“हमारे मेडिकल ब्रिगेड के प्रधान ने सूचित किया है कि वहां स्थिति कठिन है लेकिन हम लोगों की जान बचा रहे हैं।“
क्यूबा के स्वास्थ्यकर्मी दिन रात घंटों जो भी सुविधाएं वहां उपलब्ध हैं - शिविरों में या पार्कों में खुले आसमान के नीचे बिना रूके लगातार काम कर रहे हैं चूंकि वहां के लोगों को फिर भूकंप आने की आशंका थी। जितना पहले सोचा गया था, स्थिति उससे कहीं ज्यादा भयावह है। पोर्ट-ओ-प्रिंस की सड़कों पर हजारों घायल लोग सहायता के लिए गुहार लगा रहे हैं। अनगिनत लोग जिंदा या मुर्दा ढह गये मकानों के मलबे में दबे हुए हैं। बहुत ठोस मकान भी धराशायी हो गये।
संयुक्त राष्ट्र के कुछ अधिकारी भी अपने कमरों में फंस गये तथा दसियों लोगों की जानें चली गयी जिनमें संयुक्त राष्ट्र दल की टुकड़ी मिनुस्था के अनेक प्रमुख अधिकारी भी शामिल थे। संयुक्त राष्ट्र के अन्य सैकड़ों कर्मचारियों का कोई अता-पता नहीं है।
हैती के राष्ट्रपति का महल ढह गया तथा अनेक अस्पताल और अन्य सार्वजनिक दफ्तर नष्ट हो गये।
इस अभूतपूर्व प्राकृतिक आपदा को देखकर सारा विश्व स्तब्ध रह गया। दुनिया भर के लोगों ने प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय टीवी नेटवर्कों पर वहां की तबाही का मंजर देखा। विश्व भर की सरकारों ने बचाव दलों, खाद्य सामग्रियों, दवाइयों, उपकरण एवं अन्स संसाधन भेजने की घोषणा की। क्यूबा द्वारा की गयी सार्वजनिक रूप से घोषणा के अनुरूप स्पेन, मेक्सिको, कोलम्बिया एवं अन्य देशों के मेडिकल स्टाफ ने हमारे डाक्टरों के साथ मिलकर कड़ी मेहनत की। पीएएचओ जैसे संगठनों तथा वेनेजुएला जैसे दोस्ताना देशों ने दवा एवं अन्य समान भेजे। क्यूबा के पेशेवरों एवं उनके नेताओं ने बिना किसी प्रचार और ताम-झाम के काम किया।
क्यूबा ने ऐसी ही परिस्थिति में जब न्यू ओर्लीन्स शहर में भयंकर तूफान आया था और हजारों अमरीकी नागरिकों की जान खतरे में थी, तो वहां के लोगों के साथ सहयोग करने के लिए अमरीका जैसे देश में जो अपने विशाल संसाधनों के लिए जाना जाता है, एक पूरा मेडिकल ब्रिगेड भेजने की पेशकश की थी। उस समय प्रशिक्षित एवं साज समानों से परिपूर्ण डाक्टरों की जरूरत थी ताकि लोगों की जान बचायी जा सके। न्यू ओर्लीन्स की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए “हेनरी रीव“ टुकड़ी के एक हजार से अधिक डाक्टरों को तैयार रखा गया जो अपने साथ जरूरी दवाइयां एवं अन्य उपकरणों के साथ किसी भी वक्त वहां जाने के लिए तैयार थे। हमने कभी सोचा भी नहीं था कि उस देश के राष्ट्रपति हमारी पेशकश को ठुकरा देंगे और अनेक अमरीकी नागरिकों को मरने देंगे, जिन्हें बचाया जा सकता था। उस देश की सरकार ने शायद यह गलती की कि वह यह नहीं समझ पायी कि क्यूबा के लोग अमरीका के लोगों को अपना दुश्मन नहीं मानते और न ही क्यूबा पर हमले के लिए उन्हें दोषी समझते हैं। वहां की सरकार यह नहीं समझ पा रही थी कि हमारा देश उन लोगों से कुछ पाने की इच्छा नहीं रखता है जो आधी शताब्दी से हमें झुकाने का व्यर्थ प्रयास कर रहे हैं। हैती के संबंध में भी हमारे देश ने अमरीकी अधिकारियों के इस अनुरोध को कि सहयता सामग्रियों एवं जरूरी अन्य चीजों को यथासंभव हैती पहुंचाने के लिए क्यूबा के पूर्वी हिस्से के ऊपर से उड़ने दिया जाये, तुरन्त मान लिया ताकि अमरीका के और हैती के लोगों को जो तबाही से प्रभावित हुए है मदद पहुंच सके।
हमारे लोगों का इस तरह का शानदार नृजातीय चरित्र रहा है।
धीरज के साथ दृढ़ता, यह हमारी विदेश नीति का हमेशा ही विशेषता रही है और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में जो लोग हमारे विरोधी रहे हैं उन्हें भी यह अच्छी तरह मालूम है। क्यूबा इस राय से पूरी तरह एवं दृढ़ता पूर्वक सहमत है कि दक्षिण गोलार्ध के सबसे गरीब देश हैती में जो त्रासदी हुई है वह विश्व के सबसे शक्तिशाली एवं धनी देशों के लिए एक चुनौती है।
