जातीय जनगणना, अल्पसंख्यकों के प्रति घ्रणा अभियान, विधायक निधि में बढ़ोत्तरी, महंगाई और बेरोजगारी, बुलडोजरवाद और पुलिसराज के विरूध्द उत्तर प्रदेश में अभियान चलाने की रूपरेखा
बनाने में जुटे वामपंथी दल
लखनऊ- 10 जून 2022, जातिगत जन गणना से उत्तर प्रदेश सरकार के मुकरने, पहले से ही भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी विधायक निधि को बढ़ा कर रु॰ 5 करोड़
कर दिये जाने, सारी सीमायें लांघ रही महंगाई और बेरोजगारी, अल्पसंख्यकों के प्रति केन्द्र, उत्तर प्रदेश सरकारों
और संघकुल द्वारा चलाये जा रहे घ्रणा अभियान, बुलडोजरवाद और पुलिसराज के चक्र तले रौंदे जा रहे अवाम की पीड़ा जैसे सवालो
पर उत्तर प्रदेश में वामपंथी दल बड़ी कार्यवाहियों की ओर बढ़ने की योजना पर काम कर रहे
हैं।
इस संबंध में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की
कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी एवं भाकपा- माले के राज्य सचिवों ने आज लखनऊ में बैठक
कर प्राथमिक चर्चा की।
बैठक में निर्णय लिया गया कि उपर्युक्त के संबन्ध में विस्तारित
चर्चा हेतु वामपंथी दलों का शीर्ष नेत्रत्व एक और विस्तारित बैठक आयोजित करेगा। यह
बैठक आगामी 6 जुलाई को पूर्वान्ह 10: 30 बजे भाकपा के राज्य
कार्यालय, 22 कैसरबाग, लखनऊ में आयोजित
की जायेगी। बैठक में वामदलों के राज्य सचिव मंडलों के साथीगण शिरकत करेंगे। वामपंथ
की सहयोगी कई अन्य पार्टियों की ओर से उनके दो प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जा रहा
है।
बैठक के बाद एक संयुक्त प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव
डा॰ गिरीश, माकपा के राज्य सचिव डा॰ हीरालाल यादव एवं भाकपा माले के राज्य
सचिव का॰ सुधाकर यादव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने दलितों और पिछड़ों को जाति- धर्म
के नाम पर बरगला कर उनका वोट हासिल कर सरकारें तो बना लीं, पर
अब वह उनकी समस्याओं के निदान और सामाजिक न्याय के सवाल से भाग रही है। इसीलिए केन्द्र
और राज्य सरकारें जाति आधारित जनगणना और गणना कराने में निरंतर टालमटोल कर रही हैं।
जनता की आलोचनाओं के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार ने विधायक निधि को बढ़ा कर 5 करोड़ कर
उनकी सात पीढ़ियों के विलासितापूर्ण जीवन का इंतज़ाम कर दिया है। लोकसभा के उपचुनावों
और राष्ट्रपति चुनाव से पहले यह कार्यवाही चुनावी लाभ की भावना से प्रेरित है।
वामपंथी नेताओं ने कहा कि महंगाई पहले ही सातवें आसमान पर है
और अब जिम्मेदार संस्थाओं ने विकास दर के नीचे जाने और महंगाई को छप्पड़ फाड़ कर आगे
जाने की भविष्यवाणियाँ की हैं। इससे जनता का जीवन संकट में आ गया है और कई लोगों ने
धनाभाव से पीढ़ित हो स्वयं अथवा परिवारों सहित आत्महत्याएं की हैं। वामपंथ निरंतर इस
सवाल पर संघर्षरत है और उसने 25 से 31 मई तक व्यापक जन आंदोलन चलाया है। लेकिन अब इस
सवाल को और शिद्दत से आगे बढ़ाया जायेगा। रोजगार देने वाली परंपरागत योजनाओं से मुकरने, मनरेगा
को सीमित करने, भर्ती जाम और सार्वजनिक क्षेत्रों के निजीकरण
से बेरोजगारी ने युवाओं और मजदूरों को भुखमरी के गर्त में धकेल दिया है, अतएव संघर्ष का यह एक अहम मुद्दा होगा।
सरकारों का पीछा कर रही समस्याओं से ध्यान हटाने को सत्ता की
ताकत से चूर संघकुल द्वारा अपनी अल्पसंख्यक विरोधी विचारधारा को सरकारों के जरिये अमल
में लाने से आज अल्पसंख्यकों के खिलाफ भारी घ्रणा अभियान चलाया जा रहा है जिसकी कीमत
देश को विश्व स्तर पर चुकानी पड़ी है। ज्वलंत समस्याओं से आक्रोशित जनमानस को बुलडोजर
चला कर और पुलिस को दमन की खुली छूट दे कर भयाक्रांत किया जा रहा है। राजनीति से प्रेरित
इस दमनचक्र के बावजूद उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था जर्जरतम स्थिति में है।
6 जुलाई को होने जा रहे वाम- समागम में इन सवालों पर गंभीरता
से विचार कर आगे की कार्ययोजना तैयार की जायेगी, वाम नेताओं ने कहा है।
जारी द्वारा-
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश