लखनऊ- 2 अगस्त 2021, भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार पर
जनता के बीच जाने को मुद्दे नहीं बचे हैं, अतएव मुद्दाविहीन सरकार
चुनावी लाभ के लिये विभाजन पैदा करने का खेला करने जा रही है। ऐसे अनेक खेलों में से
एक शहरों का नाम बदलना भी है। इसके तहत फीरोजाबाद का नाम बदल कर चंद्र नगर करने की
योजना है।
भाकपा विभाजन कर वोट बटोरने की इस प्रस्तावित कार्यवाही
का कड़ा विरोध करती है।
एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव ने आरोप लगाया कि
नियत योजनानुसार फीरोजाबाद की जिला परिषद द्वारा उपर्युक्त संबंधी प्रस्ताव पास कर
राज्य सरकार को भेजा गया है। कितना हास्यास्पद है कि जिला परिषद की पहली बैठक में फीरोजाबाद
जनपद के विकास पर कोई चर्चा नहीं हुयी और विद्वान पार्षद नाम बदलने की अनूठी योजना
लेकर सामने आगये। ये फीरोजाबाद जनपद की उस जनता का अपमान और उनके हितों से खिलवाड़ है
जिसने कि हाल ही में उन्हे जनपद के विकास के लिये चुन कर भेजा है।
भाकपा राज्य सचिव ने सरकार से कहा कि यदि फीरोजाबाद
पर क्रपा करनी ही है तो फीरोजाबाद की जनता को उन दुश्वारियों से निजात दिलाइये जिन्हें
वह दशकों से झेल रही है। फीरोजाबाद में बड़े पैमाने पर जल भराव होता है, जिले और शहर की सड़कों की हालत बेहद खस्ता है, पानी और
बिजली की सप्लाई अस्त व्यस्त है, कारखानों में काम करने वाले
श्रमिकों को गुजरे लायक वेतन तक नहीं मिलता, हर परिवार में तीन
में से दो सदस्य बेरोजगार हैं, स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल
है, कांच उद्योग से निकलने वाला धुआं और प्रदूषण लोगों के फेफड़ों
को छलनी कर रहा है तथा जनपद की तीन चौथाई आबादी कुपोषित है। इन विकराल समस्याओं की
ओर न सरकार का ध्यान है न जिला परिषद का।
डा॰ गिरीश ने राज्य सरकार से पूछा है कि वह बताए कि
इलाहाबाद और मुगल सराय का नाम बदलने से वहाँ के लोगों के जीवन में कितना उत्थान हुआ?
असफल सरकार और उसके पैरोकार निहित राजनैतिक स्वार्थों
के लिये इतिहास से भी छेड़ छाड़ पर उतारू हैं। अपने कुत्सित उद्देश्यों को सांप्रदायिक
जामा पहनाने को वो कह रहे हैं कि फीरोजाबाद का नाम पूर्व में चंद्रावर नगर था, और सम्राट अकबर ने 15वीं शताब्दी में बदल कर इसे फीरोजाबाद कर दिया। जबकि
देश के जाने माने इतिहासकार और एएमयू के मानद प्रोफेसर इरफान हबीब कहते हैं कि इस तरह
का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है कि फीरोजाबाद का नाम चंद्रावर नगर था। फीरोजाबाद नाम
फ़ीरोज शाह तुगलक के शासन काल में अस्तित्व में आया। यह गलत है कि अकबर ने किसी प्राचीन
नाम को बदल कर इसे फीरोजाबाद नाम दिया।
नाम बदलने के पैरोकार जिले की अधिक्रत वेबसाइट का हवाला
देते हैं जिसमें स्थान का नाम चंद्रावर नगर बताया गया है, जिसे अकबर के मनसबदार फ़ीरोजशाह ने 1556 में बदल कर फीरोजाबाद कर दिया। सभी
जानते हैं कि ये वेबसाइट्स ब्रिटिशकाल में तैयार गज़ट पर आधारित हैं, और अंग्रेजों ने बांटो और राज करो की नीति के तहत तथ्यों से मनमानी छेड़छाड़
की।
इस संबंध में अन्य इतिहासकारों का कथन है कि प्राचीन
काल में चंद्रावर शहर यमुना नदी के किनारे स्थित था। सन 1193- 94 के युध्द में मोहम्मद
गौरी ने कन्नौज के राजा जयचंद को हरा कर नगर पर कब्जा कर लिया था। ऐतिहासिक तथ्यों
और भौगोलिक स्थितियों का विश्लेषण करने पर निष्कर्ष निकलता है कि चंद्रावर नगर का वर्तमान
फीरोजाबाद से दूर दूर तक संबंध नहीं है।
स्थानों के नाम बदल कर और अन्य विभाजनकारी मुद्दों को
उछाल कर वोटों की राजनीति करना योगी सरकार का प्रमुख मुद्दा रहा है जिसे वह 2017 से
निर्बाध रूप से चला रही है। इसके लिये वह जन सरोकारों की उपेक्षा भी कर रही है और इतिहास
से भी छेड़छाड़ कर रही है। भाकपा इन क्रत्यों पर कड़ा विरोध जताती है, डा॰ गिरीश ने कहा है।
डा॰ गिरीश