हैती विश्व में थोपी गयी औपनिवेशिक, पूंजीवादी और साम्राज्यवादी व्यवस्था की उपज है। हैती की गुलामी तथा बाद की गरीबी बाहर से थोपी गयी है। यह भयंकर भूकंप कोपेनहेगन शिखर सम्मेलन के बाद हुआ जहां संयुक्त राष्ट्र के 192 सदस्य देशों के सर्वाधिक मूलभूत
अधिकारों को कुचल दिया गया। इस त्रासदी के बाद हैती में जल्दबाजी में गैर कानूनी ढंग से लड़के-लड़कियों को गोद लेने की स्पर्धा चल रही है। इसे देखते हुए यूनिसेफ को इन बच्चों को बचाने के लिए निरोधात्मक कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा ताकि ये बच्चे अपनी जड़ों से इस तरह न उखड़ें और अपने अधिकारों को अपने सगे-संबंधियों से पाने से वंचित न हो जायंे। इस त्रासदी में एक लाख से अधिक लोग मारे गये। बड़ी संख्या में लोगों के हाथ, पैर टूट गये या फ्रैक्चर हो गये जिन्हें पुनर्वास की जरूरत है ताकि वे फिर से काम शुरू कर सके।
देश के 80 प्रतिशत हिस्से को फिर से बसाने की जरूरत है। हैती को ऐसी अर्थव्यवस्था की जरूरत है जो उत्पादन क्षमता के अनुसार इतनी विकसित हो कि अपनी जरूरतों को पूरा कर सके। हैती में जिन प्रयासों की जरूरत है उनकी तुलना में यूरोप और जापान का पुनर्निर्माण जो कि उत्पादन क्षमता और लोगों के तकनीकी स्तर पर आधारित था, आसान था। हैती तथा अधिकांश अफ्रीकी देशों और अन्य विकासशील देशों में स्थायी विकास के लिए हालात पैदा करना बहुत जरूरी है। केवल 40 सालों में दुनिया की आबादी नौ अरब हो जायेगी जिसे अभी वायुमंडल परिवर्तन की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। वैज्ञानिकों की राय में जलवायु परिवर्तन एक ऐसी वास्तविकता है जिससे बचा नहीं जा सकता।
हैती में आयी त्रासदी के बीच, किसी को पता नहीं क्यों और कैसे अमरीकी नौसेना के हजारों सैनिकों, 82वां एयरबोर्न डिविजन सैनिकों एवं अन्य सैनिकों ने हैती पर कब्जा कर लिया। इससे भी बदतर बात यह है कि न तो संयुक्त राष्ट्र ने और न ही अमरीकी सरकार ने सैनिकों की तैनाती के बारे में विश्व को कुछ बताया।
अनेक सरकारों ने शिकायत की है कि उनके विमानों को हैती में उतरने नहीं दिया गया जो मानवीय एवं तकनीकी संसाधनों को लेकर गये थे।
कुछ देशों ने घोषणा की है कि वे वहां अतिरिक्त सैनिक एवं सैनिक उपकरण भेजेंगे। मेरे विचार में ऐसी घटनाओं से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में जटिलता और अराजकता पैदा होगी जो कि पहले से ही जटिल है। इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। संयुक्त राष्ट्र को ऐसे नाजुक मामलों में अग्रणी भूमिका निभाने की जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए।
हमारा देश बिल्कुल एक मानवीय मिशन को पूरा करने में लगा हुआ है। यथासंभव हमारा देश मानवीय एवं अन्य संसाधन वहां भेजेंगा। हमारे लोगों की इच्छा काफी मजबूत हे जिन्हें अपने डाक्टरों और अन्य कर्मियों पर जो वहां काफी महत्वपूर्ण सेवाएं दे रहे हैं, नाज है। हमारे देश को यदि किसी महत्वपूर्ण सहयेाग की पेशकश की जायेगी तो उसे अस्वीकार नहीं किया जायेगा बशर्ते कि वह बिना किसी शर्त के और महत्वपूर्ण हो तथा जिसके लिए हमारे यहां से अनुरोध किया गया हो।
यह कहना उचित होगा कि अभी तक क्यूबा ने जो भी अपने विमान एंव अन्य मानवीय संसाधन हैती के लोगों की सहायता के लिए भेजे वे वहां बिना किसी कठिनाई के पहुंच गये हैं। हम डाक्टर भेजते हैं, सैनिक नहीं।
(23 जनवरी, 2010)
फिडेल कास्ट्रो रूज