भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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शनिवार, 15 अक्टूबर 2011

भाकपा की 21वीं कांग्रेस का महत्व

यों प्रत्येक कम्युनिस्ट के लिए तीन साल पर होने वाली हर पार्टी कांग्रेस महत्वपूर्ण होती है, पर पटना में अगले वर्ष होने वाली 21वीं कांग्रेस निश्चय ही विशिष्ट होंगी। इसकी विशिष्टता को भाकपा का राष्ट्रीय परिषद (18-19 जून, 2011) ने अपने प्रस्ताव में निम्नांकित शब्दों में प्रकट किया है।
    ”वामपंथ को स्वयं अपने नेतृत्व में राजनीतिक विकल्प पेश करना होगा, जिसका आधार होगा वैकल्पिक आर्थिक कार्यक्रम और सम्प्रदाय निरपेक्ष लोकतंत्र के लिये प्रतिबद्धता, क्योंकि भारत की अधिकांश राजनीतिक पार्टियां, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर भी, आर्थिक नव उदारवाद का समर्थन करती है।“
    यहांॅ उपर्युक्त उद्धरण की चार बातें ध्यातव्य हैं -
क.    नवउदारवादी आर्थिक नीति की समर्थक पार्टियों की पहचान,
ख.    सम्प्रदाय निरपेक्ष लोकतंत्र की रक्षा,
ग.    वैकल्पिक आर्थिक कार्यक्रम का निर्माण, और
घ. वैकल्पिक राजनीति का वामपंथी नेतृत्व
    भारत के स्वातंत्रयोत्तर- कालीन युग में गैर कांग्रेस वाद और गैर संप्रदायवाद के आधार पर राजनीतिक धु्रवीकरण होता जा रहा है। प्रकटतः इसके व्यावहारिक परिणाम ने देश में द्विदलीय शासन प्रणाली का दस्तक दी है। इससे आर्थिक कार्यक्रम के आधार पर राजनीतिक धु्रवीकरण का प्रश्न पृष्ठिभूमि में ओझल हुआ है। यही कारण है कि केन्द्र में कमजोर सरकारों के अस्तित्व के बावजूद नवउदारवादी आर्थिक नीति का घोड़ा बेरोकटोक सरपट दौंड़ता गया है। इस परिस्थिति में वामपंथ के नेतृत्व में वैकल्पिक आर्थिक कार्यक्रम के आधार पर राजनीतिक विकल्प तैयार करने का प्रस्ताव वर्तमान अनिश्चित वातावरण में भरोसा पैदा करने वाला महत्वपूर्ण दिशा सूचक निर्णय है। इसका आवश्य ही सर्वत्र स्वागत किया जायेगा।
    बिहार के लिए पार्टी कांग्रेस आयोजित करने का यह तीसरा मौका है। पहला मौका 1968 में आठवीं कांग्रेस आयोजित करने का मिला था। इसे पटना के ऐतिहासिक मैदान में संपन्न किया गया। उस महाधिवेशन के समय बिहार में प्रथम गैर कांग्रेसी संविद सरकार थी, जिसमें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी भी शामिल थी। कांग्रेस कुशासन के अंत में पूरे राज्य में जन उत्साह का माहौल था। इस महाधिवेशन में शामिल प्रतिनिधियों के बारे में प्रमाण समिति ने अपने प्रतिवेदन में दर्ज किया कि वे सभी के सभी जेल जीवन बिताये संघर्षों के तपे-तपाये नेता थे। इस
महाधिवेशन की विशेषता थी कि इसमें शामिल एक भी प्रतिनिधि ऐसा नहीं था, जिन्होंने अपने जीवन का एक भाग ब्रिटिश राज में अथवा आजाद भारत में जेल की सलाखों में नहीं बिताया हो। यह संपूर्ण पार्टी द्वारा चलाये गये जनसंघर्षों का इजहार था और साथ ही पार्टी कांग्रेस में उपस्थित प्रतिनिधियों की वर्ग निष्ठा और उनके जुझारूपन का प्रमाण भी।
    दूसरा मौका, 1987 में महाधिवेशन आयोजन का था। यह भी पटना में संपन्न हुआ। इस महाधिवेशन में चतुरानन मिश्रा द्वारा प्रस्तुत महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर करने वालों के हितों की रक्षा करने का आह्वान किया गया।
    पार्टी कांग्रेस आयोजित करने का यह तीसरा अवसर बिहार की अपेक्षाकृत विपरीत परिस्थिति में मिला है। राज्य में भाजपा-जदयू की सरकार है। पार्टी को विगत विधान सभा में अपेक्षित सफलता नहीं मिली। बंगाल और केरल के चुनाव परिणामों ने भी असर डाला है। बिहार के साथियों ने पार्टी कांग्रेस आयोजन को एक चुनौती के रूप में लिया है। पार्टी कांग्रेस आयोजन साथियों का प्रथम कर्तव्य बन गया है। इस टास्क को पूरा करने में साथी मुस्तौदी से लग गये हैं। सभी स्तर की कमेटियां कोष संग्रह में लग गयी हैं। साथियों में विश्वास है कि बिहार की गौरवशाली परंपरा के अनुरूप पार्टी कांग्रेस का आयोजन अवश्य ही कामयाब होगा।
निःसंदेह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की 21वीं कांग्रेस सफल होगी और इसके फैसले भारतीय राजनीति में वर्ग आधारित वामपंथी धु्रवीकरण को प्रारंभ करेंगे।
- सत्य नारायण ठाकुर
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भाकपा ने अल्लामा फज़ले हक ”खैराबादी“ को श्रद्धांजलि देने आये चार केन्द्रीय नेताओं का उड़ाया मजाक

