लखनऊ-26 जून, 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव
मंडल ने आज जिला पंचायत अध्यक्ष पद हेतु नामांकन में भाजपा और उसकी सरकार द्वारा की
गयी अभूतपूर्व धांधली की कड़े शब्दों में भर्त्सना की है।
एक ओर आज जब देश के किसान कामगार और उनके शुभचिंतक खेती
बचाओ, “लोकतन्त्र बचाओ” आंदोलन के तहत अपनी आवाज बुलन्द कर रहे थे, तब उत्तर प्रदेश में लोकतन्त्र का वीभत्स चीरहरण किया जा रहा था। इससे साबित
होगया कि भाजपा का यह आपातकाल क्रूर फासीवाद के सिवा कुछ अन्य नहीं।
भाकपा ने कहाकि देश के लोकतन्त्र के इतिहास में यह पहला
अवसर है जब निर्वाचन से पहले ही निर्वाचन प्रक्रिया की भ्रूण हत्या कर दी गयी और विपक्ष
के लगभग डेढ़ दर्जन प्रत्याशियों को चुनाव प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया। कई के नामांकन
रद्द कर दिये गये, कई के समर्थकों का अपहरण कर लिया गया
तो कई को पहले ही पुलिस प्रशासन द्वारा आतंकित कर नामांकन करने से रोका गया अथवा जबरिया
दल बदल करा भाजपा में शामिल कर लिया गया।
हर कोई जानता है कि जिला पंचायत सदस्य चुनावों में भाजपा
को करारी हार का सामना करना पड़ा था और वह एक भी जिले में स्पष्ट बहुमत नहीं ला सकी
थी। कई जिलों में उसके उंगलियों पर गिने जाने लायक सदस्य ही जीते थे। परंतु मुख्यमंत्री
ने घोषणा की कि भाजपा 65 जिला पंचायत अध्यक्ष हासिल करके रहेगी। कोविड की आड़ में प्रदेश
भर का उनका दौरा शासन, प्रशासन और स्थानीय भाजपा को उनके इस
अपवित्र टार्गेट को पूरा करने को आदेशित करने को ही था, भाकपा
ने आरोप लगाया है।
आज नामांकन के दिन हुयी भारी धांधली से हर कोई हिल गया
है। जब नामांकन इतना वीभत्स है तो चुनाव कैसा होगा सहज अनुमान लगाया जा सकता है।
भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने राज्य निर्वाचन आयोग
से मांग की कि जिन जिलों में ये अवैध करतूत हुयी है उसका निराकरण कर विपक्ष के लोगों
का दोबारा नामांकन कराया जाये। धांधली से जुड़े अधिकारियों, पुलिसकर्मियों के विरूध्द मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही के आदेश दिये जायें। उन्होने
चेतावनी दी कि निर्वाचन आयोग से न्याय नहीं मिला तो अन्य स्तरों पर लड़ाई जारी रहेगी।
भाकपा ने सभी विपक्षी दलों से अपील की कि लोकतन्त्र
की हत्या के इस कदम का संयुक्त रूप से प्रतिकार करें।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश