अज्ञात वीर मारा गया
मैंने उसका शिलालेख
सपने में देखा
वह कीचड़ में पड़ा था
दो शिलांश थे
उन पर कुछ नहीं लिखा था
पर उनमें से एक कहने लगा-
जो यहां सोया है
वह दूसरे की धरती को
जीतने नहीं जा रहा था
वह जा रहा था
अपनी ही धरती को मुक्त करने
उसका नाम कोई नहीं जानता
पर इतिहास की पुस्तकों में
उनके नाम हैं
जिन्होंने उसे मिटा दिया
वह मनुष्य की तरह जीना चाहता था
इसीलिए एक जंगली जानवर की तरह
उसे जिबह कर दिया गया
उसने कुछ कहा था
फँसी-फँसी आवाज़ में
मरने से पहले
क्योंकि उसका गला रेता हुआ था
पर ठंडी हवाओं ने उन्हें चारों ओर फैला दिया
उन हज़ारों लोगों तक
जो ठंड से जकड़े हुए थे।
- बर्तोल ब्रेख्त