    लखनऊ 15 अक्टूबर। भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के महान नायक तथा काले पानी की सजा पाने वाले पहले भारतीय अल्लामा फज़ले हक ”खैराबादी“ के जीवन से जुड़े पहलुओं पर चर्चा के लिए आज कांग्रेस के चार-चार केन्द्रीय नेताओं - दिग्विजय सिंह, सलमान खुर्शीद, श्री प्रकाश जायसवाल तथा बेनी प्रसाद वर्मा के लखनऊ पधारने का मजाक उड़ाते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य कोषाध्यक्ष प्रदीप तिवारी ने कहा है कि आसन्न विधान सभा चुनावों में अल्पसंख्यकों के वोट बटोरने के लिए कांग्रेस यह कवायद कर रही है और श्रद्धेय अल्लामा फज़ले हक ”खैराबादी“ के प्रति इन नेताओं और कांग्रेस में जरा भी सम्मान की भावना नहीं है।
    भाकपा कोषाध्यक्ष प्रदीप तिवारी ने आज यहां जारी एक प्रेस बयान में कहा है प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के डेढ़ सौ वर्ष पूरे होने के पूर्व भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने अगस्त 2006 में बाकायदा एक प्रस्ताव पारित कर संप्रग-1 सरकार से अमौसी हवाई अड्डे का नाम बेगम हजरत महल हवाई अड्डा रखने तथा अल्लामा फज़ले हक ”खैराबादी“ की स्मृति में खैराबाद अथवा सीतापुर में एक विश्वस्तरीय शैक्षिक संस्थान की स्थापना करने एवं उनकी प्रतिमा को खैराबाद रेलवे स्टेशन पर लगाने की मांग की थी। अल्लामा द्वारा प्रथम स्वाधीनता संग्राम का जो आंखों देखा हाल लिखा गया था, उसे हिन्दी और अंग्रेजी में प्रकाशित करने की भी मांग भाकपा ने की थी क्योंकि प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का वह सबसे ज्यादा अधिकारिक दस्तावेज है। चूंकि भाकपा उस समय संप्रग-1 सरकार को बाहर से समर्थन दे रही थी, भाकपा महासचिव ए. बी. बर्धन ने एक पत्र लिख कर सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह से भाकपा की इस मांग को पूरा करने का अनुरोध किया था परन्तु कांग्रेस के इन नेताओं ने अवध के इन बुजुर्गों के प्रति असम्मान जाहिर करते हुए भाकपा की मांग को ठुकरा दिया था। उसके थोड़े दिनों के बाद ही होने जा रहे विधान सभा चुनावों में जाट मतदाताओं को लुभाने के लिए लखनऊ हवाई अड्डे का नाम चौधरी चरण सिंह हवाई अड्डा रख दिया था।
    प्रदीप तिवारी ने कहा है कि अब आसन्न विधान सभा चुनावों में मुसलमानों को अपनी ओर खींचने के लिए कांग्रेस आज की यह कवायद कर रही है और कांग्रेस के इन नेताओं को अल्लामा के जीवन, उनके सोच और उनके कामों के बारे में कुछ भी पता नहीं है।
अल्लामा फज़ले हक ”खैराबादी“ के प्रति भाकपा की श्रद्धा को दोहराते हुए प्रदीप तिवारी ने कहा है कि प्रथम स्वाधीनता संग्राम का फतवा जारी करने वाले अल्लामा शिक्षा के प्रति इतने समर्पित थे कि अंडमान जेल के तत्कालीन अधीक्षक के अनुरोध पर उन्होंने उनका उस्ताद बनना भी स्वीकार कर लिया था। प्रदीप तिवारी ने कहा कि यह अल्लामा की ही देन थी अंडमान जेल के बंदियों के पुत्र-पुत्रियों के नामों से उनके मज़हब और जाति का पता लगना बन्द हो गया था।
    भाकपा कोषाध्यक्ष प्रदीप तिवारी ने भाकपा ने उन पुरानी मांगों को फिर दोहराते हुए प्रेस से अनुरोध किया है कि वे इस कार्यक्रम में आये कांग्रेस के नेताओं से इन बातों पर सवाल करें।
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