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गुरुवार, 9 सितंबर 2021

किसानों के साथ छलावा है केन्द्र सरकार द्वारा घोषित एमएसपी : भाकपा


लखनऊ- 9 सितंबर 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मंडल ने कल केन्द्र सरकार द्वारा  गन्ने और रबी फसलों के समर्थन मूल्य में अति अल्प व्रध्दी को किसानों के साथ छलावा और उन्हें पूरी तरह बरवाद करने वाला कदम बताया है। किसान तो एमएसपी की गारंटी करने वाला कानून मांग रहे थे, गारंटी तो दूर सरकार ने एमएसपी निर्धारण में ही धोखा कर दिया, भाकपा ने आरोप लगाया है।

किसानों की आमदनी दो गुना करने का दावा करने वाली सरकार ने गन्ने के मूल्य में मात्र 1. 75 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर इसे 285 से 290 रुपये कुंतल किया है। गेहूं की कीमत 1975 से बढ़ा कर 2015 रूपये कर मात्र 2 प्रतिशत की व्रध्दी की है। इसी तरह अन्य जिंसों की कीमतों में मामूली बढ़ोत्तरी की है। यह महंगाई की मार से देवलियापन की स्थिति तक पहुंचे किसानों के जले पर नमक छिड़कना जैसा है।

सरकार ने दावा किया हुआ है कि उसने स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू कर दिया है। इस रिपोर्ट के अनुसार किसानों की जुताई, सिंचाई खाद, बीज, बिजली, कीटनाशक आदि की लागत+ उसका श्रम और देखरेख का खर्च+ उगायी गयी फसल वाली जमीन का किराया जोड़ कर एमएसपी निर्धारित किया जाना चाहिए। लेकिन सरकार ने इस बीच डीजल पेट्रोल बिजली के दाम आसमान पर पहुंचा दिये, खाद, कीटनाशक, ट्रैक्टर और अन्य क्रषी उपकरणों के दामों में भारी बढ़ोत्तरी कर दी, अब प्रमुख फसलों पर मात्र 2 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर एमएसपी को बेमानी बना दिया है।

प्रधानमंत्री मोदी के नेत्रत्व वाली मूल्य निर्धारण संबंधी समिति के इस निष्कर्ष कि गेहूं की लागत 1008 रुपये कुंतल आती है को चुनौती देते हुये भाकपा ने कहा कि या तो सरकार इस आंकड़े को साबित करके दिखाये, नहीं तो स्वामीनाथन समिति के फार्मूले पर संशोधित मूल्य घोषित करे। लागत में अगली मार्च तक होने वाली संभावित बढ़ोत्तरियों को भी जोड़ा जाना चाहिये।

भाकपा ने कहाकि सरकार किसानो की जरूरत की जिंसो को महंगा बना कर औसत किसान की जेब से साल में कम से कम 50 हजार रूपये निकलवा रही है और उनमें से कुछ को 6 हजार सालाना की खैरात देकर शेष को ठेंगा दिखा रही है। किसानों की माली हालत बेहद जर्जर हो चुकी है और खेती में निरंतर घाटे के चलते वे परिवार का भरण पोषण और इलाज पढ़ाई तक देने में असमर्थ होगये हैं। उनमें से अनेक आत्महत्यायें कर रहे हैं अथवा पलायन को मजबूर हैं। वे खेतिहर मजदूरों को अपरिहार्य वेतन नहीं दे पारहे अतएव खेत मजदूर भी लगातार पलायन कर रहे हैं और गाँव उजाड़ होते चले जारहे हैं।

भाकपा ने कहाकि लगता है देश भर में चल रहे ऐतिहासिक किसान आंदोलन से सरकार ने कोई सबक नहीं लिया और किसानों की परेशानी बढ़ाने वाला असरहीन एमएसपी घोषित कर दिया। इस धोखाधड़ी से किसानों में और भी गुस्सा बढ़ेगा और किसान आंदोलन और व्यापक होगा।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

 

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