदस्यों के लिये हुये सीधे चुनावों में जिस भाजपा को बाहर का रास्ता दिखा दिया था, भाजपा और उसकी सरकार ने मध्यकालीन बर्बरता के बल पर चुने लोगों के वोटों को हड़प जिला पंचायतों और ब्लाक कमेटियों में कब्जा जमा लिया।

भाकपा राज्य सचिव मंडल ने कहा कि लोकतन्त्र की इस जघन्य हत्या को भाजपा और स्वयं मुख्यमंत्री जी 2022 का सेमी फायनल बता रहे हैं। देश भर में और उत्तर प्रदेश की जनता में इस बात पर गहरी बेचैनी और चिंता जताई जा रही है कि यदि सेमी फायनल ऐसा है तो उत्तर प्रदेश का आम चुनाव कैसा होगा? निश्चय ही बड़ी हिंसा की संभावनायेँ बन गयी हैं।

पहले जिला पंचायत अध्यक्ष चुनावों और अब ब्लाक प्रमुख चुनावों में जिस तरह खुली हिंसा, गोली बारी, महिला प्रतिनिधियों का चीर हरण, प्रतिनिधियों का अपहरण, हत्या, नामांकनों से रोकना और नामांकनों का जबरिया रद्दीकरण किए जा रहे थे, उससे नतीजों का आना तो औपचारिकता मात्र था। नतीजों से साबित होगया है कि ये जनता की जिला पंचायत अथवा ब्लाक कमेटियां नहीं रह गयीं अपितु विकास के धन को हड़पने और आगामी विधान सभा चुनावों में भी सत्ता हथियाने को भाजपा ने अपने शक्तिपीठ स्थापित कर दिये गए हैं।

लोकतन्त्र के इस चीर हरण के लिये निर्वाचन आयोग, प्रशासन, पुलिस और भाजपा की दंगा ब्रिगेड सभी बराबर के भागीदार हैं। चुनाव आयोग मूक दर्शक बना रहा, अफसरशाही ऊपरी आदेशों के पालन में जुटी रही और गुंडों दबंगों की फौज कानून और सामाजिक मर्यादाओं को रौंदती रही। कई जगह तो पुलिस प्रशासन के अधिकारी भगवा ब्रिगेड के सामने गिड़गिड़ाते नजर आये।

भाकपा ने कहाकि उसने पहले ही आशंका जता दी थी कि भाजपा और संघ में दिल्ली से लखनऊ तक जो भारी भरकम बैठकों का दौर चल रहा है और कोविड की आड़ में मुख्यमंत्री जी प्रदेश के दौरे कर रहे हैं वह सब इन चुनावों में सत्ताहड़प के लिये गोटें बिछाने के उद्देश्य था। दोनों  नतीजों से ये जगजाहिर होगया है।

भाकपा ने कहा कि गत सरकारों ने भी पंचायती लोकतन्त्र को कम क्षति नहीं पहुंचाई, पर भाजपा ने इसे पूरी तरह नेस्तनाबूद कर दिया है। उत्तर प्रदेश के समूचे विपक्ष को लोकतन्त्र के इस चीरहरण के खिलाफ मिल कर आवाज उठानी चाहिये। सर्वोच्च न्यायालय से स्वतः संज्ञान लेकर जांच कराने का आग्रह करना चाहिये। निर्वाचन आयोग और पुलिस प्रशासन के जिम्मेदार लोगों की ज़िम्मेदारी सुनिश्चित कर उन्हें दंडित किया जाना चाहिए।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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बुधवार, 7 जुलाई 2021

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के सौ साल: एक पड़ताल


 

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) ने इसी 1 जुलाई को अपनी स्थापना के सौ साल पूरे किये हैं। दुनियाँ और हमारे देश के समाचार पत्रों में इसकी व्यापक चर्चा हुयी है। परन्तु उतनी नहीं जितनी कि होनी चाहिये। कल्पना कीजिये कि अमेरिका या योरोप की किसी पार्टी ने अपने अक्षुण्ण कार्यकाल के सौ साल पूरे किये होते तो शायद विश्व मीडिया झूम उठता। पर सीपीसी के नेत्रत्व में चीन द्वारा आर्थिक, सामरिक और सामाजिक क्षेत्रों में लगायी महा  छलांग को देख अमेरिकी प्रभुत्व वाला दबंग संसार हतप्रभ है; विचलित है। अतएव उनका समर्थक विश्व मीडिया भी इस जयन्ती के प्रति उत्साहित तो नहीं ही था।

सीपीसी की स्थापना भी जुलाई 1921 में लगभग उसी समय हुयी थी जब रूस की 1917 की समाजवादी क्रान्ति के बाद पूर्वी योरोप सहित दुनियां के विभिन्न हिस्सों में कम्युनिस्ट पार्टियों की स्थापना होरही थी। बाद में उसकी स्थापना की तिथि 1 जुलाई सुनिश्चित कर दी गयी।

इस सौ साल के इतिहास में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की झोली में जितनी उपलब्धियां संकलित हैं विश्व की किसी भी दूसरी पार्टी, चाहे वह कम्युनिस्ट पार्टी हो अथवा गैर कम्युनिस्ट, के पास नहीं हैं। यदि सोवियत संघ का बिखराव न हुआ होता तो निश्चय ही यह गौरव आज तत्कालीन कम्युनिस्ट पार्टी आफ सोवियत यूनियन को हासिल होता।

यही चीन की कम्युनिस्ट पार्टी है जिसने लंबे, कुर्बानीपूर्ण सशस्त्र संघर्ष के बाद 1949 में पूर्ववर्ती शासकों से चीन को मुक्त करा कर प्यूपिल्स रिपब्लिक आफ चाइना की स्थापना की। आज चीनी राज्य और सीपीसी एक दूसरे के पर्याय बने हुये हैं। सीपीसी न केवल अपने जीवन के सौ साल पूरे कर चुकी है अपितु आज वह विश्व की सबसे संगठित और बड़ी पार्टी है। इसीके नेत्रत्व में आज चीन एक उल्लेखनीय आर्थिक शक्ति बन चुका है और आज महाशक्ति बनने की दहलीज पर खड़ा है।

माना जाता है कि सीपीसी समर्पित सदस्यों वाली जन पार्टी है, जिसकी समाज में गहरी जड़ें हैं। आज सीपीसी की सदस्यता 9 करोड़ 20 लाख बतायी जाती है। इस तरह वह भारतीय जनता पार्टी के बाद दुनियां की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। लेकिन इसकी सांगठानिक सुद्रड़ता और चीनी नागरिकों में इसकी सदस्यता हासिल करने की ललक का अनुमान इसीसे लगाया जा सकता है कि 2014 में इसकी सदस्यता पाने के इच्छुक 2 करोड़ 20 लाख लोगों में से केवल 20 लाख को ही सदस्यता मिल सकी। समाज में सर्वाधिक गहराई से पैठ रखने वाली पार्टी है सीपीसी।

अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में चीन द्वारा लगायी छलांग के बारे में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रकोश का कथन है कि 1980 से 2020 के बीच में चीन की जीडीपी 80 गुना बड़ी है। आज अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर वह अमेरिका को पीछे छोड़ने में लगा है। सीमा पर तमाम तनावों के बावजूद वह भारत का बड़ा व्यापारिक साझेदार है। अर्थव्यवस्था के विकास को अवाम के विकास से जोड़ते हुये चीन ने 80 करोड़ लोगों को गरीबी की सीमा से उबारा है। यह संख्या मामूली नहीं है। यह कई बड़े देशों की जनसंख्या के योग के बराबर है।

सीपीसी शताब्दी समारोह में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस उपलबद्धि को देश के लोगों द्वारा बानयी गयी नयी दुनियां बताते हुये उसकी सराहना की। “चीन के लोग न सिर्फ पुरानी दुनियां को बदलना जानते हैं बल्कि उन्होने एक नयी दुनियां बनाई है,” जिनपिंग ने कहा।

चीन और वहां की शासक पार्टी का सोच है कि आपके पास शक्ति तभी है जब आप आर्थिक रूप से सक्षम हैं। आज चीन एक बहुध्रुवीय दुनियां में विकास कर रहा है, तदनुसार वह अपनी आंतरिक और बाह्य नीतियों का निर्धारण करता रहा है। अतएव उसने सामरिक रूप से भी अपने को बेपनाह मजबूत किया है। कहने को तो आज पूरे विश्व में अमेरिका एक सुपर पावर है, लेकिन चीन ने एक हद तक इस समीकरण को बदल दिया है।

अपनी वैश्विक आर्थिक और सामरिक घेराबंदी से सशंकित चीन के राष्ट्रपति ने सीपीसी शताब्दी समारोह में कहा “हम किसी भी विदेशी ताकत को अनुमति नहीं देंगे कि वह हमें आँख दिखाये, दबाये या हमें अपने अधीन करने का प्रयास करे।“

इस अवधि में चीन के समाजवादी माडल को लेकर भी प्रश्न खड़े होते रहे हैं। पर सीपीसी शताब्दी समारोह में शी जिनपिन ने द्रड़ता से कहाकि सिर्फ समाजवाद ही देश को बचा सकता है। किसी सार्वजनिक मंच से समाजवाद के प्रति स्पाष्ट द्रड़ता किसी शीर्षस्थ चीनी नेता ने अर्से बाद दिखायी है। 1921 में मार्क्सवादी दर्शन को आदर्श मान कर गठित हुयी चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से ऐसी ही अपेक्षा की भी जाती है।  

चीन और सीपीसी की उपलब्धियों के इस विशाल भंडार के बीच उसके सिर पर अंतर्विरोधों का गट्ठर भी कम नहीं हैं। अंतर्विरोध यदि अमेरिका और उसके खीमे के देशों तक ही सीमित होते तो एक अलग बात होती। भारत जैसे पड़ोसी से सीमा विवाद और सीमा पर तनाव पूरे महाद्वीप को निरन्तर झकझोरता रहता है। समाजवादी देश वियतनाम के साथ भी कई अंतर्विरोध मुंह बायें खड़े हैं। हांगकांग में स्थापित व्यवस्था को बदलने के उस पर आरोप हैं। उसने खुद ही स्पष्ट कर दिया है कि वह ताइवान, हांगकांग और मकाऊ को वापस मिलाना चाहता है। अन्य कई छोटे और पड़ोसी देशों से उसके विश्वसनीय संबंध नहीं हैं। इस सब पर तो चीन को ही विचार करना है।

सोवियत संघ के विघटन के बाद लगा था कि चीन भी अब अपने को शायद ही बचा पाये। लेकिन चीन इस धारणा के सामने अपवाद बन कर खड़ा होगया। आज वह विश्व की एक आर्थिक और सामरिक ताकत है। किसी भी पड़ोसी से उसके अच्छे संबंध पारस्परिक लाभ के हो सकते हैं। समय के साथ रिश्ते बदलते भी रहते हैं। अभी ज्यादा दिन नहीं हुये चीन के राष्ट्रपति का हमने भव्य स्वागत किया। चीन और भारत दोनों को सीमा पर शांति के अनथक प्रयास जारी रखने चाहिये। एक शांतिपूर्ण सह अस्तित्व कायम रखने के लिये दोनों ओर से उच्च स्तरीय प्रयास किए जाने चाहिए। यही दोनों देशों और उसकी जनता के हित में है।

डा॰ गिरीश  

 

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मंगलवार, 6 जुलाई 2021

फादर स्टान स्वामी की हत्या राज्य प्रायोजित है। भाकपा ने जताया दुख और आक्रोश


लखनऊ- 6 जुलाई 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मण्डल ने फादर स्टान स्वामी की मौत पर गहरा आक्रोश और दुख जताया है। भाकपा मांग करती है कि उनकी मौत के लिये जिम्मेदार सभी को गिरफ्तार किया जाये, और बुजुर्ग समाजसेवी के साथ घोर अमानवीय वरताव करने के दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाये।

