भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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Communist Party of India, U.P. State Council

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गुरुवार, 30 सितंबर 2021

मनीष गुप्ता की मौत की ज़िम्मेदारी मुख्यमंत्री लें : त्यागपत्र दें- भाकपा


लखनऊ- 30 सितंबर 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उत्तर प्रदेश राज्य सचिव मंडल ने गोरखपुर पुलिस द्वारा कानपुर के व्यवसायी मनीष गुप्ता की पीट पीट कर की गयी हत्या पर गहरी पीड़ा जतायी है। मुख्यमंत्री के ठोक दो मिशन को अंजाम देते हुये उत्तर प्रदेश में पुलिस हर रोज निर्दोष लोगों की हत्या कर रही है। मनीष की हत्या उसी मिशन का हिस्सा है, भाकपा ने खुला आरोप लगाया है।

गनीमत है कि मनीष अल्पसंख्यक समुदाय से नहीं हैं और न उनका आपराधिक रिकार्ड है। यदि ऐसा होता तो योगी पुलिस उन्हें आतंकवादी बता कर अथवा जघन्य अपराधी बताकर वाहवाही लूटने से बाज नहीं आती।

भाकपा ने कहा कि हो सकता है कि राज्य सरकार अपने कुप्रयासों से इस मामले को भी उसी तरह दफना दे जैसा कि उसने लखनऊ पुलिस द्वारा एक कारपोरेट कर्मचारी की गोली मार कर की गयी हत्या के मामले को ठंडा कर दिया। लेकिन आज उत्तर प्रदेश का एक एक नागरिक खौफजदा है, और ऐसा खौफनाक कांड किसी के भी साथ, कभी भी और कहीं भी हो सकता है।

भाकपा ने कहा कि पूर्व के गैर भाजपा मुख्यमंत्रियों से छोटी छोटी बातों पर त्यागपत्र मांगने वाली भाजपा आज एक से एक संगीन मामले घटित होने के बावजूद ध्रतराष्ट्र बनी हुयी है। भाकपा ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि हत्या की ज़िम्मेदारी लेते हुये वे तत्काल त्यागपत्र दें। उन्होने सभी विपक्षी दलों से कहा कि अब वक्त आ चुका है जब समस्त विपक्ष को उनसे फौरन स्तीफ़ा मांगना चाहिए।

भाकपा ने कहा कि झूठी मक्कार और हत्यारी इस सरकार और उसके मातहत मशीनरी से न्याय की उम्मीद नहीं की जा सकती। अतएव हत्या की जांच उच्च न्यायालय के सेवारत न्यायाधीश के द्वारा करानी चाहिए। गोरखपुर के एसएसपी सहित सभी जिम्मेदार पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। मुआबजे, नौकरी और पीड़ित परिवार की अन्य मांगों को तत्काल पूरा किया जाना चाहिए।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश  

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सोमवार, 27 सितंबर 2021

CPI on Bharat Band


अभूतपूर्व रहा किसानों- कामगारों का भारत बन्द

भाकपा ने सभी बन्द समर्थकों को दिली मुबारकबाद दी

सरकार को चेताया कि वह दीवार पर लिखी इबारत को समझे वरना नतीजे भुगतने को तैयार रहे

लखनऊ- 27 सितंबर 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने दावा किया कि भाजपा और उसकी सरकारों द्वारा खड़े किये गये तमाम अवरोधों के बावजूद आज भारत बन्द और उत्तर प्रदेश बन्द पूरी तरह सफल रहा। मुख्यतः यह किसानों कामगारों का बन्द था और उन्होने अपना काम पूरी तरह बन्द रखा। उनकी अपील पर तमाम बाजार, स्कूल, वाहन, कचहरियाँ आदि भी बन्द रहे। किसान संगठनों के आह्वान पर इन दस माहों में हुयी जन कार्यवाहियों में आज की कार्यवाही बहुत बड़ी थी। भाकपा ने बन्द में भाग लेने वाले और बन्द समर्थकों सभी को बधाई दी है।

