13 अगस्त 2012
मुख्यमंत्री
उत्तर प्रदेश सरकार
लखनऊ
विषय: बुन्देलखंड की जनता की ज्वलंत समस्याओं के सम्बंध में
महोदय,
जिस बुन्देलखंड के नाम पर पिछले कई वर्षों से हर राजनैतिक दल राजनैतिक रोटियां सेंक रहा था, उसकी हालत आज और बदतर हो गई है। वहां की जनता बड़े पैमाने पर पलायन कर रही है और भयंकर कर्जग्रस्तता के चलते हजारों किसानों ने आत्महत्यायें की हैं। आपके सत्ता में आने के बाद से भी आत्महत्या करने वालों की संख्या एक सौ को पार कर गई है और प्रतिदिन हर जिले में कोई न कोई किसान-मजदूर आत्महत्या कर रहा रहा है।
बुन्देलखंड की इस हालत के लिए प्रकृति जिम्मेदार है, ऐसा नहीं कहा जा सकता। केन, बेतवा, घसान, पहुच, चन्द्रावल, जमुना, वधेन, चम्बल, पयस्विनी एवं वाल्मिकी आदि नदियां पर्याप्त पानी देती रही हैं लेकिन कुप्रबंधन के चलते न तो खेत को पानी मिलता है न पेट को। पर्याप्त खनिज एवं वन संपदा यहां है। बुन्देलखंड के मात्र सात जिलों से 500 करोड़ रूपये से भी अधिक वार्षिक केवल पत्थर के खनन से सरकार को मिलता है। बालू, जंगल की लकड़ी, नदियों की मछली एवं नदियों के घाट तथा जमीन के क्रय-विक्रय से इससे भी बड़ी धनराशि प्रति वर्ष राजस्व के रूप में प्राप्त होती है।
जितना राजस्व सरकारी खजाने में आ रहा है, उसका कई गुना ज्यादा अधिकारी-माफिया-राजनेताओं की तिकड़ी हड़प रही है। यही वजह है कि बुन्देखंड की सारी राजनीति बालू, दारू, पत्थर के खनन, क्रेशर मशीनों के मालिकों और ठेकेदारों के हाथों में सिमट गई है, जो इन अवैध धंधों से करोड़ों करोड़ की कमाई कर रहे हैं। इसके अलावा बुन्देलखंड पैकेज और मनरेगा की धनराशि का भी आधे से ज्यादा भाग इन्हीं सबके द्वारा हड़पा जा रहा है, जिसमें ग्राम पंचायतें भी शामिल हैं। अकेले ललितपुर जिले में ही भूमि संरक्षण विभाग, लघु सिंचाई विभाग एवं पंचायतों द्वारा दो अरब रूपये का घोटाला किया गया है।
कानूनी तौर पर निषिद्ध होने के बावजूद बुन्देलखंड में साहूकारी प्रथा बेरोकटोक जारी है। ये साहूकार प्रशासन और बैंकों की सांठ-गांठ के चलते 60 प्रतिशत की दर से ब्याज वसूलते हैं।
माननीय मुख्यमंत्री जी,
आपने अपने चुनाव घोषणापत्र एवं चुनाव अभियान में किसानों के कर्जे माफ करने की बात जोर-शोर से कही थी लेकिन किसानों से जबरिया कर्ज वसूली बेबाक तरीके से जारी है और उनका उत्पीड़न किया जा रहा है। यद्यपि माननीय उच्च न्यायालय में पीआईएल सं. 34465 विचाराधीन है और उसके निस्तारण तक माननीय उच्च न्यायालय ने कर्ज वसूली न किये जाने के आदेश पारित कर रखे हैं फिर भी बैंक और सरकारी मशीनरी मिल कर जबरिया वसूली में जुटे हैं। बांदा जिले में ही स्टेट बैंक की भूमि विकास शाखा अतर्रा द्वारा 199 आर.सी. काटी गईं हैं जिनके जरिये दबाव बनाकर तहसीलकर्मी किसानों को जमीनें बेच कर कर्ज अदा करने को मजबूर कर रहे हैं।
अतएव आपसे अनुरोध है कि बुन्देलखंड की जनता की समस्याओं के निस्तारण के लिए निम्न मांगों पर त्वरित कार्यवाही करें।
- बुन्देलखंड के कर्जग्रस्त किसानों के समस्त कर्ज माफ किये जायें। ऋण वसूली पर तत्काल रोक लगाई जाये।
- साहूकारों, दलालों तथा माफियाओं को चिन्हित कर उन्हें कानून के हवाले किया जाये। साहूकारी प्रथा को फौरन रोका जाये।
- बुन्देलखंड पैकेज एवं मनरेगा में हुये भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच कराई जाये।
- नदियों में बैराज बनाकर विद्युत उत्पादन एवं सिंचाई की योजनायें बनाई जायें, पंचनदा तथा ग्रेटर गगऊ बांध का निर्माण किया जाये। ब्रिटिश शासनकाल में बुन्देलखंड में बिछाये गये नहरों के नेटवर्क की सफाई के नाम पर हर साल अरबों रूपये गबन किये जा रहे हैं। इसकी जांच कराई जाये और वहां की नहरों की सफाई सुनिश्चित की जाये।
- कृषि आधारित उद्योग लगाकर लोगों को रोजगार मुहैया कराया जाये। पलायन रोकने को अन्य रोजगार योजनायें भी चलाई जायें।
- किसानों को ट्यूबवेल एवं विद्युत कनेक्शन मुफ्त दिये जायें।
- किसानों और खेतिहर मजदूरों को बिना ब्याज के कर्ज दिये जायें।
- वहां की प्राकृतिक सम्पदाओं की रक्षा के लिये ठोस कदम उठाये जायें। पर्यावरण की रक्षा से ही सूखा, अतिवृष्टि की विडम्बना से बुन्देलखंड को बचाया जा सकता है।
- सरकारी शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार कर इनके व्यवसाईकरण पर रोक लगाई जाये।
- सभी गरीबों के लिये रू. दो लाख की लागत वाले भवन बनाकर आबंटित किये जायें।
- राजनेताओं, अधिकारियों और माफियाओं की आय से अधिक सम्पत्तियों की जांच कराके उनके विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जाये।
सधन्यवाद।
भ व दी य
(डा. गिरीश)
राज्य सचिव
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