भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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मंगलवार, 24 मई 2016

Aisf conference

ए.आई.एस.एफ. का पश्चिमी उत्तर प्रदेश का कार्यकर्ता सम्मेलन संपन्न सम्मेलन में झूठे देशभक्तों और पूंजीवादी ताकतों से लडने का लिया संकल्प: सबको एक समान शिक्षा, शैक्षिक कलेंडर लागू करने, छात्र संघों के चुनाव कराये जाने और सबको रोजगार दिये जाने की मांगों के लिये संघर्ष का किया आह्वान अलीगढ: आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन का पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक क्षेत्रीय सम्मेलन यहां उत्साह और गर्मजोशी के माहौल में संपन्न हुआ. बेहद गर्म मौसम के बावजूद सम्मेलन में आठ जिलों के 60 प्रतिनिधि शामिल हुये. सम्मेलन की अध्यक्षता ए.एम.यू. की एआईएसएफ की संयोजक कु. दूना मारिया भार्गवी भार्गवी ने की तथा संचालन एआईएसएफ अलीगढ के संयोजक अनीश कुमार ने किया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एआईएसएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वलीउल्लाह खादरी ने शिक्षा पर बढते हमले, शिक्षा के बजट में की जारही कटौती, फीस में की जारही भारी वृध्दि, शिक्षा के निजीकरण और व्यापारीकरण तथा शिक्षा के भगवाकरण के प्रयासों पर सवाल खडे किये. उन्होने कहा कि केंद्र हो या राज्यों की सरकारें जन समुदाय को अपढ बना कर रखना चाहती हैं इसीलिये शिक्षा का बजट घटा रही हैं, विद्यार्थियों की फेलोशिप छीन रही है, जहां छात्र इसका विरोध कर रहे हैं उनको हर तरह से दबाया जारहा है. उन्होने सभी छात्रों से शिक्षा को बचाने और छात्रों के बुनियादी अधिकरों की रक्षा के लिये संघर्ष का आह्वान किया. कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि और संगठन के महासचिव विश्वजीत कुमार ने कहा कि जिन्होने अब तक देश व देशवासियों के साथ गद्दारी की है, वे आज देशभक्त होने का प्रमाण बांट रहे हैं. देश व प्रदेश में शिक्षा की हालत बद से बदतर होती जारही है. एकतरफ जहां छात्रों को उपयुक्त शिक्षा व रोजगार नहीं मिल रहे हैं वहीं उनके अधिकारों को कुचला जारहा है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय, जे एन यू एवं रोहित वेमूला प्रकरण इसके उदाहरण हैं. इसलिये सभी को मुफ्त व समान शिक्षा , छात्रसंघों के चुनाव और रोजगार के लिये छात्रों का एकजुट संघर्ष ही छात्रों के भविष्य की रक्षा करेगा. एआईएसएफ इस संघर्ष के लिये सबसे उपयुक्त मंच है. सम्मेलन में प्रमुख वक्ता भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि यह गौरव केवल एक छात्र संगठन- 'एआईएसएफ' को ही हासिल है कि उसका जन्म आज़ादी के आंदोलन की कोख से हुआ और उसने आज़ादी की लडाई में हिस्सा लिया. उस दौर में यह आंदोलन की सभी प्रमुख धाराओं- कांग्रेस, सोशलिस्ट तथा कम्युनिस्ट विचारधारा के छात्रों का संयुक्त मंच था. छात्र आंदोलन के हितों और शिक्षा की उपादेयता को देखते हुये एआईएसएफ को छात्रों का संयुक्त मंच ही रहना चाहिये था लेकिन छात्रों को दलगत स्वार्थों की पूर्ति का मौहरा बनाने के लिये कांग्रेस ने एनएसयूआई तथा सोशलिस्टों ने समाजवादी युवजन सभा बनाली. आरएसएस जो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजी हुकूमत को बचाने के काम में लगा था, ने आज़ादी आने के बाद जनसंघ/ भाजपा बनाली तथा एबीवीपी नामक छात्र संगठन बना लिया. जिसका उद्देश्य छात्रों को केवल सांप्रदायिकता और जाति के नाम पर बांटना है. छात्रों और समाज के बुनियादी सवालों से उसका कोई लेना देना नहीं. केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद केंद्र सरकार ने छात्रों के खिलाफ युध्द छेड रखा है और विद्यार्थी परिषद उसके सह्योग में छात्रों के खिलाफ षडयंत्र कर रही है. जगह जगह वामपंथी और अंबेडकरवादी छात्र संगठनो पर हमले बोले जा रहे हैं. छात्रों को अपने शैक्षिक हितों के साथ साथ विद्यार्थी परिषद के छात्र विरोधी कुकृत्यों का भी जबाव देना होगा. भाकपा के राज्य सहसचिव का. अरविंदराज स्वरुप ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों की शिक्षा और छात्रों को तबाह करने वाली नीतियों के खिलाफ जगह जगह जुझारू छात्र आंदोलन उग रहे हैं और अपने संघर्षो से कई जगह छात्रों ने सफलतायें हासिल की हैं. जेएनयू और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के संघर्ष इसका उदाहरण हैं. आने वाले दिनों में छात्रों, शिक्षा और उसके संस्थानो पर और तीव्र हमले होंगे और छात्रों को उसका जबाव भी मजबूती से देना होगा. छात्र आंदोलन को उचित दिशा देने का काम केवल एआईएसएफ कर सकता है अतएव उसे मजबूत बनाने की जरूरत है. भाकपा के जिला सचिव प्रोफेसर सुहेव शेरवानी ने कहा कि अलीगढ और उत्तर प्रदेश में एआईएसएफ तेजी से कदम बढा रही है. भाकपा हर तरह से उनका साथ देने को प्रतिबध्द है. उन्होने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह सभी को समान शिक्षा देने की व्यवस्था करे लेकिन राज्य सरकार ने इस ओर कोई कदम नहीं बढाया. हम सबको मिल कर सरकार पर दबाव बढाना चाहिये. प्रोफेसर शमीम अख्तर ने मोदी सरकार के फासिस्ट्वादी कदमों पर विस्तार से प्रकाश डाला. सम्मेलन को प्रदेश उपाध्यक्ष उत्कर्ष चतुर्वेदी, कु. फसलीन, यशपाल सिंह, देवेंद्र कुमार, गौरव सक्सेना, विनीत कुमार, पंकज सागर, अतुल, रवि शर्मा, अश्वनी कुमार, अभिषेक पचौरी, संतोष, यतेंद्र बघेल और हर्ष पालीवाल विवेक त्रिपाठी आदि ने भी संबोधित किया.
