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गुरुवार, 24 मई 2018

CPI furtherdemands cancelation of Modi's programm on 27th in Baghpat


पीएम मोदी के कार्यक्रम पर रोक न लगाने का निर्णय अविवेकी एवं पक्षपातपूर्ण

भाकपा ने निर्वाचन आयोग से पुनर्विचार करने की मांग की


लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मंडल ने पीएम मोदी की 27 मई की रैली और लोकार्पण कार्यक्रम को बेहद लचर तर्कों को आधार बना कर प्रतिबंधित न करने के फैसले को अविवेकपूर्ण और पक्षपातपूर्ण बताया है. भाकपा ने लोकहित और लोकतंत्र के हित में अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की मांग की है.
यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहाकि निर्वाचन आयोग ने उन परिस्थितियों पर गौर नहीं किया जिसके आधार पर 27 मई को प्रस्तावित रैली एवं लोकार्पण कार्यक्रम को प्रतिबंधित करने की मांग की गयी है.
सभी जानते हैं कि गत लोकसभा चुनावों के दरम्यान प्रत्येक मतदान के दिन मोदी ने कहीं न कहीं रोडशो अथवा रैलियाँ आयोजित की थीं. एक तरफ क्षेत्र विशेष में मतदान चल रहा होता था तो दूसरी तरफ भाजपा के क्रीत टीवी चैनल उसका लाइव प्रसारण कर रहे होते थे. इससे मतदाताओं का प्रभावित होना स्वाभाविक था. बाद में भाजपा के पक्ष में आये आश्चर्यजनक चुनाव नतीजों से भी यह साबित होगया था.
डा. गिरीश ने आरोप लगाया कि बाद में कई विधानसभा चुनावों और उपचुनावों में भी भाजपा ने इस हथकंडे का प्रयोग किया. गुजरात विधान सभा के चुनावों का प्रचार थमने के बाद भी श्री मोदी ने वहां “यो यो फेरी” का उद्घाटन किया था यह भी सभी के संज्ञान में है.
उन्होंने निर्वाचन आयोग से सवाल कियाकि क्या निर्वाचन आयोग ने प्रधानमंत्री सचिवालय से यह पूछा कि जब सर्वोच्च न्यायालय ने ईस्टर्न पेरिफेरल हाइवे के लोकार्पण के लिये 31 मई तक की समय सीमा निर्धारित की है तो क्यों नहीं यह कार्यक्रम 28 मई के बाद रखा गया? क्यों जानबूझ कर यह कार्यक्रम कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा के निर्वाचन के समय चुनाव प्रचार बन्द होजाने और मतदान से पहले रखा गया?
भाकपा ने यह भी प्रश्न किया है कि क्या निर्वाचन आयोग इस बात की गारंटी करेगा कि श्री मोदी के इन कार्यक्रमों में इन दोनों चुनाव क्षेत्रों के मतदाताओं को नहीं लाया जायेगा? क्या उनके लाने लेजाने और खाने- पीने पर धन खर्च नहीं किया जाएगा? क्या इन कार्यक्रमों का टीवी चैनलों को प्रभावित कर लाइव प्रसारण अथवा बार बार समाचार प्रसारण नहीं कराया जायेगा और वह इन दोनों मतदेय क्षेत्रों में प्रसारित नहीं होगा? क्या मतदान वाले दिन दोनों चुनाव क्षेत्रों में बंटने वाले समाचार पत्र मोदीजी के भाषणों और कथित घोषणाओं से भरे नहीं होंगे? और क्या इस सबसे दोनों क्षेत्रों के मतदाता प्रभावित नहीं होंगे?
इन सारी स्थितियों- परिस्थितियों पर गंभीरता से विचार कर निर्णय लेने के बजाय शामली के जिलाधिकारी की इस रिपोर्ट कि आचार संहिता तो शामली में लगी है, निर्वाचन आयोग ने यह सुविधाजनक निर्णय लेलिया. कौन नहीं जानता कि उपचुनावों में आचार संहिता संबंधित जिले में ही लगती है. निर्वाचन आयोग को शासक दल की मंशा और दोनों कार्यक्रमों से पैदा होने वाली परिस्थितियों का परीक्षण भी करना चाहिये. भाकपा ने निर्वाचन आयोग से अपने उपर्युक्त फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है.
ज्ञातव्य होकि गत दिन भाकपा ने एक बयान जारी कर मोदी द्वारा किये जाने वाले लोकार्पण कार्यक्रम और चुनाव क्षेत्रों के समीपस्थ जिले में प्रस्तावित रैली को रद्द करने की मांग की थी और फिर राष्ट्रीय लोकदल ने निर्वाचन आयोग से लिखित अपील की थी.

डा. गिरीश

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