गाजियाबाद, मेरठ एवं नोएडा में किसान मंच और महाराणा संग्राम सिंह किसान कल्याण समिति के कार्यकर्ताओं ने भी भाकपा कार्यकर्ताओं के साथ जुलूस और धरना में अपनी भारी सक्रिय भागीदारी दर्ज की।
प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति एवं राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन जिलाधिकारियों को दिये जिसमें उन्होंने तथाकथित विकास के नाम पर चल रही उपजाऊ जमीनों के अधिग्रहण की तमाम कार्यवाहियों को तत्काल निरस्त करने, विकास योजनाओं को गैर उपजाऊ जमीनों पर चलाने, भूमि अधिग्रहण कानून 1894 में उचित बदलाव करने जिससे सरकार केवल अस्पताल, स्कूल जैसे जनोपयोगी उद्देश्य के लिए ही भूमि अधिग्रहण कर सके, दादरी आन्दोलन से लेकर आज तक भूमि अधिग्रहण के खिलाफ चलाये गये आन्दोलनों में दर्ज मुकदमों को वापस लेने, गिरफ्तार किसानों को रिहा करने, आजादी के बाद से आज तक अधिगृहीत जिन जमीनों का मुआवजा आज तक नहीं दिया गया है, उसका मुआवजा वर्तमान बाजार-भाव पर करने तथा विवादों को निपटाने के लिए राज्य स्तरीय मुआवजा प्राधिकरण बनाने, बन्द हो चुके उद्योगों की जमीनों को किसानों को वापस करने की मांग की।
लखनऊ में भाकपा कार्यालय से जिला सचिव मो. खालिक के नेतृत्व में जुलूस निकाला जो शहीद स्मारक पहुंच कर धरने में परिवर्तित हो गया। प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने सरकार पर एक निजी व्यापारिक घराने को फायदा पहुंचाने के लिए औने-पौने दामों पर अंधाधुंध भूमि अधिग्रहण का आरोप लगाया। वक्ताओं ने कहा कि कांग्रेस एवं भाजपा उन आर्थिक नीतियों के जनक और पालनहार हैं जिसके अंतर्गत सरमायेदारों के लिए भूमि अधिग्रहण का खेल चलना शुरू हुआ है तो सपा ने अपने शासनकाल में अंबानी जैसों को फायदा पहुंचाने के लिए दादरी से भूमि अधिग्रहण का खेल शुरू किया था। अब किसानों को भ्रमित करने तथा किसानों के चल रहे आन्दोलन को पटरी से उतारने के लिए यह राजनैतिक दल किसानों के हितैषी बनने का नाटक खेल रहे हैं। वक्ताओं ने कहा कि दादरी हो अथवा किसानों का कोई अन्य भूमि आन्दोलन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी हमेशा किसानों के साथ रही है और हमेशा रहेगी। वक्ताओं ने कहा कि सरकारों को खाद्य सुरक्षा, रोजगार सुरक्षा आदि को ध्यान में रखना चाहिए।
भाकपा राज्य कार्यालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में इस आन्दोलन को किसानों की विजय तक अनवरत पूरे प्रदेश में चलाने का संकल्प व्यक्त किया गया है।