राजनीति में पसरे भ्रष्टाचार को और बढ़ावा देने वाला तथा राजनीति
करने के इच्छुक सामान्यजनों को पीछे धकेलने वाला है विधायक निधि को बढ़ाया जाना। भाकपा ने की रद्द करने की मांग।
लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश के सचिव मंडल ने
विधायक निधि 3 करोड़ रुपये से बढ़ा कर 5 करोड़ करने की विधान सभा में मुख्यमंत्री की घोषणा
पर गहरी आपत्ति जतायी है और इसे रद्द करने की मांग की है। यह राजनीति के नए प्रवेशार्थियों
के लिये एकलव्य का अंगूठा काट लेने जैसा है, और राजनीति में पहले से ही व्याप्त महाभ्रष्टाचार
को और बढ़ावा देने वाला कदम है।
एक प्रेस बयान में भाकपा ने कहा कि वैसे ही देश और प्रदेश की
राजनीति पर धनबली, बाहुबली और माफिया हावी हैं। अपवादों को छोड़ दीजिये तो ऐसे ही
लोग चुनावों में बाजी मार रहे हैं और सच्चे ईमानदार और गरीब प्रत्याशी पराजित होने
को मजबूर हैं। ऐसे में धनबली बन चुके विधायकों को विकास के नाम पर 5 करोड़ मुहैया कराना
उन्हें चुनावी मैदान में सामान्य प्रत्याशियों से बलशाली बनाना है।
कौन नहीं जानता कि विधायक निधि में भारी कमीशनखोरी चल रही है, और एक
विधायक 5 साल के कार्यकाल में मालामाल हो जाता है। उनके वेतन भत्ते आदि पहले से ही
पर्याप्त हैं। ये बेरोजगारों, मजदूर- किसानों और गरीबों को मुंह
चिढ़ा रहे हैं। सरकारी सेवकों की पेंशन भी खत्म कर दी गयी है जबकि विधायक सांसदों को
आजीवन पेंशन का इंतजाम है। स्पष्ट है कि शासन के अपार अधिकारों के बलबूते राजनीतिक
लोग अपनी सुविधाएं और आमदनी बढ़ते जा रहे हैं और आम जनता को काफी पीछे छोड़ते जा रहे
हैं।
भाकपा ने कहा कि सरकार का यह कदम सामान्य जनों को संसदीय राजनीति
से अलग थलग करने वाला है। गरीबों और आम लोगों को सत्ता से दूर और चुने जा चुके लोगों
को सत्ता की दौड़ में वाक ओवर देने वाला है। यह एकलव्य से अंगूठा छीनने जैसा तो है ही
भ्रष्टाचार का राजनीतिकरण करने वाला है। भाकपा पर इसका उसी तरह विरोध जारी रखेगी जिस
तरह वह महंगाई बेरोजगारी निजीकरण बुलडोजरवाद और पुलिसराज का विरोध कर रही है। भाकपा
राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहा कि इस मुद्दे पर समान द्रष्टकोण रखने वाले दलों और संगठनों
से बात कर आगे की रणनीति बनाई जायेगी।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश