मैं नहीं जानती रोना।
बरसा करता पल-पल पर ,
मेरे जीवन में सोना।
मैं अब तक जान न पाई,कैसी होती है पीड़ा?
हँस-हँस जीवन में मेरेकैसे करती है क्रीडा?
जग है असार, सुनती हूँमुझको सुख-सार दिखाता।
मेरी आँखों के आगेसुख का सागर लहराता।
उत्साह-उमंग निरंतररहते मेरे जीवन मेंउल्लास विजय का हँसतामेरे मतवाले मन में।आशा आलोकित करतीमेरे जीवन को
प्रतिक्षणहैं स्वर्ण-सूत्र से वलयितमेरी असफलता के घन।
सुख भरे सुनहले बादलरहते हैं
मुझको घेरेविश्वास प्रेम साहस हैंजीवन के साथी