मई महीने की तीखी चिलचिलाती धूप और गर्मी से तप्त वायुमंडल, प्रचंड पछवा हवा के झोंकों के बीच बिहार राज्य प्रगतिशील लेखक संध के महासचिव राजेन्द्र राजन पूर्व विधायक ने जनकवि ‘यात्री’ बाबा नागार्जुन के पैतृक गांव की यात्रा की अभिलाषा व्यक्त करते हुए संदेशा भेजा। बेगूसराय जिले की ‘लाल
धरती’ के गोदरगांवा का यह विप्लवी लाल तरौनी की यात्रा करेंगे- सोचकर मन प्रफुल्लित हो उठा। बात समझ में आ गई। 3 मई को हम सब मिथिलांचल के सकरी रेलवे जंक्शन से पांच किलोमीटर दक्षिण में अवस्थित ‘यात्री’ जनकवि बाबा नागार्जुन की जन्मस्थली तरौनी गांव पहुंचे। बाबा नागार्जुन पुस्तकालय में बैठक हुई, उनके घर आंगन को देखा।
बाबा की अन्येष्टि-क्रिया के समय डा. खगेन्द्र ठाकुर और विमल कान्त चौधरी के साथ शव यात्रा में लाल झंडा प्रदान करने गया था। हजारों लोगों की भीड़ जुटी थी। 5 नवंबर 1998 को राजकीय सम्मान के साथ बाबा की अन्त्येष्टि हुई थी। बड़े-बड़े आश्वासनों की होड़ लगी थी। मंत्रीगण आये थे। किन्तु आज भी वह तरौनी गांव उसी तरह उपेक्षित था।
श्री राजन जी ने सूचित किया कि प्रगतिशील लेखक संघ का निर्णय है ‘यात्री’ जनकवि बाबा नागार्जुन की जन्मशती का समारोह (जन्म 25 जून 1911) 25 जून 2010 को राष्ट्रीय समारोह के रूप में उनके पैतृक गांव तरौनी से ही शुभारम्भ किया जायेगा जो साल भर पूरे राष्ट्र में मनाया जायेगा। उन्होंने मुझे संयोजक बनाने का प्रस्ताव रखा; प्रगतिशील लेखक संध की यूनिट दरभंगा-मधुबनी में कार्यरत नहीं थी। मुझे पार्टी के जिला सचिव के रूप में कार्य व्यस्तता को देखते हुए थोड़ी हिचक हुई किन्तु मैंने देखा कि बाबा नागार्जुन की कविता का “गंवई पगडंडी की चन्दनवर्गी धूल”, “मौलसरी के ताजे टटके फूल”, ‘गंध-रूप-रस-शब्द-स्पर्श’ को राष्ट्रीय स्तर पर फैलाना चाहते हैं तो मैं तुरन्त तैयार हो गया।
15 मई को तरौनी गांव में ही दरभंगा-मधुबनी जिलों के प्रगतिशील साहित्यकारों-नागरिकों तथा प्रबुद्धजनों की बैठक हुई और एक स्वागत समिति का गठन हुआ। राजेन्द्र राजन ने स्वयं स्वागताध्यक्ष का पद संभाला और मुझे स्वागत महासचिव बनाकर डा. हेमचंद झा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया, मधुबनी के अरविंद प्रसाद कोषाध्यक्ष तथा बाबा के सबसे छोटे पुत्र श्यामाकांत मिश्रा तथा डा. महादेव झा सहित दर्जनों गणमान्य बुद्धिजीवियों को स्वागत समिति का पदाधिकारी एवं सदस्य निर्वाचित किया गया। यह निर्णय हुआ कि 25 जून 2010 को तरौनी में भव्य समारोह के पूर्व संध्या अर्थात् 24 जून को दरभंगा में प्रगतिशील लेखक संघ का स्थापना सम्मेलन किया जाये। यह भी निर्णय लिया गया कि प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय ख्याति के साहित्यकारों को आमंत्रित किया जाये तथा उनसे आलेख प्राप्त कर एक स्मारिका का लोकार्पण इस समारोह के अवसर पर किया जाये।
आयोजन की तैयारी के क्रम में दरभंगा, मधुबनी तथा तरौनी में स्वागत समिति की कई बैठकें हुई। मिथिलांचल में शादी, विवाह उपनयन, मुण्डन आदि संस्कारों की धूम मची थी। किन्तु इसी बीच ‘यात्री’ जय कवि बाबा नागार्जुन जन्म शताब्दी समारोह, 25 जून 2010, तरौनी की भी धूम मची रही। लोगों में अजीब उत्साह था। वर्षा की संभावना थी। मानसून की चेतावनी थी। सभी बाधाओं के बावजूद 24 जून को ही प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय महासचिव डा. कमला प्रसाद भोपाल से, प्रसिद्ध आलोचक डा. विश्वनाथ त्रिपाठी दिल्ली से, डा. खगेन्द्र ठाकुर रांची से, डा. चौथी राम यादव वाराणसी से, प्रो. अरूण कमल पटना से, प्रो. वेद प्रकाश अलीगढ़ से, गीतेश शर्मा कलकत्ता से, दरभंगा पहुंच गये। प्रलेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. नामवर सिंह अस्वस्थ हो गये और अंतिम समय में उनकी यात्रा रद्द की गयी। उपरोक्त सभी साहित्यकारों, विद्धानों ने 24 जून को ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित प्रगतिशील लेखक संघ के प्रथम सम्मेलन में भाग लिया तथा प्रगतिशील लेखक संघ की दरभंगा जिला इकाई का गठन किया गया। उसके लिए अध्यक्ष डा. कृष्ण कुमार झा, सचिव डा. धर्मेन्द्र कुमार तथा सहायक सचिव मंजर सुलेमान को निर्वाचित कर एक 15 सदस्यीय कार्यकारिणी समिति बनायी गयी।
25 जून 2010 की सुबह मिथिलांचल की हृदयस्थली दरभंगा जिले का एक सुदूर देहात का प्रसिद्ध गांव तरौनी साहित्यिक तीर्थ स्थल के रूप में तीन दिन पहले से सज- धन कर तैयार था। स्वागत समिति द्वारा निर्मित तोरणद्वारों की जगमगाहट, बीच-बीच में आषाढ़ मास की बूंदों की झड़ियां, बाबा नागार्जुन की कविता- “बहुत दिनों के बाद, अबकी मैंने जी भर भोगे, गंध-रूप-रस- ’शब्द-स्पर्श सब साथ-साथ इस भूपर” को यादकर इलाके के लोग झूम रहे थे। सुबह से ही समारोह के आयोजन स्थल पर लोगों का आना शुरू हो गया था। बेगूसराय, मुंगेर, गया, समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी के साहित्यकारों का आना रात से ही शुरू था।
करीब 3 बजे मंच सज-धजकर तैयार होते ही बिहार राज्य प्रगतिशील लेख संघ के अध्यक्ष डा. ब्रज कुमार पाण्डेय जी की अध्यक्षता में ‘यात्री’ जनकवि बाबा नागार्जुन जन्म शताब्दी समारोह का शुभारंभ हुआ। सर्व प्रथम मिथिला की परम्परा के मुताबिक मैथिली साहित्य परिषद और यात्री विचार मंच तरौनी की ओर से स्वागत समिति के श्यामाकान्त मिश्र, डा. महादेव, लेखनाथ मिश्र, शैलेन्द्र मोहन ठाकुर, कोशलेन्द्र झा ने बारी-बारी से आगत अतिथियों को फूल माला, पाग तथा चादर से सम्मानित किया। स्वागताध्यक्ष राजेन्द्र राजन तथा स्वागत महासचिव रामकुमार झा ने क्रमशः हिन्दी तथा मैथिली भाषाओं में स्वागत भाषण करते हुए आयोजन के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।