उत्तर प्रदेश में तानाशाह योगी सरकार ने गत रात से ही किसान नेताओं, भाकपा एवं वामपंथी नेताओं की गिरफ्तारी शुरू कर दी थी। अनेकों नेताओं को घरों में बन्द कर दिया। विरोध प्रदर्शनों की राह में रोड़े खड़े किये और अनेक जगह प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है। बावजूद इसके बन्द पूरी तरह कामयाब रहा।

भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहाकि विभिन्न किसान यूनियनों और वाम किसान संगठनों ने बन्द को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यद्यपि तमाम दलों ने बन्द के समर्थन का ऐलान किया था लेकिन उत्तर प्रदेश में सड़कों पर भाकपा और वामपंथी दलों के समूह अधिक दिखे। लाल झंडों का इतना बड़ा सैलाव देश प्रदेश में कई वर्ष बाद देखने को मिला।

भाकपा ने कहाकि भाजपा सरकार दीवार पर लिखी खुली इबारत को समझे और तीनों काले क्रषी क़ानूनों की वापसी, एमएसपी कानून बनाने, विद्युत बिल 2020 को रद्द करने, सार्वजनिक क्षेत्र को बेचे जाने से बाज आने व रोजगार देने, महंगाई को नीचे लाने और विभाजन तथा तानाशाही की राजनीति बन्द करने की तत्काल घोषणा करे। वरना पीड़ित जनता की आंधी में उसका तंबू ध्वस्त हो जायेगा।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश  

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रविवार, 26 सितंबर 2021

CPI on Cabinet expension of UP


भाजपा के भय, भ्रम और बदहवाशी को दर्शाता है आचार संहिता की पूर्ववेला में किया गया उत्तर प्रदेश का मंत्रिमंडल विस्तार: डा॰ गिरीश

लखनऊ- 26 सितंबर 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मंडल ने कहा कि जब विधान सभा चुनाव के मात्र 5 माह बचे हैं, उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल के विस्तार से भाजपा के भय, भ्रम और बदहवाशी सामने आगये हैं। नये मंत्रियों में से कई तो विधान मंडल के सदस्य तक नहीं और उनके विधान मंडल पहुंचने से पहले ही यह सरकार समाधिस्थ हो जाएगी। कुछ दिन के बाद आचार संहिता लग जायेगी और माननीय मंत्रीगण निठल्ले बैठ कर जनता के धन से वेतन भत्ते पायेंगे और इनके बल पर भाजपा का प्रचार करेंगे।

यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहा कि साधे गये जातीय समीकरणों से साबित होगया है कि भाजपा सरकार का विकास का दावा पूरी तरह खोखला है। झूठ और झूठे प्रचारतंत्र से गड़े गये विकास के दावों में जरा भी दम होता तो भाजपा को इस नंगेपन से जातियों की शरण में न जाना पड़ता। यह इस बात का भी सूचक है कि भाजपा के सहयोगी दल उसे छोड़ चुके हैं और केवल दो दल ही उसके साथ हैं। इसीलिए भाजपा बसपा मार्का अंतर्पार्टी जातीय गठजोड़ में जुटी है।

ऐसे समय में जब महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी सारे रिकार्ड तोड़ चुके हैं, किसानों- कामगारों से पाकिस्तानी नागरिकों जैसा व्यवहार किया जा रहा है, कानून व्यवस्था औंधे मुंह पड़ी है और महिलाओं, दलितों और अल्पसंख्यकों को बड़े पैमाने पर जुल्मों का शिकार बनाया जा रहा है; वोटों का गणित बैठाने को भाजपा अब सांप्रदायिक विभाजन के साथ ही जातीय विभाजन के भरोसे है। लेकिन चुनाव से चंद माह पहले हुआ यह विस्तार भाजपा के खोखलेपन की पोल खोलने वाला है और जनता इसे भलीभाँति समझती है।

सच कहा जाये तो यह विस्तार भाजपा के लिये विपरीत परिणाम देने वाला साबित होगा।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा , उत्तर प्रदेश   

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शुक्रवार, 24 सितंबर 2021

Cast Census

 

जातिगत जनगणना से मुकरने से भाजपा सरकार का असली चेहरा सामने आया

 भाकपा ने 2021 की जनगणना में जाति को शामिल करने की मांग को पुनः दोहराया

लखनऊ- 24 सितंबर 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने कहाकि कठिन और बोझिल प्रक्रिया बता कर जातिगत जनगणना को टालने के निर्णय से भाजपा की केन्द्र सरकार का असली चेहरा सामने आगया है। ज्ञात हो कि सर्वोच्च न्यायालय को केन्द्र सरकार ने सूचित किया है कि 2011 की जनगणना में जाति को जोड़ने को लेकर अनेक कठिनाइयां आयी थीं, अतएव जातिगत जनगणना न कराये जाने का नीतिगत निर्णय लिया गया है।

यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव मंडल ने अपनी इस मांग को जोरदार शब्दों में दोहराया कि 2021 की जनगणना में जाति को शामिल किया जाये। इससे सामाजिक संरचना पर पड़े रहस्य के पर्दे हटेंगे और अवसरों के न्यायपूर्ण वितरण के आधार मजबूत होंगे।

भाकपा राज्य सचिव मंडल ने कहा कि अपने कारपोरेटपरस्त, तानाशाह और सांप्रदायिक एजेंडे को लागू करने और सत्ता शिखर तक पहुँचने को भाजपा और उसकी सरकार जिन जातियों को ईंधन की तरह इस्तेमाल करती है, उन्हीं को न्याय से वंचित रखने में उसे जरा भी गुरेज नहीं होता। वह धड़ल्ले से जाति को जनगणना में शामिल करने के सवाल से भाग रही है। भाकपा इसे बर्दाश्त नहीं करेगी और उसके कार्यकर्ता इस सवाल को जनता के बीच ले जायेंगे।

भाकपा ने कहा कि उत्तर प्रदेश की विपक्षी पार्टियों को इस सवाल पर एकजुट हो आवाज उठानी चाहिये और भाजपा सरकार को अपने इस तुगलकी फैसले को वापस लेने को बाध्य करना चाहिये।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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बटाईदारों से फसल न खरीदने का फैसला किसान विरोधी: तत्काल वापस ले केन्द्र सरकार - भाकपा


खनऊ- 24 सितंबर 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मंडल ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया है कि वह शासन प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार को रोकने के बजाये, हर तरह से किसानों को बरवाद करने पर आमादा है। बटाईदार किसानों से धान और गेहूं की सरकारी खरीद न किये जाने का तुगलकी फैसला किसानों की रही सही कमर भी तोड़ देगा।

राज्य सरकार राशन प्रणाली में धांधली रोकने और एमएसपी खरीद में पारदर्शिता स्थापित करने में असफल रही है। अपनी इस असफलता का ठीकरा बटाईदार किसानों पर फोड़ना चाहती है। इसीलिए उसने ऐसा फैसला लिया है।

भाकपा ने कहा कि आज तमाम छोटी जोतों वाले किसान अपनी ज़मीनें बटायी या वार्षिक पट्टे पर देकर शहरों में नौकरियाँ करने चले जाते हैं। कई अशक्त, बुजुर्ग और महिला किसान भी अपनी ज़मीनें बटाईदार किसानों को देकर खेती करवाते हैं। अब सरकार के नए फैसले के अनुसार ये किसान सरकारी खरीद केन्द्रों पर धान/ गेहूं नहीं बेच पाएंगे और उन्हें बाज़ारों में बेच कर भारी घाटा उठाएंगे। और आगे से वे बटायी पर खेती कर नहीं पाएंगे तो हजारों किसानों की ज़मीनों पर खेती हो नहीं पायेगी। और ज़मीनें खाली रहने पर किसान उसे बेचने को बाध्य होंगे। सरकार ऐसा ही चाहती है।

