भुवनेश्वर: “भाजपा नेतृत्व वाला राजग और कांगेस नेतृत्व वाला संप्रग दोनों ही विनाशकारी आर्थिक नीतियों पर अनुसरण करने के लिए जिम्मेदार हैं जिसके कारण पिछले 12 वर्ष में देश में 12000 पूंजीपति पैदा हो गये हैं और 20 लाख करोड़ से अधिक रुपये चोरी से स्विस बैंकों एवं अन्य विदेशी बैंकों में चले गये है।” भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव ए.बी. बर्धन ने पार्टी की उड़ीसा इकाई द्वारा आयोजित एक विराट रैली मंे यह बात कही। उन्होंने उड़ीसा में बदतर होते हालत पर चिन्ता व्यक्त की।
बर्धन ने कहा: पिछला चुनाव हुए दो वर्ष से अधिक का समय बीत गया है। पर हमारी जनता के लिए क्या उपलब्धि है? देश की 100 करोड़ से अधिक की गरीबों एवं माध्यम वर्ग की आबादी को न केन्द्र की सरकार से कुछ मिला न राज्य की। केन्द्र एवं राज्य की न तो इन सरकारों ने जनता के भले के लिए कुछ किया और न उन पूर्ववर्ती सरकारों ने जिनकी शासक पार्टी अब फिर से सत्ता में आने के लिए मुंह बाये हुए है। देश में हर कहीं भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार है। 2जी स्पेक्ट्रम में दो करोड़ रुपये से भी अधिक का घोटाला हुआ है। बर्धन ने कहा कि गरीब लोगों के रहन-सहन के हालात बदतर हो रहे हैं। हाल यह हो गया है कि देश की लगभग 78 प्रतिशत आबादी 20 रुपये से भी कम के खर्च पर अपनी गुजर-बसर करने को मजबूर है; अभूतपूर्व महंगाई ने आम आदमी की दिन-प्रतिदिन की जिन्दगी को मुश्किल कर दिया है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद की तमाम सरकारों ने महंगाई को बढ़ावा दिया है इसका कुछ अपवाद रही तो केवल देवगाड़ा और गुजराल के प्रधानमंत्रित्व वाली वे सरकारें जिनमें कम्युनिस्ट मंत्री थे।
तथाकथित वेदांत विश्विविद्यालय को उड़ीसर सरकार द्वारा 8000 एकड़ जमीन के आवंटन की भर्त्सना करते हुए बर्धन ने कहा कि वेदंात कम्पनी का मालिक अनिल अग्रवाल एक कुख्यात कबाड़ीवाला है पर उड़ीसा सरकार ने उसे न केवल वेदांत विश्वविद्यालय के नाम पर जमीन आवंटित की बल्कि उसके स्टरलाईट अल्युमिना प्रोजेक्ट के लिए के केप्टिव लौह-अयस्क के लिए विशाल खान क्षेत्र भी उसे दे दिये हैं। इन परियोजनाओं के विरुद्ध हम कम्युनिस्ट ही अकेले उंगली नहीं उठा रहे हैं, लोकपाल, उच्च न्यायालय और देश के विभिन्न पर्यावरणविदों ने भी उड़ीसा सरकार द्वारा इस बहुराष्ट्रीय निगम को फायदा पहुंचाने के लिए किये गये पक्षपात पर आपत्ति की है। सरकार, लोकपाल और उड़ीसा के उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त सभी समितियों ने भी सरकार के कम्पनीपरस्त रूख और देश के कानूनों के उल्लंघन की भर्त्सना की है। राज्य सरकार किसानों द्वारा आत्महत्या, खान-खदानों के घोटालों और डायरिया की महामारी को रोकने में सर्वथा विफल रही है। बर्धन ने कहा है कि राज्य के किसानों एवं कृषि अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा कर नवीन पटनायक सरकार पिछले छह वर्ष से पारादीप में एक इस्पात परियोजना स्थापित करने की अपनी जनविरोधी नीतियों पर आगे बढ़ने पर उतारू है। सरकार ने निजी कम्पनी को केप्टिव लौह अयस्क खानें लीज पर दे दी हैं; उसे पारादीव बंदरगाह के पास केप्टिव पोर्ट बनाने की इजाजत दे दी है और कम्पनी को देने के लिए उस उपजाऊ कृषि जमीन और वनभूमि का अधिग्रहण करना चाहती है जिस पर वनवासी अपनी पीढ़ियों से खेती करते आये हैं और रहते आये हैं।
ए.बी. बर्धन ने राज्य सरकार को चेतावनी दी कि “आप पोस्को और वेदान्त जैसी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को फायदा पहुंचाने के लिए जमीन का जबरन अधिग्रहण नहीं कर सकते, देश के स्थापित कानूनों का उल्लंघन नहीं कर सकते।” उन्होंने पोस्को परियोजना और वेदान्त के विरूद्ध संघर्षरत लोगों के प्रति अपना पूर्ण समर्थन व्यक्त किया। उन्होंने राज्य के शासकों से कहा कि इतिहास से सबक लें; याद करें एक कम्पनी देश में आयी थी और उस कम्पनी के साथ शासकों के रिश्तों के कारण देश अपनी आजादी खो बैठा था। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आंदोलन करती संघर्षरत जनता की आवाज पर ध्यान देने के बजाय बहुराष्ट्रीय निगमों के हित साधने में लगी है, यदि ऐसा ही चलता रहा तो राज्य और इसके लोगों का भविष्य अंधकार में पड़ जायेगा। उन्हांेने आशा व्यक्त की कि यद्यपि बहुत देर हो चुकी है फिर भी अच्छा होगा सरकार अपनी गलती का अहसास करे और अपनी हानिकर
