दिनांक 10 दिसम्बर 2012
राज्य कौंसिल के समस्त सदस्यों तथा जिला मंत्रियों के नाम परिपत्र
प्रिय साथी,
लाल सलाम।
पार्टी की राज्य कार्यकारिणी की बैठक 8 दिसम्बर को यहां राज्य कार्यालय पर सम्पन्न हुई। बैठक में देश एवं प्रदेश की राजनैतिक स्थिति पर चर्चा की गई। भविष्य के कार्यक्रमों की योजना तैयार की गयी। पार्टी के भवन पुनर्निर्माण कोष को भेजने में बरती जा रही ढिलाई को गंभीरता से लिया गया। साथ ही पार्टी सदस्यता नवीनीकरण को तेजी से चलाये जाने और उसे समय से पूरा करने पर विशेष बल दिया गया।
चर्चा के उपरान्त निम्न कार्यक्रम तय किये गये।
”उत्तर प्रदेश सरकार वायदा निभाओ अभियान“ 21 दिसम्बर से एवं जिला केन्द्रों पर धरना/प्रदर्शन 3 जनवरी 2013 को
उत्तर प्रदेश में 8 महीने से काम कर रही सपा सरकार यूं तो हर मोर्चे पर विफल हो चुकी है लेकिन अपने चुनाव अभियान के दौरान जनता से किये वायदों को तोड़ने में तो उसका कोई जवाब नहीं। नौजवानों, अल्पसंख्यकों तथा दूसरे गरीब तबकों से की गई वायदा खिलाफी के बाद अब उसने किसानों के साथ वायदा खिलाफी के फैसले लिये हैं।
अपने चुनावी अभियान के दौरान सपा ने गला फाड़-फाड़ कर घोषणा की थी कि किसानों को 350 रूपये कुंतल का गन्ना मूल्य दिलाया जायेगा तथा किसानों के 50 हजार तक के कर्जे माफ किये जायेंगे। लेकिन दोनों ही सवालों पर सरकार ने किसानों को धोखा दिया। गन्ने का राज्य समर्थित मूल्य रू. 275/280/290 घोषित किया गया है, वह भी काफी विलम्ब से। कर्जे माफी के नाम पर केवल भूमि विकास बैंक के उन किसानों, जिन्होंने मार्च 2012 तक 10 प्रतिशत कर्ज अदा किया है, के कर्जों को माफ करने की घोषणा की है। किसान क्रेडिट कार्ड के जरिये सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों, ग्रामीण बैंकों तथा जिला सहकारी बैंकों द्वारा दिये गये कर्जों को माफ नहीं किया गया है। इससे किसान ठगा महसूस कर रहे हैं।
सभी जानते हैं कि इस बीच चीनी के दाम 40-42 रूपये किलो चल रहे हैं। खाद, बीज, बिजली, डीजल सब कुछ महंगे हो गये हैं। अतएव हमारी पार्टी कम से कम 350 रूपये कुन्तल गन्ना मूल्य दिलाने की मांग करती रही है। धान क्रय केन्द्रों पर खरीद नहीं हो रही है और यदि हो रही है तो बिचौलियों के माध्यम से। सिंचाई माफ करने की घोषणा की गई है, लेकिन न तो नहरों में पानी आ रहा है, न ही गांवों को बिजली दी जा रही है। उपर्युक्त सभी सवालों पर 21 दिसम्बर से ”उत्तर प्रदेश सरकार वायदा निभाओ अभियान“ चलाने का निर्णय लिया गया है। अभियान के तहत जिला कमेटियों को बड़े पैमाने पर पर्चा छापना चाहिए; जनता से सभाओं, नुक्कड़ सभाओं के जरिये व्यापक सम्पर्क करना चाहिये तथा सबकों बड़ी संख्या में इकट्ठा कर 3 जनवरी को जिला केन्द्रां पर धरना/प्रदर्शन आयोजित करना चाहिये। धरने-प्रदर्शन के बाद राज्यपाल के नाम सम्बोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपे जायें। ज्ञापन में निम्न मांगें जरूर शामिल की जायें:
- गन्ने का मूल्य रू. 350 प्रति कुंतल अविलम्ब घोषित किया जाये।
- सभी बैंकों से लिये किसानों के कर्ज में से 50 हजार रूपये माफ करने की घोषणा शीघ्र-अति-शीघ्र की जाये।
- धान खरीद केन्द्रों पर सुचारू खरीद की जाये तथा वहां बिचौलियों के खिलाफ कार्यवाही की जाये।
- नहरों, बंबों में पर्याप्त मात्रा में पानी छोड़ा जाये।
- कृषि के लिये कम से कम 18 घंटे बिजली दी जाये।किसानों की उपजाऊ जमीनों का गैर सरकारी कार्यों के लिये अधिग्रहण सरकार तत्काल बन्द करे। अधिगृहीत जमीनों का मुआवजा शीघ्र दिलाया जाये।
खाद्य सुरक्षा के वास्ते हस्ताक्षर अभियान
पार्टी एवं अन्य वामदल इस मुद्दे पर काफी समय से आन्दोलन चला रहे हैं। 30 जुलाई से 3 अगस्त तक संसद पर पांच दिवसीय धरना दिया गया था। 12 सितम्बर को जिलों-जिलों में बड़े-बड़े प्रदर्शन किये गये थे। लेकिन केन्द्र सरकार इसमें टालमटोल और धोखेबाजी का रवैया अपना रही है। अब चारों वामपंथी दलों ने पूरे दिसम्बर-जनवरी माहों में इस सवाल पर हस्ताक्षर अभियान चलाने का निर्णय लिया है। पूरे देश से 5 करोड़ हस्ताक्षर कराने का इरादा बनाया गया है। भाकपा राज्य कार्यकारिणी ने प्रदेश में कम से कम 10 लाख हस्ताक्षर जुटाने का निश्चय किया है।
इसके लिये राज्य केन्द्र ने प्रधानमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन का प्रोफार्मा छपवा कर जिला केन्द्रों को सीमित संख्या में उपलब्ध कराया है। फोटो कापी कराके या स्थानीय तौर पर और सामग्री छपवा के अधिक से अधिक हस्ताक्षर कराये जायें। ज्ञापन में हर परिवार को हर महीने 35 किलो अनाज 2 रूपये प्रति किलो की दर पर दिये जाने, सार्वजनिक वितरण प्रणाली को वृहत्तर और भ्रष्टाचार मुक्त बनाने तथा इसके लिए खाद्य सुरक्षा कानून शीघ्र बनाने की मांगें की गयी हैं।
इस अभियान की शुरूआत भी उत्तर प्रदेश में 21 दिसम्बर से ही करने का निश्चय किया गया। यह 31 जनवरी तक जारी रहेगा। शुरूआत के दिन बड़ी सभा तथा अन्य कोई सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित किया जाये। इसके बाद लगातार गांव बटोर कर, हाट पैंठ, चट्टी चौराहों, बाजारों, कस्बों, मोहल्लों, रेलवे स्टेशनों, बस बड्ड़ों, बैंकों, तहसीलों, जिला कचहरियों तथा अन्य सरकारी कार्यालयों के समझ, जहां अधिक जनता आती है, इसी अभियान से संबंधित बैनर लगाकर, पार्टी का झंडा लगाकर तथा नारेबाजी के साथ कार्यकर्ता टोली बनाकर हस्ताक्षर करायें। कार्यक्रमों की जानकारी मीडिया को भी दी जाये।
उपर्युक्त कार्यक्रम जनता से व्यापक संपर्क के बड़े साधन हो सकते हैं, यदि कार्यकर्तागण इसे संजीदगी से लें।
एफडीआई के सवाल पर राजनैतिक दलों का पर्दाफाश करो अभियान
आप सभी जानते हैं कि किराना बाजार में विदेशी निवेश के सवाल पर वामपंथी दलों को छोड़कर सारे दलों की स्थिति बेहद घिनौनी और संदिग्ध रही है। इसी वजह से संसद के दोनों सदनों में एफडीआई को लागू कराने संबंधी विधेयक पास हो गया। इससे देश के लगभग 5 करोड़ छोटे व्यापारी बर्बाद हो जायेंगे। पहले से ही संकट से जूझ रहे किसान भी वालमार्ट जैसी विशालकाय विदेशी कंपनियों का शिकार बनेंगे। देश की पूंजी का बाहर जाना तो तय है ही।
कांग्रेस फिर से नई आर्थिक नीतियों को तेजी से लागू करने में जुट गयी है और साम्राज्यवादी और अमरीकी हितों को तरजीह दे रही है। उसने बड़ी ही चतुराई से देश विरोधी, व्यापारी विरोधी और किसान विरोधी इस फैसले को लागू करा लिया। सपा-बसपा का चेहरा भी बेनकाब हो गया, जिन्होंने इस काले कानून के खिलाफ मतदान नहीं किया। भाजपा की आर्थिक नीतियां कांग्रेस के समान ही हैं लेकिन वह विरोध के मत बटोरने की गरज से विरोध का पाखंड करती रही। वह अपनी साम्प्रदायिक और विभाजनकारी नीतियों को छोड़ना नहीं चाहती। कुछ पाखंडी धर्मनिरपेक्षों ने भाजपा से दूरी बनाये रखने के नाम पर कांग्रेस को समर्थन दे दिया। इनसे सपा ने तो बाबरी विध्वंस के खलनायक कल्याण सिंह को कई बार साथ लिया और उन्हें तथा उनके परिवार के कई सदस्यों को संसद और विधान सभा में पहुंचवाया। एक बार सपा की सरकार केन्द्र की भाजपा सरकार की कृपा से ही बनी थी। 1989 की कार सेवा के दौरान विध्वंसकारियों द्वारा बाबरी मस्जिद को नुकसान पहुंचाने की वारदात भी सपा के शासनकाल में हुई। बसपा तो कई बार भाजपा के साथ साझा सरकार भी चला चुकी है। धर्म निरपेक्षता की आड़ में आर्थिक नवउदारवाद के एजेंडे पर कांग्रेस के साथ खड़े होने के इनके खेल को जनता के बीच उजागर करना ही होगा।
अतएव इस विषय में गोष्ठियां, सभायें, चौपाल वार्तायें आयोजित करके एफडीआई की भयावहता और इन दलों की दुष्टता का पर्दाफाश किया जाये।
‘इंसाफ’ के बैनर तले मुस्लिम अल्पसंख्यकों के सामाजिक एवं आर्थिक सवालों पर कन्वेंशन
इस विषय में पिछले परिपत्र में भी आपको जानकारी दी गयी थी कि पूरे प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में 3 कन्वेंशन आयोजित किये जायेंगे। कार्यकारिणी बैठक में फैसला लिया गया कि पश्चिमी जिलों का कन्वेंशन गाजियाबाद में, मध्य उत्तर प्रदेश का बाराबंकी में (27 जनवरी को) तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश का मऊ में आयोजित किया जाये। यह कन्वेंशन एक दिवसीय होंगे। शेष जानकारी अगले परिपत्रों में दी जायेगी।
भवन पुनर्निर्माण कोष
राज्य कार्यकारिणी ने इस प्रश्न पर गहरा खेद जताया कि इस महत्वपूर्ण प्रश्न को कार्यकारिणी और काउंसिल सदस्यों तथा जिला कमेटियों ने अपेक्षित गंभीरता से नहीं लिया। कार्यकारिणी एवं काउंसिल सदस्यों को अपना पूरा कोटा अंतिम रूप से 31 दिसम्बर तक राज्य केन्द्र को दे देना है। जिला कमेटियां भी धन इकट्ठा कर शीघ्र भेजें।
सदस्यता नवीनीकरण
सामग्री लगभग सभी जिलों को भेजी जा चुकी है। इस काम को हर हाल में 31 जनवरी तक पूरा कर लें। पहले के सर्कुलर में बताया ही जा चुका है कि केन्द्र द्वारा सदस्यता शुल्क में वृद्धि कर देने के कारण राज्य को ज्यादा फीस जिलों से आनी है। वैसे तो यह राशि रू. 22.00 प्रति सदस्य बैठती है लेकिन जिलों की सुविधा के लिये इस बार रू. 20.00 प्रति सदस्य ही राज्य केन्द्र पर जमा कराये जायेंगे। इसमें कार्ड का मूल्य शामिल नहीं है।
ट्रेड यूनियन आन्दोलन
ट्रेड यूनियनों के संयुक्त अभियान को पार्टी द्वारा पूर्ण समर्थन दिया जाना है। पार्टी समितियां इस अभियान में पूरी मदद दें। कार्यक्रम इस प्रकार हैं: 18-19 दिसम्बर को सत्याग्रह/जेल भरो अभियान, 20 दिसम्बर को संसद मार्च तथा 20-21 फरवरी 2013 को राष्ट्रव्यापी हड़ताल।
आल इंडिया स्टूडेन्ट्स फेडरेशन
एआईएसएफ का राज्य सम्मेलन रविवार 6 जनवरी 2013 को लखनऊ में होगा। संगठन अभी आकार ग्रहण कर रहा है, इसलिये जिला नेतृत्व के साथी अपने-अपने जिलों से अधिक से अधिक संख्या में विद्यार्थियों को सम्मेलन में भाग लेने के लिये भेजना सुनिश्चित करें। सम्मेलन के लिए आने वाले साथी राज्य कार्यालय पर 10 बजे से पहले पहुंचे। सदस्यता अभियान भी चलाया जाये।
राज्य कौंसिल सदस्यों द्वारा लेवी का भुगतान
राज्य कौंसिल के पूर्व निर्णय के अनुसार राज्य कौंसिल सदस्यों को अपनी आय का 1 प्रतिशत लेवी राज्य केन्द्र पर जमा करनी होती है। जिन साथियों ने वर्तमान वर्ष की लेवी अभी तक राज्य केन्द्र पर जमा नहीं की है, वे इसे शीघ्र राज्य केन्द्र पर जमा करना सुनिश्चित करे।
लोक सभा चुनावों की तैयारी
राज्य कार्यकारिणी द्वारा घोसी, वाराणसी, आजमगढ़ में कोई एक सीट, बांदा, झांसी आदि लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया था, जिसकी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।
क्रान्तिकारी अभिवादन सहित,
आपका साथी
(डा. गिरीश)
राज्य सचिव