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ए.आई.एस.एफ. का पश्चिमी उत्तर प्रदेश का कार्यकर्ता सम्मेलन संपन्न सम्मेलन में झूठे देशभक्तों और पूंजीवादी ताकतों से लडने का लिया संकल्प: सबको एक समान शिक्षा, शैक्षिक कलेंडर लागू करने, छात्र संघों के चुनाव कराये जाने और सबको रोजगार दिये जाने की मांगों के लिये संघर्ष का किया आह्वान अलीगढ: आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन का पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक क्षेत्रीय सम्मेलन यहां उत्साह और गर्मजोशी के माहौल में संपन्न हुआ. बेहद गर्म मौसम के बावजूद सम्मेलन में आठ जिलों के 60 प्रतिनिधि शामिल हुये. सम्मेलन की अध्यक्षता ए.एम.यू. की एआईएसएफ की संयोजक कु. दूना मारिया भार्गवी भार्गवी ने की तथा संचालन एआईएसएफ अलीगढ के संयोजक अनीश कुमार ने किया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एआईएसएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वलीउल्लाह खादरी ने शिक्षा पर बढते हमले, शिक्षा के बजट में की जारही कटौती, फीस में की जारही भारी वृध्दि, शिक्षा के निजीकरण और व्यापारीकरण तथा शिक्षा के भगवाकरण के प्रयासों पर सवाल खडे किये. उन्होने कहा कि केंद्र हो या राज्यों की सरकारें जन समुदाय को अपढ बना कर रखना चाहती हैं इसीलिये शिक्षा का बजट घटा रही हैं, विद्यार्थियों की फेलोशिप छीन रही है, जहां छात्र इसका विरोध कर रहे हैं उनको हर तरह से दबाया जारहा है. उन्होने सभी छात्रों से शिक्षा को बचाने और छात्रों के बुनियादी अधिकरों की रक्षा के लिये संघर्ष का आह्वान किया. कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि और संगठन के महासचिव विश्वजीत कुमार ने कहा कि जिन्होने अब तक देश व देशवासियों के साथ गद्दारी की है, वे आज देशभक्त होने का प्रमाण बांट रहे हैं. देश व प्रदेश में शिक्षा की हालत बद से बदतर होती जारही है. एकतरफ जहां छात्रों को उपयुक्त शिक्षा व रोजगार नहीं मिल रहे हैं वहीं उनके अधिकारों को कुचला जारहा है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय, जे एन यू एवं रोहित वेमूला प्रकरण इसके उदाहरण हैं. इसलिये सभी को मुफ्त व समान शिक्षा , छात्रसंघों के चुनाव और रोजगार के लिये छात्रों का एकजुट संघर्ष ही छात्रों के भविष्य की रक्षा करेगा. एआईएसएफ इस संघर्ष के लिये सबसे उपयुक्त मंच है. सम्मेलन में प्रमुख वक्ता भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि यह गौरव केवल एक छात्र संगठन- 'एआईएसएफ' को ही हासिल है कि उसका जन्म आज़ादी के आंदोलन की कोख से हुआ और उसने आज़ादी की लडाई में हिस्सा लिया. उस दौर में यह आंदोलन की सभी प्रमुख धाराओं- कांग्रेस, सोशलिस्ट तथा कम्युनिस्ट विचारधारा के छात्रों का संयुक्त मंच था. छात्र आंदोलन के हितों और शिक्षा की उपादेयता को देखते हुये एआईएसएफ को छात्रों का संयुक्त मंच ही रहना चाहिये था लेकिन छात्रों को दलगत स्वार्थों की पूर्ति का मौहरा बनाने के लिये कांग्रेस ने एनएसयूआई तथा सोशलिस्टों ने समाजवादी युवजन सभा बनाली. आरएसएस जो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजी हुकूमत को बचाने के काम में लगा था, ने आज़ादी आने के बाद जनसंघ/ भाजपा बनाली तथा एबीवीपी नामक छात्र संगठन बना लिया. जिसका उद्देश्य छात्रों को केवल सांप्रदायिकता और जाति के नाम पर बांटना है. छात्रों और समाज के बुनियादी सवालों से उसका कोई लेना देना नहीं. केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद केंद्र सरकार ने छात्रों के खिलाफ युध्द छेड रखा है और विद्यार्थी परिषद उसके सह्योग में छात्रों के खिलाफ षडयंत्र कर रही है. जगह जगह वामपंथी और अंबेडकरवादी छात्र संगठनो पर हमले बोले जा रहे हैं. छात्रों को अपने शैक्षिक हितों के साथ साथ विद्यार्थी परिषद के छात्र विरोधी कुकृत्यों का भी जबाव देना होगा. भाकपा के राज्य सहसचिव का. अरविंदराज स्वरुप ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों की शिक्षा और छात्रों को तबाह करने वाली नीतियों के खिलाफ जगह जगह जुझारू छात्र आंदोलन उग रहे हैं और अपने संघर्षो से कई जगह छात्रों ने सफलतायें हासिल की हैं. जेएनयू और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के संघर्ष इसका उदाहरण हैं. आने वाले दिनों में छात्रों, शिक्षा और उसके संस्थानो पर और तीव्र हमले होंगे और छात्रों को उसका जबाव भी मजबूती से देना होगा. छात्र आंदोलन को उचित दिशा देने का काम केवल एआईएसएफ कर सकता है अतएव उसे मजबूत बनाने की जरूरत है. भाकपा के जिला सचिव प्रोफेसर सुहेव शेरवानी ने कहा कि अलीगढ और उत्तर प्रदेश में एआईएसएफ तेजी से कदम बढा रही है. भाकपा हर तरह से उनका साथ देने को प्रतिबध्द है. उन्होने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह सभी को समान शिक्षा देने की व्यवस्था करे लेकिन राज्य सरकार ने इस ओर कोई कदम नहीं बढाया. हम सबको मिल कर सरकार पर दबाव बढाना चाहिये. प्रोफेसर शमीम अख्तर ने मोदी सरकार के फासिस्ट्वादी कदमों पर विस्तार से प्रकाश डाला. सम्मेलन को प्रदेश उपाध्यक्ष उत्कर्ष चतुर्वेदी, कु. फसलीन, यशपाल सिंह, देवेंद्र कुमार, गौरव सक्सेना, विनीत कुमार, पंकज सागर, अतुल, रवि शर्मा, अश्वनी कुमार, अभिषेक पचौरी, संतोष, यतेंद्र बघेल और हर्ष पालीवाल विवेक त्रिपाठी आदि ने भी संबोधित किया.
