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बुधवार, 27 फ़रवरी 2019
at 8:29 pm | 0 comments |
भाकपा प्रतिनिधिमंडल की निर्वाचन आयोग से भेंट
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधिमंडल ने आज केन्द्रीय
निर्वाचन आयोग की टीम से योजना भवन में भेंट कर उन्हें उत्तर प्रदेश में लोकसभा
चुनाव से पहले की पेचीदा स्थितियों से अवगत कराया. निर्वाचन आयोग ने सभी बिन्दुओं
को गंभीरता से सुना और उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया. भाकपा राज्य सचिव डा.
गिरीश के नेतृत्व में मिले इस प्रतिनिधिमंडल में राज्य कार्यकारिणी सदस्य फूलचंद
यादव एवं राज्य काउन्सिल सदस्य विनय पाठक भी थे. निम्न प्रतिवेदन भी प्रस्तुत किया
गया-
अप्रेल मई 2019 में होने जारहे लोकसभा चुनाव में रिकार्डतोड़ धन बहाए जाने की
संभावना है. भ्रष्टाचार के जरिये उन पूंजीवादी राजनैतिक दलों ने जो सत्ता में हैं
और रहते आये हैं, भारी पैमाने पर कालाधन इकट्ठा कर लिया है जिसका प्रयोग वे अवैध
तरीकों से आगामी चुनावों में करेंगे. ये दल ऐसे प्रत्याशियों को टिकिट देने जारहे
हैं जिनके पास अपार धन संपदा है. आप अवगत ही हैं कि मौजूदा लोकसभा में बड़ी संख्या
में करोडपति चुन कर पहुंचे थे. इस बार इससे भी ज्यादा करोडपति और अरबपति चुनाव
मैदान में होंगे. एक मोटा अनुमान है कि इस चुनाव में 2014 के लोकसभा चुनावों से
दोगुने से भी अधिक धन व्यय किया जाना है. विदेशी विशेषज्ञों ने भी ऐसी ही राय
व्यक्त की है. इससे लोकतंत्र को गंभीर खतरा है.
गत चुनावों में भी बड़े पैमाने पर शराब और पैसा बांटने की खबरें खुल कर सामने
आयीं थीं और इस बार भी ऐसा होने जारहा है. केन्द्र सरकार द्वारा ऐन चुनाव से पहले
सरकारी खैरातें भी भेजी जारही हैं. यह वोट हासिल करने का हथकंडा है. सच तो यह है
कि मतदान से दो- तीन दिन पहले सारी मर्यादायें तोड़ कर धन, उपहार और शराब बांटी
जाती है और चुनावी मशीनरी अकर्मण्य बनी रहती है. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी जैसे
अति अल्प खर्च में चुनाव लड़ने वाले दलों को इससे भारी हानि पहुँचती है.
निर्वाचन आयोग द्वारा लगायी गयी पाबंदियां भी छोटे दलों तक ही सिमट जाती हैं.
धनवान राजनीतिक दल हैलिकोप्टर्स चुनाव अभियान चलाते हैं और हम जैसे चार पहिया
वाहनों से प्रचार करने वालों के स्टार कैम्पेनर्स को जगह जगह चैकिंग का सामना करना
पड़ता है जिससे काफी समय खराब होता है. कई बार सुरक्षाबल अपमानित भी करते हैं. छोटी
मोटी चुनाव सामग्री भी साथ लेकर नहीं जाने दिया जाता है. अलग से वाहन किराये पर
लेकर चुनाव सामग्री भेजने लायक आर्थिक स्थिति भाकपा की नहीं है.
उत्तर प्रदेश में चुनाव से पूर्व भी धर्मोन्माद, जातीय उन्माद और युध्दोन्माद
फैला कर चुनाव प्रभावित करने की कोशिशें चल रही हैं और चुनाव प्रचार के दौरान भी
कुछ दल ऐसा अवश्य करेंगे.
