#सरकारी स्तर पर धार्मिक क्रियायेँ आयोजित कराने संबंधी मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश के आदेश को तत्काल निरस्त किया जाये
#सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर ट्रस्ट द्वारा
मंदिर निर्माण के धार्मिक कार्य को संघ और भाजपा ने राज्य प्रायोजित घटना में बदला
#संविधान के अंतर्गत भारतीय राज्य कोई धार्मिक
संबद्धता नहीं रख सकता: सर्वोच्च न्यायालय की प्रस्थापना
#डबल इंजन सरकार को चाहिये कि जनता के प्रति दायित्वों
का निर्वाह करे और सुशासन के बल पर वोटों की उम्मीद करे: डा॰ गिरीश
लखनऊ- 27 दिसंबर 2023, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने उत्तर प्रदेश
सरकार के मुख्य सचिव द्वारा सभी जिलाधिकारियों और मंडलायुक्तों को भेजे उस आदेश, जिसमें प्राण प्रतिष्ठा से पहले सरकारी स्तर पर धार्मिक क्रियाएं आयोजित
कराने का निर्देश दिया है, को संविधान विरोधी बताते हुये इसे
तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग की है। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भगवा माहौल
बनाने के उद्देश्य से किए जा रहे इन आयोजनो में भाजपा और उसकी डबल इंजन सरकारों ने
सारी संवैधानिक मर्यादायें लांघ कर पूरी शासकीय मशीनरी झोंक दी है।
मुख्य सचिव के इस फरमान के मुताबिक मंडलायुक्तों और
जिलाधिकारियों को मकर संक्रान्ति से लेकर 22 जनबरी को होने वाले प्राण-प्रतिष्ठा समारोह
तक, सरकारी तौर पर विभिन्न आयोजन कराने हैं।
यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा की राष्ट्रीय
कार्यकारिणी के सदस्य डा॰ गिरीश ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर ट्रस्ट
द्वारा कराये जा रहे मंदिर निर्माण जो कि एक धार्मिक क्रिया है, को
राजनैतिक रूप से भुनाने के उद्देश्य से आरएसएस और भाजपा ने एक राज्य प्रायोजित
घटना में बदल दिया है। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री- उत्तर
प्रदेश एवं दोनों सरकारों के अन्य
पदाधिकारी इन आयोजनों में पूरी तरह से लिप्त हैं। इन आयोजनों में उनके द्वारा जनता
के धन का अपव्यय भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।
जबकि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कहा है कि भारत
में शासन का मूलभूत सिध्दांत यह है कि संविधान के अंतर्गत भारतीय राज्य कोई
धार्मिक संबद्धता नहीं रख सकता।
लेकिन सत्तारूढ़ शासन समूह द्वारा उपर्युक्त आयोजन में इस मर्यादा
का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है।
डा॰ गिरीश ने आरोप लगाया कि उपर्युक्त आयोजन के माध्यम से अपने
दल के लिये वोट उत्पादन में अति व्यस्त डबल इंजन सरकार जनता के प्रति अपने दायित्वों
की पूरी तरह से भूल चुकी हैं। हालात यह हैं कि अभी तक लोग डेंगू से मर रहे थे तो अब
सर्दीजनित अस्थमा और ह्रदय रोगों के शिकार बन रहे हैं। सरकारी अस्पताल चिकित्सकों, विशेषज्ञों, उपकरणों और उसके तकनीशियनों की कमी से जूझ रहे हैं तो निजी अस्पतालों में
इलाज बेहद महंगा बन चुका है। कानून-व्यवस्था ध्वस्त पड़ी है और महंगाई बेरोजगारी और
भ्रष्टाचार ने लोगों का कचूमर निकाल रखा है। सरकार को चाहिये कि पहले वो राजधर्म निभाये
और सुशासन से वोटों की उम्मीद लगाए।
डा॰ गिरीश, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
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