भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

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गुरुवार, 13 फ़रवरी 2014

पेट्रोलियम मंत्रालय के घोटालों की प्रभावी जाँच की मांग.

लखनऊ—१३, फरबरी- २०१४. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डॉ०गिरीश ने कहाकि के.जी. बेसिन में अम्बानी की कम्पनी रिलाइंस इण्डिया लिमिटेड के लिये गैस की कीमतें दो गुनी करने के मामले एवं चुनाव वर्ष में तेल एवं प्राक्रतिक गैस आयोग(ONGC) के मौजूदा चेयरमैन को सारे नियमों को ताक पर रख कर एक साल के लिये पुनर्नियुक्ति दिलाने के प्रयासों से यह साबित हो गया है कि पेट्रोलियम मंत्रालय भारी भ्रष्टाचार में डूबा है. डॉ० गिरीश ने इस मंत्रालय के साढ़े चार साल के क्रिया कलापों की प्रभावी, विश्वासप्रद एवं उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है. उन्होंने कहाकि दोनों ही सवाल अत्यधिक लोक महत्व के हैं और दोनों में लोकधन के अपव्यय एवं भारी भ्रष्टाचार की तमाम सम्भावनायें नजर आरही हैं अतएव भाकपा के वरिष्ठ सांसद एवं ए.आई.टी.यू.सी. के महासचिव का० गुरुदास दासगुप्त ने पिछले आठ माहों में इन मामलों को बार-बार उजागर किया. उन्होंने गैस के मुद्दे को लोक सभा में उठाया, कई बार प्रधान मंत्री को चिट्ठियां लिखीं, पूरे मसले पर एक पुस्तिका प्रकाशित की तथा सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की जिस पर ४ मार्च को सुनवाई होना वांच्छित है. इसी तरह जब पेट्रोलियम मंत्री ने सारे कायदे कानूनों और स्थापित परम्पराओं को दरकिनार कर ओ.एन.जी.सी.के मौजूदा चेयरमैन के कार्यकाल को एक वर्ष आगे बढ़ाने और नियमानुसार गठित पैनल द्वारा नयी नियुक्ति के लिए की गई संसुति को निष्प्रभावी करने की कोशिश की तो का० गुरुदास ने इस मामले को भी पूरी शिद्दत से उठाया और एक नहीं दो-दो बार इस सम्बन्ध में भी प्रधानमंत्री को चिट्ठियां लिखीं. अब दिल्ली की सरकार द्वारा गैस मामले पर ऍफ़.आई.आर. दर्ज करा देने से मीडिया ने भी खासी कवरेज दी है और जनता पेट्रोलियम मंत्रालय के भीतर क्या कुछ चल रहा है, जानना चाहती है. डॉ० गिरीश ने कहाकि वैसे तो कांग्रेस अथवा भाजपा दोनों के ही शासनकाल में अधिकतर पेट्रोलियम मंत्री अम्बानी की पसंद के आधार पर ही बनते रहे हैं, लेकिन इस बार हस्तक्षेप कुछ अधिक ही है. अतएव जनता के सामने सच्चाई आनी ही चाहिये.
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