भाकपा ने कहाकि पहले तीन काले क्रषी कानून व विद्युत बिल 2020 लाकर सरकार ने किसानों की ज़मीनें कार्पोरेट्स के हवाले कराने का रास्ता खोल दिया है। अभी तक एमएसपी की गारंटी वाला कानून तक नहीं बनाया। गन्ना मूल्य घोषित नहीं किया, और अब एमएसपी पर उपज न खरीदने का रास्ता भी खोज लिया। निश्चय ही यह कदम घनघोर किसान क्रषी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए घातक है। भाकपा इस पर कडा विरोध जताती है, और इसको रद्द करने की मांग करती है।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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गुरुवार, 9 सितंबर 2021

किसानों के साथ छलावा है केन्द्र सरकार द्वारा घोषित एमएसपी : भाकपा


लखनऊ- 9 सितंबर 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मंडल ने कल केन्द्र सरकार द्वारा  गन्ने और रबी फसलों के समर्थन मूल्य में अति अल्प व्रध्दी को किसानों के साथ छलावा और उन्हें पूरी तरह बरवाद करने वाला कदम बताया है। किसान तो एमएसपी की गारंटी करने वाला कानून मांग रहे थे, गारंटी तो दूर सरकार ने एमएसपी निर्धारण में ही धोखा कर दिया, भाकपा ने आरोप लगाया है।

किसानों की आमदनी दो गुना करने का दावा करने वाली सरकार ने गन्ने के मूल्य में मात्र 1. 75 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर इसे 285 से 290 रुपये कुंतल किया है। गेहूं की कीमत 1975 से बढ़ा कर 2015 रूपये कर मात्र 2 प्रतिशत की व्रध्दी की है। इसी तरह अन्य जिंसों की कीमतों में मामूली बढ़ोत्तरी की है। यह महंगाई की मार से देवलियापन की स्थिति तक पहुंचे किसानों के जले पर नमक छिड़कना जैसा है।

सरकार ने दावा किया हुआ है कि उसने स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू कर दिया है। इस रिपोर्ट के अनुसार किसानों की जुताई, सिंचाई खाद, बीज, बिजली, कीटनाशक आदि की लागत+ उसका श्रम और देखरेख का खर्च+ उगायी गयी फसल वाली जमीन का किराया जोड़ कर एमएसपी निर्धारित किया जाना चाहिए। लेकिन सरकार ने इस बीच डीजल पेट्रोल बिजली के दाम आसमान पर पहुंचा दिये, खाद, कीटनाशक, ट्रैक्टर और अन्य क्रषी उपकरणों के दामों में भारी बढ़ोत्तरी कर दी, अब प्रमुख फसलों पर मात्र 2 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर एमएसपी को बेमानी बना दिया है।

प्रधानमंत्री मोदी के नेत्रत्व वाली मूल्य निर्धारण संबंधी समिति के इस निष्कर्ष कि गेहूं की लागत 1008 रुपये कुंतल आती है को चुनौती देते हुये भाकपा ने कहा कि या तो सरकार इस आंकड़े को साबित करके दिखाये, नहीं तो स्वामीनाथन समिति के फार्मूले पर संशोधित मूल्य घोषित करे। लागत में अगली मार्च तक होने वाली संभावित बढ़ोत्तरियों को भी जोड़ा जाना चाहिये।

भाकपा ने कहाकि सरकार किसानो की जरूरत की जिंसो को महंगा बना कर औसत किसान की जेब से साल में कम से कम 50 हजार रूपये निकलवा रही है और उनमें से कुछ को 6 हजार सालाना की खैरात देकर शेष को ठेंगा दिखा रही है। किसानों की माली हालत बेहद जर्जर हो चुकी है और खेती में निरंतर घाटे के चलते वे परिवार का भरण पोषण और इलाज पढ़ाई तक देने में असमर्थ होगये हैं। उनमें से अनेक आत्महत्यायें कर रहे हैं अथवा पलायन को मजबूर हैं। वे खेतिहर मजदूरों को अपरिहार्य वेतन नहीं दे पारहे अतएव खेत मजदूर भी लगातार पलायन कर रहे हैं और गाँव उजाड़ होते चले जारहे हैं।

भाकपा ने कहाकि लगता है देश भर में चल रहे ऐतिहासिक किसान आंदोलन से सरकार ने कोई सबक नहीं लिया और किसानों की परेशानी बढ़ाने वाला असरहीन एमएसपी घोषित कर दिया। इस धोखाधड़ी से किसानों में और भी गुस्सा बढ़ेगा और किसान आंदोलन और व्यापक होगा।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

 

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शुक्रवार, 3 सितंबर 2021

समूचे उत्तर प्रदेश में फैलते जारहे जानलेवा बुखार से मौतों पर भाकपा ने गहरी चिन्ता जताई


कहा- ईवेंटफुल कारगुजारियों पर समय जाया करने के बजाय लोगों के जीवन की रक्षा करे राज्य सरकार

लखनऊ- 3 सितंबर 2021, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कहाकि राज्य सरकार की मुजरिमाना लापरवाही और स्वास्थ्य सेवाओं की उपेक्षा के चलते आज डेंगूनुमा जानलेवा बुखार का प्रदेश में दायरा बढ़ता ही जारहा है और यदि अब भी तत्काल कारगर कदम नहीं उठाये गये तो यह भी कोरोना की दूसरी लहर की तरह प्रदेश में हा हाकार मचा देगा। भाकपा ने राज्य सरकार को आगाह किया कि वो अपने नाटकीय क्रत्यों का परित्याग कर महामारी से लोगों को बचाने को युद्ध स्तर पर कार्यवाही करे।

एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव मंडल ने कहाकि आगरा मंडल के मथुरा और फीरोजाबाद जनपदों में एक माह में बच्चों एवं बड़ों की सैकड़ों जान लेचुकी बीमारी आज आगरा, अलीगढ़, मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली, कानपुर आदि मंडलों में पाँव पसार चुकी है और हजारों लोगों को अपनी चपेट में लेचुकी है। हालात यह हैं कि सीएचसी, पीएचसी एवं अन्य सरकारी अस्पतालों में पलंग न मिल पाने से लोग बेंचों और बराण्डों में इलाज कराने को मजबूर हैं अथवा निजी अस्पतालों में लुटने- पिटने और जान गँवाने को अभिशप्त है। अकेले फीरोजाबाद में ही सत्तर से अधिक लोगों की जानें जा चुकी हैं और वहां का मेडिकल कालेज और कई निजी अस्पताल मरीजों से अटे पड़े हैं।

कोरोना की दूसरी लहर जैसी भयावह स्थिति आ उपस्थित होने के बावजूद न तो प्रदेश में कहीं फागिंग होती दिख रही है न कीटनाशकों का छिड़काव। अधिकांश नगर निकायों और विविध पंचायतों को जबरिया हथियाए बैठी भाजपा का ध्यान साज सफाई पर भी नहीं है। कोविडकाल से ही भाकपा और वामपंथी पार्टियां स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार और उन्हें प्रभावी बनाने की मांग कर रहीं थीं, मगर उस ओर ध्यान देने के बजाय राज्य सरकार वोट बटोरने की गरज से ईवेंटफुल कारगुजारियों में जुटी रही।

