अल्पसंख्यकों, दलितों, कमजोरों, महिलाओं की मूल जरूरतें - शिक्षा व रोजगार आदि हैं। कब्रिस्तान, लैपटाप अथवा बेरोजगारी भत्ता नहीं। इसी तरह प्रदेश को सर्वाधिक जरूरत बिजली के बड़े पैमाने पर निर्माण की है लेकिन इसके लिए बजट में कोई आबंटन नहीं। केवल गाँव-मजरों को कनेक्शन देने की बात कही गयी है। पहले से ही भारी विद्युत संकट झेल रहे प्रदेश के लिए ये घोषणाएं बेकार हैं। आखिर जब बिजली बनेगी ही नहीं तो उसकी सप्लाई कहाँ से होगी।
बुन्देलखण्ड के विकास के लिए 109 करोड़ और पूर्वांचल के 27 जिलों के लिए 100 करोड़ का आबंटन ऊंट के मुंह में जीरा है। 24 हजार करोड़ रूपये का राजकोषीय घाटा महंगाई बड़ाने का काम करेगा। सार्वजनिक क्षेत्र के किसी उद्योग को खोलने की घोषणा इसमें नहीं है।
डॉ. गिरीश ने कहा कि विपक्षी दलों की इस आशंका में दम है कि जब पिछले बजट की धनराशि का बड़ा भाग उपयोग में नहीं लाया जा सका तो भविष्य में इसके इस्तेमाल की क्या गारंटी है? घोषणाओं और योजनाओं को लागू करने की इच्छा शक्ति का इस बजट में बेहद अभाव है।