फ़ॉलोअर
गुरुवार, 13 अप्रैल 2017
at 5:16 pm | 0 comments |
Jaliyaanvaalaa baag
हमेशा प्रासंगिक रहेगा जलियांवाले बाग कांड में हुआ बलिदान
कई घटनायें कालजयी होती हैं. खास काल और खास परिस्थितियों में हुयी ये घटनायें हमें वर्तमान काल और खास परिस्थितियों का मूल्यांकन करने और नई राह तलाशने में मदद करती हैं. जलियांवाला बाग कांड भी ऐसी ही घटनाओं में से एक है. आजादी के आंदोलन में भी इसका विशिष्ट अर्थ था तो आज भी इसका खास मतलब है. यही वजह है कि दो वर्ष बाद सौ वर्ष पूरे करने जारहे इस जघन्य हत्याकांड की यादें आज भी आम हिंदुस्तानी के मन- मस्तिष्क को झकझोर देती हैं. इस घटना ने हमारे इतिहास की समूची धारा को पूरी तरह बदल दिया था. यही वजह है कि आज भी पूरे देश में इस घटना को याद किया जाता है.
13 अप्रेल 1919 को हुये इस जघन्य हत्या कांड का कारण ब्रिटिश हुकूमत द्वारा लाया जारहा वह काला कानून था जिसे रोलट एक्ट के नाम से जाना जाता है. यह कानून आजादी के लिये चल रहे आंदोलन को कुचलने की मंशा से लाया गया था. इस कानून के जरिये अंग्रेजी हुकूमत ने और अधिक अधिकार हड़प लिये थे जिनके तहत वह प्रेस पर सेंसरशिप लगा सकती थी, बिना मुकदमे के नेताओं को जेल में रख सकती थी, लोगों को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती थी तथा उन पर विशेष ट्रिब्यूनलों में और बंद कमरों में बिना जवाबदेही दिये मुकदमे चला सकती थी आदि.
आज न देश पर कोई विदेशी ताकत शासन कर रही है न कोई रोलट एक्ट सामने है. पर देश और समाज को झकझोरने वाले घटनाक्रम आज भी हमारा पीछा नहीं छोड़ रहे. भारतीय प्रेस उस समय आजादी के आंदोलन की पक्षधर ताकतों के हाथ में था. वह उपनिवेशी शासन को उखाड़ फैंकने को तत्पर ताकतों की आवाज हुआ करता था. लुटेरी, जनविरोधी और तानाशाह ताकतें जितनी बंदूक की आवाज से नहीं डरतीं जितना कि मुट्ठी तान के खड़े होजाने वाले लुटे- पिटे लोगों की संगठित आवाज से डरती हैं. रोलट एक्ट उसी आवाज को दबाने के लिये प्रेस सेंसरशिप लादने व अन्य दूसरे कदम उठाने को लाया गया था.
पर आज हमारे प्रेस और मीडिया का बड़ा भाग लुटी पिटी ताकतों के साथ नही, लुटेरी, जनविरोधी और फासिस्ट इरादों वाली ताकतों के साथ खड़ा है. बिना रोलेट एक्ट के ही किसी को भी देशद्रोही करार देकर जेलों में ठूंसने, भीड़ बना कर किसी को भी झूठा अभियोग लगा कर मार डालने, शासन और संगठित निजी सेनाओं के जरिये युवाओं छात्रों दलितों अल्पसंख्यकों महिलाओं/ युवतियों और प्रतिरोध की आवाज बुलंद करने वाले नेताओं समाज सेवियों बुध्दिजीवियों और मीडियाकर्मियों को प्रताड़ित करने उनकी हत्या करने और उन्हें भयभीत करने का कारोबार बढ़े पैमाने पर चल रहा है.
जनविरोधी रोलट एक्ट के विरोधस्वरुप पूरा देश उठ खड़ा हुआ और लोगों ने जगह जगह गिरफ्तारियां दीं. हुकूमत ने आंदोलन को कुचलने के लिये दमन का रास्ता अपनाया. पंजाब के दो लोकप्रिय नेताओं डा. सत्यपाल और सैफुद्दीन किचलू को अमृतसर मे बिना किसी वजह के गिरफ्तार कर लिया गया. इसके विरोध में एक बड़ा जुलूस निकला. पुलिस ने शांतिपूर्ण जुलूस को रोका और अंतत: भीड़ पर गोलियां चला दीं. दो लोग मारे गये. इससे पूरे पंजाब में उबाल आजाना स्वाभाविक था. इतिहास एक नया मोड़ लेने की दहलीज पर था.
नेताओं की गिरफ्तारी और इस गोली कांड के विरोध में बैसाखी के दिन 13 अप्रेल 1919 की शाम को अमृतसर के जलियांवाला बाग में एक सभा का आयोजन किया गया. यद्यपि शहर में कर्फ्यू था फिर भी 10- 15 हजार के लगभग लोग बाग में जमा हुये. लोगों को सबक सिखाने के लिये बाग के एकमात्र दरबाजे पर पर पोजीशन लेकर ब्रिगेडियर जनरल रेजीनल्ड डायर ने बिना किसी चेतावनी के गोली चलवा दी. 1,650 राउंड गोलियां चलीं. जान बचाने के लिये तमाम लोग बाग में मौजूद कुयें में कूद गये. एक हजार से ज्यादा स्त्री पुरुष बच्चे बूढ़े जवान शहीद हुये और सैकड़ों की तादाद में घायल हुये.
