फ़ॉलोअर
सोमवार, 9 दिसंबर 2013
at 7:35 pm | 0 comments |
कांग्रेस को दण्डित करना चाहती थी जनता. भाकपा.
लखनऊ 9 दिसम्बर। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार आज भाकपा के हजारों-हजार कार्यकर्ताओं ने गन्ना किसानों की समस्याओं को लेकर विभिन्न जिला केन्द्रों पर धरना एवं प्रदर्शनों का आयोजन किया। कई स्थानों पर किसानों ने गुस्से में गन्ने के बण्डल जलाये और सभी जगहों पर आम सभायें कीं। गन्ना किसानों की समस्याओं को लेकर आम सभायें भी कीं गईं जिनको पार्टी के जिले के नेताओं ने सम्बोधित किया।
हाथरस में नगर पालिका के प्रांगड़ में आयोजित धरने को सम्बोधित करते हुए भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि सत्तासीन पार्टियों द्वारा चीनी मिले मालिकों के प्रति सदाशयता और किसानों के हितों के प्रति उदासीनता के चलते आज गन्ना किसानों का भारी शोषण हो रहा है। उनका चीनी मिलों पर 2400 करोड़ रूपये का बकाया है जिसका भुगतान अभी तक नहीं कराया गया। सरकार के दावों के बावजूद अभी तक अधिकांश चीनी मिलों ने पेराई करना शुरू नहीं किया है। किसानों को 350 रूपये प्रति क्विंटल दिये जाने की मांग के विपरीत उन्हें 280 रूपये प्रति क्विंटल कीमत देने का वायदा किया गया है और वह भी दो किश्तों में।
किसान अपनी दयनीय दशा पर आंसू बहा रहा है लेकिन सारी पार्टियां उनकी इस दशा पर घड़ियाली आसूं बहा रहीं हैं।
कल विधान सभा चुनावों के परिणामों पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार बढ़ाने जैसी नीतियों से लोग बेहद नाराज हैं। वे आर्थिक नवउदारवाद की नीतियों को समझ रहे हैं। वे यह भी जानते हैं कि भाजपा भी इन्हीं नीतियों की पोषक है और ऊपर से वह समाज को बांटने की कोशिश में लगी हैं। लेकिन जनता किसी भी कीमत पर कांग्रेस को दण्डित करना चाहती थी। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में अन्य कोई विकल्प सामने न होने के कारण उसने भाजपा को वोट दिया। दिल्ली में एक नया विकल्प उसके सामने था अतएव वहां जनता ने भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं दिया जबकि भाजपा ने वहां पूरी ताकत झोंक दी थी।
जिलों-जिलों में दिये गये ज्ञापनों में मांग की गई है कि गन्ने का मूल्य रू. 350/- प्रति क्विंटल तत्काल घोषित किया जाये, मिलों पर गन्ने के बकाये का मय ब्याज के भुगतान कराया जाये, समस्त चीनी मिलों को तत्काल चलवाया जाये और उनसे पूरा गन्ना पेराई की गारंटी ली जाये तथा न चलने वाली मिलों का अधिग्रहण किया जाये। गन्ने का समस्त भुगतान एक मुश्त दो सप्ताह के भीतर कराया जाये।
»» read more
at 5:45 pm | 0 comments |
पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव - क्या सबक ले वामपंथ?
