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बुधवार, 30 जून 2010

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक (हैदराबाद, 12 से 14 जून 2010) द्वारा पारित प्रस्ताव - यूरोपीय यूनियन और इस्राइल के साथ मुक्त vyapa

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय परिषद यूरोपीय यूनियन और इस्राइल के साथ बिना किसी सार्वजनिक चर्चा के मुक्त व्यापार समझौता करने के प्रयास पर गंभीर चिंता एंव आपत्ति प्रकट करती है।
यह खतरनाक प्रवृत्ति है कि ये समझौता वार्ता गोपनीय ढंग से की जा रही है जिसमें कोई पारदर्शिता नहीं है।
यूरोपीय यूनियन में 27 विकसित यूरोपीय देश शामिल हैं। वहां कृषि काफी विकसित है और किसानों को बड़े पैमाने पर अनुदान दिया जाता है। इस्राइल में भी लगभग यही स्थिति है।
इन देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने का मतलब है कि हमारे किसानों को यूरोप एवं इस्राइल के किसानों के साथ गैर-बराबरी के स्तर पर प्रतिस्पर्घा करनी पड़ेगी, जिससे हमारी अर्थव्यवस्था चौपट हो जायेगी क्योंकि उनके उत्पादों का निःशुल्क आयात करने दिया जायेगा। इस बात की भी आशंका है कि इन समझौतों से हमारे खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और खुदरा व्यापार पर असर पड़ेगा क्योंकि यूरोप और इस्राइल की बहुराष्ट्रीय कंपनियां इन क्षेत्रों में भी प्रवेश करेगी जैसाकि समझौते में प्रावधान हैं यह भी रिपोर्ट आयी है कि यूरोपीय यूनियन को बौद्धक सम्पदा संरक्षण का प्रावधान होगा जिसका घातक परिणाम होगा तथा हमारे लोगों के जीवन और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सस्ती दवा बनाने के भारत के हित प्रभावित होंगे। साथ ही किसानों की मदद करने के लिए कृषि उत्पादों की वसूली करने का अधिकार भी प्रभावित होगा। इसके अलावा हमें कृषि में जीएम टेक्नोलॉजी जैसी नई तकनीकी अपनाने के लिए मजबूर किया जायेगा।इस सन्दर्भ में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय परिषद मांग करती है कि भारत सरकार यूरोपीय यूनियन और इस्राइल के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने के लिए चल रही समझौता वार्ताओं के बारे में एक श्वेत पत्र जारी करें तथा इस दिशा में आगे बढ़ने से पहले संसद में इस पर बहस कराये।
भारत सरकार ने जिस गोपनीय एवं षड़यंत्रपूर्ण तरीके से इतनी महत्वपूर्ण समझौता वार्ता चलायी, राष्ट्रीय परिषद उसकी निन्दा करती है।हम भारत के लोगों से, जिन्हें हमारे देश के भविष्य की चिंता है, अपील करते हैं कि वे वास्तविक तथ्यों के आधार पर इस बारे में राष्ट्रव्यापी बहस के पक्ष में अपनी आवाज बुलंद करें इसके पहले कि भारत सरकार समझौता वार्ता करने की दिशा में आगे बढ़ें।

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