भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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शनिवार, 12 सितंबर 2009

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश राज्य काउंसिल द्वारा कार्यशाला

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की उत्तर प्रदेश राज्य काउंसिल दिनांक ११ अक्टूबर को अपने राज्य कार्यकारिणी के सदस्यों तथा जिला सचिवों के लिए एक विशेष कार्यशाला का आयोजन कर रही है.
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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य कार्यकारिणी की बैठक

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की उत्तर प्रदेश राज्य कार्यकारिणी की बैठक दिनांक १० अक्टूबर २००९ को लखनऊ में राज्य कार्यालय पर होगी जिसमें रास्ट्रीय सचिव कामरेड सुधाकर रेड्डी भी उपस्थित रहेंगे।
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पाश के ५९वे जन्मदिवस ९ सितम्बर २००९ पर उनकी एक कविता - "सबसे खतरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना"

श्रम की लूट सब से खतरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सब से खतरनाक नहीं होती
गद्दारी-लोभ की मुट्ठी सब से खतरनाक नहीं होती
बैठे-सोये पकड़े जाना - बुरा तो है
सहमी-सी चुप में जकडे जाना - बुरा तो है
पर सब से खतरनाक नहीं होता

कपट से शोर में
सही होते हुए भी दब जाना - बुरा तो है
किसी जुगनू की लौ में पढ़ने लग जाना - बुरा तो है
भींच कर जबड़े बस वक़्त काट लेना - बुरा तो है
सब से खतरनाक नहीं होता
सब के खतरनाक होता है

मुर्दा शान्ति से मर जाना
न होना तड़प का, सब सहन कर जाना
घर से निकलना काम पर
और काम से लौट कर घर आना
सब से खतरनाक होता है
हमारे सापनों का मर जाना
सब से खतरनाक वह घरी होती है
तुम्हारी कलाई पर चलती हुई भी जो
तुम्हारी नज़रों के लिए रुकी होती है

सब से खतरनाक वो आँख होती है
जो सब कुछ देखती हुई भी ठंडी बर्फ होती है
जिसकी नज़र दुनिया को
मुहब्बत से चूमना भूल जाती है
जो चीजों से उठती अंधेपन की
भाप पर मोहित हो जाती है
जो रोज़मर्रा की साधारणता को पीती हुई
एक लक्ष्यहीन दुहराव के दुष्चक्र में ही गुम जाती है

सब से खतरनाक वो चाँद होता है
जो हर कत्ल कांड के बाद
वीरान हुए आंगनों में चदता है
लेकिन तुम्हारी आंखों में मिर्चों की तरह नहीं लड़ता है

सबसे खतरनाक वो गीत होता है
तुम्हारे कान तक पहुचनें के लिए
जो विलाप को लांघता है

डरे हुए लोगों के दरवाजे पर जो
गुंडे की तरह हुंकारता है
सब से खतरनाक वो रात होती है
जो उतरती है जीवित रूह के आकाशों पर
जिसमें सिर्फ़ उल्लू बोलते, गीदर हुआंते
चिपक जाता स्थायी अँधेरा बंद दरवाजों की चौगाठों पर

सब से खतरनाक वो दिशा होती है
जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए
और उसकी मुर्दा धूप की कोई फाँस
तुम्हारे जिस्म के पूरब में चुभ जाए
श्रम की लूट सबसे खतरनाक नही होती
पुलिस की मर सबसे खतरनाक नहीं होती
गद्दारी लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती
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