आदिवासियों के उत्पीड़न और उनके अधिकारों के लिये लड़ने वाले झारखंड के 84 वर्षीय संत को पिछले अक्तूबर में भीमा कोरेगांव केस में गिरफ़्तार कर जेल में डाल दिया गया था। जबकि वे भीमा कोरेगांव गए तक नहीं थे। उनके ऊपर यूआपा UAPA जैसा कठोर कानून लादा गया। यहां तक कि उनकी गंभीर बीमारियों का इलाज तक नहीं किया गया। हाल ही में बंबई हाई कोर्ट के दखल के बाद उन्हें एक निजी अस्पताल में दाखिल कराया गया, जब उनकी सेहत लगभग जबाव देगयी।

उनकी मौत संस्थागत हत्या है जिसने न्यायपालिका, हिरासत के दौरान इलाज, चिकित्सा न कराना एवं हिरासत में उत्पीड़न आदि कई मुद्दों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिये हैं। भाकपा उनके ऊपर झूठे मुकदमे लगाने वालों, उनको लगातार कैद में रखने वालों और उनको यातना देने वाले सभी की गिरफ्तारी की मांग करती है। वे सब उनकी मौत के लिये जिम्मेदार हैं और उन्हें समुचित दंड मिलना ही चाहिए।

भाकपा भीमा कोरेगांव केस में गिरफ्तार सभी की अविलंब की मांग करती है।

भाकपा सभी का आह्वान करती है कि इस लोमहर्षक यातना पर गुस्से का इजहार करने, UAPA एवं देशद्रोह कानून जैसे कठोर क़ानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर और भारतीय संविधान में निहित मूलभूत अधिकारों के सरकारों द्वारा किए जारहे हनन के खिलाफ प्रतिरोध प्रदर्शन करें।

भाकपा राज्य सचिव मंडल ने अपनी सभी इकाइयों का आग्रह किया है कि वे गरीबों, किसानों, दलितों, युवाओं और बुद्धिजीवियों को व्यापक पैमाने पर संगठित कर 7 से 11 जुलाई के बीच फादर स्टान स्वामी की श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित करें और 12 जुलाई को सभी वामपंथी जनवादी एवं मानवाधिकारों के लिये संघर्षरत संगठनो को लेकर तहसील अथवा जिला जहां संभव हो आक्रोश जताते हुये ज्ञापन दें।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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शनिवार, 3 जुलाई 2021

जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव: अध्यक्ष जीत कर भी नैतिक रूप से हारी है भाजपा : भाकपा


 

लखनऊ- 3 जुलाई 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उत्तर प्रदेश राज्य सचिव मंडल ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश के जिला पंचायत चुनाव में भाजपा ने सरकार, प्रशासन और धन के बल पर बड़ा खेला कर दिया और 67 सीटें हथिया लीं। जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव में जिस भाजपा को जनता ने चारों खाने चित्त कर दिया था, अध्यक्ष चुनाव में नैतिकता का दंभ भरने वाली भाजपा ने तमाम अनैतिक हथकंडे अपना कर जनता के मुंह पर करारा तमाचा जड़ दिया।

नामांकन, नाम वापसी और अब निर्वाचन में भाजपा ने प्रशासन, धन और सरकारी गुंडई के बल पर ये घ्रणित खेल खेला है। तमाम जिलाधिकारी और पुलिस कप्तान अपने पद की मर्यादा भूल भाजपा के लिए खुलेआम काम कर रहे थे और विपक्ष के सदस्यों को हर तरह से प्रताड़ित कर, उनका अपहरण कर, उनको भाजपा के लिए मैनेज कर रहे थे। इससे शर्मनाक क्या होगा कि पोलिंग स्टेशन के भीतर तक सदस्यों को पाला बदलने के लिये मजबूर किया गया। भाजपा भले ही अध्यक्ष पद जीत गयी है, पर उसकी नैतिक पराजय हुयी है। ये बात अलग है कि भाजपा के भीतर नैतिकता तलाशना चील के घौंसलों में मांस खोजने जैसा है।

भाकपा ने कहाकि ऐसा नहीं है कि इससे पूर्व के चुनावों में तत्कालीन शासक दलों ने कोई धांधली नहीं की, पर उसकी तुलना में यह धांधली अत्यंत भयावह है। पहले यदि दाल में काला होता था तो अब संपूर्ण दाल ही काली है। भाकपा ने उस समय भी उन धांधलियों की कड़ी निन्दा की थी और आज भी वह इस महा धांधली की कड़ी निन्दा करती है। वह इसलिये कि यह लोकतन्त्र के लिये बेहद अशुभ है।

त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में भारी पराजय के बाद भाजपा को 2022 के विधानसभा चुनावों में पराजय का भूत सता रहा था और वह किसी भी कीमत पर जिला पंचायतों को हड़पने पर आमादा थी। इन चुनावों को जिताने के आश्वासन पर ही संभवतः मुख्यमंत्रीजी को हाई कमांड से अभयदान मिला था जिसे उन्होने बखूवी कर दिखाया है। चर्चा है कि भाजपा ने इन चुनावों पर कई सौ करोड़ रुपये खर्च किये हैं। इस सबकी उच्चस्तरीय और विश्वसनीय जांच तो होनी ही चाहिये।

भाकपा ने कहाकि आज का दिन उत्तर प्रदेश के पंचायती लोकतन्त्र के इतिहास में सबसे काला दिन है। सभी लोकतन्त्र समर्थक व्यक्तियों और शक्तियों को इसे गंभीरता से लेना होगा और पतनशील लोकतान्त्रिक संस्थाओं और लोकतन्त्र को बचाने के लिये मुखर आवाज उठानी होगी। विपक्ष को इस बात पर भी गौर करना होगा कि यदि ब्लाक प्रमुख चुनाव भी इसी धांधली के वातावरण में होते हैं तो उसका रुख क्या होगा।

भाकपा ने कहाकि अब भी समय है जब उत्तर प्रदेश के विपक्ष को तवाहहाल जनता को बदहाली से बचाने और लोकतन्त्र की रक्षा के लिये संयुक्त संघर्ष शुरू कर देना चाहिये। इस संघर्ष को चुनावी संघर्ष से भिन्न समझा जाना चाहिये।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा उत्तर प्रदेश

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बुधवार, 30 जून 2021

महंगाई के खिलाफ उत्तर प्रदेश और देश में वामपंथी दलों की जबर्दस्त दस्तक: मोदी योगी सरकार महंगाई को नीचे लाओ, वरना गद्दी से जाओ


 

लखनऊ- 30 जून 2021, महंगाई को नीचे लाओ, वरना गद्दी से जाओ इस स्पष्ट संदेश के साथ आज वामपंथी दलों ने उत्तर प्रदेश और देश में सड़कों पर उतर कर जबर्दस्त आक्रोश का इजहार किया।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव डा॰ गिरीश, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) के प्रदेश सचिव डा॰ हीरालाल यादव, भाकपा माले-लिबरेशन के सचिव का॰ सुधाकर यादव एवं आल इंडिया फारबर्ड ब्लाक के राज्य संयोजक अभिनव कुशवाहा ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार द्वारा निर्मित भय के वातावरण के बावजूद वामपंथी दलों के हजारों कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर उतर कर महंगाई के खिलाफ जबर्दस्त आवाज बुलंद की।

चारों वामपंथी नेताओं ने इस प्रदेशव्यापी सफल दस्तक के लिये समस्त कार्यकर्ताओं को बधाई दी है।

यहां जारी एक बयान में चारों वाम नेताओं ने बताया कि वामपंथी दलों के राष्ट्रीय नेत्रत्व ने 16 से 30 जून तक महंगाई और जनता के अन्य बेहद जरूरी सवालों पर आंदोलन का आह्वान किया था जिसके अंतर्गत उत्तर प्रदेश में 29 जून तक गांव- मोहहल्लों में व्यापक जनजाग्रति अभियान चलाया गया और आज जिला केन्द्रों पर धरने प्रदर्शन किये गये। सोशल मीडिया इन प्रदर्शनो की खबरों, फ़ोटोज़ और वीडियोज़ से पटा पड़ा है।

प्रदर्शनों के बाद जिला प्रशासन के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंप कर पेट्रोल डीजल और रसोई गैस के दामों में इस साल में की गयी भयंकर बढ़ोत्तरियों को वापस लिया जाये, महंगाई पर प्रभावी अंकुश लगाया जाये, आवश्यक वस्तुओं एवं दवाओं की न्यूनतम कीमतें निर्धारित की जायेँ, सभी जरूरतमन्द परिवारों को निशुल्क राशन और रु॰ 7500 प्रतिमाह दिये जायें, बेरोजगारों को रोजगार दिया जाये तथा स्वास्थ्य शिक्षा का सार्वजनीकरण कर उसे हर व्यक्ति को सुलभ बनाया जाये।

आंदोलन में राज्य में शासक दल और सरकार द्वारा लोकतन्त्र पर किए जा रहे हमले और सांप्रदायिकता को हवा देकर समाज को बांटने की कोशिश के सवालों को भी शिद्दत से उठाया गया। वामदलों ने कहाकि यह आंदोलन जारी रहेगा और अन्य जनवादी दलों को भी साथ लाने के प्रयास जारी हैं।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

  

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मंगलवार, 29 जून 2021

उत्तर प्रदेश जिला पंचायत चुनाव- लोकतन्त्र को रौंदने पर आमादा है भाजपा : डा॰ गिरीश


लखनऊ- 29 जून 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहा कि जैसी कि उम्मीद की जारही थी भाजपा सरकार और उसके मातहत प्रशासन ने आज फिर धींगामुश्ती से जिला पंचायत की चार और सीटों को हथिया लिया। यदि बड़े पैमाने पर जनता सड़कों पर न उतरी होती तो बागपत की सीट को भी हड़प लिया होता। उन्होने आशंका जतायी है कि 3 जुलाई को होने वाले निर्वाचन और गणना में भी भाजपा बड़ा खेला कर सकती है।

भाकपा राज्य सचिव ने कहाकि योगी सरकार और प्रशासन द्वारा लोकतन्त्र का यह चीरहरण उस समय किया जारहा था जब लोकतान्त्रिक सत्ता के शीर्ष पुरुष महामहिम राष्ट्रपति उत्तर प्रदेश में ही मौजूद थे और अपने भाषणों में वे बार बार लोकतन्त्र की दुहाई देरहे थे।

भाकपा ने आरोप लगाया कि बागपत जिला प्रशासन ने नकली प्रत्याशी के आवेदन पर जिला पंचायत की असली प्रत्याशी का नामांकन रद्द कर दिया। यदि बड़े पैमाने पर विपक्ष और जनता सड़कों पर न उतरी होती तो असली प्रत्याशी को वैध करार न दिया जाता। सवाल उठता है कि अमरोहा में प्रशासन ने वैध प्रस्तावक को अवैध करार दे दिया तो बागपत में अवैध प्रत्याशी की वैधता की जांच किए बिना नामांकन कैसे रद्द कर दिया गया। बागपत जिला प्रशासन पूरी तरह कठघरे में है।

भाकपा ने कहाकि भाजपा के दवाब में चार विपक्षी प्रत्याशियों ने नामांकन वापस ले लिये। इस तरह जिस जिला पंचायत सदस्यों के चुनावों में भाजपा नगण्य स्थिति में थी, उसने जिलाध्यक्ष की कुल 20 सीटें बिना लड़े ही हथिया लीं। यह लोकतन्त्र की पीठ पर बड़ा आघात है।

भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि अपने जनविरोधी और जनतंत्र विरोधी कार्यों से भाजपा पूरी तरह बेनकाव होगयी है और उसे 2022 के विधान सभा चुनावों में हार का भूत सता रहा है। इसलिए अब वह सत्ता में पुनः वापसी के लिये हर नाजायज हथकंडा अपना रही है। भाजपा की इस तानाशाही का जबाव संयुक्त विपक्ष की लामबंदी और जनता की आंदोलनकारी कार्यवाहियों से ही दिया जा सकता है।

भाकपा ने मांग की कि बागपत के जिलाधिकारी को फौरन दंडित किया जाये, जिन जिलों में भाजपा ने अब तक बिना लड़े ही सीटें हथिया लीं हैं उसकी समयबध्द जांच उच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा कराई जाये और जांच होने तक उन पदों को सस्पेंड रखा जाये।

भाकपा ने कहाकि उत्तर प्रदेश के विपक्षी दलों को मिल कर मर्यादाओं को पार कर चुके उत्तर प्रदेश के निर्वाचन आयोग के विरूध्द भी आवाज उठानी होगी।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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शनिवार, 26 जून 2021

उत्तर प्रदेश जिलाध्यक्ष निर्वाचन/ नामांकन में हुयी लोकतन्त्र की हत्या : भाकपा


लखनऊ-26 जून, 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मंडल ने आज जिला पंचायत अध्यक्ष पद हेतु नामांकन में भाजपा और उसकी सरकार द्वारा की गयी अभूतपूर्व धांधली की कड़े शब्दों में भर्त्सना की है।

एक ओर आज जब देश के किसान कामगार और उनके शुभचिंतक खेती बचाओ, “लोकतन्त्र बचाओ” आंदोलन के तहत अपनी आवाज बुलन्द कर रहे थे, तब उत्तर प्रदेश में लोकतन्त्र का वीभत्स चीरहरण किया जा रहा था। इससे साबित होगया कि भाजपा का यह आपातकाल क्रूर फासीवाद के सिवा कुछ अन्य नहीं।

भाकपा ने कहाकि देश के लोकतन्त्र के इतिहास में यह पहला अवसर है जब निर्वाचन से पहले ही निर्वाचन प्रक्रिया की भ्रूण हत्या कर दी गयी और विपक्ष के लगभग डेढ़ दर्जन प्रत्याशियों को चुनाव प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया। कई के नामांकन रद्द कर दिये गये, कई के समर्थकों का अपहरण कर लिया गया तो कई को पहले ही पुलिस प्रशासन द्वारा आतंकित कर नामांकन करने से रोका गया अथवा जबरिया दल बदल करा भाजपा में शामिल कर लिया गया।

हर कोई जानता है कि जिला पंचायत सदस्य चुनावों में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था और वह एक भी जिले में स्पष्ट बहुमत नहीं ला सकी थी। कई जिलों में उसके उंगलियों पर गिने जाने लायक सदस्य ही जीते थे। परंतु मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि भाजपा 65 जिला पंचायत अध्यक्ष हासिल करके रहेगी। कोविड की आड़ में प्रदेश भर का उनका दौरा शासन, प्रशासन और स्थानीय भाजपा को उनके इस अपवित्र टार्गेट को पूरा करने को आदेशित करने को ही था, भाकपा ने आरोप लगाया है।

आज नामांकन के दिन हुयी भारी धांधली से हर कोई हिल गया है। जब नामांकन इतना वीभत्स है तो चुनाव कैसा होगा सहज अनुमान लगाया जा सकता है।

भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने राज्य निर्वाचन आयोग से मांग की कि जिन जिलों में ये अवैध करतूत हुयी है उसका निराकरण कर विपक्ष के लोगों का दोबारा नामांकन कराया जाये। धांधली से जुड़े अधिकारियों, पुलिसकर्मियों के विरूध्द मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही के आदेश दिये जायें। उन्होने चेतावनी दी कि निर्वाचन आयोग से न्याय नहीं मिला तो अन्य स्तरों पर लड़ाई जारी रहेगी।

भाकपा ने सभी विपक्षी दलों से अपील की कि लोकतन्त्र की हत्या के इस कदम का संयुक्त रूप से प्रतिकार करें।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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रविवार, 21 मार्च 2021

कल्पना दत्तः चटगांव शस्त्रागार कांड की नायिका

 


गिरफ्तार हुईं कल्पना

 कल्पना दत्त (बाद में कल्पना जोशी )का जन्म 27 जुलाई 1913 को श्रीपुर, बोउल खाली उपजिला, चटगांव जिला, बंगाल प्रदेश ;अब बांग्लादेश में हुआ था। श्रीपुर मात्र 300 घरों का छोटा-सा गांव था। उनका परिवार पुरातनपंथी
परम्परावादी विचारों का बड़ा जमींदार परिवार था। कल्पना के पिता विनोद बिहारी दत्त थे और माता का नाम
शोभना देवी। परिवार शिक्षित था और इसके सदस्य बाद में स्वतंत्रता आंदोलन से भी जुड़ गए।