पांच राज्यों - दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं मिजोरम के चुनाव परिणाम हमारे सामने हैं। जहां तक मिजोरम का सवाल है वहां मुख्य मुकाबला कांग्रेस और मिजो नेशनल फ्रंट के बीच था। वहां के परिणाम पूरी तरह से शाम तक साफ हो सकेंगे। हालांकि शुरूआती रूझानों से ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस के सामने मुकाबले में वहां कोई था ही नहीं।
राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी। भाजपा को वहां भाजपा को 162 सीटों (पिछले चुनावों से 84 सीटें अधिक) पर, कांग्रेस को केवल 21 सीटों पर, नेशनल पीपुल्स पार्टी को 4 सीटों पर, बसपा को 3 सीटों पर, नेशनल यूनियनिस्ट जमींदारा पार्टी को 2 सीटों पर विजय मिली है जबकि 7 सीटों पर निर्दलीय विजयी रहे हैं। मत प्रतिशत की ओर ध्यान दिया जाये तो भाजपा को इस बार 45.1 प्रतिशत वोट मिले हैं जबकि 2008 में उसे केवल 34.3 प्रतिशत वोट ही मिले थे। भाजपा को सबसे बड़ी विजय इसी राज्य से मिली है। कांग्रेस के वोट प्रतिशत में कोई विशेष गिरावट दर्ज नहीं की गई है। उसे 2008 के मुकाबले केवल 3.8 प्रतिशत मत कम यानी 33 प्रतिशत वोट मिले हैं। बसपा के वोटों में भी गिरावट दर्ज की गई है। 2008 में उसे 7.6 प्रतिशत वोट मिले थे जो इस बार घट कर 3.4 प्रतिशत रह गये हैं।
छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार थी। वहां भाजपा को 49 सीटों पर, कांग्रेस को 39 सीटों पर तथा बसपा को 1 सीट पर सफलता मिली है और 1 सीट पर निर्दलीय जीता है। इस राज्य में भाजपा के वोट प्रतिशत में केवल 0.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है और उसे 41 प्रतिशत वोट मिले हैं। कांग्रेस के मतों में 1.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है और उसे 40.3 प्रतिशत वोट मिले हैं यानी भाजपा से केवल 0.7 प्रतिशत कम वोट ही मिले हैं। बसपा के मतों में 1.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है और उसे केवल 4.3 प्रतिशत वोट ही मिले हैं।
मध्य प्रदेश में भी भाजपा की सरकार थी। भाजपा को यहां पिछली बार की तुलना में 22 सीटें अधिक यानी 165 सीटों पर विजय प्राप्त हुई है। कांग्रेस को पिछले चुनावों के मुकाबले में 13 सीटें कम यानी केवल 58 सीटों पर संतोष करना पड़ा है। बसपा की सीटें घटकर केवल 4 रह गयीं हैं जबकि निर्दलीय 3 सीटों पर जीते हैं। अगर वोट प्रतिशत की ओर ध्यान दिया जाये तो भाजपा के वोट प्रतिशत में 7.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और उसे कुल 44.9 प्रतिशत मत मिले हैं। कांग्रेस के वोटों की तादाद में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और उसे 36.4 प्रतिशत वोट मिले हैं जबकि बसपा के वोटों में 2.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है और उसे केवल 6.3 प्रतिशत वोट ही प्राप्त हुए हैं।
दिल्ली में बहुत बड़ा उल्ट-फेर सामने आया है। यहां 15 सालों से कांग्रेस की सरकार थी और यहां अन्ना आन्दोलन के गर्भ से उपजी आम आदमी पार्टी - ”आप“ को बहुत बड़ी सफलता मिली है और त्रिशंकु विधान सभा का गठन होगा। दिल्ली में भाजपा को 31 सीटों पर सफलता मिली है, कांग्रेस को 8 सीटों पर, जनता दल (यूनाईटेड) को 1 सीट पर, शिरोमणि अकाली दल को 1 सीट पर, निर्दलीय को 1 सीट पर सफलता मिली है जबकि ”आप“ ने अप्रत्याशित रूप से 28 सीटों पर कब्जा कर लिया है। वोट प्रतिशत पर ध्यान दिया जाये तो कांग्रेस के वोटों पर 15.3 प्रतिशत की जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई और उसे केवल 25 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए हैं। भाजपा के वोटों में भी 2.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है और उसे केवल 34 प्रतिशत मत प्राप्त हुए हैं जबकि अन्य के वोटों में 14 प्रतिशत की गिरावट आई है। ”आप“ को भाजपा से केवल 2 प्रतिशत कम वोट यानी 32 प्रतिशत वोट मिले हैं।
