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शुक्रवार, 5 जून 2015
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भाकपा महासचिव एस. सुधाकर रेड्डी का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम खुला पत्र
सेवा में,
श्री नरेन्द्र मोदी
भारत के प्रधानमंत्री
नई दिल्ली
प्रिय श्री नरेन्द्र मोदी जी,
देष के प्रधानमंत्री के पद पर आपके आने के एक साल के पूरा होने के अवसर पर आपने ”देष के नागरिकों के नाम“ जो पत्र लिखा है उसे मैंने दिलचस्पी के साथ पढ़ा हैं। आपने इस अवधि में अपनी सरकार के कामकाज के बारे में खुलासा किया है। मैं आपकी उपलब्धियों और उनके परिणामों के संबंध में हम जो महसूस करते हैं उसके संबंध में लिख रहा हूं।
मुझे मालूम है आप मेहनत कर रहे हैं, भारत में एफडीआई लाने के लिए अनेक देषों की यात्राएं कर रहे हैं, परन्तु यह एक उचित आलोचना है कि 18 देषों की यात्रा करने में पिछले एक साल में आपने 53 दिन खर्च किये परन्तु भारत में आपने केवल 48 दिन ही यात्राएं की। आप इसका संतुलन बनायें इसकी आषा की जाती है। परन्तु आपकी विदेष यात्राएं उस तरह की राजनीतिक यात्राएं नहीं हैं जैसाकि अबसे पहले के प्रधानमंत्री किया करते थे। प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की ‘बांडुंग’ जैसी कान्फ्रेंसों में देषों के प्रमुखों के साथ बातचीत और चाऊ एन लाई के साथ ‘पंचषील’ पर हस्ताक्षर जैसी यात्राएं ऐतिहासिक घटनाएं हैं। तथापि, हमारे पड़ोसियों के साथ संबंध बेहतर बनाने और एषिया एवं लैटिन अमरीका के देषों के साथ व्यापार संबंध बनाने की दिषा में आपकी कोषिषों का अच्छा नतीजा निकलना चाहिए, क्योंकि अमरीका और यूरोपीय देष संकट में हैं और भारत जैसे विकासषील देषों पर अपना बोझ फेंकने की कोषिष कर रहे हैं।
परन्तु आपका यह दावा निराधार है कि आप ‘‘अंत्योदय’’ के सिद्धांत पर सबसे गरीब लोगों की हालत को बेहतर बनाने की कोषिष कर रहे हैं। इसके विपरीत, भूमि अधिग्रहण अध्यादेष किसानों के, खासकर गरीब किसानों के खिलाफ है। श्रम सुधार मजदूरों के खिलाफ है जो अपनी मेहनत और पसीने से देष के लिए दौलत पैदा कर रहे हैं। मजदूरों के लिए ट्रेड यूनियन बनाने के काम को मुष्किल करने का आपका सुझाव गरीबों के पक्ष में नहीं है बल्कि इससे केवल अमीर उद्योगपतियों को और अधिक शोषण करने में मदद मिलती है।
मैं यहां उन चंद गरीब भारतीय लोगों की सूची दे रहा हूं जिन्हें आपके एक साल के राज में फायदा पहुंचा। निम्न कारपोरेटों की धन-दौलत में इस साल में जबर्दस्त बढ़ोतरी हुई।
द गौतम अडानी - 50,000 करोड़ रूपये
द भारती ग्रुप (सुनील मित्तल) 60,000 करोड़ रूपये
द सन गु्रप 1,00,000 करोड़ रूपये
द टाटा 1,10,000 करोड़ रूपये
कारपोरेट घरानों की धन दौलत में इस अवधि में कुल बढ़ोतरी 10 लाख करोड़ रूपये की हुई। जिनको फायदा पहुंचा उनमें महिन्द्रा, आईसीआईसीआई, विप्रो, एचवीएल एवं एचसीएल आदि शामिल हैं। (स्रोत: पीटीआई)।
इस एक साल में सभी आवष्यक वस्तुओं के दामों में लगातार बढ़ोतरी होती रही है क्योंकि बड़े कारोबारी जमाखोरी और फॉरवर्ड ट्रेडिंग के जरिए दामों में हेरफेर करने के लिए आजाद हैं। निष्चय ही यह जनता के पक्ष में कोई गर्व करने का रिकार्ड नहीं है। किसानों की आत्महत्याएं आज भी जारी हैं, गरीबी बढ़ रही है, अनाजों एवं अन्य सभी आवष्यक वस्तुओं के दाम बढ़ गये हैं। महिलाओं एवं दलितों पर अत्याचार और अल्पसंख्यकों पर आतंक में वृद्धि हो रही है। जिन लोगों से सर्वे किया गया उनमें 60 प्रतिषत से अधिक कह रहे हैं कि भ्रष्टाचार बढ़ गया है।
आपका दावा है कि सत्ता के दलालों का राज खत्म कर दिया गया है। परन्तु अब एक व्यक्ति का शासन पुरानी शैली वाले शासन में बदल गया है। आपका अभियान आपकी पार्टी द्वारा उस ”इंडिया शाइनिंग अभियान“ से मिलता-जुलता है जिसका 11 साल पहले आपकी पार्टी की बुरी तरह हार से पहले भारी प्रचार किया गया था।
वित्त आयोग ने राज्यों के लिए 42 प्रतिषत की सिफारिष की है, इस बहाने पूर्वोत्तर राज्यों के स्पेषल स्टेट्स को खत्म करने की धमकी संघात्मक सिद्धांत के विरूद्ध है। परन्तु कुल मिलाकर यह राज्यों के पहले हिस्से से एक प्रतिषत कम है (छह प्रतिषत से पांच प्रतिषत)।
इसी प्रकार भाजपा शासित कुछ राज्यों में बीफ पर प्रतिबंध लगाना लोगों की खाने-पीने की आदतों के साथ हस्तक्षेप है। मुस्लिम, ईसाई, दलित, आदिवासी एवं कुछ अन्य जातियों के लोग बीफ खाते हैं। आपके मंत्री चाहते हैं कि यदि वे बीफ खाना चाहते हैं तो पाकिस्तान चले जायें। इससे यह इषारा मिलता है कि उनके कथनों, जो मूर्खतापूर्ण हैं और जो हमारी आबादी के बहुमत का अपमान करते हैं, पर आपका कोई नियंत्रण नहीं है।
आपके एक साल के राज में अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ गये हैं। स्वयं देष की राजधानी में त्रिलोकपुरी में मुस्लिम विरोधी हिंसा हुई है और चर्चो एवं अन्य इसाई संस्थानों पर भयानक हमले किये गये।
संघ परिवार के विभिन्न संगठनों के जहरीले बयानों पर आपकी सोची-समझी खामोषी उनको उत्साह मिलने का मुख्य कारण है। कृपया अपनी खामोषी को छोड़ें और अपनी पार्टी और संघ परिवार की नीति के संबंध में अपने दृष्टिकोण के बारे में बतायें। इन चीजों से हमारे देष का धर्मनिरपेक्ष ताना-बाना खतरे में पड़ रहा है।
प्रिय श्री मोदी जी,
मैंने केवल चंद उदाहरण दिये हैं। एक साल का समय निष्चय ही समीक्षा का समय है। अपनी नीतियों पर फिर से विचार करें, कारपोरेटों के चंगुल से बाहर निकलें और हमारी मातृभूमि के गरीब और शोषित लोगों के पक्ष में खड़े हों। दिलो-दिमाग से अंतर्निरिक्षण करें। तय करें कि आप शोषण करने वाले कारपोरेटों के साथ हैं या भारत की जनता के साथ।
सम्मान के साथ,
आपका
(सुरवरम सुधाकर रेड्डी)
लोकसभा के पूर्व सदस्य,
महासचिव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
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