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ए.आई.एस.एफ. का पश्चिमी उत्तर प्रदेश का कार्यकर्ता सम्मेलन संपन्न सम्मेलन में झूठे देशभक्तों और पूंजीवादी ताकतों से लडने का लिया संकल्प: सबको एक समान शिक्षा, शैक्षिक कलेंडर लागू करने, छात्र संघों के चुनाव कराये जाने और सबको रोजगार दिये जाने की मांगों के लिये संघर्ष का किया आह्वान अलीगढ: आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन का पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक क्षेत्रीय सम्मेलन यहां उत्साह और गर्मजोशी के माहौल में संपन्न हुआ. बेहद गर्म मौसम के बावजूद सम्मेलन में आठ जिलों के 60 प्रतिनिधि शामिल हुये. सम्मेलन की अध्यक्षता ए.एम.यू. की एआईएसएफ की संयोजक कु. दूना मारिया भार्गवी भार्गवी ने की तथा संचालन एआईएसएफ अलीगढ के संयोजक अनीश कुमार ने किया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एआईएसएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वलीउल्लाह खादरी ने शिक्षा पर बढते हमले, शिक्षा के बजट में की जारही कटौती, फीस में की जारही भारी वृध्दि, शिक्षा के निजीकरण और व्यापारीकरण तथा शिक्षा के भगवाकरण के प्रयासों पर सवाल खडे किये. उन्होने कहा कि केंद्र हो या राज्यों की सरकारें जन समुदाय को अपढ बना कर रखना चाहती हैं इसीलिये शिक्षा का बजट घटा रही हैं, विद्यार्थियों की फेलोशिप छीन रही है, जहां छात्र इसका विरोध कर रहे हैं उनको हर तरह से दबाया जारहा है. उन्होने सभी छात्रों से शिक्षा को बचाने और छात्रों के बुनियादी अधिकरों की रक्षा के लिये संघर्ष का आह्वान किया. कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि और संगठन के महासचिव विश्वजीत कुमार ने कहा कि जिन्होने अब तक देश व देशवासियों के साथ गद्दारी की है, वे आज देशभक्त होने का प्रमाण बांट रहे हैं. देश व प्रदेश में शिक्षा की हालत बद से बदतर होती जारही है. एकतरफ जहां छात्रों को उपयुक्त शिक्षा व रोजगार नहीं मिल रहे हैं वहीं उनके अधिकारों को कुचला जारहा है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय, जे एन यू एवं रोहित वेमूला प्रकरण इसके उदाहरण हैं. इसलिये सभी को मुफ्त व समान शिक्षा , छात्रसंघों के चुनाव और रोजगार के लिये छात्रों का एकजुट संघर्ष ही छात्रों के भविष्य की रक्षा करेगा. एआईएसएफ इस संघर्ष के लिये सबसे उपयुक्त मंच है. सम्मेलन में प्रमुख वक्ता भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि यह गौरव केवल एक छात्र संगठन- 'एआईएसएफ' को ही हासिल है कि उसका जन्म आज़ादी के आंदोलन की कोख से हुआ और उसने आज़ादी की लडाई में हिस्सा लिया. उस दौर में यह आंदोलन की सभी प्रमुख धाराओं- कांग्रेस, सोशलिस्ट तथा कम्युनिस्ट विचारधारा के छात्रों का संयुक्त मंच था. छात्र आंदोलन के हितों और शिक्षा की उपादेयता को देखते हुये एआईएसएफ को छात्रों का संयुक्त मंच ही रहना चाहिये था लेकिन छात्रों को दलगत स्वार्थों की पूर्ति का मौहरा बनाने के लिये कांग्रेस ने एनएसयूआई तथा सोशलिस्टों ने समाजवादी युवजन सभा बनाली. आरएसएस जो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजी हुकूमत को बचाने के काम में लगा था, ने आज़ादी आने के बाद जनसंघ/ भाजपा बनाली तथा एबीवीपी नामक छात्र संगठन बना लिया. जिसका उद्देश्य छात्रों को केवल सांप्रदायिकता और जाति के नाम पर बांटना है. छात्रों और समाज के बुनियादी सवालों से उसका कोई लेना देना नहीं. केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद केंद्र सरकार ने छात्रों के खिलाफ युध्द छेड रखा है और विद्यार्थी परिषद उसके सह्योग में छात्रों के खिलाफ षडयंत्र कर रही है. जगह जगह वामपंथी और अंबेडकरवादी छात्र संगठनो पर हमले बोले जा रहे हैं. छात्रों को अपने शैक्षिक हितों के साथ साथ विद्यार्थी परिषद के छात्र विरोधी कुकृत्यों का भी जबाव देना होगा. भाकपा के राज्य सहसचिव का. अरविंदराज स्वरुप ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों की शिक्षा और छात्रों को तबाह करने वाली नीतियों के खिलाफ जगह जगह जुझारू छात्र आंदोलन उग रहे हैं और अपने संघर्षो से कई जगह छात्रों ने सफलतायें हासिल की हैं. जेएनयू और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के संघर्ष इसका उदाहरण हैं. आने वाले दिनों में छात्रों, शिक्षा और उसके संस्थानो पर और तीव्र हमले होंगे और छात्रों को उसका जबाव भी मजबूती से देना होगा. छात्र आंदोलन को उचित दिशा देने का काम केवल एआईएसएफ कर सकता है अतएव उसे मजबूत बनाने की जरूरत है. भाकपा के जिला सचिव प्रोफेसर सुहेव शेरवानी ने कहा कि अलीगढ और उत्तर प्रदेश में एआईएसएफ तेजी से कदम बढा रही है. भाकपा हर तरह से उनका साथ देने को प्रतिबध्द है. उन्होने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह सभी को समान शिक्षा देने की व्यवस्था करे लेकिन राज्य सरकार ने इस ओर कोई कदम नहीं बढाया. हम सबको मिल कर सरकार पर दबाव बढाना चाहिये. प्रोफेसर शमीम अख्तर ने मोदी सरकार के फासिस्ट्वादी कदमों पर विस्तार से प्रकाश डाला. सम्मेलन को प्रदेश उपाध्यक्ष उत्कर्ष चतुर्वेदी, कु. फसलीन, यशपाल सिंह, देवेंद्र कुमार, गौरव सक्सेना, विनीत कुमार, पंकज सागर, अतुल, रवि शर्मा, अश्वनी कुमार, अभिषेक पचौरी, संतोष, यतेंद्र बघेल और हर्ष पालीवाल विवेक त्रिपाठी आदि ने भी संबोधित किया.
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ए.आई.एस.एफ. का पश्चिमी उत्तर प्रदेश का कार्यकर्ता सम्मेलन संपन्न सम्मेलन में झूठे देशभक्तों और पूंजीवादी ताकतों से लडने का लिया संकल्प: सबको एक समान शिक्षा, शैक्षिक कलेंडर लागू करने, छात्र संघों के चुनाव कराये जाने और सबको रोजगार दिये जाने की मांगों के लिये संघर्ष का किया आह्वान अलीगढ: आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन का पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक क्षेत्रीय सम्मेलन यहां उत्साह और गर्मजोशी के माहौल में संपन्न हुआ. बेहद गर्म मौसम के बावजूद सम्मेलन में आठ जिलों के 60 प्रतिनिधि शामिल हुये. सम्मेलन की अध्यक्षता ए.एम.यू. की एआईएसएफ की संयोजक कु. दूना मारिया भार्गवी भार्गवी ने की तथा संचालन एआईएसएफ अलीगढ के संयोजक अनीश कुमार ने किया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एआईएसएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वलीउल्लाह खादरी ने शिक्षा पर बढते हमले, शिक्षा के बजट में की जारही कटौती, फीस में की जारही भारी वृध्दि, शिक्षा के निजीकरण और व्यापारीकरण तथा शिक्षा के भगवाकरण के प्रयासों पर सवाल खडे किये. उन्होने कहा कि केंद्र हो या राज्यों की सरकारें जन समुदाय को अपढ बना कर रखना चाहती हैं इसीलिये शिक्षा का बजट घटा रही हैं, विद्यार्थियों की फेलोशिप छीन रही है, जहां छात्र इसका विरोध कर रहे हैं उनको हर तरह से दबाया जारहा है. उन्होने सभी छात्रों से शिक्षा को बचाने और छात्रों के बुनियादी अधिकरों की रक्षा के लिये संघर्ष का आह्वान किया. कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि और संगठन के महासचिव विश्वजीत कुमार ने कहा कि जिन्होने अब तक देश व देशवासियों के साथ गद्दारी की है, वे आज देशभक्त होने का प्रमाण बांट रहे हैं. देश व प्रदेश में शिक्षा की हालत बद से बदतर होती जारही है. एकतरफ जहां छात्रों को उपयुक्त शिक्षा व रोजगार नहीं मिल रहे हैं वहीं उनके अधिकारों को कुचला जारहा है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय, जे एन यू एवं रोहित वेमूला प्रकरण इसके उदाहरण हैं. इसलिये सभी को मुफ्त व समान शिक्षा , छात्रसंघों के चुनाव और रोजगार के लिये छात्रों का एकजुट संघर्ष ही छात्रों के भविष्य की रक्षा करेगा. एआईएसएफ इस संघर्ष के लिये सबसे उपयुक्त मंच है. सम्मेलन में प्रमुख वक्ता भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि यह गौरव केवल एक छात्र संगठन- 'एआईएसएफ' को ही हासिल है कि उसका जन्म आज़ादी के आंदोलन की कोख से हुआ और उसने आज़ादी की लडाई में हिस्सा लिया. उस दौर में यह आंदोलन की सभी प्रमुख धाराओं- कांग्रेस, सोशलिस्ट तथा कम्युनिस्ट विचारधारा के छात्रों का संयुक्त मंच था. छात्र आंदोलन के हितों और शिक्षा की उपादेयता को देखते हुये एआईएसएफ को छात्रों का संयुक्त मंच ही रहना चाहिये था लेकिन छात्रों को दलगत स्वार्थों की पूर्ति का मौहरा बनाने के लिये कांग्रेस ने एनएसयूआई तथा सोशलिस्टों ने समाजवादी युवजन सभा बनाली. आरएसएस जो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजी हुकूमत को बचाने के काम में लगा था, ने आज़ादी आने के बाद जनसंघ/ भाजपा बनाली तथा एबीवीपी नामक छात्र संगठन बना लिया. जिसका उद्देश्य छात्रों को केवल सांप्रदायिकता और जाति के नाम पर बांटना है. छात्रों और समाज के बुनियादी सवालों से उसका कोई लेना देना नहीं. केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद केंद्र सरकार ने छात्रों के खिलाफ युध्द छेड रखा है और विद्यार्थी परिषद उसके सह्योग में छात्रों के खिलाफ षडयंत्र कर रही है. जगह जगह वामपंथी और अंबेडकरवादी छात्र संगठनो पर हमले बोले जा रहे हैं. छात्रों को अपने शैक्षिक हितों के साथ साथ विद्यार्थी परिषद के छात्र विरोधी कुकृत्यों का भी जबाव देना होगा. भाकपा के राज्य सहसचिव का. अरविंदराज स्वरुप ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों की शिक्षा और छात्रों को तबाह करने वाली नीतियों के खिलाफ जगह जगह जुझारू छात्र आंदोलन उग रहे हैं और अपने संघर्षो से कई जगह छात्रों ने सफलतायें हासिल की हैं. जेएनयू और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के संघर्ष इसका उदाहरण हैं. आने वाले दिनों में छात्रों, शिक्षा और उसके संस्थानो पर और तीव्र हमले होंगे और छात्रों को उसका जबाव भी मजबूती से देना होगा. छात्र आंदोलन को उचित दिशा देने का काम केवल एआईएसएफ कर सकता है अतएव उसे मजबूत बनाने की जरूरत है. भाकपा के जिला सचिव प्रोफेसर सुहेव शेरवानी ने कहा कि अलीगढ और उत्तर प्रदेश में एआईएसएफ तेजी से कदम बढा रही है. भाकपा हर तरह से उनका साथ देने को प्रतिबध्द है. उन्होने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह सभी को समान शिक्षा देने की व्यवस्था करे लेकिन राज्य सरकार ने इस ओर कोई कदम नहीं बढाया. हम सबको मिल कर सरकार पर दबाव बढाना चाहिये. प्रोफेसर शमीम अख्तर ने मोदी सरकार के फासिस्ट्वादी कदमों पर विस्तार से प्रकाश डाला. सम्मेलन को प्रदेश उपाध्यक्ष उत्कर्ष चतुर्वेदी, कु. फसलीन, यशपाल सिंह, देवेंद्र कुमार, गौरव सक्सेना, विनीत कुमार, पंकज सागर, अतुल, रवि शर्मा, अश्वनी कुमार, अभिषेक पचौरी, संतोष, यतेंद्र बघेल और हर्ष पालीवाल विवेक त्रिपाठी आदि ने भी संबोधित किया.
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ए.आई.एस.एफ. का पश्चिमी उत्तर प्रदेश का कार्यकर्ता सम्मेलन संपन्न सम्मेलन में झूठे देशभक्तों और पूंजीवादी ताकतों से लडने का लिया संकल्प: सबको एक समान शिक्षा, शैक्षिक कलेंडर लागू करने, छात्र संघों के चुनाव कराये जाने और सबको रोजगार दिये जाने की मांगों के लिये संघर्ष का किया आह्वान अलीगढ: आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन का पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक क्षेत्रीय सम्मेलन यहां उत्साह और गर्मजोशी के माहौल में संपन्न हुआ. बेहद गर्म मौसम के बावजूद सम्मेलन में आठ जिलों के 60 प्रतिनिधि शामिल हुये. सम्मेलन की अध्यक्षता ए.एम.यू. की एआईएसएफ की संयोजक कु. दूना मारिया भार्गवी भार्गवी ने की तथा संचालन एआईएसएफ अलीगढ के संयोजक अनीश कुमार ने किया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एआईएसएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वलीउल्लाह खादरी ने शिक्षा पर बढते हमले, शिक्षा के बजट में की जारही कटौती, फीस में की जारही भारी वृध्दि, शिक्षा के निजीकरण और व्यापारीकरण तथा शिक्षा के भगवाकरण के प्रयासों पर सवाल खडे किये. उन्होने कहा कि केंद्र हो या राज्यों की सरकारें जन समुदाय को अपढ बना कर रखना चाहती हैं इसीलिये शिक्षा का बजट घटा रही हैं, विद्यार्थियों की फेलोशिप छीन रही है, जहां छात्र इसका विरोध कर रहे हैं उनको हर तरह से दबाया जारहा है. उन्होने सभी छात्रों से शिक्षा को बचाने और छात्रों के बुनियादी अधिकरों की रक्षा के लिये संघर्ष का आह्वान किया. कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि और संगठन के महासचिव विश्वजीत कुमार ने कहा कि जिन्होने अब तक देश व देशवासियों के साथ गद्दारी की है, वे आज देशभक्त होने का प्रमाण बांट रहे हैं. देश व प्रदेश में शिक्षा की हालत बद से बदतर होती जारही है. एकतरफ जहां छात्रों को उपयुक्त शिक्षा व रोजगार नहीं मिल रहे हैं वहीं उनके अधिकारों को कुचला जारहा है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय, जे एन यू एवं रोहित वेमूला प्रकरण इसके उदाहरण हैं. इसलिये सभी को मुफ्त व समान शिक्षा , छात्रसंघों के चुनाव और रोजगार के लिये छात्रों का एकजुट संघर्ष ही छात्रों के भविष्य की रक्षा करेगा. एआईएसएफ इस संघर्ष के लिये सबसे उपयुक्त मंच है. सम्मेलन में प्रमुख वक्ता भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि यह गौरव केवल एक छात्र संगठन- 'एआईएसएफ' को ही हासिल है कि उसका जन्म आज़ादी के आंदोलन की कोख से हुआ और उसने आज़ादी की लडाई में हिस्सा लिया. उस दौर में यह