भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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गुरुवार, 23 अक्टूबर 2014

भाकपा ने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल पर संघ का एजेंडा आगे बढ़ाने का आरोप जड़ा.

लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा.गिरीश ने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नायक से सवाल किया है कि क्या वे राजभवन में बैठ कर संघ के एजेंडे को ही आगे बढ़ा रहे हैं. श्री नायक की इस स्वीकारोक्ति के बाद ‘कि मैंने भाजपा से स्तीफा दिया है संघ से नहीं, कि अभी भी मैं अपने को संघ का स्वयंसेवक मानता हूं क्योंकि संघ से स्तीफा देने जैसी कोई बाध्यता नहीं है, ‘कि मैं ३५ साल से आर.एस.एस. का प्रचारक रहा हूँ,’ और राज्यपाल की तीन माह की कारगुजारियों को लेकर यह प्रश्न खड़ा होगया है कि वे राजभवन में बैठ कर भारतीय संविधान का अनुपालन कर रहे हैं या संघ के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं. भाकपा श्री नायक से स्थिति स्पष्ट करने की मांग करती है. डा.गिरीश ने कहा कि जिस संघ के श्री नायक स्वयंसेवक हैं, उसमें स्वयंसेवकों को शपथ दिलाई जाती है कि वे जहां भी रहें संघ के एजेंडे को ही आगे बढ़ायेंगे. तो उन पर संघ के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लगे आरोपों का इस महत्त्वपूर्ण संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को स्पष्टीकरण करना चाहिये. लेकिन श्री नायक स्थिति स्पष्ट करने के बजाय मामले का घालमेल करने में जुटे हैं. भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि जब श्री नायक ने संघ प्रमुख श्री मोहन भागवत को उनके शीर्ष परामर्श मंडल के साथ राजभवन बुला कर उनसे दो घंटे मंत्रणा की और उन्हें रात्रिभोज दिया था तब भी भाकपा ने सबसे पहले उनके इस कदम पर आपत्ति जताई थी और तर्क दिया था कि संघ जैसे अतिवादी और सांप्रदायिक संगठन के मुखिया के साथ राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा मंत्रणा करना संविधान की मर्यादाओं के विरुध्द है. भाकपा ने इस मंत्रणा के मुद्दों का खुलासा करने की मांग भी की थी. लेकिन कई दिनों बाद श्री नायक ने गोलमटोल जबाब दिया कि श्री भागवत उनके मित्र हैं और राजभवन सबके लिये खुला है. अब राज्यपाल ने अपने तीन माह के कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड जारी कर फिर से राज्यपाल के पद की मर्यादाओं का उल्लंघन किया है. लगता है एक स्वयंसेवक ने अपने शीर्ष नेतृत्व को अपने कार्य की प्रगति रिपोर्ट प्रेषित की है. लेकिन उनकी यह कार्यवाहियां लोकतंत्र के लिये घातक हैं. राष्ट्रपति महोदय को इसका संज्ञान लेना चाहिये, डा.गिरीश ने मांग की है. डा.गिरीश
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