समारोह का उद्घाटन करते हुए प्रसिद्ध आलोचक डा. विश्वनाथ त्रिपाठी ने मैथिली हिन्दी साहित्य में आधुनिक काल में प्रगतिवादी धारा के सर्वश्रेष्ठ साहित्यकार के रूप में बाबा नागार्जुन की रचनाओं की चर्चा की तथा उद्घोषित किया कि निकट भविष्य में तरौनी गांव विश्व का सारस्वत तीर्थस्थल बनेगा। उन्होंने महाकवि विद्यापति, संत तुलसी दास तथा बाबा नागार्जुन को अपने-अपने कालखण्ड का सर्वश्रेष्ठ विद्वान साहित्यकार बताया तथा उनकी ‘प्रतिबद्धता’ की चर्चा की। समारोह को प्रलेस के राष्ट्रीय महासचिव डा. कमला प्रसाद, डा. खगेन्द्र ठाकुर, डा. चौथीराम यादव, प्रो. अरुण कमल, प्रो. वेदप्रकाश, गीतेश शर्मा सहित कई विद्वानों ने संबोधित किया। इस अवसर पर एक भव्य कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया जिसके संचालक डा. फूलचंद्र झा ‘प्रवीण’ थे। मैथिली हिन्दी के दर्जनों कवियों ने अपने-अपने काव्य पाठ से उपस्थित जन समुदाय की जनचेतना को जागृत किया। मधुबनी इप्टा की ओर से इन्द्रभूषण ‘रमण’ के संयोजकत्व में भव्य सांस्कृतिक आयोजन ने देर रात तक के लोगों को भाव-विभोर कर रखा। परिवर्तन कामी प्रगतिशील काव्य संगीत, अभिनय की धारा प्रवाहित होती रही और हजारों श्रोता दर्शक देर रात तक उसमें मग्न होते रहे।
समारोह में दरभंगा-मधुबनी जिलों के कई गणमान्य जनप्रतिनिधियों, साहित्यकारों, स्वतंत्रता सेनानियों को भी सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वालों में प्रमुख रूप से मैथिली फिल्मी निर्माता एवं निदेशक बालकृष्ण झा, स्वतंत्रता सेनानी कमलनाथ झा, स्वतंत्रता सेनानी पूर्व राज्यमंत्री तेजनारायण झा (अनुपस्थित), पूर्व विधायक महेन्द्रनारायण झा आजाद, विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा. विद्यानाथ चौधरी, प्रो. शोभाकान्त मिश्र, विमलकान्त चौधरी, डा. हेमचन्द्र झा, राजेन्द्र राजन, अरविन्द प्रसाद, डा. महादेव झा, योगेन्द्र यादव एवं रामकुमार झा शामिल थे। उपरोक्त सभी लोगों को मंचाशीन कर पाग, चादर तथा फूल माला से सम्मानित किया गया।
समारोह के आरम्भ में ही सभी आगत अतिथियों द्वारा नागार्जुन पुस्तकालय परिसर में स्वर्गीय भोगेन्द्र झा द्वारा स्थापित बाबा नागार्जुन की प्रतिमा पर माल्यार्पण तथा पुष्पांजलि अर्पित किया गया। समारोह में एक प्रस्ताव पारित कर तरौनी गांव में प्रस्तावित प्रखंड मुख्यालय बनवाने, सड़कों का निर्माण, नागार्जुन शोध संस्थान तथा राष्ट्रीय धरोहर स्थापित करने की मांग की गई। इस अवसर पर एक भव्य स्मारिका ‘चरैवेति का लोकार्पण डा. विश्वनाथ त्रिपाठी के द्वारा किया गया जिसमें नागार्जुन से संबंधित मैथिली-हिन्दी के आलेखों के साथ-साथ कविताओं तथा अनुपलब्ध चित्रों का भी समावेश किया गया है।
- राम कुमार झा