आंदोलन की सभी प्रमुख धाराओं- कांग्रेस, सोशलिस्ट तथा कम्युनिस्ट विचारधारा के छात्रों का संयुक्त मंच था. छात्र आंदोलन के हितों और शिक्षा की उपादेयता को देखते हुये एआईएसएफ को छात्रों का संयुक्त मंच ही रहना चाहिये था लेकिन छात्रों को दलगत स्वार्थों की पूर्ति का मौहरा बनाने के लिये कांग्रेस ने एनएसयूआई तथा सोशलिस्टों ने समाजवादी युवजन सभा बनाली. आरएसएस जो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजी हुकूमत को बचाने के काम में लगा था, ने आज़ादी आने के बाद जनसंघ/ भाजपा बनाली तथा एबीवीपी नामक छात्र संगठन बना लिया. जिसका उद्देश्य छात्रों को केवल सांप्रदायिकता और जाति के नाम पर बांटना है. छात्रों और समाज के बुनियादी सवालों से उसका कोई लेना देना नहीं. केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद केंद्र सरकार ने छात्रों के खिलाफ युध्द छेड रखा है और विद्यार्थी परिषद उसके सह्योग में छात्रों के खिलाफ षडयंत्र कर रही है. जगह जगह वामपंथी और अंबेडकरवादी छात्र संगठनो पर हमले बोले जा रहे हैं. छात्रों को अपने शैक्षिक हितों के साथ साथ विद्यार्थी परिषद के छात्र विरोधी कुकृत्यों का भी जबाव देना होगा. भाकपा के राज्य सहसचिव का. अरविंदराज स्वरुप ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों की शिक्षा और छात्रों को तबाह करने वाली नीतियों के खिलाफ जगह जगह जुझारू छात्र आंदोलन उग रहे हैं और अपने संघर्षो से कई जगह छात्रों ने सफलतायें हासिल की हैं. जेएनयू और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के संघर्ष इसका उदाहरण हैं. आने वाले दिनों में छात्रों, शिक्षा और उसके संस्थानो पर और तीव्र हमले होंगे और छात्रों को उसका जबाव भी मजबूती से देना होगा. छात्र आंदोलन को उचित दिशा देने का काम केवल एआईएसएफ कर सकता है अतएव उसे मजबूत बनाने की जरूरत है. भाकपा के जिला सचिव प्रोफेसर सुहेव शेरवानी ने कहा कि अलीगढ और उत्तर प्रदेश में एआईएसएफ तेजी से कदम बढा रही है. भाकपा हर तरह से उनका साथ देने को प्रतिबध्द है. उन्होने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह सभी को समान शिक्षा देने की व्यवस्था करे लेकिन राज्य सरकार ने इस ओर कोई कदम नहीं बढाया. हम सबको मिल कर सरकार पर दबाव बढाना चाहिये. प्रोफेसर शमीम अख्तर ने मोदी सरकार के फासिस्ट्वादी कदमों पर विस्तार से प्रकाश डाला. सम्मेलन को प्रदेश उपाध्यक्ष उत्कर्ष चतुर्वेदी, कु. फसलीन, यशपाल सिंह, देवेंद्र कुमार, गौरव सक्सेना, विनीत कुमार, पंकज सागर, अतुल, रवि शर्मा, अश्वनी कुमार, अभिषेक पचौरी, संतोष, यतेंद्र बघेल और हर्ष पालीवाल विवेक त्रिपाठी आदि ने भी संबोधित किया.
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ए.आई.एस.एफ. का पश्चिमी उत्तर प्रदेश का कार्यकर्ता सम्मेलन संपन्न सम्मेलन में झूठे देशभक्तों और पूंजीवादी ताकतों से लडने का लिया संकल्प: सबको एक समान शिक्षा, शैक्षिक कलेंडर लागू करने, छात्र संघों के चुनाव कराये जाने और सबको रोजगार दिये जाने की मांगों के लिये संघर्ष का किया आह्वान अलीगढ: आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन का पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक क्षेत्रीय सम्मेलन यहां उत्साह और गर्मजोशी के माहौल में संपन्न हुआ. बेहद गर्म मौसम के बावजूद सम्मेलन में आठ जिलों के 60 प्रतिनिधि शामिल हुये. सम्मेलन की अध्यक्षता ए.एम.यू. की एआईएसएफ की संयोजक कु. दूना मारिया भार्गवी भार्गवी ने की तथा संचालन एआईएसएफ अलीगढ के संयोजक अनीश कुमार ने किया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एआईएसएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वलीउल्लाह खादरी ने शिक्षा पर बढते हमले, शिक्षा के बजट में की जारही कटौती, फीस में की जारही भारी वृध्दि, शिक्षा के निजीकरण और व्यापारीकरण तथा शिक्षा के भगवाकरण के प्रयासों पर सवाल खडे किये. उन्होने कहा कि केंद्र हो या राज्यों की सरकारें जन समुदाय को अपढ बना कर रखना चाहती हैं इसीलिये शिक्षा का बजट घटा रही हैं, विद्यार्थियों की फेलोशिप छीन रही है, जहां छात्र इसका विरोध कर रहे हैं उनको हर तरह से दबाया जारहा है. उन्होने सभी छात्रों से शिक्षा को बचाने और छात्रों के बुनियादी अधिकरों की रक्षा के लिये संघर्ष का आह्वान किया. कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि और संगठन के महासचिव विश्वजीत कुमार ने कहा कि जिन्होने अब तक देश व देशवासियों के साथ गद्दारी की है, वे आज देशभक्त होने का प्रमाण बांट रहे हैं. देश व प्रदेश में शिक्षा की हालत बद से बदतर होती जारही है. एकतरफ जहां छात्रों को उपयुक्त शिक्षा व रोजगार नहीं मिल रहे हैं वहीं उनके अधिकारों को कुचला जारहा है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय, जे एन यू एवं रोहित वेमूला प्रकरण इसके उदाहरण हैं. इसलिये सभी को मुफ्त व समान शिक्षा , छात्रसंघों के चुनाव और रोजगार के लिये छात्रों का एकजुट संघर्ष ही छात्रों के भविष्य की रक्षा करेगा. एआईएसएफ इस संघर्ष के लिये सबसे उपयुक्त मंच है. सम्मेलन में प्रमुख वक्ता भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि यह गौरव केवल एक छात्र संगठन- 'एआईएसएफ' को ही हासिल है कि उसका जन्म आज़ादी के आंदोलन की कोख से हुआ और उसने आज़ादी की लडाई में हिस्सा लिया. उस दौर में यह आंदोलन की सभी प्रमुख धाराओं- कांग्रेस, सोशलिस्ट तथा कम्युनिस्ट विचारधारा के छात्रों का संयुक्त मंच था. छात्र आंदोलन के हितों और शिक्षा की उपादेयता को देखते हुये एआईएसएफ को छात्रों का संयुक्त मंच ही रहना चाहिये था लेकिन छात्रों को दलगत स्वार्थों की पूर्ति का मौहरा बनाने के लिये कांग्रेस ने एनएसयूआई तथा सोशलिस्टों ने समाजवादी युवजन सभा बनाली. आरएसएस जो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजी हुकूमत को बचाने के काम में लगा था, ने आज़ादी आने के बाद जनसंघ/ भाजपा बनाली तथा एबीवीपी नामक छात्र संगठन बना लिया. जिसका उद्देश्य छात्रों को केवल सांप्रदायिकता और जाति के नाम पर बांटना है. छात्रों और समाज के बुनियादी सवालों से उसका कोई लेना देना नहीं. केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद केंद्र सरकार ने छात्रों के खिलाफ युध्द छेड रखा है और विद्यार्थी परिषद उसके सह्योग में छात्रों के खिलाफ षडयंत्र कर रही है. जगह जगह वामपंथी और अंबेडकरवादी छात्र संगठनो पर हमले बोले जा रहे हैं. छात्रों को अपने शैक्षिक हितों के साथ साथ विद्यार्थी परिषद के छात्र विरोधी कुकृत्यों का भी जबाव देना होगा. भाकपा के राज्य सहसचिव का. अरविंदराज स्वरुप ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों की शिक्षा और