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मंगलवार, 16 अगस्त 2016

स्वतंत्रता दिवस मोदी जी और मैं

कल लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी के भाषण पर मीडिया में खूब सराहना उंडेली गयी है. क्यों न उंडेली जाय. आखिर मीडिया भी तो उनका है जिनके श्री मोदी जी हैं. कार्पोरेट्स और धन कुबेरों के. लेकिन श्री मोदीजी ने यह नहीं बताया कि कश्मीर में शांति बहाली के लिये उनकी सरकार क्या कदम उठाने जा रही है. सरकार कश्मीर में तनाव खत्म करने, लोगों का विश्वास जीतने और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिये क्या कर रही है? न हीं उन्होने कश्मीर में भाजपा की सहभागी मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के इस आरोप का जबाव दिया कि कश्मीर में पूर्व का और आज का राष्ट्रीय नेत्रत्व विफल रहा है. मोदी जी! आपने पाक अधिकृत कश्मीर, बलूचिस्तान और गिलगिट पर जुमले फेंक खूब वाह वाही बटोरी है. पर क्या इसका यह कारण नहीं कि कश्मीर और पाकिस्तान के संबंध में आपकी विफल नीति और कथित गोरक्षकों पर आपकी टिप्पणी से बौखलाये संघियों को आप पुन: प्रशन्न करना चाहते थे. और वे प्रशन्न हो भी गये हैं. मोदी जी, आपसे बेहतर कौन जानता है कि फिल्म शोले गब्बर की वजह से देखी जाती है, तीन सुपर स्टारों और एक सुपर हीरोइन की वजह से नहीं. मोदी जी, जब आप लाल किले की प्राचीर से दहाड़ रहे थे, आपके ही राज्य गुजरात के ऊना में दलितों पर आग्नेयास्त्रों से नृशंस हमले हो रहे थे. आपके मात्र संगठन द्वारा बोयी गयी विष बेल का रस पान कर मदमत्त लोग दलितों और अल्पसंख्यकों पर अमानुषिक हमलों का सिलसिला लगातार चलाये हुये हैं लेकिन आपने अपने संबोधन में उनके लिये एक भी शब्द नहीं बोला. पीड़ितों को अन्याय से छुटकारा कैसे मिलेगा, आप मौन ही रहे. ‘मौनं स्वीकृति लक्षणम’ यह शास्त्रों में विहित है, कोई मार्क्सवादी अवस्थापना नहीं. आपने ठीक कहा मोदी जी कि आपकी सरकार अपेक्षाओं की सरकार है, पर यह नहीं बताया कि गत 27 महीनों में आपने कौनसी अपेक्षाओं को पूरा कर दिया. कोई एक भी की हो तो बताइये जरूर. आपने मुद्रास्फीति 6 फीसदी के भीतर रखने का कीर्तिमान बनाने का दाबा किया है, पर हमें तो दाल रु.- 200 प्रति किलो मिल रही है उसका जिम्मेदार कौन? बेरोजगारों को हर वर्ष दो करोड़ रोजगार और किसानों को पचास फीसदी लाभ देने का क्या हुआ मोदी जी. गन्ना किसानों को सौ फीसद भुगतान दिलाने और हाथरस के ग्राम‌- फतेला में बिजली दौड़ाने के आपके दाबों की सच्चाई तो आपने अपने परमप्रिय मीडिया पर देख ही ली होगी. और भी कुछ लिखना चाहता था. पर आपके स्वच्छता अभियान का शिकार हुआ बैठा हूँ. लखनऊ में थोडी सी वारिश होगयी है, और हमारे 22, केसरबाग स्थित कार्यालय में हर रोज की तरह जल प्लावन होगया है. मेज के पायदान पर पैर रख कर टिप टिप कर रहा हूँ. बिजली भी नहीं है, लेपटाप के स्क्रीन की रोशनी का सहारा मिला हुआ है. बिजली की रोशनी के लिये तो मान लेता हूँ कि अखिलेश बाबू जिम्मेदार हैं. पर यह जलप्लावन तो आपके ही चहेतों की देन है. लखनऊ के मेयर तो सौ प्रतिशत आपके हैं पर आपके स्वच्छता हो या कोई और अभियान. आपके ही लोग पलीता लगा रहे हैं. इससे पहले कि बैटरी भी जबाव देजाय- भवं भवानी, सहितं नमामि, डा. गिरीश, राज्य सचिव भाकपा , उत्तर प्रदेश

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