शिक्षा और राजनैतिक सक्रियता

 कल्पना की आरंभिक शिक्षा घर पर हुई। उसके बाद उसे डॉ. खास्तगीर बालिका हाई स्कूल में दाखिल करा दिया गया। यह स्कूल परिवार के ही कुछ सदस्यों ने स्थापित किया था। कल्पना पढ़ाई में बड़ी तेज थी और हमेशा अव्वल आया करती। उसने सुप्रसिद्ध  बंगला पुस्तक ‘‘पथेर दाबी’ पढ़ ली, साथ ही कन्हाईलाल तथा कई क्रांतिकारियों की जीवनियां भी पढ़ीं। उसक दो चाचा गांधीजी के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए। इसका
उस पर बड़ा असर पड़ा। कल्पना को विज्ञान का बड़ा शौक था। महान वैज्ञानिक आचार्य प्रफुल्लचंद्र राय को वह अपना आदर्श मानती थी। कल्पना संस्कृत और गणित में भी बहुत तेज थी।
समय के साथ उसके परिवार में राजनैतिक मतभेद पैदा हो गए। गांधी जी चटगांव आए और इस परिवार की
कपड़े की दुकान पर बंग लक्ष्मी मिल्स के स्वदेशी कपड़े रख गए। परिवार की कई स्त्रियां गांधी का ‘दर्शन’ करने
गईं, यहां तक अपने गहने तक उन्हें दान कर आईं।
कल्पना ने 1929 में चटगांव से मैट्रिक पास किया। उसी वर्ष वहां एक विद्यार्थी सम्मेलन आयोजित किया गया
जिसमें कल्पना ने अपने चाचा की सहायता से भाषण भी दिया। चटगांव के नौजवान क्रांतिकारी संगठनों में
संगठित होने लगे। उसके एक सदस्य पूर्णेन्दु दस्तीदार कल्पना के घर आने-जाने लगे। कल्पना धीरे-धीरे
प्रशिक्षित होने लगी।
कल्पना ने कलकत्ता के बेथ्यून कॉलेज में भर्ती ले ली। उसके विषय थे भौतिक शास्त्र, गणित और वनस्पति
शास्त्र। साथ ही उसने व्यायाम, बोटिंग, इ. भी सीखी। उसने हिन्दी और फ्रेंच का भी अध्ययन किया। जल्द ही उसका संपर्क सूर्यसेन, अनंत सिंह, गणेश घोष तथा अन्य प्रसिद्ध  क्रांतिकारियों से हुआ।
उसने लाठी, छुरा, इत्यादि चलाने में ट्रेनिंग पाई।
कल्पना ने अप्रैल 1930 में जवाहरलाल नेहरू की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए बेथ्यून कॉलेज मे हड़ताल संगठित की। कॉलेज की महिला प्रिंसिपल ने विद्यार्थियों से दुर्व्यवहार किया। बाद में प्रिंसिपल को माफी मांगनी पड़ी।
कल्पना दत्त ’छात्री संघ’ ;गर्ल स्टूडेंट ऐसोसिएशनमें शामिल हो गई। यह एक अति-क्रांतिकारी संगठन था
जिसमें बीना दास और प्रीतिलता व द्देदार जैसी क्रांतिकारी छात्राएं शामिल थीं।
चटगांव शस्त्रागार पर हमला
क्रांतिकारी युवाओं ने 18 अप्रैल 1931 को चटगांव के ब्रिटिश शस्त्रागार पर हमला कर दिया। इस खबर ने ब्रिटिश सरकार को हिलाकर रख दिया। खबर तेजी से फैल गई। कल्पना जल्द से जल्द चटगांव चली जाना चाहती थी लेकिन उसे कॉलेज से ट्रांसफर नहीं मिल रहा था। काफी समय बर्बाद हो गया जिसका उसकी पढ़ाई पर असर पड़ा। वह प्राइवेट छात्र के रूप में परीक्षा में बैठी। उसका सेंटर चटगांव में ही पड़ा। कल्पना ने चटगांव कॉलेज में बी.एस.सी. में एडमिशन ले लिया।
वह क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए अधीर हो रही थी। उसने पिस्तौल तथा अन्य हथियारों की ट्रेनिंग लेना अधिक सक्रियता से लेना शुरू कर दिया। अपने मैट्रिक के दिनों मे कल्पना एक कम्युनिस्ट साथी के संपर्क में आ चुकी थी जिसका नाम था सुरभा दत्त। इससे उसके विचार बनने लगे थे। कल्पना ने अनन्त सिंह को, जो क्रांतिकारी दल के नेताओं में से एक थे, दल में शामिल होने पर मजबूर कर दिया। उसे रेलवे लाइन उड़ाने के
ग्रुप में शामिल कर लिया गया। इंडियन रिपब्लिकन आर्मी के सूर्य सेन ने कल्पना दत्त को कलकत्ते से एसिड, रसायन तथा अन्य सामग्री का इंतजाम करने के लिए कहा। कल्पना खुद यह सारा सामान ले आई। वह विस्फोटक तैयार करने की विशेषज्ञ बन गई। उसे ‘एक्शन स्क्वाड’ में शामिल कर लिया गया।
जेल को बम से उड़ने की पहली कोशिश असफल रही। जेल में दिनेश गुप्ता और रामकृष्ण बिस्वास को फांसी
दी जाने वाली थी। कल्पना को 17 दिसंबर 1932 को चटगांव के पहाड़ तली में स्थित योरपियन क्लब के पास से गिरफ्तार कर लिया गया। वह पुरुष वेश में घूम रही थी। इसके एक सप्ताह बाद ही प्रीतिलता वद्देदार
के नेतृत्व में क्रांतिकारियों ने क्लब पर हमला कर दिया। यह हमला जलालाबाद के उस नरंसहार के बदले
में था जिसमें ब्रिटिश सैनिकों ने कई युवाओं की हत्या कर दी थी। प्रीतिलता गंभीर रूप से घायल हो गई और पकड़े
जाने से बचने के लिए उसने सायनाड खाकर आत्महत्या कर ली। प्रीतिलता कल्पना दत्त की सहपाठिनी और
क्रांतिकारी दल में सहयोगिनी थी। पुलिस ने कल्पना को उक्त कांड में फंसाने की कोशिश की लेकिन सबूतों
के अभाव में उसे जमानत पर छोड़ दिया गया। उसे अपने घर में बंदी बनाकर चारों ओर पुलिस का पहरा
बिठा दिया गया। उसे घर से बाहर जाने की इजाजत नहीं थी।
फिर भी कल्पना मौका पाते ही घर से भाग निकली। उनके पिता को काम से निकाल दिया गया और घर पर
छापा मारकर सारा सामान जब्त कर लिया गया।
कल्पना और सूर्यदा

सूर्यसेन किसी तरह रात और दिन में छिपते तथा भागते रहे और पुलिस के जाल से बचते रहे। इसी दौरान वह पुलिस फायरिंग में घायल हो गई। वह और मणिन्द्र दत्त पूरे दो घंटे एक तालाब के पानी में छिपे रहें। फिर भी वह भागती गई। आखिरकार उसे चटगांव के पास समुद्री किनारे एक छोटे-से कस्बे से गिरफ्तार कर लिया गया।
कल्पना और कई अन्य साथियों को पकड़कर पुलिस ले गई। एक पुलिस अफसर ने उसे थप्पड़ मारा। इस पर
वहां उपस्थित फौजी कमांडर ने थप्पड़ मारने वाले को डांटते हुए कहाः ‘‘उसे उचित सम्मान दो।’’ कल्पना पुलिस
और फौजी अधिकारियों के बीच बड़ी लोकप्रिय हो गई।
सूर्यसेन और तारकेश्वर दस्तीदार को फांसी की सजा सुनाई गई जबकि कल्पना दत्त को आजन्म कारावास की
सजा मिली। विशेष ट्रिब्यूनल जज ने कहा कि वह सिर्फ 18 वर्ष की थी। उसे अंडमान में काला पानी की सजा
के लिए भेजा जाने वाला था लेकिन महाकवि रविन्द्रनाथ टैगोर ने हस्तक्षेप कर रुकवा दिया। उसे पहले तो हिजली
और राजशाही जेलों में भेजा गया, फिर सितंबर 1934 से अक्टूबर1935 तक मेदिनीपुर जेल में रखा गया। फिर
दिनाजपुर जेल और उसके बाद मेदिनीपुर जेल में वापस लाया गया।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
कल्पना दत्त और अन्य कैदियों की रिहाई के लिए आंदोलन जोर पकड़ता गया तथा सरकार पर दबाव बढ़ता
गया। 1938-39 में कैदियों की रिहाई का आंदोलन तेज हो गया। इसके अलावा गांधीजी और टैगोर ने भी दबाव
बनाया। फलस्वरूप कल्पना दत्त तथा कई अन्य को 1 मई 1939 को रिहा कर दिया गया।
रिहाई के बाद कल्पना को रविन्द्रनाथ टैगोर की ओर से पत्र मिला। इसमें उन्होंने कल्पना को उसके भविष्य के कर्तव्यों का ध्यान दिलाते हुए उसे आशीर्वाद दिया।
कल्पना के अधिकतर साथी कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हो चुके थे। अभी कल्पना पशोपेश में थी। वह वेदान्त
और गीता के आध्यात्मिक प्रभाव में भी थी। साथ ही उसे कम्युनिस्टों के विचार जरा ज्यादा ही सिधान्तिक लगते थे। उसे महसूस हो रहा था कि ‘जनता के बीच’ काम होना चाहिए। कोई भी कॉलेज कल्पना दत्त को एडमिशन देने
को तैयार नहीं था। आखिरकार उसने 1940 में बी.ए. पास किया ओर एम. ए.;गणित में एडमिशन लिया।
1940-41 में उसे फिर ‘गृह-बंदी’ में रखा गया वापस कलकत्ता लौटकर उसने ‘अध्ययनमंडली’ का गठन किया। साथ ही हस्तलिखित पत्रिका ‘पथेय’ निकालना शुरू किया। उसने लगभग सौ सदस्यों वाली एक नारी समिति भी गठित की।
उसने ‘रात-दिन’ स्कूल स्थापित किए। उसने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान चटगांव पर जापानियों द्वारा बमबारी के दौरान रक्षा-उपायों संबंधी काम किया। इस संदर्भ में उसने महिला आत्मरक्षा समिति’ के गठन में भाग लिया। इस बीच वह दो बार टाइफायड से गंभीर रूप से बीमार हुई।
कल्पना को अब जनता के बीच काम करने के कई अवसर मिले। उसने संथाल मजदूरों, आदिवासियों, सफाई
श्रमिकों, धोबियों, इ. तबकों के बीच, उनकी झुग्गियों में जाकर बहुत सक्रियतासे काम किया। इसके अलावा उसने
1943 के बंगाल में पड़े महा-अकाल में बड़ा काम किया। उसे किसान सभा में भी काम करने का मौका मिला।
कलकत्ता में उसने ट्रामवे तथा अन्य मजदूरों के बीच सक्रिय काम किया।
वह ट्रामवे वर्कर्स यूनियन के ऑफिस में होलटाइमर बन गईं।
इन कार्योंं के दौरान कल्पना दत्त कम्युनिस्ट पार्टी के काफी नजदीक आ गईं। उन्हें 1942 में, जब वे
टाइफायड से बीमार थीं, सूचना दीगई कि उन्हें भा.क.पा. का सदस्य बना लिया गया है।
दिसंबर 1942 में कल्पना पार्टी स्कूल में भर्ती होने बंबई गईं। वहां उनकी मुलाकात पार्टी के महासचिव पी.सी. जोशी से हुई। उन्हें प्रादेशिक स्तर पर पार्टी संगठनकर्ता बनाया गया।
उनकी चार बहनें भी पार्टी की सदस्य बन गईं। अगस्त 1943 में पी.सीजोशी और कल्पना दत्त की शादी हो गई।
कल्पना जोशी ने कई जनसंघर्षोंं का नेतृत्व किया और कई अन्य में भाग लिया। इनमें से एक था जनवरी 1946 में चटगांव के पाटिया में हड़तालें और प्रदर्शन। यह ब्रिटिश सिपाहियों द्वारा किए गए अत्याचारों के विरोध में था। कल्पना और उसके साथियों ने इनका नेतृत्व किया।
1946 में कल्पना जोशी ने भाक. पा. उम्मीदवार के रूप में बंगाल विधान सभा के लिए चुनाव लड़ा। लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।

कल्पना जोशी 1948 में अंडरग्राउंड चली गईं। 1951 में जब पार्टी पर से पाबंदी हटाई गई तो उन्हें वित्तीय एवं राजनैतिक कारणों से नौकरी करनी पड़ गई। उन्हें प्रो. पी.सीमहालनोबिस के तहत इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीच्यूट में काम मिल गया। उन्होंने मुख्यतः नेशनल सैम्पल सर्वे ;एन.एस.एस. में काम किया। वे इंस्टीच्यूट ऑफ स्टडीज इन रश्शियन लैंग्वेज की संस्थापक-डाइरेक्टर भी थीं। उन्होंने ‘चिटगांग आर्मरीरेडर्सःरेमिनिसेन्सेज’ ;चटगांव शस्त्रगार कांड के साथियों के संस्मरण नाम से आत्म-कथात्मक पुस्तक भी लिखी। इसे अंग्रेजी में पी.सी. जोशी और निखिल चक्रवर्ती ने अनूदित किया। जोशी ने इसकी भूमिका भी लिखी। कल्पना ने लिखाः ‘‘हमें अपने स्कूली दिनों में अपने भविष्य का कोई खाका स्पष्ट नहीं था। और तब झांसीं की रानी की कहानी ने हमें प्रेरित कर दिया।’’ कल्पना दत्त जोशी की मृत्यु 5 फरवरी 1995 को हो गई।

-अनिल राजिमवाले

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मंगलवार, 9 मार्च 2021

CPI in UP will support peasants and workers movement on March 15, 2021


उत्तर प्रदेश में जमीन बचाने, सार्वजनिक क्षेत्र बचाने, गरीबों के आवास बचाने, संविधान बचाने और महंगायी को पर्याप्त मात्र में नीचे लाने को 15 मार्च को सड़कों पर उतरेगी भाकपा

 

लखनऊ- 9 मार्च 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के सचिव मंडल ने कहाकि आज किसानों की ज़मीनें बचाने, कारपोरेट खेती पर रोक लगाने एवं देशाहित में आवश्यक वस्तु अधिनियम को समाप्त करने से बचाने तथा बिजली बिल संशोधन अधिमियम को खारिज कराना बेहद जरूरी है। इसके साथ ही फसलों की कीमतों के न्यूनतम मूल्य दिलाने की गारंटी करने वाला कानून बनाया जाना भी समय की जरूरत है। न्यूनतम समर्थन मूल्य भी स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले के आधार पर होना चाहिये, न कि सरकार की मनमर्जी के अनुसार। ऐसे समय में जब डीजल, पेट्रोल, खाद और कीटनाशकों की कीमतों ने सारे रिकार्ड तोड़ रखे हैं, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस साल का गेहूं खरीद मूल्य 1975 निर्धारित करना किसानो को और भी देवालिया बनायेगा, भाकपा ने कहा है।

दूसरी ओर समस्त सार्वजनिक क्षेत्र को बेच कर कार्पोरेट्स/ पूँजीपतियों के हवाले करने से देश के प्राक्रतिक संसाधनों की लूट बड़ेगी और संप्रभुता को खतरा उत्पन्न होने जा रहा है। श्रम क़ानूनों को नष्ट कर बनाये 4 लेबर कोड्स के जरिये मजदूरों से यूनियन बनाने- चलाने का अधिकार छीन लिया गया है, मजदूरों को उनके दमन और शोषण से बचाव के सभी रास्ते बंद होगये हैं और मजदूरों को मौजूदा सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और कार्यस्थल पर सुरक्षा संबंधी प्रविधानों से वंचित कर दिया गया है।

राष्ट्रीय संपदा और किसानों मजदूरों को कार्पोरेट्स के हाथों लुटवाने के जघन्य पाप को प्रधानमंत्री ने वैचारिक जामा पहनाने की पुनः कोशिश की है। वे निर्लज्जता से कह रहे हैं कि सरकार का काम उद्योग व्यापार चलाना नहीं। यदि सरकार अपने नागरिकों के हितरक्षा से मुकर रही है और मेहनतकशों द्वारा खड़ी की गयी संपदाओं को बेचने पर उतारू है तो देश के मतदाताओं को भी उसे हटा देने का नैतिक अधिकार है, और वे जरूर इस अधिकार का प्रयोग करेंगे, भाकपा ने कहा है।

इस बीच सरकार ने पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतों को आसमान पर पहुंचा दिया है और सभी जरूरी चीजों की महंगाई बढ़ने से आम और खास सभी लोग त्राहि त्राहि कर उठे हैं। केन्द्र से बढ़ने वाली कीमतों में राज्य का टैक्स भी जुड़ जाता है और महंगाई का उच्चतम स्तर असहनीय हो जाता है।

प्रधानमंत्री के वक्तव्य से उत्साहित उत्तर प्रदेश की सरकार ने बेहद महंगे सरकारी पर्यटक आवासों को लीज पर देने का फैसला ले डाला। राज्य सरकार हर जनविरोधी करतूत पर उतारू है। पहले माफियाओं के मकान ढहा कर वाहवाही लूटने में मशगूल उत्तर प्रदेश सरकार ने अब गरीबों और आम नागरिकों- खासकर दलितों, अल्पसंख्यकों के आवासों को ढहाना शुरू कर दिया है। हाथरस में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्मित बाल्मीकि परिवारों के मकानों को बिना किसी कारण के बिना नोटिस दिये ढहा दिया। इलाहाबाद में कल प्रोफेसर फातमी एवं उनकी बेटी के मकान को ढहा दिया गया। सामंती तत्वों और भूमाफियाओं को कब्जा दिलाने को प्रदेश भर में दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के उन मकानों को ढहाने का अभियान बड़े पैमाने पर जारी है, जिनमें वे कई पीढ़ियों से रह रहे हैं।  

एक ओर लोगों के मकान ढहाए जारहे हैं वहीं जगह जगह लेबर कालोनियों के मकानों पर दबंगों ने आधिपत्य जमा लिया है। योगी सरकार कानून संविधान और उसकी प्रस्थापनाओं पर खुले हमले कर रही है। हाल ही में मुख्यमंत्री ने धर्मनिरपेक्षता को संस्क्रति के विकास में बाधा बता कर संविधान पर बड़ा हमला बोला है।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी इस सब पर कडा ऐतराज जताती है। भाकपा ने किसानों की जमीन की रक्षा, सार्वजनिक क्षेत्र को बचाने, महंगाई को उल्लेखनीय तादाद में नीचे लाने, लोगों को बेघर बनाने से रोके जाने और संविधान पर हमलों का प्रतिकार करने को 15 मार्च के किसानों- कामगारों के आंदोलन को जमीनी समर्थन करने का निर्णय लिया है। साथ ही भाकपा बैंकों, बीमा और जनरल इंश्योरेंस के कर्मियों के आंदोलनों का पुरजोर समर्थन करेगी। तदनुसार भाकपा की जिला इकाइयों को निर्देश जारी किया गया है।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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