नई दिल्ली 4 सितम्बर। आज यहां देश के सभी केन्द्रीय ट्रेड यूनियन संगठनों और मजदूरों एवं कर्मचारियों के स्वतंत्र फेडरेशनों के आह्वान पर तालकटोरा स्टेडियम में एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। समूचे देश के संगठित एवं असंगठित मजदूरों एवं कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले लगभग 5000 ट्रेड यूनियन नेताओं ने सम्मेलन में हिस्सा लिया और अपने अधिकारों के लिए, सम्मान के साथ जीने के लिए और संप्रग-2 सरकार की जनविरोधी, मजदूर विरोधी नव उदारवादी नीतियों के विरूद्ध अपने संघर्ष को तेज करने का फैसला किया। सम्मेलन में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें भारत के मजदूर वर्ग का आह्वान किया गया कि वह सम्मेलन में तय किये गये आन्दोलन कार्यक्रम के लिए आज से ही तैयारियों में जुट जाये। सम्मेलन ने 18-19 दिसम्बर 2012 को पूरे देश में व्यापक स्तर पर कानून तोड़ने और सत्याग्रह/जेल भरो/गिरफ्तारियां देने का कार्यक्रम आयोजित करने, 20 दिसम्बर 2012 को संसद मार्च और उसके बाद 20-21 फरवरी को दो दिन की राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल करने का फैसला किया और भारत के मजदूर वर्ग का आह्वान किया कि अपनी एकता की ताकत के बल पर संघर्ष के इन कार्यक्रमों को पूरी तरह सफल बना कर केन्द्र सरकार को जन विरोधी और मजदूर विरोधी नीतियों को वापस लेने के लिए मजबूर करें।
सम्मेलन में बोलते हुए सभी ट्रेड यूनियनों और स्वतंत्र फेडरेशनों के नेताओं ने इस बात पर गंभीर आक्रोश एवं चिन्ता व्यक्त की कि देश के समूचे ट्रेड यूनियन आन्दोलन द्वारा पिछले तीन सालों में राष्ट्रव्यापी आन्दोलन, धरने-प्रदर्शन, यहां तक कि राष्ट्रव्यापी आम हड़तालों के बावजूद सरकार महंगाई को रोकने, असंगठित क्षेत्र मजदूरों के लिए सभी सामाजिक सुरक्षा अधिकार प्रदान करने, समुचित न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करने, बड़े पैमाने पर ठेके पर काम कराने, श्रम कानूनों के व्यापक स्तर पर उल्लंघन और ट्रेड यूनियन अधिकारों पर हमले जैसे मजदूर वर्ग के ज्वलंत मुद्दों के सम्बंध में कोई भी सार्थक कदम उठाने को तैयार नहीं है और सरकार अपनी मजदूर विरोधी और पूंजीपति परस्त नीतियों पर आगे बढ़ती ही जा रही है।
सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए एटक महासचिव गुरूदास दासगुप्ता ने कहा कि यह भारत के मजदूर वर्ग के अस्तित्व मात्र की लड़ाई है। मजदूर वर्ग की एकता का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा - ”एकताबद्ध होंगे तो हम जीतेंगे, हमारे बीच फूट रहेगी तो नव उदारवाद जीतेगा। देश पर अमीर और ताकतवर लोग हावी हो गये हैं। देश के लोगों को गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार और अन्याय से निजात पाना बाकी है। इसके लिए हमें निरन्तर संघर्ष करना होगा। सम्मेलन में दो दिन की हड़ताल का जो फैसला किया है, उसके लिए हमें अभी से तैयारी में जुट जाना है।
सम्मेलन को सीटू महासचिव एवं राज्य सभा सदस्य तपन सेन, इंटक अध्यक्ष जी. संजीवा रेड्डी, भारतीय मजदूर संघ के महासचिव बी.एन. राय, हिन्दू मजदूर सभा के महासचिव हर भजन सिंह सिद्धू, सेवा नेता मनाली शाह, एआईयूटीयूसी महासचिव कृष्ण चक्रवर्ती, एक्टू महासचिव स्वप्न मुखर्जी, यूटीयूसी महासचिव अशोक घोष, टीयूसीसी महासचिव एस.पी. तिवारी और एलपीएफ महासचिव एम. शन्मुगमे ने सम्बोधित किया और सम्मेलन में मजदूर वर्ग ने जो एकता प्रदर्शित की है, उसकी सराहना करते हुए इस एकता को कायम रखते हुए और बढ़ाते हुए आगे के संघर्षों में जुट जाने की अपील की।