भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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सोमवार, 5 अक्टूबर 2015

महंगाई और दादरी प्रकरण के खिलाफ भाकपा ने राज्य भर में प्रदर्शन किये

लखनऊ- 5 अक्तूबर - भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य मुख्यालय द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार भाकपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के निर्देशानुसार आज समूचे उत्तर प्रदेश में आसमान लांघ रही महंगाई, भयावह सूखा, दादरी का जघन्य हत्याकांड, भाकपा कार्यकर्ताओं पर जगह जगह लगाये जारहे फर्जी मुकदमे, प्रदेश में सभी को एक समान शिक्षा की व्यवस्था तथा अनुसूचित जातियों की जमीनों को हडपने के लिये राज्य सरकार द्वारा कानून में बदलाव किये जाने जैसे सवालों पर जिला मुख्यालयों पर धरने प्रदर्शन किये गये. कई जिलों में इन कार्यक्रमों में भाकपा के साथ अन्य वामपंथी दलों- क्रमशः माकपा, भाकपा- माले आदि ने भी शिरकत की. यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहाकि केन्द्र की एन डी ए सरकार द्वारा चलाई जारही नीतियों के चलते महंगाई ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं. दाल, सब्जी, तेल सहित जरूरी चीजों के आसमान छूरहे मूल्यों ने गरीब और आम आदमी का जीना दूभर कर दिया है. इसका प्रमुख कारण केन्द्र सरकार की आर्थिक नीतियाँ हैं. उदाहरण के तौर पर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बेहद कम होने के बावजूद सरकार ने पटल और डीजल आदि कि कीमतें काफी ऊंची कर रखी हैं. राज्य सरकार ने भी पेट्रोल डीजल पर टैक्स बढ़ा कर, बिजली की कीमतें बढ़ा कर तथा राशन प्रणाली को पंगु करके महंगाई की धार को और भी तीखा बना दिया है. उन्होंने कहाकि आज समूचे उत्तर और मध्य भारत में भयावह रूप से सूखा पड़ा हुआ है लेकिन न तो इन राज्यों को सूखा पीड़ित घोषित किया गया है और न सूखे से निपटने को कोई भी कदम केन्द्र और राज्य सरकार ने उठाये हैं. मौसम की मार से गत रबी और खरीफ की फसलों की हानि की एबज में किसानों को राहत दी नहीं गयी है. भाकपा इस बात पर गहरा रोष प्रकट करती है कि आरएसएस/ भाजपा की यह सरकार हर मोर्चे पर असफल होजाने के बाद लोगों को आपस में बांटने के लिए खुलकर सांप्रदायिकता फैला रही है, यहाँ तक निर्दोष गरीबों का खून बहा रही है. दादरी के बिसाहडा की घटना की जितनी निंदा की जाये कम है. इस घटना की आड़ में भाजपा और आरएसएस तो आग लगाने पर आमादा हैं ही राज्य सरकार भी राजनीति करने से बाज नहीं आरही. सच तो यह है कि वहां राज्य सरकार भाजपा को अपना खेल खेलने के लिये प्लेटफार्म मुहैया करा रही है और शांति चाहने वाले दलों की राह में रोड़े अटका रही है. वाराणसी, गोंडा और अन्य जिलों में भी दंगे कराने की हर कोशिश की जारही है. भाकपा माननीय उच्च न्यायालय के उस निर्णय जिसमें सभी को समान शिक्षा देने का राज्य सरकार को निर्देश दिया गया है का पूर्ण समर्थन करती है. साथ ही अनुसूचित जाति के किसानों की जमीनों को हथियाने की गरज से राज्य सरकार द्वारा कानून में परिवर्तन किये जाने की साजिश की भर्त्सना करती है. भाकपा ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि वह कानून व्यवस्था के मोर्चे पर पूरी तरह असफल है और राज्य में उसकी पुलिस दमन और शोषण का पर्याय बन चुकी है. चूंकि भाकपा कार्यकर्ता उसकी करतूतों का जगह जगह विरोध कर रहे हैं तो बौखलाई पुलिस उन पर फर्जी मुकदमे लगा कर दमन चक्र चला रही है. हाल ही में अमरोहा में पुलिस ने भाकपा राज्य सचिव मंडल के सदस्य का. अजय सिंह, सागर सिंह एवं नरेश चन्द्र को संगीन धाराओं में बंद कर दिया और बिजनौर के जिला सचिव का. रामनिवास जोशी पर गैंगस्टर लगा दिया. लखनऊ में भाकपा के जिला सचिव मो. खालिक के नेतृत्व में उप्जिलाधिकरिनको ज्ञापन सौंपा गया तथा वामदलों के साथ मिल कर पटेल प्रतिमा पर धरना दिया गया. समाचार प्रेषित किये जाने तक आज़मगद, मेरठ, मुरादाबाद, हाथरस, आगरा, बाँदा सुल्तानपुर, जौनपुर, अलीगढ, गाज़ियाबाद गोरखपुर आदि लगभग ४० जिलों से धरने, प्रदर्शन और ज्ञापन देने की खबरें राज्य मुख्यालय को प्राप्त होचुकी हैं. डा.गिरीश
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