निर्वाचन आयोग की स्थाई मशीनरी न होने से सारा चुनाव संचालन सरकारी मशीनरी के
हाथों में आजाता है जिसका कि राजनैतिकीकरण होचुका है. और वह "जिसका शासन उसका
काम" के सिध्दांत पर काम करती है. ईवीएम मशीन की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठ
रहे हैं अतएव वीवीपेट के साथ मतदान कराये जाने की जरूरत है.
अतएव लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्यों के हित में हम आपसे निम्न निवेदन कर रहे
हैं-
1- निर्वाचन के समय आयोग द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक खर्च पर कारगर रोक
लगायी जाये.
2- मतदान से पहले अवैध रूप से बांटे जाने वाले धन, उपहार एवं शराब आदि का
वितरण सख्ती से रोका जाये.
3- स्टार कैम्पेनर्स को रास्ते में चेकिंग से मुक्त रखा जाये. प्रचार सामग्री
साथ लेजाने की उन्हें अनुमति देनी चाहिये.
4- धार्मिक उन्माद जातीय उन्माद और युध्दोन्माद का सहारा लेने वाले दलों को
पहले सख्त चेतावनी दीजाये और न मानने पर उनके विरुध्द नियमानुसार कार्यवाही की
जाये.
5- निर्वाचन कार्य में लगायी गयी मशीनरी के शासक दल के प्रति समर्पण पर अंकुश लगाने
को कड़े कदम उठाये जायें.
6- निर्वाचन अधिक से अधिक वीवीपेट सहित मशीनों के साथ कराया जाये.
7- निर्वाचन हेतु प्रथक निर्वाचन मशीनरी के गठन पर भी विचार किया जाये.
8- भविष्य में समानुपातिक निर्वाचन प्रणाली लागू करने पर विचार किया जाये ताकि
धनबल, बाहुबल, जातिवाद, संप्रदायवाद जैसे अनैतिक हथकंडों के बजाय नीतियों के आधार
पर चुनाव हो और हमारा लोकतंत्र मजबूत हो.
रविवार, 17 फ़रवरी 2019
at 7:13 pm | 0 comments |
CPI and CPI-M codemned Pulvama terrorist attack
पुलवामा की आतंकी कार्यवाही पर कम्युनिस्ट पार्टियों
ने गहरा क्षोभ व्यक्त किया
आगामी तीन दिनों तक प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन
करेंगी वामपंथी पार्टियां
लखनऊ- 17 फरबरी 2019, पुलवामा में हुये आतंकवादी हमलों से उत्पन्न स्थिति पर विचार करने को भारतीय
कम्युनिस्ट पार्टी एवं भारत की कम्युनिस्ट पार्टी( मार्क्सवादी ) की एक संयुक्त बैठक
आज यहाँ भाकपा के राज्य कार्यालय पर संपन्न हुयी।
बैठक में पुलवामा में शहीद हुये सुरक्षाबलों की शहादत
पर गहरा रोष प्रकट किया गया। साथियों ने दो मिनट का मौन रख कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित
की। साथ ही शहीदों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदनाओं का इजहार किया।
बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में भाकपा के राज्य सचिव
डा॰ गिरीश एवं माकपा के राज्य सचिव डा॰ हीरालाल यादव ने आतंकवादियों की इस कायराना
हरकत की कड़े शब्दों में निन्दा की तथा कहाकि आतंक की राजनीति देश में गहरी जड़ें जमा
चुकी है और इससे निपटने को राजनेतिक और सख्त प्रशासनिक कदम उठाने होंगे। जजवाती बयानबाजी
और युद्धोन्माद फैलाने से समस्या का हल संभव नहीं है।
दोनों कम्युनिस्ट नेताओं ने कहाकि पिछले कई माह से तमाम
खुफिया एजेंसियां आतंकी हमले की सूचनाएँ देरही थीं और पाकिस्तान के मीडिया में आतंकवादियों
की हमले की धमकियां प्रकाशित होरही थीं फिर भी इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक लिए आतंकवादी
टहलते रहे और इतना बड़ा और घ्रणित कांड कर डाला।
यह सरकार के स्तर पर बड़ी चूक है जिसको जम्मू कश्मीर के राज्यपाल ने स्वीकारा भी है।
लेकिन देश का मगरूर नेत्रत्व तब भी चुनावी वैतरणी पार
करने की कवायद में जुटा था और आज भी अपनी संकीर्ण राजनैतिक कुचेष्टाओं से बाज नहीं
आरहा। यहाँ तक कि पाकिस्तान विरोध के नाम पर अल्पसंख्यकों को डराने धमकाने के निंदनीय
प्रयास भी किए जारहे हैं। संतोष की बात है कि देश की जनता ने आतंकवाद के विरुद्ध जबर्दस्त
एकजुटता प्रदर्शित की है वहीं शांति और भाईचारा बिगाड़ने वालों के मंसूबों पर पानी फेर
दिया है।
बैठक में निर्णय लिया गया कि आतंक की इस घ्रणित कार्यवाही
का पुरजोर विरोध किया जाये और आतंकवाद के खिलाफ सख्त तार्किक कार्यवाही की मांग की
जाये। निर्णयानुसार भाकपा और माकपा के कार्यकर्ता आगामी तीन दिनों तक जिलो जिलों में
इस घटना के विरुद्ध अन्य वामदलों के साथ मिल कर विरोध प्रदर्शन करेंगे। साथ ही आम जनता
से शान्ति और भाईचारा बनाये रखने की अपील करेंगे। विरोध प्रदर्शन में धरना/ प्रदर्शन/
आतंकवाद का पुतला दहन/ केंडिल मार्च आदि शामिल हैं।
भाकपा एवं माकपा नेत्रत्व ने सभी वामपंथी लोकतान्त्रिक
शक्तियों से इस अभियान में शामिल होने की अपील की है।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा , उत्तर प्रदेश
बुधवार, 13 फ़रवरी 2019
at 4:46 pm | 0 comments |
इलाहाबाद और अलीगढ़ की घटनाओं से भाजपा की बदहवासी उजागर : भाकपा
लखनऊ- एक ओर भाजपा
सरकार एक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को छात्रों के आयोजन में भाग लेने हेतु इलाहाबाद
जाने से रोकने का घोर अलोकतांत्रिक कदम उठाती है वहीं दूसरी ओर प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी-
ए॰ एम॰ यू॰ पर हमला बोलने के लिए अपनी अराजक फौज भेज कर दंगा भड़काने की साजिश रचती
है। दोनों ही घटनाएँ बेहद आपत्तिजनक हैं जिनकी सभी लोकतान्त्रिक शक्तियों को निंदा
करनी चाहिए।
इतना ही नहीं कल की घटनाओं से बौखलाये संघ गिरोह ने
अलीगढ़ और उसके बहाने देश के अन्य भागों में सांप्रदायिक विभाजन को बढ़ाने के उद्देश्य
से एएमयू में मन्दिर बनाने हेतु कार सेवा करने का ऐलान कर दिया और दंगाइयों की भीड़
को आज एएमयू की ओर कूच करा दिया। यदि पुलिस ने उन्हें रोका न होता तो कुछ भी अनहोनी
होसकती थी।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने
यहाँ जारी एक प्रेस बयान में कहाकि ये घटनायें
इस बात की ओर इशारा करती हैं कि अपना जनाधार खिसकने से भाजपा बेहद परेशान है और 2019
में वोट हासिल करने को सांप्रदायिक लपटें पैदा करने पर आमादा है। लेकिन संतोष की बात
यह है कि अब आम जनता उनके हथकंडों को भलीभाँति समझ गयी है और उन्हें हर बार मुंह की
खानी पड़ रही है।
डा॰ गिरीश ने कहाकि जो लोग एएमयू में मुस्लिम फ्रंट
बनाए के नाम पर मीटिंग कर रहे थे उनका उद्देश्य भाजपा के हाथ में एक मुद्दा देना था।
भाकपा उसकी भी आलोचना करती है। हर दिन एएमयू को लक्ष्य बनाकर कुछ न कुछ उत्पात मचाने
वाली भाजपा को उन्होने फिर से एक मुद्दा थमा ही दिया। अब कल की मारपीट में शामिल एएमयू
छात्रों पर देशद्रोह के आरोप मढ़ने की साजिश रची जारही है, परन्तु देशद्रोह का
आरोप अगर किसी पर बनता है तो उन संघियों पर बनता है जो कल एएमयू पर हमला बोलने पहुंचे
थे।
डा॰ गिरीश ने सवाल कियाकि जब इलाहाबाद में धर्म संसद
के नाम पर एकत्रित दंगाइयों की भीड़ से कुंभ की फिजा नहीं बिगड़ी तो एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय
में एक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष के जाने से क्या आसमान टूट पड़ता? उन्होने यह भी सवाल उठाया है कि जब भाजपा आज तक अयोध्या में मन्दिर का निर्माण
नहीं करा सकी तो उसके द्वारा एएमयू में मन्दिर निर्माण का शिगूफ़ा उछालना एक विध्वंसकारी
षडयंत्र नहीं तो क्या है? सच तो यह है कि मोदी और योगी की सरकारें
हर तरह से बेनकाब होगयीं हैं और अब वे तानाशाही, दादागीरी और
सांप्रदायिकता के बल पर ही चुनावी लक्ष्य हासिल करना चाहती हैं।
भाकपा ने सभी वामपंथी एवं जनवादी शक्तियों का आह्वान
कियाकि वे भाजपा की इन फासिस्टी कारगुजारियों का माकूल जबाव दें।
डा॰ गिरीश
शनिवार, 9 फ़रवरी 2019
at 3:50 pm | 0 comments |
उत्तर प्रदेश-- जहरीली शराब से मौतों के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार : भाकपा ने मुख्यमंत्री से की स्तीफ़े की मांग
लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी के राज्य सचिव मण्डल ने उत्तर प्रदेश में जहरीली शराब से होरही मौतों पर गहरा
दुख और आक्रोश व्यक्त किया है। भाकपा ने इन मौतों के लिये प्रदेश मुख्यमंत्री को पूरी
तरह जिम्मेदार ठहराया है और उनसे त्यागपत्र की मांग की है।
यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा॰
गिरीश ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर आरोप लगाया कि उनकी प्राथमिकता में उत्तर प्रदेश
में सरकार चलाना नहीं अपितु लोगों को गुमराह करना और विपक्ष पर हमले बोलना है। प्रदेश
के शासन पर ध्यान देने के बजाय वे राम कुंभ गाय गंगा नामों की बदली जैसे भ्रामक मुद्दों
पर ही सारी ऊर्जा खपाये रहते हैं। यही वजह है कि यूपी की कानून व्यवस्था तार तार होचुकी
है और अब मौत की शराब से प्रदेश में लगभग 100 लोगों की मौत होचुकी है और अन्य कई मौत
के आगोश में सिमटते जारहे हैं।
भाकपा राज्य सचिव ने आरोप लगाया कि संवेदनहीन सरकार
और उसका प्रशासन मौतों का आंकड़ा कम करके दिखाने को शवों के पोस्टमार्टम न करके उन्हें
स्वाभाविक मौतें बता कर टरका रहा है। कइयों को सरकारी अस्पतालों में जगह नहीं मिली
और उन्होने निजी अस्पतालो में दम तोड़ दिया तथा परिजनों ने उनका अंतिम संस्कार कर दिया।
इस तरह के सारे म्रतकों का आंकड़ा जुटाया जाये तो और अधिक पहुंचेगा।
डा॰ गिरीश ने कहाकि योगी के सत्ता संभालने के बाद यह