परिणाम यह है कि एक और महामारी ने प्रदेश को अपनी गिरफ्त में लेलिया और सरकार बयानों, विजिट्स और कुछ तबादलों पर लटक कर रह गयी है। भले ही राज्य सरकार कोरोना को हराने के दंभपूर्ण दावे करे लेकिन अभी भी प्रदेश में कोरोना उपस्थिती दर्ज करा रहा है। विगत 24 घंटों में ही राजधानी लखनऊ में कोरोना के सात मरीजों सहित 18 जनपदों में कोरोना पाजिटिव केस मिले हैं। लापरवाहियों के चलते यह कभी भी छलांग भर सकता है।

सरकार और सत्ताधारी दल न केवल लोगों के स्वास्थ्य के प्रति उपेक्षा बरत रहे हैं अपितु बीमारियों के प्रसार की राह हमवार कर रहे हैं। विपक्ष की जहां लोकतान्त्रिक और प्रोटोकाल पालन करने वाली कार्यवाहियाँ बाधित की जारही हैं, वहीं शासक दल की कथित जन आशीर्वाद यात्राओं में प्रोटोकाल की धज्जियां उड़ाई जारही हैं। एक नेता के स्म्रति भोज में एकत्रित लाखों भोजनार्थियों जिनमें 90 प्रतिशत भाजपायी थे, ने सारे नियम कानूनों और कोविड प्रोटोकाल को हवा में उड़ा दिया। आश्चर्य की बात है कि तबलीगी जमात पर चीख चीख कर कोरोना फैलाने के आरोप लगाने वाले टीवी चेनलों ने वहाँ हुयी मारामारी की एक झलक तक नहीं दिखाई।

भाकपा ने सरकार से मांग की कि तत्काल प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में कारगर सफाई अभियान चलवाये, व्यापक पैमाने पर फागिंग और कीटनाशक छिड़कवाए, अस्पतालों में मानवीय गरिमा के अनुकूल इंडोर वार्ड्स और पलंगों की व्यवस्था कराये, दवाओं और जांच की माकूल व्यवस्था कराये तथा स्वास्थ्य विभाग की सक्षम और संसाधनों से युक्त टीमें गांवों और शहरी आबादियों में पहुंच कर छानबीन, जांच और इलाज को अंजाम दें।

वोटों की लालसा में सामाजिक विभाजन के लिये नाम बदलने और आस्था के दोहन के लिये शराब और मीट बंदी जैसे कामों में लिप्त सरकार से अपेक्षा की जाती है कि वह उन लोगों के जीवन बचाने और जीवनयापन को प्राथमिकता दे जिनके कि वोटों से चुन कर वह सत्तारूढ़ हुयी है, भाकपा ने कहा है।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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गुरुवार, 2 सितंबर 2021

शराब और मीट पर पाबन्दी के तुगलकी फरमान से मथुरा एवं अन्य स्थानों पर रोजी रोटी से वंचित हो जाएंगे हजारों लोग। फैसले से बाज आये राज्य सरकार।


 

लखनऊ- 2 सितंबर 2021, भारत की परंपरा सर्वे भवन्तु सुखिन: की है, इसीसे भारत का गौरव बढ़ेगा, हिन्दुत्व का गौरव बढ़ाने के नाम पर हजारों लोगों की रोजी रोटी छीनने और उनके परिवारों को भुखमरी की विभीषिका में धकेलने से नहीं।

उपर्युक्त विचार एक प्रेस बयान में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने व्यक्त किये। डा॰ गिरीश सूबे के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ द्वारा मथुरा में मीट और शराब की बिक्री पर पाबंदी लगाने के फैसले पर अपनी पार्टी की प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे।

उन्होने कहाकि इस मनहूस फैसले से मथुरा के तमाम गरीब जिनमें दलित और अल्पसंख्यक अधिक हैं, भुखमरी के कगार पर पहुंच जाएंगे। जनराजस्व की भी बड़ी हानि होगी। उन्होने आरोप लगाया कि जब से भाजपा सत्ता में आयी है, लोगों के रोजगार छीनने में जुटी है। उनको वैकल्पिक रोजगार देने की व्यवस्था किये बिना दसियों हजार लोगों की रोजी रोटी छीनना कहीं से भी उचित नहीं है।