कई बार दमनचक्र उलट परिणाम देता है और दमन के खिलाफ जंग के लिये उत्प्रेरक का काम करता है, यह शासक वर्ग और शासक तबके भूल जाते हैं. जलियांवाला बाग कांड ने देश के लोगों को झकझोर के रख दिया और वे आज़ादी की लड़ाई में और ताकत से जुटने लगे. पंजाब पूरी तरह स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़ा. गांधी जी ने 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू कर दिया जो 1922 आते आते एक ब्रिटिश विरोधी सशस्त्र संघर्ष में बदल गया था. इसी कांड में घायल एक युवक ऊधमसिंह ने अंग्रेजों से इसका बदला लेने की शपथ ली और इस घटना के इक्कीस साल बाद 13 मार्च 1940 को लंदन के कैक्सटन हाल में जनरल डायर को पिस्तौल की गोलियों से भून डाला. भगत सिंह और उन जैसे तमाम युवाओं ने इस घटना से उद्वेलित होकर देश की गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिये अपने जीवन को बलिदान करने का सुदृढ- संकल्प लिया.
हम सब आज जलियांवाला बाग काण्ड के शहीदों को याद करते हुये मौजूदा शासक वर्ग और शासकों से सवाल करें कि इस इतिहास में उनके लिये कोई सबक छिपा है क्या?
डा. गिरीश
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
मेरी ब्लॉग सूची
-
CPI Condemns Attack on Kanhaiya Kumar - *The National Secretariat of the Communist Party of India issued the following statement to the Press:* The National Secretariat of Communist Party of I...6 वर्ष पहले
-
No to NEP, Employment for All By C. Adhikesavan - *NEW DELHI:* The students and youth March to Parliament on November 22 has broken the myth of some of the critiques that the Left Parties and their mass or...8 वर्ष पहले
-
रेल किराये में बढोत्तरी आम जनता पर हमला.: भाकपा - लखनऊ- 8 सितंबर, 2016 – भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने रेल मंत्रालय द्वारा कुछ ट्रेनों के किराये को बुकिंग के आधार पर बढाते चले जाने के कदम ...8 वर्ष पहले
Side Feed
Hindi Font Converter
Are you searching for a tool to convert Kruti Font to Mangal Unicode?
Go to the link :
https://sites.google.com/site/technicalhindi/home/converters
Go to the link :
https://sites.google.com/site/technicalhindi/home/converters
लोकप्रिय पोस्ट
-
वामपंथी एवं जनवादी दलों का राज्य स्तरीय ‘ सम्मिलन ’ संपन्न बुलडोजरवाद , पुलिस उत्पीड़न , वामपंथी कार्यकर्ताओं पर हमले , संविधान और लो...
-
# सरकारी स्तर पर धार्मिक क्रियायेँ आयोजित कराने संबंधी मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश के आदेश को तत्काल निरस्त किया जाये # सर्वोच्च न्यायालय के...
-
उत्तर प्रदेश में निरंतर सामने आ रहे भ्रष्टाचार के मामलों पर केंद्र और राज्य सरकार की चुप्पी हैरान करने वाली भाकपा ने घोटालों की ज़िम्मेदा...
-
हापुड़ में फैक्ट्री मजदूरों की दर्दनाक मौत पर भाकपा ने गहरी वेदना प्रकट की भाकपा की मेरठ मंडल की इकाइयों को आवश्यक कदम उठाने और 8 जून को ...
-
‘ अग्निपथ ’ योजना को फौरन रद्द किया जाये , रिक्तियों को मौजूदा प्रक्रिया से तत्काल भरा जाये: भाकपा लखनऊ- 17 जून 2022 , भारतीय कम्युनि...
-
साम्राज्यवाद का दुःस्वप्नः क्यूबा और फिदेल आइजनहावर, कैनेडी, निक्सन, जिमी कार्टर, जानसन, फोर्ड, रीगन, बड़े बुश औरछोटे बुश, बिल क्लिंटन और अब ...
-
उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव 2019- आर्थिक और अन्य सहयोग हेतु भाकपा राज्य काउंसिल की अपील। प्रिय मित्रो , उत्तर प्रदेश विधान सभा क...
-
The Central Secretariat of the Communist Party of India (CPI) has issued the following statement to the press: The Communist Party of India ...
-
इंडो एशियन न्यूज़ ने आज छापा है कि : "Waving cricket bats, hundreds of Congress activists gave a roaring welcome to former minister of ...
-
रेल मंत्री और उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री की बर्खास्तगी तथा घटनाओं की न्यायिक जांच आदि मांगों को लेकर प्रदेश भर में सड़कों पर उतरे वा...
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें