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रविवार, 6 नवंबर 2011

भूमिका में बदलाव: बैंकर भारत की दलाल स्ट्रीट पर कब्जा करेगें

महाराष्ट्र स्टेट बैंक कर्मचारी मंडल
“ऑक्यूपाई दलाल स्ट्रीट” पोस्टर, जिसके शीर्ष पर बाईं तरफ बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की तस्वीर है और अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संगठन का प्रतीक चिन्ह है। इस पोस्टर में अन्य बातों के अतिरिक्त छोटे कारोबारों के लिए ब्याज़ दरें कम करने की मांग की गई है।
पिछले महीने हम इस बात पर हैरान थे कि क्या यहां कभी “ऑक्यूपाई वॉल स्ट्रीट” (वॉल स्ट्रीट पर कब्ज़ा) की भांति “ऑक्यूपाई दलाल स्ट्रीट” (दलाल स्ट्रीट पर कब्ज़ा) आंदोलन हो सकता है। यूएस में वॉल स्ट्रीट-विरोधी प्रदर्शन सितम्बर में शुरू हुए और अन्य देशों में तेज़ी से फैल गए-लेकिन भारत में इसका प्रभाव पड़ता हुआ नहीं लगा।
अपनी नियत समय सारिणी से कुछ पीछे ही सही, लेकिन ऐसा लगता है कि किसी ने आखिरकार दलाल स्ट्रीट पर कब्जा करने का फैसला कर ही लिया है। लेकिन यह वो भीड़ नहीं, जिसकी हम उम्मीद कर रहे थे: शुक्रवार को, बैंकरों के एक समूह ने मुंबई के वॉल स्ट्रीट के समतुल्य दलाल स्ट्रीट पर कब्ज़ा करने की योजना बनाई है। यह प्रदर्शन महाराष्ट्र स्टेट बैंक कर्मचारी महासंघ द्वारा बुलाया गया है, जो भारत के एक अहम बैंक कर्मचारी संगठन से संबद्ध है। योजना दलाल स्ट्रीट में एकत्र होने की है, जिसमें बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज है।
आयोजक अपनी व्यावसायिक पृष्ठभूमि और ऑक्यूपाई वॉल स्ट्रीट (वॉल स्ट्रीट पर कब्ज़ा) की वजह और मंतव्यों के बीच कोई विरोधाभास नहीं देख रहे-बैंकरों और कॉरपोरेट प्रबंधकों का बचाव, जो फल-फूल रहे हैं, जबकि औसत नागरिक आर्थिक संकट का बोझ ढो रहा है। “हमारे विचार में, दलाल स्ट्रीट द्वारा प्रदर्शित नीतियां ऑक्यूपाई वॉल स्ट्रीट के समरूप हैं, जिनका वहां अनुगमन किया जा रहा है”, बैंक कर्मचारी समूह के प्रधान सचिव विश्वास उतगी ने इंडिया रियल टाइम को कहा।
हालांकि यह देखा गया कि ऑक्यूपाई दलाल स्ट्रीट की मागें एकदम ऑक्यूपाई वॉल स्ट्रीट जैसी नहीं हैं। मुंबई बैंकरों का समूह निजी सेक्टर वाले अपने अमेरिकन समकक्षों पर लक्ष्य साध रहा है। लेकिन उनकी रुचियां ज्यादा संरक्षणवादी हैं: उनके एजेंडे की एक प्रमुख बात सेक्टर के उदारीकरण की योजना का विरोध करना है। “हम सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक को चेतावनी देना चाहते हैं कि भारत के लोग कॉरपोरेट घरानों को नए निजी बैंक खोलने हेतु नए लाइसेंस दिया जाना बर्दाश्त नहीं करेगें”, समूह ने अपनी प्रेस रिलीज़ में दलाल स्ट्रीट पर कब्जे की योजना के संदर्भ में ये बातें कहीं। वे खास तौर पर इस बात से आशंकित हैं कि बैकों को आखिरकार विदेशी हाथों में सौंप दिया जाएगा, श्री उतगी इस बात से घबराते हैं कि इससे अंतर्भासी हालात पैदा हो सकते हैं। उन्होंने कहा बैंकिंग उद्योग एक अहम उद्योग है और अगर इसे विदेशी हाथों में सौप दिया जाएगा, ये हमें प्रलय की ओर ले जाएगा। श्री उतगी इस बात से भयभीत हैं कि विदेशियों को बड़ी भूमिका हेतु स्वीकृति प्रदान करने से भारत में भी यूएस की तरह ऋण संकट पैदा हो जाएगा। “हम भारत में इस तरह की स्थितियों की संभावना का विरोध कर रहे हैं,” उन्होंने कहा।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के स्थानीय नेता प्रकाश रेड्डी ने कहा उनकी पार्टी के सदस्यों और हितैषियों ने भी दलाल स्ट्रीट पर कब्जे की योजना बनाई है। वैश्विक आंदोलन के बहाने ऑक्यूपाई वॉल स्ट्रीट अभियान में कूदना कदाचित उनके लिए राजनीतिक फायदा पाने का एक मौका हो सकता है, वो भी एक ऐसे समय में जब उनकी पार्टी भारत में आधार खिसक रहा है। “हम उस पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ हैं, जिसका बीजेपी और कांग्रेस, भारत के दो मुख्य बड़े दल, समर्थन करते हैं”,श्री रेड्डी ने कहा। शुक्रवार को, वो श्री उतगी के साथी बैंकरों के साथ प्रदर्शन करेगें। 
यह पहली बार नहीं, जब ऑक्यूपाई वॉल स्ट्रीट आंदोलन की तर्ज़ पर भारत में किसी विरोध प्रदर्शन का आगाज़ हुआ हो। कोलकाता में एक छोटी रैली आयोजित की गई थी और पिछले महीने मुंबई में भी ऐसा ही एक कार्यक्रम हुआ था-लेकिन यह सब असफल रहे। इस बात में शंका है कि बैंकरों का आह्वान, पूंजीवादी-विरोधी होने के बावजूद, उसमें ज्यादा संकर्षण होगा।
- दीक्षा साहनी
Reference : http://realtime.wsj.com/

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”शिक्षा के बाजारीकरण“ के खिलाफ आल इंडिया स्टूडेन्ट्स फेडरेशन आयोजित करेगा लखनऊ में विचार गोष्ठी

लखनऊ 5 नवम्बर। लखनऊ शहर में आल इंडिया स्टूडेन्ट्स फेडरेशन को पुनर्गठित करने के लिए लखनऊ शहर के विभिन्न विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों तथा प्राविधिक शिक्षा संस्थानों के छात्रों की एक बैठक आज सायं काल कैसरबाग में एआईएसएफ के प्रान्तीय कार्यालय पर सम्पन्न हुई जिसमें एआईएसएफ की प्रदेश संयोजिका कु. निधि चौहान तथा अखिल भारतीय नौजवान सभा के प्रांतीय अध्यक्ष विनय पाठक विशेष रूप से उपस्थित थे। बैठक में लखनऊ में आल इंडिया स्टूडेन्ट्स फेडरेशन का सदस्यता अभियान 30 नवम्बर 2011 तक चलाने का फैसला लिया गया। 30 नवम्बर के पश्चात पदाधिकारियों के निर्वाचन के लिए जिला सम्मेलन दिसम्बर के अन्त तक आयोजित करने का फैसला लिया गया।
 बैठक में ”शिक्षा के बाजारीकरण“ के खिलाफ एक विचार गोष्ठी आयोजित करने का भी संकल्प किया गया जिसमें प्रसिद्ध न्यायविद्ों, अर्थशास्त्रियों तथा शिक्षाशास्त्रियों को विचार रखने के लिए आमंत्रित किया जायेगा।
 बैठक में पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण छात्रों को होने वाली असुविधा पर भी विचार किया गया तथा मूल्य वृद्धि को वापस लेने की मांग की गयी।
http://aisfup.blogspot.com
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