रेल मंत्री ममता बनर्जी हादसा मंत्री बन गयी हैं। 28 मई 2010 को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले में ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस की दुर्घटना में मारे गये 177 लोगों और सैकड़ों जख्मी लोगों के परिवारों की आहें-चीखें अभी थमी भी नहीं थी कि 19 जुलाई को सुबह दो बजे के लगभग पश्चिम बंगाल के ही बीरभूम जिले के साईंथिया स्टेशन पर प्लेटफार्म पर खड़ी भागलपुर-रांची एक्सप्रेस को न्यू कूच बिहार सियालदह उत्तरबंग एक्सप्रेस ने पूरी स्पीड में पीछे से आकर टक्कर मार दी जिसमें 67 यात्री मर चके हैं और अनेक गंभीर हालत में अस्पतालों में पड़े कराह रहे हैं। जब से ममता बनर्जी रेल मंत्री बनी हैं, लगता है दुर्घटना डायन रेलवे के पीछे ही पड़ गयी है; एक के बाद दूसरी ताबड़तोड़ बड़ी दुर्घटनाएं हो चुकी हंेै और इस अरसे में होने वाली कुल दुर्घटनाओं में 428 लोग मारे जा चुके हैं।
ममता बनर्जी रेल मंत्रालय में कम ही आती हैं और वे गैरहाजिर रेलमंत्री के रूप में जानी जाने लगी हैं। जब वे रेल मंत्रालय में कभी हाजिर ही नहीं रहती तो जाहिर है अपने मंत्रालय पर ज्यादा ध्यान भी नहीं दे पाती। उसी का नतीजा हैं ये हादसे। अंग्रेजी की कहावत है - व्हैन कैट इज अवे, दि माईस विल प्ले (जब बिल्ली नहीं पास, चूहे तो मस्ती करेंगे ही)। कहीं रेलवे में यही तो नहीं हो रहा?
- आर.एस. यादव
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