छात्रों को तबाह करने वाली नीतियों के खिलाफ जगह जगह जुझारू छात्र आंदोलन उग रहे हैं और अपने संघर्षो से कई जगह छात्रों ने सफलतायें हासिल की हैं. जेएनयू और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के संघर्ष इसका उदाहरण हैं. आने वाले दिनों में छात्रों, शिक्षा और उसके संस्थानो पर और तीव्र हमले होंगे और छात्रों को उसका जबाव भी मजबूती से देना होगा. छात्र आंदोलन को उचित दिशा देने का काम केवल एआईएसएफ कर सकता है अतएव उसे मजबूत बनाने की जरूरत है. भाकपा के जिला सचिव प्रोफेसर सुहेव शेरवानी ने कहा कि अलीगढ और उत्तर प्रदेश में एआईएसएफ तेजी से कदम बढा रही है. भाकपा हर तरह से उनका साथ देने को प्रतिबध्द है. उन्होने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह सभी को समान शिक्षा देने की व्यवस्था करे लेकिन राज्य सरकार ने इस ओर कोई कदम नहीं बढाया. हम सबको मिल कर सरकार पर दबाव बढाना चाहिये. प्रोफेसर शमीम अख्तर ने मोदी सरकार के फासिस्ट्वादी कदमों पर विस्तार से प्रकाश डाला. सम्मेलन को प्रदेश उपाध्यक्ष उत्कर्ष चतुर्वेदी, कु. फसलीन, यशपाल सिंह, देवेंद्र कुमार, गौरव सक्सेना, विनीत कुमार, पंकज सागर, अतुल, रवि शर्मा, अश्वनी कुमार, अभिषेक पचौरी, संतोष, यतेंद्र बघेल और हर्ष पालीवाल विवेक त्रिपाठी आदि ने भी संबोधित किया.
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ए.आई.एस.एफ. का पश्चिमी उत्तर प्रदेश का कार्यकर्ता सम्मेलन संपन्न सम्मेलन में झूठे देशभक्तों और पूंजीवादी ताकतों से लडने का लिया संकल्प: सबको एक समान शिक्षा, शैक्षिक कलेंडर लागू करने, छात्र संघों के चुनाव कराये जाने और सबको रोजगार दिये जाने की मांगों के लिये संघर्ष का किया आह्वान अलीगढ: आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन का पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक क्षेत्रीय सम्मेलन यहां उत्साह और गर्मजोशी के माहौल में संपन्न हुआ. बेहद गर्म मौसम के बावजूद सम्मेलन में आठ जिलों के 60 प्रतिनिधि शामिल हुये. सम्मेलन की अध्यक्षता ए.एम.यू. की एआईएसएफ की संयोजक कु. दूना मारिया भार्गवी भार्गवी ने की तथा संचालन एआईएसएफ अलीगढ के संयोजक अनीश कुमार ने किया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एआईएसएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वलीउल्लाह खादरी ने शिक्षा पर बढते हमले, शिक्षा के बजट में की जारही कटौती, फीस में की जारही भारी वृध्दि, शिक्षा के निजीकरण और व्यापारीकरण तथा शिक्षा के भगवाकरण के प्रयासों पर सवाल खडे किये. उन्होने कहा कि केंद्र हो या राज्यों की सरकारें जन समुदाय को अपढ बना कर रखना चाहती हैं इसीलिये शिक्षा का बजट घटा रही हैं, विद्यार्थियों की फेलोशिप छीन रही है, जहां छात्र इसका विरोध कर रहे हैं उनको हर तरह से दबाया जारहा है. उन्होने सभी छात्रों से शिक्षा को बचाने और छात्रों के बुनियादी अधिकरों की रक्षा के लिये संघर्ष का आह्वान किया. कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि और संगठन के महासचिव विश्वजीत कुमार ने कहा कि जिन्होने अब तक देश व देशवासियों के साथ गद्दारी की है, वे आज देशभक्त होने का प्रमाण बांट रहे हैं. देश व प्रदेश में शिक्षा की हालत बद से बदतर होती जारही है. एकतरफ जहां छात्रों को उपयुक्त शिक्षा व रोजगार नहीं मिल रहे हैं वहीं उनके अधिकारों को कुचला जारहा है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय, जे एन यू एवं रोहित वेमूला प्रकरण इसके उदाहरण हैं. इसलिये सभी को मुफ्त व समान शिक्षा , छात्रसंघों के चुनाव और रोजगार के लिये छात्रों का एकजुट संघर्ष ही छात्रों के भविष्य की रक्षा करेगा. एआईएसएफ इस संघर्ष के लिये सबसे उपयुक्त मंच है. सम्मेलन में प्रमुख वक्ता भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि यह गौरव केवल एक छात्र संगठन- 'एआईएसएफ' को ही हासिल है कि उसका जन्म आज़ादी के आंदोलन की कोख से हुआ और उसने आज़ादी की लडाई में हिस्सा लिया. उस दौर में यह आंदोलन की सभी प्रमुख धाराओं- कांग्रेस, सोशलिस्ट तथा कम्युनिस्ट विचारधारा के छात्रों का संयुक्त मंच था. छात्र आंदोलन के हितों और शिक्षा की उपादेयता को देखते हुये एआईएसएफ को छात्रों का संयुक्त मंच ही रहना चाहिये था लेकिन छात्रों को दलगत स्वार्थों की पूर्ति का मौहरा बनाने के लिये कांग्रेस ने एनएसयूआई तथा सोशलिस्टों ने समाजवादी युवजन सभा बनाली. आरएसएस जो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजी हुकूमत को बचाने के काम में लगा था, ने आज़ादी आने के बाद जनसंघ/ भाजपा बनाली तथा एबीवीपी नामक छात्र संगठन बना लिया. जिसका उद्देश्य छात्रों को केवल सांप्रदायिकता और जाति के नाम पर बांटना है. छात्रों और समाज के बुनियादी सवालों से उसका कोई लेना देना नहीं. केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद केंद्र सरकार ने छात्रों के खिलाफ युध्द छेड रखा है और विद्यार्थी परिषद उसके सह्योग में छात्रों के खिलाफ षडयंत्र कर रही है. जगह जगह वामपंथी और अंबेडकरवादी छात्र संगठनो पर हमले बोले जा रहे हैं. छात्रों को अपने शैक्षिक हितों के साथ साथ विद्यार्थी परिषद के छात्र विरोधी कुकृत्यों का भी जबाव देना होगा. भाकपा के राज्य सहसचिव का. अरविंदराज स्वरुप ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों की शिक्षा और छात्रों को तबाह करने वाली नीतियों के खिलाफ जगह जगह जुझारू छात्र आंदोलन उग रहे हैं और अपने संघर्षो से कई जगह छात्रों ने सफलतायें हासिल की हैं. जेएनयू और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के संघर्ष इसका उदाहरण हैं. आने वाले दिनों में छात्रों, शिक्षा और उसके संस्थानो पर और तीव्र हमले होंगे और छात्रों को उसका जबाव भी मजबूती से देना होगा. छात्र आंदोलन को उचित दिशा देने का काम केवल एआईएसएफ कर सकता है अतएव उसे मजबूत बनाने की जरूरत है. भाकपा के जिला सचिव प्रोफेसर सुहेव शेरवानी ने कहा कि अलीगढ और उत्तर प्रदेश में एआईएसएफ तेजी से कदम बढा रही है. भाकपा हर तरह से उनका साथ देने को प्रतिबध्द है. उन्होने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह सभी को समान शिक्षा देने की व्यवस्था करे लेकिन राज्य सरकार ने इस ओर कोई कदम नहीं बढाया. हम सबको मिल कर सरकार पर दबाव बढाना चाहिये. प्रोफेसर शमीम अख्तर ने मोदी सरकार के फासिस्ट्वादी कदमों पर विस्तार से प्रकाश डाला. सम्मेलन को प्रदेश उपाध्यक्ष उत्कर्ष चतुर्वेदी, कु. फसलीन, यशपाल सिंह, देवेंद्र कुमार, गौरव सक्सेना, विनीत कुमार, पंकज सागर, अतुल, रवि शर्मा, अश्वनी कुमार, अभिषेक पचौरी, संतोष, यतेंद्र बघेल और हर्ष पालीवाल विवेक त्रिपाठी आदि ने भी संबोधित किया.
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ए.आई.एस.एफ. का पश्चिमी उत्तर प्रदेश का कार्यकर्ता सम्मेलन संपन्न सम्मेलन में झूठे देशभक्तों और पूंजीवादी ताकतों से लडने का लिया संकल्प: सबको एक समान शिक्षा, शैक्षिक कलेंडर लागू करने, छात्र संघों के चुनाव कराये जाने और सबको रोजगार दिये जाने की मांगों के लिये संघर्ष का किया आह्वान अलीगढ: आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन का पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक क्षेत्रीय सम्मेलन यहां उत्साह और गर्मजोशी के माहौल में संपन्न हुआ. बेहद गर्म मौसम के बावजूद सम्मेलन में आठ जिलों के 60 प्रतिनिधि शामिल हुये. सम्मेलन की अध्यक्षता ए.एम.यू. की एआईएसएफ की संयोजक कु. दूना मारिया भार्गवी भार्गवी ने की तथा संचालन एआईएसएफ अलीगढ के संयोजक अनीश कुमार ने किया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एआईएसएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वलीउल्लाह खादरी ने शिक्षा पर बढते हमले, शिक्षा के बजट में की जारही कटौती, फीस में की जारही भारी वृध्दि, शिक्षा के निजीकरण और व्यापारीकरण तथा शिक्षा के भगवाकरण के प्रयासों पर सवाल खडे किये. उन्होने कहा कि केंद्र हो या राज्यों की सरकारें जन समुदाय को अपढ बना कर रखना चाहती हैं इसीलिये शिक्षा का बजट घटा रही हैं, विद्यार्थियों की फेलोशिप छीन रही है, जहां छात्र इसका विरोध कर रहे हैं उनको हर तरह से दबाया जारहा है. उन्होने सभी छात्रों से शिक्षा को बचाने और छात्रों के बुनियादी अधिकरों की रक्षा के लिये संघर्ष का आह्वान किया. कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि और संगठन के महासचिव विश्वजीत कुमार ने कहा कि जिन्होने अब तक देश व देशवासियों के साथ गद्दारी की है, वे आज देशभक्त होने का प्रमाण बांट रहे हैं. देश व प्रदेश में शिक्षा की हालत बद से बदतर होती जारही है. एकतरफ जहां छात्रों को उपयुक्त शिक्षा व रोजगार नहीं मिल रहे हैं वहीं उनके अधिकारों को कुचला जारहा है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय, जे एन यू एवं रोहित वेमूला प्रकरण इसके उदाहरण हैं. इसलिये सभी को मुफ्त व समान शिक्षा , छात्रसंघों के चुनाव और रोजगार के लिये छात्रों का एकजुट संघर्ष ही छात्रों के भविष्य की रक्षा करेगा. एआईएसएफ इस संघर्ष के लिये सबसे उपयुक्त मंच है. सम्मेलन में प्रमुख वक्ता भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि यह गौरव केवल एक छात्र संगठन- 'एआईएसएफ' को ही हासिल है कि उसका जन्म आज़ादी के आंदोलन की कोख से हुआ और उसने आज़ादी की लडाई में हिस्सा लिया. उस दौर में यह आंदोलन की सभी प्रमुख धाराओं- कांग्रेस, सोशलिस्ट तथा कम्युनिस्ट विचारधारा के छात्रों का संयुक्त मंच था. छात्र आंदोलन के हितों और शिक्षा की उपादेयता को देखते हुये एआईएसएफ को छात्रों का संयुक्त मंच ही रहना चाहिये था लेकिन छात्रों को दलगत स्वार्थों की पूर्ति का मौहरा बनाने के लिये कांग्रेस ने एनएसयूआई तथा सोशलिस्टों ने समाजवादी युवजन सभा बनाली. आरएसएस जो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजी हुकूमत को बचाने के काम में लगा था, ने आज़ादी आने के बाद जनसंघ/ भाजपा बनाली तथा एबीवीपी नामक छात्र संगठन बना लिया. जिसका उद्देश्य छात्रों को केवल सांप्रदायिकता और जाति के नाम पर बांटना है. छात्रों और समाज के बुनियादी सवालों से उसका कोई लेना देना नहीं. केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद केंद्र सरकार ने छात्रों के खिलाफ युध्द छेड रखा है और विद्यार्थी परिषद उसके सह्योग में छात्रों के खिलाफ षडयंत्र कर रही है. जगह जगह वामपंथी और अंबेडकरवादी छात्र संगठनो पर हमले बोले जा रहे हैं. छात्रों को अपने शैक्षिक हितों के साथ साथ विद्यार्थी परिषद के छात्र विरोधी कुकृत्यों का भी जबाव देना होगा. भाकपा के राज्य सहसचिव का. अरविंदराज स्वरुप ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों की शिक्षा और छात्रों को तबाह करने वाली नीतियों के खिलाफ जगह जगह जुझारू छात्र आंदोलन उग रहे हैं और अपने संघर्षो से कई जगह छात्रों ने सफलतायें हासिल की हैं. जेएनयू और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के संघर्ष इसका उदाहरण हैं. आने वाले दिनों में छात्रों, शिक्षा और उसके संस्थानो पर और तीव्र हमले होंगे और छात्रों को उसका जबाव भी मजबूती से देना होगा. छात्र आंदोलन को उचित दिशा देने का काम केवल एआईएसएफ कर सकता है अतएव उसे मजबूत बनाने की जरूरत है. भाकपा के जिला सचिव प्रोफेसर सुहेव शेरवानी ने कहा कि अलीगढ और उत्तर प्रदेश में एआईएसएफ तेजी से कदम बढा रही है. भाकपा हर तरह से उनका साथ देने को प्रतिबध्द है. उन्होने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह सभी को समान शिक्षा देने की व्यवस्था करे लेकिन राज्य सरकार ने इस ओर कोई कदम नहीं बढाया. हम सबको मिल कर सरकार पर दबाव बढाना चाहिये. प्रोफेसर शमीम अख्तर ने मोदी सरकार के फासिस्ट्वादी कदमों पर विस्तार से प्रकाश डाला. सम्मेलन को प्रदेश उपाध्यक्ष उत्कर्ष चतुर्वेदी, कु. फसलीन, यशपाल सिंह, देवेंद्र कुमार, गौरव सक्सेना, विनीत कुमार, पंकज सागर, अतुल, रवि शर्मा, अश्वनी कुमार, अभिषेक पचौरी, संतोष, यतेंद्र बघेल और हर्ष पालीवाल विवेक त्रिपाठी आदि ने भी संबोधित किया.
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ए.आई.एस.एफ. का पश्चिमी उत्तर प्रदेश का कार्यकर्ता सम्मेलन संपन्न सम्मेलन में झूठे देशभक्तों और पूंजीवादी ताकतों से लडने का लिया संकल्प: सबको एक समान शिक्षा, शैक्षिक कलेंडर लागू करने, छात्र संघों के चुनाव कराये जाने और सबको रोजगार दिये जाने की मांगों के लिये संघर्ष का किया आह्वान अलीगढ: आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन का पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक क्षेत्रीय सम्मेलन यहां उत्साह और गर्मजोशी के माहौल में संपन्न हुआ. बेहद गर्म मौसम के बावजूद सम्मेलन में आठ जिलों के 60 प्रतिनिधि शामिल हुये. सम्मेलन की अध्यक्षता ए.एम.यू. की एआईएसएफ की संयोजक कु. दूना मारिया भार्गवी भार्गवी ने की तथा संचालन एआईएसएफ अलीगढ के संयोजक अनीश कुमार ने किया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एआईएसएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वलीउल्लाह खादरी ने शिक्षा पर बढते हमले, शिक्षा के बजट में की जारही कटौती, फीस में की जारही भारी वृध्दि, शिक्षा के निजीकरण और व्यापारीकरण तथा शिक्षा के भगवाकरण के प्रयासों पर सवाल खडे किये. उन्होने कहा कि केंद्र हो या राज्यों की सरकारें जन समुदाय को अपढ बना कर रखना चाहती हैं इसीलिये शिक्षा का बजट घटा रही हैं, विद्यार्थियों की फेलोशिप छीन रही है, जहां छात्र इसका विरोध कर रहे हैं उनको हर तरह से दबाया जारहा है. उन्होने सभी छात्रों से शिक्षा को बचाने और छात्रों के बुनियादी अधिकरों की रक्षा के लिये संघर्ष का आह्वान किया. कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि और संगठन के महासचिव विश्वजीत कुमार ने कहा कि जिन्होने अब तक देश व देशवासियों के साथ गद्दारी की है, वे आज देशभक्त होने का प्रमाण बांट रहे हैं. देश व प्रदेश में शिक्षा की हालत बद से बदतर होती जारही है. एकतरफ जहां छात्रों को उपयुक्त शिक्षा व रोजगार नहीं मिल रहे हैं वहीं उनके अधिकारों को कुचला जारहा है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय, जे एन यू एवं रोहित वेमूला प्रकरण इसके उदाहरण हैं. इसलिये सभी को मुफ्त व समान शिक्षा , छात्रसंघों के चुनाव और रोजगार के लिये छात्रों का एकजुट संघर्ष ही छात्रों के भविष्य की रक्षा करेगा. एआईएसएफ इस संघर्ष के लिये सबसे उपयुक्त मंच है. सम्मेलन में प्रमुख वक्ता भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि यह गौरव केवल एक छात्र संगठन- 'एआईएसएफ' को ही हासिल है कि उसका जन्म आज़ादी के आंदोलन की कोख से हुआ और उसने आज़ादी की लडाई में हिस्सा लिया. उस दौर में यह आंदोलन की सभी प्रमुख धाराओं- कांग्रेस, सोशलिस्ट तथा कम्युनिस्ट विचारधारा के छात्रों का संयुक्त मंच था. छात्र आंदोलन के हितों और शिक्षा की उपादेयता को देखते हुये एआईएसएफ को छात्रों का संयुक्त मंच ही रहना चाहिये था लेकिन छात्रों को दलगत स्वार्थों की पूर्ति का मौहरा बनाने के लिये कांग्रेस ने एनएसयूआई तथा सोशलिस्टों ने समाजवादी युवजन सभा बनाली. आरएसएस जो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजी हुकूमत को बचाने के काम में लगा था, ने आज़ादी आने के बाद जनसंघ/ भाजपा बनाली तथा एबीवीपी नामक छात्र संगठन बना लिया. जिसका उद्देश्य छात्रों को केवल सांप्रदायिकता और जाति के नाम पर बांटना है. छात्रों और समाज के बुनियादी सवालों से उसका कोई लेना देना नहीं. केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद केंद्र सरकार ने छात्रों के खिलाफ युध्द छेड रखा है और विद्यार्थी परिषद उसके सह्योग में छात्रों के खिलाफ षडयंत्र कर रही है. जगह जगह वामपंथी और अंबेडकरवादी छात्र संगठनो पर हमले बोले जा रहे हैं. छात्रों को अपने शैक्षिक हितों के साथ साथ विद्यार्थी परिषद के छात्र विरोधी कुकृत्यों का भी जबाव देना होगा. भाकपा के राज्य सहसचिव का. अरविंदराज स्वरुप ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों की शिक्षा और छात्रों को तबाह करने वाली नीतियों के खिलाफ जगह जगह जुझारू छात्र आंदोलन उग रहे हैं और अपने संघर्षो से कई जगह छात्रों ने सफलतायें हासिल की हैं. जेएनयू और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के संघर्ष इसका उदाहरण हैं. आने वाले दिनों में छात्रों, शिक्षा और उसके संस्थानो पर और तीव्र हमले होंगे और छात्रों को उसका जबाव भी मजबूती से देना होगा. छात्र आंदोलन को उचित दिशा देने का काम केवल एआईएसएफ कर सकता है अतएव उसे मजबूत बनाने की जरूरत है. भाकपा के जिला सचिव प्रोफेसर सुहेव शेरवानी ने कहा कि अलीगढ और उत्तर प्रदेश में एआईएसएफ तेजी से कदम बढा रही है. भाकपा हर तरह से उनका साथ देने को प्रतिबध्द है. उन्होने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह सभी को समान शिक्षा देने की व्यवस्था करे लेकिन राज्य सरकार ने इस ओर कोई कदम नहीं बढाया. हम सबको मिल कर सरकार पर दबाव बढाना चाहिये. प्रोफेसर शमीम अख्तर ने मोदी सरकार के फासिस्ट्वादी कदमों पर विस्तार से प्रकाश डाला. सम्मेलन को प्रदेश उपाध्यक्ष उत्कर्ष चतुर्वेदी, कु. फसलीन, यशपाल सिंह, देवेंद्र कुमार, गौरव सक्सेना, विनीत कुमार, पंकज सागर, अतुल, रवि शर्मा, अश्वनी कुमार, अभिषेक पचौरी, संतोष, यतेंद्र बघेल और हर्ष पालीवाल विवेक त्रिपाठी आदि ने भी संबोधित किया.
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