उत्तर प्रदेश में जमीन बचाने, सार्वजनिक क्षेत्र बचाने, गरीबों के आवास बचाने, संविधान बचाने और महंगायी को पर्याप्त मात्र में नीचे लाने को 15 मार्च को
सड़कों पर उतरेगी भाकपा
लखनऊ- 9 मार्च 2021, भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी, उत्तर प्रदेश के सचिव मंडल ने कहाकि आज किसानों की ज़मीनें
बचाने, कारपोरेट खेती पर रोक लगाने एवं देशाहित में आवश्यक वस्तु
अधिनियम को समाप्त करने से बचाने तथा बिजली बिल संशोधन अधिमियम को खारिज कराना बेहद
जरूरी है। इसके साथ ही फसलों की कीमतों के न्यूनतम मूल्य दिलाने की गारंटी करने वाला
कानून बनाया जाना भी समय की जरूरत है। न्यूनतम समर्थन मूल्य भी स्वामीनाथन आयोग के
फार्मूले के आधार पर होना चाहिये, न कि सरकार की मनमर्जी के अनुसार।
ऐसे समय में जब डीजल, पेट्रोल, खाद और कीटनाशकों
की कीमतों ने सारे रिकार्ड तोड़ रखे हैं, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा
इस साल का गेहूं खरीद मूल्य 1975 निर्धारित करना किसानो को और भी देवालिया बनायेगा, भाकपा ने कहा है।
दूसरी ओर समस्त सार्वजनिक क्षेत्र को बेच कर कार्पोरेट्स/
पूँजीपतियों के हवाले करने से देश के प्राक्रतिक संसाधनों की लूट बड़ेगी और संप्रभुता
को खतरा उत्पन्न होने जा रहा है। श्रम क़ानूनों को नष्ट कर बनाये 4 लेबर कोड्स के जरिये
मजदूरों से यूनियन बनाने- चलाने का अधिकार छीन लिया गया है, मजदूरों को उनके दमन और शोषण से बचाव के सभी रास्ते बंद होगये हैं और मजदूरों
को मौजूदा सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और कार्यस्थल पर सुरक्षा संबंधी प्रविधानों से वंचित
कर दिया गया है।
राष्ट्रीय संपदा और किसानों मजदूरों को कार्पोरेट्स
के हाथों लुटवाने के जघन्य पाप को प्रधानमंत्री ने वैचारिक जामा पहनाने की पुनः कोशिश
की है। वे निर्लज्जता से कह रहे हैं कि सरकार का काम उद्योग व्यापार चलाना नहीं। यदि
सरकार अपने नागरिकों के हितरक्षा से मुकर रही है और मेहनतकशों द्वारा खड़ी की गयी संपदाओं
को बेचने पर उतारू है तो देश के मतदाताओं को भी उसे हटा देने का नैतिक अधिकार है, और वे जरूर इस अधिकार का प्रयोग करेंगे, भाकपा ने कहा
है।
इस बीच सरकार ने पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतों को आसमान पर पहुंचा दिया है और सभी जरूरी चीजों
की महंगाई बढ़ने से आम और खास सभी लोग त्राहि त्राहि कर उठे हैं। केन्द्र से बढ़ने वाली
कीमतों में राज्य का टैक्स भी जुड़ जाता है और महंगाई का उच्चतम स्तर असहनीय हो जाता
है।
प्रधानमंत्री के वक्तव्य से उत्साहित उत्तर प्रदेश की
सरकार ने बेहद महंगे सरकारी पर्यटक आवासों को लीज पर देने का फैसला ले डाला। राज्य
सरकार हर जनविरोधी करतूत पर उतारू है। पहले माफियाओं के मकान ढहा कर वाहवाही लूटने
में मशगूल उत्तर प्रदेश सरकार ने अब गरीबों और आम नागरिकों- खासकर दलितों, अल्पसंख्यकों के आवासों को ढहाना शुरू कर दिया है। हाथरस में प्रधानमंत्री
आवास योजना के तहत निर्मित बाल्मीकि परिवारों के मकानों को बिना किसी कारण के बिना
नोटिस दिये ढहा दिया। इलाहाबाद में कल प्रोफेसर फातमी एवं उनकी बेटी के मकान को ढहा
दिया गया। सामंती तत्वों और भूमाफियाओं को कब्जा दिलाने को प्रदेश भर में दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के उन मकानों को ढहाने का अभियान बड़े पैमाने पर जारी
है, जिनमें वे कई पीढ़ियों से रह रहे हैं।
एक ओर लोगों के मकान ढहाए जारहे हैं वहीं जगह जगह लेबर
कालोनियों के मकानों पर दबंगों ने आधिपत्य जमा लिया है। योगी सरकार कानून संविधान और
उसकी प्रस्थापनाओं पर खुले हमले कर रही है। हाल ही में मुख्यमंत्री ने धर्मनिरपेक्षता
को संस्क्रति के विकास में बाधा बता कर संविधान पर बड़ा हमला बोला है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी इस सब पर कडा ऐतराज जताती
है। भाकपा ने किसानों की जमीन की रक्षा, सार्वजनिक क्षेत्र
को बचाने, महंगाई को उल्लेखनीय तादाद में नीचे लाने, लोगों को बेघर बनाने से रोके जाने और संविधान पर हमलों का प्रतिकार करने को
15 मार्च के किसानों- कामगारों के आंदोलन को जमीनी समर्थन करने का निर्णय लिया है।
साथ ही भाकपा बैंकों, बीमा और जनरल इंश्योरेंस के कर्मियों के
आंदोलनों का पुरजोर समर्थन करेगी। तदनुसार भाकपा की जिला इकाइयों को निर्देश जारी किया
गया है।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश