फ़ॉलोअर
बुधवार, 18 जुलाई 2018
at 5:48 pm | 0 comments |
इस नए आपातकाल का अभी नामकरण किया जाना शेष है: डा. गिरीश
आपातकाल और उसकी ज्यादतियां
इतिहास की वस्तु बन गयी हैं. संघ, उसके पिट्ठू संगठनों, भाजपा और उनकी सरकार ने
विपर्यय की आवाज को कुचलने की जो पध्दति गड़ी है इतिहास को अभी उसका नामकरण करना
शेष है. फासीवाद, नाजीवाद, अधिनायकवाद, तानाशाही और इमरजेंसी आदि सभी शब्द जैसे बौने
बन कर रह गये हैं. चार साल में जनहित के हर मुद्दे पर पूरी तरह से असफल होचुका सत्ताधारी
गिरोह जनता की, विपक्ष की, गरीबों की, दलितों महिलाओं और अल्पसंख्यकों की प्रतिरोध
की हर आवाज को रौंदने में कामयाब रहा है.
झारखंड में स्वामी अग्निवेश
पर भारतीय जनता युवा मोर्चा और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा किये गये
कातिलाना हमले से उन लोगों की आँखों से पर्दा हठ जाना चाहिये जो आज भी संघ गिरोह
को एक धर्म विशेष के रक्षक के रूप में माने बैठे हैं. स्वामी अग्निवेश एक ऐसे
सन्यासी हैं जो पाखण्ड और पोंगा पंथ की व्यवस्था से जूझ रहे हैं. वे मानव द्वारा
मानव के शोषण पर टिकी लुटेरी व्यवस्था के उच्छेद को तत्पर समाजसेवी हैं. उन पर हुआ
कातिलाना हमला दाभोलकर, कालबुर्गी, गोविन्द पंसारे और गौरी लंकेश की हत्याओं की
कड़ी को आगे बढाने वाला है.
अभी कल ही माननीय सर्वोच्च
न्यायालय ने मौब लिंचिंग की घटनाओं पर सरकारों को फटकार लगायी थी और उसके विरुध्द
क़ानून बनाने का निर्देश दिया था. क़ानून अब भी कई हैं और एक नया क़ानून और भी बन
जाएगा पर क्या यह क़ानून सत्ता प्रतिष्ठान से जुड़े गिरोह पर लागू होपायेगा यह सवाल
तो आज से ही मुहँ बायें खडा है.
अग्निवेश पर हमला उस विद्यार्थी
संगठन ने किया है जो “ज्ञान शील और एकता” का मुखौटा लगा कर भोले भाले छात्रों को
मारीच- वृत्ति से बरगला कर कतारों में शामिल कर लेता है और फिर उन्हें कथित
बौध्दिक के नाम पर सांप्रदायिक और उन्मादी नागरिक बनाता है. उत्तर प्रदेश के
कासगंज में इस संगठन द्वारा मचाये उत्पात की भेंट इन्हीं की कतारों का एक नौजवान
चढ़ गया था जिसका दोष उस क्षेत्र के अल्पसंख्यकों के मत्थे मढ़ दिया गया. मैंने उस
वक्त भी यह सवाल उठाया था कि अभिवावक अपने स्कूल जाने वाले बच्चों को इस गिरोह की
गिरफ्त से बाहर रखें ताकि वे इसकी साजिशों के शिकार न बनें. यह सवाल में आज फिर
दोहरा रहा हूँ.
पर सवाल कई और भी हैं. शशि
थरूर ने जिस शब्दाबली का प्रयोग किया उससे असहमत होते हुये भी कहना होगा कि उससे
कई गुना आपत्तिजनक और दूसरों की भावनाओं को चोट पहुंचाने वाली शब्दाबली भाजपा
नेता, मंत्रीगण और प्रवक्ता आये दिन प्रयोग करते रहते हैं. तब न विद्यार्थी परिषद
का खून उबलता है, न युवा मोर्चा का न बजरंग दल का. पर थरूर के दफ्तर पर हमला बोला
जाता है.
दादरी से शुरू हुयी मौब
लिंचिंग आज तक जारी है और उसके निशाना दलित और अल्पसंख्यक बन रहे हैं. प्रतिरोध की
आवाज उठाने वाले संगठन ‘भीम सेना’ के नेतृत्व और कार्यकर्ताओं को जेल के सींखचों
के पीछे डाला जाता है तो कलबुर्गी और गोविन्द पंसारे के कातिलों को क़ानून के हवाले
करने के लिये उच्च न्यायालय को जांच एजेंसियों को बार बार हिदायत देनी पड़ रही है.
जिसने भी भाजपा की घोषित कुटिलताओं के खिलाफ बोला संघ के अधिवक्तागण अदालतों में
मुकदमे दर्ज करा देते हैं. हर सामर्थ्यवान विपक्षी नेता के ऊपर कोई न कोई जांच
बैठा दी जाती है. ऊपर से प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष आये दिन धमकी भरे बयान
देते रहते हैं.
यहाँ तक कि गांधी नेहरू जैसे
महापुरुषों को अपमानित करना और विपक्ष के नेताओं पर अभद्र टिप्पणी करना रोजमर्रा
की बात होगई है. लेकिन यदि कोई विपक्षी किसी महापुरुष पर टिप्पणी कर दे तो यह
आस्था का सवाल बन जाता है और उस पर चहुँतरफा हमला बोला जाता है. फिल्म, पेंटिंग और
कला के अन्य हिस्सों को दकियानूसी द्रष्टिकोण से हमले का शिकार बनाया जाता है.
