लखनऊ- 3 जुलाई 2021, भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी के उत्तर प्रदेश राज्य सचिव मंडल ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश के जिला पंचायत
चुनाव में भाजपा ने सरकार, प्रशासन और धन के बल पर बड़ा खेला कर
दिया और 67 सीटें हथिया लीं। जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव में जिस भाजपा को जनता ने
चारों खाने चित्त कर दिया था, अध्यक्ष चुनाव में नैतिकता का दंभ
भरने वाली भाजपा ने तमाम अनैतिक हथकंडे अपना कर जनता के मुंह पर करारा तमाचा जड़ दिया।
नामांकन, नाम वापसी और अब निर्वाचन
में भाजपा ने प्रशासन, धन और सरकारी गुंडई के बल पर ये घ्रणित
खेल खेला है। तमाम जिलाधिकारी और पुलिस कप्तान अपने पद की मर्यादा भूल भाजपा के लिए
खुलेआम काम कर रहे थे और विपक्ष के सदस्यों को हर तरह से प्रताड़ित कर, उनका अपहरण कर, उनको भाजपा के लिए मैनेज कर रहे थे।
इससे शर्मनाक क्या होगा कि पोलिंग स्टेशन के भीतर तक सदस्यों को पाला बदलने के लिये
मजबूर किया गया। भाजपा भले ही अध्यक्ष पद जीत गयी है, पर उसकी
नैतिक पराजय हुयी है। ये बात अलग है कि भाजपा के भीतर नैतिकता तलाशना चील के घौंसलों
में मांस खोजने जैसा है।
भाकपा ने कहाकि ऐसा नहीं है कि इससे पूर्व के चुनावों
में तत्कालीन शासक दलों ने कोई धांधली नहीं की, पर उसकी तुलना में
यह धांधली अत्यंत भयावह है। पहले यदि दाल में काला होता था तो अब संपूर्ण दाल ही काली
है। भाकपा ने उस समय भी उन धांधलियों की कड़ी निन्दा की थी और आज भी वह इस महा धांधली
की कड़ी निन्दा करती है। वह इसलिये कि यह लोकतन्त्र के लिये बेहद अशुभ है।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में भारी पराजय के बाद भाजपा
को 2022 के विधानसभा चुनावों में पराजय का भूत सता रहा था और वह किसी भी कीमत पर जिला
पंचायतों को हड़पने पर आमादा थी। इन चुनावों को जिताने के आश्वासन पर ही संभवतः मुख्यमंत्रीजी
को हाई कमांड से अभयदान मिला था जिसे उन्होने बखूवी कर दिखाया है। चर्चा है कि भाजपा
ने इन चुनावों पर कई सौ करोड़ रुपये खर्च किये हैं। इस सबकी उच्चस्तरीय और विश्वसनीय
जांच तो होनी ही चाहिये।
भाकपा ने कहाकि आज का दिन उत्तर प्रदेश के पंचायती लोकतन्त्र
के इतिहास में सबसे काला दिन है। सभी लोकतन्त्र समर्थक व्यक्तियों और शक्तियों को इसे
गंभीरता से लेना होगा और पतनशील लोकतान्त्रिक संस्थाओं और लोकतन्त्र को बचाने के लिये
मुखर आवाज उठानी होगी। विपक्ष को इस बात पर भी गौर करना होगा कि यदि ब्लाक प्रमुख चुनाव
भी इसी धांधली के वातावरण में होते हैं तो उसका रुख क्या होगा।
भाकपा ने कहाकि अब भी समय है जब उत्तर प्रदेश के विपक्ष
को तवाहहाल जनता को बदहाली से बचाने और लोकतन्त्र की रक्षा के लिये संयुक्त संघर्ष
शुरू कर देना चाहिये। इस संघर्ष को चुनावी संघर्ष से भिन्न समझा जाना चाहिये।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा उत्तर प्रदेश