तीसरा बड़ा हादसा है जिसमें जहरीली शराब से बड़े पैमाने पर मौतें हुयीं हैं। गत माहों
में जब ऐसा ही हादसा हुआ था तो मैंने स्वयं सरकार को आगाह किया था कि उत्तर प्रदेश
के अनेक जिलों में अवैध शराब का धंधा बड़े पैमाने पर चल रहा है। मैंने यह भी खुलासा
किया था कि शराब माफिया ने अब सत्ताधारी दल में पैठ बना ली है और सत्ताधारी दल के लोग
इस धंधे से बड़े पैमाने पर अवैध कमाई कर मालामाल होरहे हैं। लेकिन योगी सरकार ने तब
मामले को गंभीरता से लेने के बजाय म्रतको के परिजनों को कुछ मुआबजा देकर और छोटे अपराधियों
पर चलताऊ कार्यवाही करके कर्तव्य की इतिश्री कर दी थी। यदि उसी समय कठोर कार्यवाही
की गयी होती तो आज इतना बड़ा हादसा न होता।
भाकपा ने कहाकि योगी सरकार इन मौतों के लिये सीधे तौर
पर जिम्मेदार है। लोगों की सामूहिक मौतों के लिये जिम्मेदार योगी को इसकी नैतिक ज़िम्मेदारी
लेनी चाहिए और अपने पद से स्तीफ़ा देकर हिमालय में जाकर प्रायश्चित करना चाहिये। भाकपा
ने हर म्रतक के परिवार को रु॰ 25 लाख का मुआबजा और शराब पीड़ितों को इलाज के लिये रु॰
5 लाख की धनराशि फौरन प्रदान करनी चाहिये।
डा॰ गिरीश
शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2019
at 3:11 pm | 0 comments |
ओलों से हुयी फसलहानि की तत्काल भरपाई करे सरकार : भाकपा
लखनऊ- 8 फरबरी भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी के राज्य सचिव मण्डल ने गत रात उत्तर प्रदेश के विभिन्न भागों में हुयी भारी
ओला व्रष्टि से फसलों की तवाही पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है। पार्टी ने सरकार से फसल
हानि की त्वरित रूप से भरपाई की मांग की है। पार्टी ने इस बात पर अफसोस जताया कि गत
पखबाड़े हुयी ओला व्रष्टि से बरवाद हुयी फसलों का अभी तक मुआबजा नहीं दिया गया।
यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा॰
गिरीश ने कहाकि गत रात प्रदेश के मेरठ, सहारनपुर, अलीगढ़, आगरा, मुरादाबाद, बरेली मंडलों में व्यापक रूप से और कानपुर व लखनऊ मंडलों के कुछ जिलों में
सामान्य रूप से ओला व्रष्टि हुयी है। नोएडा, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा जनपदों के कुछ हिस्सों में तो सड़कों पर बरफ की मोटी चादर बिछ गयी। इससे सरसों और आलू की फसलों को भारी
हानि पहुंची है। इससे आवारा पशुओं से तवाहहाल किसानों की और अधिक तवाही हुयी है।
डा॰ गिरीश ने कहाकि सरकार कुंभ में मस्त है और किसान
बरवाद होरहा है। भाकपा पुनः मांग करती है कि ओलों से हुयी फसल हानि की शत शत भरपाई
अविलंब की जाये।
डा॰ गिरीश
शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2019
at 5:49 pm | 0 comments |
जुमलेबाज सरकार का जुमला बजट आमजनों ने ठुकराया; भाकपा
लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने केन्द्र सरकार के अंतिम बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त
करते हुये कहाकि यह जुमलेबाज सरकार का जुमला बजट है जो उसका अंतिम संस्कार कर देने
को काफी है। सूट बूट वाले लोग इसकी तारीफ में कसीदे पढ़ रहे हैं जबकि किसान, कामगार, बेरोजगार नौजवान और आम लोग इससे ठगा महसूस कर
रहे हैं।
किसानों से इस सरकार ने चलते चलते भी वही छलाबा किया
जो वह उनके साथ पाँच साल से करती आरही है। उनकी आमदनी दोगुना करने के जुमले के पूरी
तरह उजागर होने के बाद और किसानों की आत्महत्याओं के लगातार जारी रहने के बाद सरकार
ने उन्हें रु॰ 17 प्रतिदिन का लालीपाप थमाया है जिसको किसान जले पर नमक छिड़कने के समान
मान रहे हैं। कई राज्य सरकारों द्वारा किसानों को दी जारही राहत के मुक़ाबले ये ऊंट
के मुंह में जीरा है।
2017- 18 में
बेरोजगारों की संख्या में बेतहाशा व्रध्दी हुयी है मगर रोजगार देने के मोर्चे पर यह
बजट एकदम फ्लाप है। मनरेगा के बजट में जितनी कटौती पूर्व के बजटों में की गयी थी उसको
इस बजट में भी पूरा नहीं किया गया। मजदूरों व अन्य वर्गों की भलाई के लिए कीगयी घोषणाएँ
बजट आबंटन से मेल नहीं खातीं। उनके लागू होने के बारे में भी तमाम संशय बने हुये हैं।
गरीब मजदूरों को इसे पाने के लिये 100 रुपये साल अदा करने पड़ेंगे।
सामान्य गरीबों को दिये आरक्षण का लाभ देने की सीमा
8 लाख निर्धारित होने के बाद आयकर दाताओं को उम्मीद बंधी थी कि उन्हें भी आयकर में
8 लाख आमद तक पर छूट मिलेगी लेकिन सरकार ने उन्हें भी हताश- निराश किया है। बजट भाषण
में 5 लाख तक की आमद पर छूट के भ्रम से उल्लसित लोगों का उल्लास 10 मिनट में ही आसमान
से जमीन पर आगया जब उन्हें पता लगा कि यह छूट तो केवल 5 लाख तक की आमदनी वालों के लिये
है। समाज के अन्य सामान्य तबके भी ठगा ही महसूस कर रहे हैं।
डा॰ गिरीश ने कहाकि यह सरकार मूंगफली देकर बादाम देने
का प्रचार करने में माहिर है। वह उसने आज के बजट में भी किया है। बजट पेशी के दौरान
मोदी और उनकी मायावी मंडली द्वारा सैकड़ों बार मेजें थपथपा कर और मोदी मोदी के नारे
लगा कर पैदा किया गया क्रत्रिम जोश 10 मिनट भी नहीं ठहर पाया जब टीवी चैनलों पर किसानों
और आमजनों ने इसका पर्दाफाश कर दिया। चुनावी लाभ की गरज से कागजी घोषणाओं से सजाया
संवारा गया बजट वजूद में आने से पहले ही निर्वस्त्र होगया।
यह अन्तरिम बजट था लेकिन सरकार ने सारी नैतिकता और संवैधानिक
मर्यादाएं लांघ कर पूर्ण बजट पेश कर दिया। चुनावी लाभ के लिये सरकार सारी सीमाएं लांघने
पर आमादा है।
कुल मिला कर यह कार्पोरेट्स के हितों का रक्षक बजट है
इसीलिए औद्योगिक संगठन उसकी प्रशंसा के पुल बांध रहे हैं। पूंजीवाद से अवाम की बढ़ रही
नाराजी को कम करने को कुछ खैरातें बांटने का नाटक किया गया है। पर रिश्वतख़ोरी और अफसरशाही
के चलते ये सारी योजनाएं जमीन पर पहुँचने से पहले ही दम तोड़ देतीं हैं यह हर कोई जानता
है। डा॰ गिरीश ने कहाकि आजादी के 71 साल में आये हर बजट से जनता अपने जीवन की बेहतरी
की उम्मीद लगाये रही पर जनता की हालत आज भी
जस की तस बनी हुयी है। जनता का उत्थान समाजवाद में ही संभव है पूंजीवाद में नहीं। यह
इन 71 सालों में स्पष्ट होगया है।
डा॰ गिरीश
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