अफ़सोस की बात है इन सारी
अर्ध फासिस्टी कारगुजारियों को मीडिया खास कर टीवी चैनलों से ख़ासा प्रश्रय मिलता
है. मीडिया का बड़ा हिस्सा आज तटस्थ द्रष्टिकोण पेश करने के बजाय शासक गिरोह का
माऊथपीस बन कर काम कर रहा है.
आपातकाल के दिनों में लोगों
पर शासन आपातकाल के विरोध का आरोप मढ़ता था और उन्हें जेलों में डाल देता था. संजय
गांधी के नेतृत्व वाली एक युवा कांग्रेस थी जो उत्पात मचाती थी. लेकिन वह न तो
इतनी संगठित थी और न इतनी क्रूर. कोई सुनिश्चित लक्ष्य भी नहीं थे. शुरू की कुछ अवधि
को छोड़ मीडिया ने भी ज्यादतियों के खुलासे करना शुरू कर दिया था. अदालतें भी काम
कर रहीं थीं. शूरमा संघी तो इंदिरा गांधी के बीस सूत्रीय कार्यक्रम और संजय गांधी
के 5 सूत्रीय कार्यक्रम में आस्था व्यक्त कर रिहाई पारहे थे. आज लोकतान्त्रिक सेनानी
पेंशन और अन्य सुविधायें पाने वालों में से अधिकतर वही आपातकाल के भगोड़े हैं.
पर आज स्थिति एकदम विपरीत
है. न आरोप लगाने वाली कोई वैध मशीनरी है न कोई न्याय प्रणाली है. गिरोह अभियोग तय
करता है और सजा का तरीका और सजा भी वही तय करता है. ‘कातिल भी वही है मुंसिफ भी
वही है.’ सत्ता शिखर यदि तय कर ले कि क़ानून हाथ में लेने वाले क़ानून के हवाले
होंगे तो इनमें से कई का पतलून गीला होजायेगा. पर वह या तो मौन साधे रहता है या
फिर कभी फर्जी आंसू बहा कर कि – ‘मारना है तो मुझे मार दो’ एक ओर उन्हें शह देता
है तो दूसरी ओर झूठी वाहवाही बटोरता है.
हालात बेहद नाजुक हैं. कल
दाभोलकर, कालबुर्गी, गोविन्द पानसरे और गौरी लंकेश निशाना बने थे तो आज स्वामी अग्निवेश
को निशाना बनाया गया. कल फिर कोई और निशाने पर होगा. पर ये तो जनहानि है जो दिखाई
देरही है. पर जो प्रत्यक्ष नहीं दिख रहा वह है लोकतंत्र की हानि, संविधान की हानि
और सहिष्णुता पर टिके सामाजिक ढांचे की हानि है. समय रहते इसकी रक्षा नहीं की गयी
तो देश और समाज एक दीर्घकालिक अंधायुग झेलने को अभिशप्त होगा.
डा. गिरीश.
( लेखक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
की उत्तर प्रदेश राज्य काउंसिल के सचिव एवं भाकपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के
सदस्य हैं )
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
मेरी ब्लॉग सूची
-
CPI Condemns Attack on Kanhaiya Kumar - *The National Secretariat of the Communist Party of India issued the following statement to the Press:* The National Secretariat of Communist Party of I...6 वर्ष पहले
-
No to NEP, Employment for All By C. Adhikesavan - *NEW DELHI:* The students and youth March to Parliament on November 22 has broken the myth of some of the critiques that the Left Parties and their mass or...8 वर्ष पहले
-
रेल किराये में बढोत्तरी आम जनता पर हमला.: भाकपा - लखनऊ- 8 सितंबर, 2016 – भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने रेल मंत्रालय द्वारा कुछ ट्रेनों के किराये को बुकिंग के आधार पर बढाते चले जाने के कदम ...8 वर्ष पहले
Side Feed
Hindi Font Converter
Are you searching for a tool to convert Kruti Font to Mangal Unicode?
Go to the link :
https://sites.google.com/site/technicalhindi/home/converters
Go to the link :
https://sites.google.com/site/technicalhindi/home/converters
लोकप्रिय पोस्ट
-
Ludhiana Tribune today published the following news : Our Correspondent Ludhiana, June 25The Communist Party of India (CPI) has condemned th...
-
The Central Secretariat of the Communist Party of India (CPI) has issued the following statement to the press: The Communist Party of India ...
-
Interview with CPI leader in Busines Standard : Gurudas Dasgupta , a Communist Party of India senior, has been at the forefront i...
-
Communist Party of India condemns the views expressed by Mr. Bhupinder Hooda Chief Minister of Haryana opposing sagothra marriages and marri...
-
The demand to divide Uttar Pradesh into separate states has been raised off and on for the last two decades. But the bitter truth r...
-
कर्जमाफी: एक बार फिर ठगे गये किसान – भाकपा लखनऊ- 4 अप्रेल 2017, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कहा है कि उत्तर प्रदेश के कि...
-
उठ जाग ओ भूखे बंदी, अब खींचो लाल तलवार कब तक सहोगे भाई, जालिम अत्याचार तुम्हारे रक्त से रंजित क्रंदन, अब दश दिश लाया रंग ये सौ बरस के बंधन, ...
-
ए.आई.एस.एफ. का पश्चिमी उत्तर प्रदेश का कार्यकर्ता सम्मेलन संपन्न सम्मेलन में झूठे देशभक्तों और पूंजीवादी ताकतों से लडने का लिया संकल्प: सबको...
-
लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने आज बी.एड. और टेट प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षक अभ्यर्थियों पर लखनऊ में हुए लाठीचार्ज ...
-
जमींदारी उन्मूलन विधेयक विधान सभा में पास होने के कुछ दिन पूर्व संयुक्त प्रान्त (उत्तर प्रदेश) सभी राजाओं, तालुकेदारों तथा जमींदारों की एक ...
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें