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शुक्रवार, 29 जून 2018

सूफी संत कबीर की समाधि पर भी राजनैतिक रोटियाँ सेंकने से बाज नहीं आये मोदीजी : भाकपा




लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहाकि जिस संत ने अपना सारा जीवन सत्य की खोज और असत्य के खंडन में लगा दिया, प्रधानमंत्री जी ने अपने असत्य के प्रसार और सत्य की हत्या के लिये उसी महापुरुष का जन्म दिवस और उन्हीं के महापरिनिर्वाण स्थल को चुना.
डा. गिरीश कल महान सूफी सन्त कबीर के परिनिर्वाण स्थल 'मगहर' में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम और उनके अनर्गल प्रलाप पर भाकपा की प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे.
सच तो यह है कि प्रधानमंत्री जी देश भर और खास कर उत्तर प्रदेश में विपक्ष की संभावित एकता से इस कदर भयभीत हैं कि वे निर्णय नहीं कर पारहे कि कब कहाँ और क्या बोला जाये. कल कबीरदास जी की सीखों को ग्रहण कर उनकी शिक्षाओं पर बोलने के बजाय श्री मोदी भाजपा के चुनावी एजेंडे पर ही चिंघाड़ते रहे, विपक्ष पर स्तरहीन टिप्पणियां करते रहे.
डा. गिरीश ने कहाकि संत कबीर को सच्चा सम्मान तब दिया जा सकता था कि प्रधानमंत्री जी महान संत की सीखों पर अमल करते हुये अपनी सरकार के चार साल के सच को उद्घाटित करते. उनकी सरकार के चार साल के कार्यकाल में देश को चहुँतरफा बर्वादी का सामना करना पड़ा है. अर्थव्यवस्था निरंतर नीचे की ओर जारही है. प्रधानमंत्रीजी के हर विदेशी दौरे के बाद रुपये की दर डालर के मुकाबले नीचे की ओर खिसक जाती है और वह इतिहास के उच्चतम स्तर तक जा पहुंची है. पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतों ने भी इतिहास गढ़ दिया है जिससे महंगाई सातवें आसमान पर है. पूंजीपतियों पर बैंकों का बकाया बढ़ता ही जारहा है. घोटालेबाज जेल जाने के बजाय विदेशों में आराम फरमा रहे हैं. चार साल में स्विस बैंकों में भारतीयों का जमा धन 50 फीसदी बढ़ गया है. देश की सीमाएं असुरक्षित हैं, हमारे जवान मारे जारहे हैं और मोदी सरकार एक अदद सर्जिकल स्ट्राइक पर ही जश्न मना रही है.
डा. गिरीश ने कहाकि अच्छा होता प्रधानमंत्रीजी नौजवानों से किये गए दो करोड़ रोजगार देने, किसानों की आय दोगुना करने और हर एक के खाते में 15 लाख पहुंचाने के वायदों को कबीर जी की समाधि पर दोहराते और सभी के स्वास्थ्य और सम्पूर्ण शिक्षा की राजकीय जिम्मेदारी को दोहराते. जिस उत्तर प्रदेश में मोदीजी भाषण कर रहे थे वहां की सरकार उद्योगपतियों के हित में 2013 के भूमि अधिग्रहण क़ानून को बदल कर किसानों की जमीनों पर डाका डालने जारही है. मोदीजी को इस पर सफाई देनी चाहिये. अच्छा होता वे उत्तर प्रदेश सरकार को नसीहत देते जिसके रहते महिलाओं की इज्जत और जान तार तार होरही है, क़ानून व्यवस्था पंचर हुयी पड़ी है. दलितों अल्पसंख्यकों और सर्वसमाज के विपन्न तबकों पर भारी अत्याचार होरहे हैं. इलाज के अभाव में गरीबों की अकाल मौतें होरही हैं. गरीब न पढाई कर पारहे हैं न रोजगार हासिल कर पारहे हैं. शासन प्रशासन में भ्रष्टाचार पांच गुना बढ़ गया है.
जहाँ तक कबीर अकादमी के शिलान्यास की बात है, चुनावी साल में उसकी याद आने को राजनैतिक उद्देश्य से किया कदम ही माना जायेगा. आचार संहिता लगने तक ऐसे कई शिलान्यास देखने को मिलेंगे. इसका शिलान्यास यदि 2014 में ही कर दिया गया होता तो अब तक उसका निर्माण पूरा होचुका होता और लोगों को उस पर भरोसा जमता.
डा गिरीश ने कहाकि उत्तर प्रदेश में अब भाजपा की नौटंकी दोबारा चलने वाली नहीं है. भाकपा भी भाजपा कुशासन को बेनकाब करने को व्यापक रणनीति बनाने जारही है. इस हेतु 8 जुलाई को भाकपा की उत्तर प्रदेश राज्य कार्यकारिणी की बैठक लखनऊ में आहूत की गयी है.
डा. गिरीश

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