यदि मीट और शराब की बिक्री रोकने से ही हिन्दुत्व का गौरव बड़ता है तो इसकी शुरुआत योगीजी को अपने गृह जनपद गोरखपुर से करनी चाहिये। और फिर यह गौरव मथुरा तक सीमित क्यों रहे, इसे समूचे उत्तर प्रदेश में विस्तार देना चाहिये। ये कितना उपहासास्पद है कि जो सरकार जहरीली शराब का निर्माण और बिक्री तथा उससे होने वाली मौतों को नहीं रोक पारही वह असली शराब की बिक्री रोक कर हिन्दुत्व को परवान चड़ाएगी। जो सरकार राजस्व के लालच में पीक कोविड काल में शराब बिकवाती रही वह अपनी सनक को पूरा करने को उसे बिकने से रोकेगी।

सरकार ने पहले ही मथुरा के कई कस्बों में मीट की बिक्री पर पाबंदी लगा कर हजारों को रोजगार से वंचित कर रखा है। अब नया फरमान दसियों हजार लोगों के मुंह का निवाला छीनेगा। राज्य सरकार ने पहले ही हजारों सरकारी नौकरियों में भर्ती को उलझा के रखा हुआ है, और चन्द नौकरियाँ दी भी जातीं हैं तो मुख्यमंत्री नियुक्तिपत्र स्वयं वितरित कर राजनीतिक लाभ उठाने में जुट जाते हैं। भाजपा राज में रोजगार से वंचित लोग आत्महत्यायें कर रहे हैं और भुखमरी तथा अर्थाभाव से जनित बीमारियो से मर रहे हैं।

ऐसे में मथुरा में शराब और मीट की बिक्री पर पाबन्दी लगाना लोगों के जीवन से खिलवाड़ करना है।

भाकपा ने कहाकि यदि मगरूर सरकार पाबन्दी लगाना ही चाहती है तो पहले इस कारोबार और इसके सहयोगी कारोबार से जुड़े लोगों को वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था करानी चाहिये, तब किसी पाबन्दी की सोचना चाहिये। भाकपा ने मथुरा एवं उत्तर प्रदेश के समस्त नागरिकों से अपील की कि हिन्दुत्व की आड़ में लोगों की रोजी रोटी छीनने वाले इस घिनौने आदेश का पुरजोर विरोध करें।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश

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बुधवार, 1 सितंबर 2021

उत्तर प्रदेश: आम जनता की ज्वलंत समस्याओं को लेकर वामदलों ने समूचे उत्तर प्रदेश में जबर्दस्त प्रदर्शन किये


 

लखनऊ-  1 सितंबर 2021, उत्तर प्रदेश के चार वामपंथी दलों- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी ), भाकपा माले- लिबरेशन एवं आल इंडिया फारबर्ड ब्लाक के तत्वावधान में आज आसमान छूती महंगाई, बेरोजगारी, बुखार से होरही मौतों और बाढ़ की विभीषिका से तवाही, भुखमरी और अर्थाभाव से की जारही आत्महत्याएं, जर्जर कानून व्यवस्था, भाजपा द्वारा चलायी जारही विभाजन और तानाशाही की राजनीति और बांदा जनपद में स्वतन्त्रता दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने वाले अधिकारियों और भाजपाइयों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही जैसे ज्वलंत सवालों पर आज समूचे प्रदेश में बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर कर दस्तक दी।

कई जिलों में वामदलों के साथ लोकतान्त्रिक जनता दल के कार्यकर्ता भी आंदोलन में शामिल रहे। जिलों जिलों में धरने और प्रदर्शनों के बाद महामहिम राष्ट्रपति महोदय और राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपे गए। भारी वारिश के बावजूद वामपंथियों का यह आंदोलन उल्लेखनीय ढंग से सफल रहा, भले ही हमेशा की तरह टीवी चेनलों ने इसे नजरंदाज किया है।   

ज्ञापनों में महंगाई पर कारगर रोक लगाने, डीजल पेट्रोल रसोई गैस पर लगे असहनीय टैक्सों को पर्याप्त मात्रा में घटाने, सार्वजनिक उपक्रमों की बिक्री रोके जाने, हर बेरोजगार को काम दिलाने- मनरेगा में 200 दिन काम और प्रतिदिन 600 रुपये मजदूरी दिलाने, इस तरह की योजना शहरों में चलाये जाने, दवाओं और खाद्य वस्तुओं के दाम बांधने, हर व्यक्ति को रुपए 7500/- प्रति माह दिये जाने, खाने की सभी सामग्री किट के रूप में उपलब्ध कराये जाने, टीकाकरण में तेजी लाने, जनता पर बोझ बढ़ाने वाले बिजली बिल 2021 को वापस लेने, तीन क्रषी क़ानूनों को वापस कराने, एमएसपी की गारंटी करने, योगी सरकार द्वारा दमनकारी असंवैधानिक आलोकतांत्रिक रवैया रोके जाने, कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने- दलितों अल्पसंख्यकों महिलाओं व अन्य कमजोर तबकों पर अत्याचार रोके जाने, भ्रष्टाचार पर कारगर रोक लगाने की मांग की गयी है।

साथ ही पैगासस कांड की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में करायी जाये, स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार और सुधार किया जाये, बुखार से होरही मौतों से जान की रक्षा की जाये, बाढ़ की विभीषिका से तवाही का मुआबजा दिया जाये, गरीबों को आवास दिलाये जायें, गरीब बच्चों की पढ़ाई में हुयी हानि की भरपाई की जाये तथा आंदोलनकारी किसानों से सरकार तत्काल वार्ता करे आदि सवालों को भी उठाया गया। बांदा में स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने वाले अधिकारियों और भाजपाइयों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की मांग की गयी।

बयान जारी किये जाने तक लखनऊ, गोरखपुर, कुशीनगर, संत कबीर नगर, बस्ती, मऊ, आजमगढ़, वाराणसी, गाजीपुर, सोनभद्र, भदोही, सुल्तानपुर, अयोध्या, इलाहाबाद, मछलीशहर ( जौनपुर ), खागा ( फ़तेहपुर ), प्रतापगढ़, बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, उरई ( जालौन ), झांसी, ललितपुर, कानपुर महानगर, कानपुर देहात, औरैया, कायमगंज ( फरुखाबाद ), बरेली, बदायूं, पूरनपुर ( पीलीभीत ), शाहजहाँपुर, मुरादाबाद, मेरठ, गाजियाबाद, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, आगरा एवं मैनपुरी आदि जनपदों में सफल आंदोलन की खबरें सोशल मीडिया से प्राप्त हो चुकी हैं।

वामपंथी दलों के नेताओं ने आज फिर रसोई गैस के दाम 25 रुपये बढ़ाए जाने पर गहरा आक्रोश जताया। महंगाई की मार से पीढ़ित जनता के ऊपर यह बड़ा कुठराघात है। भाकपा राज्य सचिव डा॰ गिरीश, माकपा राज्य सचिव डा॰ हीरालाल यादव, भाकपा माले सचिव का॰ सुधाकर यादव, आ॰ इ॰ फारबर्ड ब्लाक के राज्य संयोजक अभिनव कुशवाहा एवं लोकतान्त्रिक जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष जुबेर अहमद कुरेशी ने सभी आंदोलनकारियों को बधाई दी है।

डा॰ गिरीश, राज्य सचिव

भाकपा, उत्तर प्रदेश              मो॰ नं॰ 9412173664, 7055893132

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