जनविरोधी नीतियों का परित्याग करें
बर्धन ने कहा कि सरकार ने यदि जनता के संघर्षों को कुचलना जारी रखा तो उड़ीसा के शांतिप्रिय लोग सरकार को इसके लिए माफ नहीं करेंगे
उन्होंने जनता से अपील की कि बेहतर शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य सेवा और बेहतर जीवन स्तर हासिल करने के लिए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा छेड़े गये संघर्ष में अधिकाधिक संख्या में हिस्सा लें। उन्होंने कहा, “हम संघर्ष कर रहे हैं और संघर्ष को आगे भी जारी रखेंगे। शहीदों का बलिदान व्यर्थ नहीं जायेगा, भविष्य हमारा है, जनता अपने एतिहासिक मिशन में कामयाबी हासिल करेगी।”
इस राज्य स्तरीय रेली की अध्यक्षता वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेता प्रो. अबनि बोराल ने की। इस विराट रैली में लाल झंडे हाथों में उठाये 15000 से भी अधिक लोग शामिल थे। रैली में शामिल होने वालों में कोरा पुट, कालाहांडी और मलकानगिरी से आयी हुई आदिवासी महिलाएं थी तो गंधमर्दन हिल्स और केओंझार के खान खदानों के मजदूर भी थे; मयूरभंज, गजपति और गंजम जिलों के सैकड़ों हजारों गरीब आदिवासी भी रैली में शामिल थे। चिलचिलाती धूप, बेमौसम की बारिश और बादलों के गर्जन-तर्जन के बावजूद भारी संख्या में राज्य के गरीब लोग रैली में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे।
विशाल रैली को संबोधित करते हुए पार्टी के राज्य सचिव दिवाकर नायक ने कहा कि दुनिया के सबसे गरीब लोग किसी काल्पनिक लोक में नहीं बल्कि उड़ीसा के सबसे कम विकसित आठ जिलों (केबीके जिलों) में रहते हैं, यह यूएनडीपी (संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम) का कथन है। उन्होंने कहा कि तीसरी बार भारी बहुमत हासिल करने के बाद नवीन पटनायक जनविरोधी नीतियों पर चलना जारी रखे हुए हैं, पोस्को और वेदान्त जैसी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को फायदा पहुंचाने के लिए उन्होंने सभी कायदे-कानूनों को ताक पर रख दिया है। सरकार वनभूमि के बारे में फर्जी रिपोर्टे बना रही है। हम मुख्यमंत्री से मिले और उनसे अनुरोध किया कि संबंधित गांवों में जाकर वह प्रस्तावित पोस्को क्षेत्र के बारे में वहां के लोगों की बात सुनें, उनकी राय जानें। पर मुख्यमंत्री उन गांवों का दौरा कर असलियत को समझने के बजाय वनभूमि के संबंध में अफसरों द्वारा तैयार फर्जी रिपोर्टों पर यकीन कर आगे सिफारिश कर रहे हैं। ऐसी हालत में जब सरकार आंदोलकारी संघर्षरत जनता को सुनना ही नहीं चाहती तो हमारे पास लोकतांत्रिक आंदोलनों और समूची मानवता का समर्थन लेकर संघर्ष और प्रतिरोध को जारी रखने के अलावा क्या रास्ता रह जाता है।
आदिकंद सेठी विधायक, खिरोद प्रसाद सिंह देव, नारायण रेड्डी, पूर्व विधायक और वयोवृद्ध नेता डीके पंडा ने भी रैली को संबोधित किया और जनता का आह्वान किया कि वे शोषण, दमन, उत्पीड़न और सरकार की जनविरोधी नीतियों के विरूद्ध भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के झंडे तले आगामी दिनों में और भी तीव्र संघर्ष के लिए तैयार हो जायें।
आम सभा से पहले हजारों कार्यकर्ताओं ने लाल झंडे हाथों में उठाये हुए रेलवे स्टेशन से एक जुलूस शुरू किया जिसका नेतृत्व भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिवमंडल के सदस्य गौरहरि नायक, अशोक बीसी, बनलता जेना, पर्वत मिश्र, प्रशांत पट्टजोशी और राष्ट्रीय परिषद सदस्य रामकृष्ण पंडा, बसन्त पैकरे, प्रकाश पात्रा, सूरा जेना और विजय जेना आदि कर रहे थे।
- रमेश पाढी