पांचों राज्यों में भाकपा और वामपंथ को कोई सफलता नहीं मिली है और उन्हें प्राप्त मतों की संख्या कुछ दिनों के बाद ही पता लग सकेगी। परन्तु निश्चित ही वह संख्या नगण्य ही होगी।
मीडिया एक बार फिर चीख-चीख कर तीन-तीन राज्यों में भाजपा के सत्तासीन हो जाने के पीछे ”नमो“ (नरेन्द्र मोदी के लिए मीडिया में प्रचलित शब्द) फैक्टर का बखान कर रहा है परन्तु मत प्रतिशत और सीटों की संख्या से हमें बहुत गंभीरता से इन चुनाव परिणामों की मीमांसा करनी चाहिए और विशेषकर हमारा ध्यान इस ओर होना चाहिए कि इन चुनावों में हम - यानी भाकपा और वामपंथ कहाँ खड़े थे और हमारा हस्र क्या हुआ।
दिल्ली चुनावों में ”आप“ की सफलता ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि जनता का बहुसंख्यक तबका न कांग्रेस को सत्ता में लाना चाहता है और न ही भाजपा को परन्तु एक गुंजायमान विकल्प की अनुपस्थिति उसे लगातार खल रही है और जहां भी उसे जिस तरह का भी विकल्प दिखाई देगा वह उसके पीछे चल देगा। ”आप“ ने केवल दिल्ली की सभी सीटों पर प्रत्याशी उतार कर एक विकल्प देने का हल्का प्रयास किया जिसके नतीजे हमारे सामने हैं। अपने बारे में सोचते, विचारते और कुछ आगे की योजना बनाते समय हमें इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि चुनावों में जनता सरकार बनाने और सरकार हटाने के लिए वोट देने के लिए घरों से निकलती है न कि चार ईमानदारों सांसदों या विधायकों को जिताने के लिए।
”आप“ या इस जैसा कोई अन्य संगठन या पार्टी पूंजीवादी राजनीति का विकल्प कभी साबित नहीं हो पायेंगे। बिना वैचारिक विकल्प के आम आदमी की आज की समस्याओं का हल नहीं खोजा जा सकता। एक विकल्प देने के लिए हमें 542 सीटों पर विकल्प देने की रणनीति के साथ उतरना पड़ेगा।
एक मजबूत कार्यक्रम आधारित वामपंथी विकल्प की योजना बनाते समय हमें इस तथ्य का ध्यान रखना चाहिए। हमें अपने कवच से बाहर निकल कर सैद्धान्तिक प्रतिबद्धता के साथ चुनावी रणनीति के सवाल को भी हल करना ही होगा। वर्तमान राजनीति में कायम रहने के लिए हमें वर्तमान दौर के उन तौर-तरीकों को खोज निकालना होगा जो कहीं भी सैद्धान्तिक विचलन न पैदा करें।
- प्रदीप तिवारी
at 5:14 pm | 0 comments |
भाकपा के नेतृत्व में गन्ना किसानों ने किया पूरे प्रदेश में धरना-प्रदर्शन
लखनऊ 9 दिसम्बर। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार आज भाकपा के हजारों-हजार कार्यकर्ताओं ने गन्ना किसानों की समस्याओं को लेकर विभिन्न जिला केन्द्रों पर धरना एवं प्रदर्शनों का आयोजन किया। कई स्थानों पर किसानों ने गुस्से में गन्ने के बण्डल जलाये और सभी जगहों पर आम सभायें कीं। गन्ना किसानों की समस्याओं को लेकर आम सभायें भी कीं गईं जिनको पार्टी के जिले के नेताओं ने सम्बोधित किया।
हाथरस में नगर पालिका के प्रांगड़ में आयोजित धरने को सम्बोधित करते हुए भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि सत्तासीन पार्टियों द्वारा चीनी मिले मालिकों के प्रति सदाशयता और किसानों के हितों के प्रति उदासीनता के चलते आज गन्ना किसानों का भारी शोषण हो रहा है। उनका चीनी मिलों पर 2400 करोड़ रूपये का बकाया है जिसका भुगतान अभी तक नहीं कराया गया। सरकार के दावों के बावजूद अभी तक अधिकांश चीनी मिलों ने पेराई करना शुरू नहीं किया है। किसानों को 350 रूपये प्रति क्विंटल दिये जाने की मांग के विपरीत उन्हें 280 रूपये प्रति क्विंटल कीमत देने का वायदा किया गया है और वह भी दो किश्तों में।
किसान अपनी दयनीय दशा पर आंसू बहा रहा है लेकिन सारी पार्टियां उनकी इस दशा पर घड़ियाली आसूं बहा रहीं हैं।
कल विधान सभा चुनावों के परिणामों पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार बढ़ाने जैसी नीतियों से लोग बेहद नाराज हैं। वे आर्थिक नवउदारवाद की नीतियों को समझ रहे हैं। वे यह भी जानते हैं कि भाजपा भी इन्हीं नीतियों की पोषक है और ऊपर से वह समाज को बांटने की कोशिश में लगी हैं। लेकिन जनता किसी भी कीमत पर कांग्रेस को दण्डित करना चाहती थी। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में अन्य कोई विकल्प सामने न होने के कारण उसने भाजपा को वोट दिया। दिल्ली में एक नया विकल्प उसके सामने था अतएव वहां जनता ने भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं दिया जबकि भाजपा ने वहां पूरी ताकत झोंक दी थी।
जिलों-जिलों में दिये गये ज्ञापनों में मांग की गई है कि गन्ने का मूल्य रू. 350/- प्रति क्विंटल तत्काल घोषित किया जाये, मिलों पर गन्ने के बकाये का मय ब्याज के भुगतान कराया जाये, समस्त चीनी मिलों को तत्काल चलवाया जाये और उनसे पूरा गन्ना पेराई की गारंटी ली जाये तथा न चलने वाली मिलों का अधिग्रहण किया जाये। गन्ने का समस्त भुगतान एक मुश्त दो सप्ताह के भीतर कराया जाये।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
मेरी ब्लॉग सूची
-
CUT IN PETROL-DIESEL PRICES TOO LATE, TOO LITTLE: CPI - *The National Secretariat of the Communist Party of India condemns the negligibly small cut in the price of petrol and diesel:* The National Secretariat of...6 वर्ष पहले
-
No to NEP, Employment for All By C. Adhikesavan - *NEW DELHI:* The students and youth March to Parliament on November 22 has broken the myth of some of the critiques that the Left Parties and their mass or...8 वर्ष पहले
-
रेल किराये में बढोत्तरी आम जनता पर हमला.: भाकपा - लखनऊ- 8 सितंबर, 2016 – भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने रेल मंत्रालय द्वारा कुछ ट्रेनों के किराये को बुकिंग के आधार पर बढाते चले जाने के कदम ...8 वर्ष पहले
Side Feed
Hindi Font Converter
Are you searching for a tool to convert Kruti Font to Mangal Unicode?
Go to the link :
https://sites.google.com/site/technicalhindi/home/converters
Go to the link :
https://sites.google.com/site/technicalhindi/home/converters
लोकप्रिय पोस्ट
-
The Central Secretariat of the Communist Party of India (CPI) has issued the following statement to the press: The Communist Party of India ...
-
अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्थान (यूनेस्को), पेरिस अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच दिवस की 50वीं वर्षगाँठ - 27 मार्च, 2012 - पर जॉन मायकोविच अभिनेता व ...
-
लखनऊ 12 दिसम्बर। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का 21वाँ राज्य सम्मेलन 16 से 18 दिसम्बर 2011 को अलीगढ़ के हबीब गार्डन में सम्पन्न होगा, जिसमें पूर...
-
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य कार्यकारिणी ने आगामी लोकसभा चुनावों में आरएसएस एवं उसके द्वारा नियंत्रित भाजपा को हराने को वामपंथी,...
-
लखनऊ 17 सितम्बर। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य मंत्रिपरिषद की एक आपात्कालीन बैठक राज्य सचिव डा. गिरीश की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। ...
-
National Executive (24th May 2011) adopted the following norms for the allotment of MP Lad funds by CPI Members of Parliament Earlier Memb...
-
इंटरनेशनल थियेटर इंस्टीट्यूट (यूनेस्को),पेरिस विश्व रंगमंच दिवस संदेश : 27 मार्च, 2011 मानवता की सेवा में रंगमंच जेसिका ए. काहवा ...
-
समानुपातिक चुनाव प्रणाली और बुनियादी चुनाव सुधार लागू कराने को वामपंथी लोकतान्त्रिक दल अभियान तेज करेंगे। वाम कन्वेन्शन संपन्न लखनऊ- 20...
-
उत्तर प्रदेश में जहरीली शराब से मौतों पर भाकपा ने रोष जताया निर्वाचन आयोग से कड़ी से कड़ी कार्यवाही की मांग की लखनऊ- 13 मार्च , 2019- ...
-
प्रकाशनार्थ ( लखनऊ से दिनांक- 7 अगस्त 2019 को जारी )-- जम्मू एवं कश्मीर पर वामपंथी पार्टियों का संयुक्त बयान जम्मू एवं कश्मीर क...