भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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Communist Party of India, U.P. State Council

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गुरुवार, 9 जून 2011

अमरीका में एक और मंदी के आसार


अमरीकी अर्थतंत्र में एक और मंदी आने के आसार व्याप्त हैं। 31 मई को अमरीका के शेयर बाजारों में ग्रीस को एक और बेलआउट पैकेट मिलने की उम्मीद में तेजी आई थी लेकिन अगले ही दिन 1 जून को अमरीकी शेयर बाजारों में अगस्त 2010 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट ने यह संकेत दे दिये कि अमरीकी अर्थव्यवस्था संकट के दौर से गुजर रही है। यह गिरावट आज तक जारी है। कल अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन बेन बर्नानके ने स्वीकार किया कि अमरीकी अर्थव्यवस्था में सुस्ती आ गई है। हालांकि मंदी से उबरने के लिए किसी तरह की कदम उठाने की घोषणा नहीं की गई है। बाजार को उम्मीद थी कि फेडरल रिजर्व तीसरे राहत पैकेज की घोषणा कर सकता है परन्तु ऐसा नहीं हुआ।

अमरीकी राष्ट्रपति का चुनाव नजदीक आता जा रहा है। वर्तमान राष्ट्रपति बराक ओबामा जनता के मध्य अपनी छवि को दूसरे देशों की प्रभुसत्ता के उल्लंघन द्वारा, जिसका ताजा उदाहरण पाकिस्तान में बिना पाकिस्तानी सरकार को बताये घुस कर ओसामा बिन लादेन का शिकार करना रहा है, निखारने और जनप्रिय होने का प्रयास कर रहे हैं परन्तु वे अपना घर ठीक तरह से नहीं चला पा रहे हैं। अमरीकी अर्थव्यवस्था संकटों से उबर नहीं पा रही है और हालात यहां तक पहुंच गये हैं कि अमरीका द्वारा अपने कर्जों और उस पर ब्याज की अदायगी में डिफाल्टर होने की कगार पर पहुंच गया है। पूरी दुनियां में उसके इस संकट से कई देशों की सरकारें चिन्ताग्रस्त हैं। चीन के केन्द्रीय बैंक के एक सलाहकार ली डाउकोई ने बुधवार 8 जून को कहा कि अगर अमरीकी सरकार अपने ऋणों की अदायगी में डिफाल्ट करती है तो वह आग से खेलेगी। ज्ञातव्य हो कि चीन अमरीकी सरकार को ऋण देने वाला दुनिया का सबसे बड़ा निवेशक है जिसने 1.14 ट्रिलियन अमरीकी डालर अमरीकी सरकार को उधार दे रखे हैं। भारत ने भी अमरीकी सरकार को 39.8 बिलियन अमरीकी डालर अमरीकी सरकार को उधार दे रखे हैं और भारतीय रिजर्व बैंक मामले पर नजर रखे हुये है।

अमरीकी अर्थव्यवस्था का घाटा इस साल 1.4 ट्रिलियन अमरीकी डालर तक पहुंचने के उम्मीद जताई जा रही है और इसे कम करने के लिए ओबामा प्रशासन हर सम्भव उपाय करने के प्रयास कर रहा है।

अगर अमरीकी ट्रेजरी ऋणों पर ब्याज की अदायगी नहीं कर पाती है तो अमरीकी अर्थव्यवस्था के एक बार फिर मंदी से घिरने की आशंका पूरे विश्व में जतायी जा रही है। अगर ऐसा होता है तो अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाजार में डालर के नीचे गिरने की पूरी संभावना है।

बार-बार मंदी का शिकार होना पूंजीवादी व्यवस्था का अंतर्निहित चरित्र है। इसे रोके जाने के प्रयास तो किये जा सकते हैं लेकिन इसे अधिक दिनों तक टाला नहीं जा सकता है। सम्प्रति जिस तरह का अंतर्राष्ट्रीय अर्थतंत्र काम कर रहा है, उसमें अमरीकी अर्थव्यवस्था के मंदी में जाने से पूरे विश्व की अर्थव्यवस्थाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसका असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। चीन के एक अर्थशास्त्री ने तो स्वीकार किया है कि यदि अमरीका अपने ऋणों और उस पर देय ब्याज में डिफाल्ट करता है, तो उसका असर चीनी अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा।

- प्रदीप तिवारी

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CPI DECLARES NORMS FOR MP LAD FUND UTILISATION BY IT'S MEMBERS OF PARLIAMENT

National Executive (24th May 2011) adopted the following norms for the allotment of MP Lad funds by CPI Members of Parliament
Earlier Members of Parliament were given Rs. 2 crore to allot for local area development. Now recently it has been increased to Rs. five crores. We have nine Members of Parliament four in Lok Sabha and five in Rajya Sabha. Some norms were decided a few years back, how to spend the money. Once again it has became necessary to decide the norms on MP Lad funds, to be allotted by our comrades.

  1. There is criticism generally, that some times the MP Lad funds are unutilized, misused and even corruption. Our comrades should take all care not to face such criticism. Though funds are earmarked, it will not be used as the local officers, cannot get the land as dispute arises in the village. The carelessness of department concerned will be responsible for non-implementation. Hence regular check up on the execution of all works should be taken up.
  2. Specific instructions from Government are given to earmark 10% or more for works in S.C. localities. This should be implemented strictly.
  3. Generally there are complaints of misuse of funds, in works like road formations, compound walls, drainage works etc. These should be avoided, as these works will not be remembered by the people except in remote villages. The Member of Parliament is to be accountable to party while distributing the funds.

a) The Lok Sabha members are bound to accept the advice of the concerned district committee on 80% of the funds. The district committee secretariat or a three-member committee should give the proposals in writing to the Member of Parliament. No funds should be allotted by M.P directly overtaking the concerned committee. It can be distributed assembly segments wise. The committee should respect the friendly parties needs also while finalizing the works. MPs proposals should be given the first priority
b) Rajya Sabha Members should be accountable to the state committee. A small committee including the state secretary can make the allotments, keeping the interest of different districts.
c) As the Member of Parliament will be approached directly by some individuals, friends, other parties etc. He should have the discretion to allot 20% of the total funds. However these allotments also should be informed to the committee.
d) District Parties should take all care that funds are not misused, at any cost and inform to MP from time to time on the progress of execution.
e) Efforts can be made to create permanent assets like Hospitals, Primary health centres, Schools, Community halls, Anganwadi, Panchayat offices, which will stand permanently. Concerned committees can take decisions.
f) There should be press statement from time to time on allotment of MP Lad funds by the concerned M.P. A register should be available with the concerned Party Committee on the allotment of funds. If possible it should be put on online. Our allotment of MP Lad funds and execution should be as transparent as possible.
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