गुरुवार, 27 मार्च 2014
राज्य सरकार ने नहीं निभाया राजधर्म--भाकपा
लखनऊ- २७, मार्च, २०१४. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कहा कि मुजफ्फरनगर के दंगों पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उत्तर प्रदेश की सरकार इन दंगों के फ़ैलने देने की गुनहगार है और उसे अब इन दंगों की नैतिक जिम्मेदारी कबूल कर लेनी चाहिये. लेकिन इस फैसले की आड़ में भाजपा द्वारा अपने को निर्दोष साबित करने की कोशिशों को भी भाकपा कतई बर्दाश्त नहीं करेगी और दंगों में उसकी संलिप्तता का भी पर्दाफाश करेगी.
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर भाकपा की प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाकपा के राज्य सचिव डॉ.गिरीश ने कहा कि वे स्वयं और उनकी पार्टी शुरू से ही कहती आरही है कि मुजफ्फरनगर दंगों में राज्य सरकार अपने राजनैतिक स्वार्थों को पूरा करने में जुटी रही और उसने दंगों को रोकने और फैलने से रोकने के लिये समुचित प्रयास नहीं किये. राज्य सरकार अपने कर्तव्य निर्वहन की दोषी है. अब सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उसे कटघरे में खड़ा कर देने के बाद राज्य सरकार को इसकी नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार कर लेनी चाहिये.
भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि इस फैसले की आड़ में भाजपा अपने को पाक दामन साबित करने में जुट गयी है. उसकी इस कोशिश का भाकपा पर्दाफाश करेगी. इस हेतु शीघ्र ही एक “खुलासा पत्र” जारी किया जायेगा.
डॉ. गिरीश ने राज्य सरकार से मांग की कि वह इस फैसले को अमली जमा पहनाये और दंगे के दोषी वे चाहे किसी भी सम्प्रदाय अथवा पार्टी से सम्बंधित हों को तत्काल गिरफ्तार करे, सभी पीड़ितों को समान मुआबजा दे तथा वहां से पलायित लोगों को उनके गांवों में बसाने को ठोस कदम तत्काल उठाये.
डॉ. गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा , उत्तर प्रदेश
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मंगलवार, 18 मार्च 2014
at 2:28 pm | 0 comments |
मोदी के खिलाफ साझा प्रत्याशी उतारें वाम- जनवादी दल: भाकपा
लखनऊ- १८ मार्च २०१४. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डॉ. गिरीश ने कहा कि वाराणसी से मोदी को भाजपा ने प्रत्याशी घोषित कर यह जताता दिया है कि दक्षिणपंथी, सांप्रदायिक और बरबादी का उनका एजेंडा अब उत्तर प्रदेश से देश पर छाजाने की राह तलाश रहा है. यह वाराणसी और उत्तर प्रदेश की जनता के लिये भी एक चुनौती है.
भाकपा की दृढ़ राय है कि इस चुनौती को वाराणसी एवं उत्तर प्रदेश की जनता को स्वीकार करना चाहिये और मोदी को खाली हाथों यहाँ से विदा करना चाहिये. उत्तर प्रदेश हिंदुस्तान का दिल है और वाराणसी उसका दिमाग. उत्तर प्रदेश और वाराणसी के मतदाता देश की बरबादी का रास्ता कदापि नहीं खोल सकते. सभी जानते हैं कि भूल से भी देश की बागडोर मोदी के हाथों में पहुँच गयी तो वे बरबादी का ऐसा भीषण तांडव छेड़ेंगे कि उससे उत्तर प्रदेश ही नहीं देश भी झुलस जायेगा . यह देश, इसका बुध्दिजीवी तबका एवं जागरूक मतदाता ऐसा कभी सम्भव नहीं होने देगा.
डॉ. गिरीश ने कहा कि यदि वामपंथी धर्मनिरपेक्ष एवं लोक तांत्रिक ताकतें वाराणसी से मोदी के खिलाफ एक साझा उम्मीदवार उतारें तो भाजपा और संघ परिवार के घ्रणित मंसूबों को वहीं दफनाया जा सकता है. अतएव भाकपा काग्रेस, बसपा, सपा, आप एवं अन्य राजनैतिक दलों से अपील करती है कि वहां एक साझा प्रत्याशी उतारने को शीघ्र ठोस कदम उठायें.
डॉ. गिरीश, राज्य सचिव.
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शुक्रवार, 14 मार्च 2014
at 5:48 pm | 0 comments |
भाकपा ने बनाई चुनावी अभियान चलाने की रणनीति.
लखनऊ- १४, मार्च २०१२- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की उत्तर प्रदेश राज्य काउन्सिल की दो दिवसीय बैठक आज यहाँ सम्पन्न होगयी. बैठक में भाकपा द्वारा लड़ी जारही ८ लोक सभा सीटों पर चुनाव की तैय्यारियों पर चर्चा की गई, इस हेतु जनता से चुनाव फंड एकत्रित करने का निर्णय लिया गया तथा इन सीटों पर शीघ्र से शीघ्र कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया गया. साथ ही वामदलों के साथ अधिक से अधिक सहमति बनाने को सघन प्रयास करने का निर्णय भी लिया गया.
बैठक में देश और प्रदेश के मौजूदा हालात पर चर्चा करते हुये पार्टी के राज्य सचिव डॉ. गिरीश ने कहा कि देश इस समय अभूतपूर्व राजनैतिक एवं आर्थिक संकटों से जूझ रहा है. केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा अपनायी जा रही नीतियों से आम जनता बेहद कठिनाइयों का सामना के रही है. जनता कमरतोड़ महंगाई, शासन- प्रशासन में दीमक की तरह घुस चुके भ्रष्टाचार, निरंतर बढ़ रही महंगाई, महंगे इलाज और महंगी पढ़ाई की मार से जूझ रही है. सत्ता में बैठे पूंजीवादी दलों से जनता आजिज आगयी है और वह उसका विकल्प चाहती है.
जनता के गहरे आक्रोश को भांपते हुये ये पार्टियाँ उसको गुमराह करने को हर तरह के हथकंडे अपना रही हैं. कांग्रेस अपनी उपलब्धियों का झूठा ढिंढोरा पीट रही है. भाजपा फिर से अपने चिर परिचित सांप्रदायिक औजारों को पैना कर रही है. उसने मुजफ्फर नगर और उसके अगल-बगल के जिलों को साम्प्रदायिकता की प्रयोगशाला बनाया और सैकड़ों लोगों की हत्याएं वहां कराई गयीं. वे नारा देरहे हैं- उत्तर प्रदेश गुजरात बनेगा. वे गुजरात के विकास के फर्जी आंकड़े प्रस्तुत कर रहे हैं.
डॉ. गिरीश ने कहा कि उत्तर प्रदेश में पिछले दो सालों में प्रदेश का राजनैतिक ढांचा पूरी तरह चरमरा गया और आम आदमी का जीवन दूभर होगया. यहाँ तक कि राज्य सरकार सांप्रदायिक वारदातों को रोकने के बजाय वोट की राजनीति करते नजर आयी. सूबे का मुख्य विपखी दल बसपा है जो कभी भी जनता के सवालों पर आवाज नहीं उठाता. वे वोट के लिए केवल और केवल जातीय समीकरण साधने में लगे रहते हैं. प्रदेश की जनता अपने जीवन से जुड़े कठिन सवालों का हल चाहती है लेकिन ये सारे दल मुद्दों से दूर भाग रहे हैं.
उन्हाने कहाकि वह केवल वामपंथ है जो जनता के ज्वलंत सवालों महंगाई भ्रष्टाचार बेरोजगारी महंगी शिखा महंगे इलाज और किसान कामगारों की जिन्दगी में रोशनी लाने वाले सवालों पर निरंतर आवाज उठा रहा है और सांप्रदायिक और विभाजनकारी अन्य ताकतों को कड़ी चुनौती देता रहा है. हम इन्ही सवालों को लेकर चुनाव अभियान चलाएंगे.हम जनता से अपील करेंगे कि वह मुद्दों पर आधारित राजनीति को बल प्रदान करे और वामपंथी दलों को आगे बढ़ाये. उन्होंने भाकपा कार्यकर्ताओं और नेताओं से अपील की कि वे भाकपा प्रत्याशियों की सफलता के लिए पूरी ताकत से जुट जायें.
बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि भाकपा को अपना चुनावी अभियान जनता के सहयोग से चलाना है माफिया दलाल और शोषकों के धन से नहीं. इसके लिए जनता के बीच जाकर चुनाव फंड एकत्रित करने का निर्णय भी लिया गया.
बैठक में बुन्देलखण्ड पश्चिमी उत्तर प्रदेश मध्य उत्तर प्रदेश एवं पूर्वांचल में ओलों एवं वारिश से फसलों के हुये भारी नुकसान पर गहरी चिंता व्यक्त की गयी. एक प्रस्ताव पास कर राज्य सरकार और केंद्र सरकार से मांग की गयी कि वह फसलों की हानि की शत-प्रतिशत भरपाई तत्काल करे. निर्वाचन आयोग से भी मांग की गयी कि वह केंद्र और राज्य सरकार को किसानों को तत्काल आर्थिक पैकेज उपलब्ध कराने का निर्देश जारी करे.
बैठक की अध्यक्षता अशोक मिश्र ने की. बैठक को पूर्व विधायक इम्तियाज़ अहमद, एटक के प्रांतीय अध्यक्ष एवं सचिव अर्विन्दराज स्वरूप व सदरुद्दीन राना, महिला फेडरेशन की महासचिव आशा मिश्रा आदि ने भी सम्बोधित किया.
डॉ. गिरीश, राज्य सचिव
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रविवार, 9 मार्च 2014
at 9:30 pm | 0 comments |
भाकपा उत्तर प्रदेश में लोक सभा की आठ सीटों पर लड़ेगी चुनाव.
लखनऊ/ नई दिल्ली- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश में लोक सभा की आठ सीटों पर चुनाव लड़ेगी. आज नई दिल्ली में सम्पन्न भाकपा की केन्द्रीय कार्यकारिणी एवं राष्ट्रीय परिषद की बैठक में भाकपा की राज्य कार्यकारिणी द्वारा चयनित सीटों की सूची पर अंतिम मुहर लगादी. इस सूची में दो प्रत्याशी अल्पसंख्यक समुदाय से हैं, जब कि तीन अनुसूचित वर्ग से सम्बंधित हैं. पार्टी ने दो सुरक्षित सीटों के अलाबा गोंडा की सामान्य सीट से भी अनुसूचित प्रत्याशी उतरा है.
भाकपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं राज्य सचिव डॉ. गिरीश ने बताया कि भाकपा जिन सीटों पर चुनाव लड़ेगी वे और उन पर लड़ने वाले प्रत्याशी इस प्रकार हैं— घोसी- अतुल कुमार अंजान, बाँदा- रामचंद्र सरस, मछलीशहर(अनु.)- सुभाष चन्द्र गौतम, बरेली- मसर्रत वारसी उर्फ़ पप्पू भाई, राबर्ट्सगंज(अनु.)- अशोक कुमार कनोजिया, मुजफ्फर नगर- नूर अली, गोंडा- ओमप्रकाश, लखीमपुर खीरी- विपनेश शुक्ला .
डॉ. गिरीश ने बताया कि भाकपा ने अपनी चुनावी तैयारियों को गति प्रदान करने हेतु भाकपा की उत्तर प्रदेश राज्य कार्यकारणी और काउन्सिल की आपात्कालीन बैठक १३ एवं १४ मार्च को लखनऊ में आहूत की है.
डॉ. गिरीश, राज्य सचिव.
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