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शुक्रवार, 25 जून 2010

दूसरे देशों में अमरीका की बढ़ती दखलंदाजी

वाशिंगटनः आतंकी संगठन अलकायदा के खिलाफ लड़ाई के नाम पर अमरीका दुनिया में अपनी दखलंदाजी बढ़ाता जा रहा है। इस संबंध में एक रिपोर्ट के अनुसार अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अलकायदा और अन्य आतंकी संगठनों के खिलाफ छेड़ी खुफिया जंग के मद्देनजर दुनिया के 75 देशों में अमरीकी विशेष बलों की तैनाती को गोपनीय तौर पर मंजूरी दे दी है।एक अमरीकी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक ओबामा के अमरीकी राष्ट्रपति का पद संभालने के पहले दुनिया के 60 देशों में विशेष अमरीकी बल तैनात थे। लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 75 हो गई है। विश्व में करीब 220 देश हैं। इस लिहाज से देखें तो अब दुनिया के हर तीसरे देश में अमरीकी सैनिक किसी न किसी रूप में तैनात हैं।अखबार के अनुसार ओबामा से पहले के बुश प्रशासन के मुकाबले सार्वजनिक तौर पर ओबामा की पहचान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न मसले हल करने के लिए वैश्विक सहभागिता और कूटनीति पर ज्यादा जोर देने की रही है। लेकिन अब यह जानकारी सामने आई है कि ओबामा ने चरमपंथी संगठनों, खासतौर पर अलकायदा के खिलाफ अभियान और आंतकियों के सफाए के लिए विभिन्न देशों में अमरीकी विशेष बलों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया है। ओबामा ने पिछले डेढ़ वर्षों में अलकायदा की सक्रियता वाले यमन और अफ्रीका महाद्वीप के कई देशों में अमरीकी सैनिकों की संख्या में खासा इजाफा किया है। पश्चिम और मध्य एशिया में भी अमरीकी खुफिया बलों की संख्या बढ़ाई गयी है। विभिन्न देशों में अमरीकी विशेष बलों के करीब 13 हजार जवान (प्रत्यक्ष तौर पर युद्ध में भाग ले रहे हैं यह अमरीकी सैनिकों से अलग) हैं। इनमें से नौ हजार अकेले अफगानिस्तान और पाकिस्तान में मौजूद हैं।अखबार के अनुसार ओबामा ने वित्तीय वर्ष 2011 के लिए विशेष अभियानों के बजट में 5.7 फीसदी बढ़ोत्तरी करने को कहा है। 2010 में ओबामा प्रशासन ने इस मद में 6.3 अरब डालर खर्च किए। अखबार कहता है कि ओबामा ने आतंकी साजिशों की भनक लगते ही विशेष बलों को पहले ही हमला बोलने की मंजरी दे दी है।उल्लेखनीय है कि बुश प्रशासन के दौरान अमरीकी बलों को ऐसी मंजूरी नहीं दी गई थी।

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