सत्ता में
बने रहने का नैतिक अधिकार खो चुकी है राज्य सरकार: भाकपा ने दोहराया
लखनऊ- गांवों, कस्बों और शहरों में तो स्त्री- पुरुष, दलित- अल्पसंख्यक
एवं आम जन, हत्या, बलात्कार, हमलों, अपहरण, लूट जैसी जघन्य
वारदातों के निरन्तर शिकार हो रहे हैं और मुख्यमंत्री अपराधों में कमी के फर्जी आंकड़े
पेश कर रहे हैं, ऐसे में राजधानी में मुख्यमंत्री आवास के निकट
गौतमपल्ली इलाके के हाई सीक्यौरिटी क्षेत्र में रेलवे अधिकारी के सरकारी आवास में दिन-
दहाड़े उनकी पत्नी और युवा बेटे की हत्या ने राज्य सरकार के सुशासन के दावों की कलई
खोल कर रख दी है।
आज ही मथुरा दिल्ली हाईवे पर स्कूटी सवार युवती से छेड़छाड़
और उसे घसीट कर वाहन में डालने की तथा जमुना एक्सप्रेसवे पर चलती बस में बलात्कार की
दिल कंपकंपाने वाली खबरें भी आ रही हैं। मैनपुरी में प्रेमी- प्रेमिका की जूतों से
पिटाई, उनका जुलूस और लखीमपुर में परिवार के कई लोगों की हत्या की खबरें भी अन्य
आपराधिक खबरों के बीच सुर्खियां बटोर रहीं हैं। हमेशा की तरह मुख्यमंत्री द्वारा संज्ञान
लिये जाने और कड़ी कार्यवाही किये जाने की खबरें भी चैनलों पर प्रसारित की जा रही हैं।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उत्तर प्रदेश राज्य सचिव
मंडल ने घटना/ घटनाओं पर दुख, आश्चर्य और रोष जताया है। एक प्रेस
बयान में पार्टी ने अपने इस स्टैंड को फिर दोहराया है कि उत्तर प्रदेश की मौजूदा सरकार
सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार खो बैठी है।
भाकपा यह निरन्तर कहती रही है कि अपराधियों से निपटने
और अपराधों को कंट्रौल करने की राज्य सरकार की कार्यवाहियाँ सुर्खियां बटोरने और लोगों
को बरगलाये रखने की द्रष्टि से की जा रहीं हैं ताकि बिखरते वोटों को साधा जा सके। अपने
इन मंसूबों को पूरा करने के लिये इस सरकार ने पुलिस- प्रशासन का व्यापक राजनीतिकरण
कर डाला है। नतीजे सबके सामने हैं।
भाकपा उम्मीद करती है कि सभी दुर्दांत घटनाओं के आरोपियों
को शीघ्र पकड़ा जायेगा। लेकिन सबसे बड़ा काम लोगों के मन में गहराई तक समा चुकी असुरक्षा
की भावना को निकालने का है जिसमें योगी सरकार पूरी तरह से विफल है।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश