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शुक्रवार, 25 जून 2010
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भाकपा के प्रदेशव्यापी आन्दोलन के कारण अस्पतालों के निजीकरण से पीछे हटी सरकार
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने प्रदेश सरकार द्वारा चार जनपदों के सरकारी अस्पतालों के निजीकरण को रद्द करने के फैसले को भाकपा के आन्दोलन का नतीजा बताते हुए भाकपा की प्रदेश में सभी जिला इकाइयों को बधाई दी है। ज्ञात हो कि भाकपा ने अस्पतालों के निजीकरण पर आन्दोलन छेड़ रखा था।
यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डॉ. गिरीश ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा अस्पतालों के निजीकरण, विद्युत वितरण व्यवस्था को विदेशी एवं निजी कम्पनियों को सौंपने शिक्षा के व्यवसायीकरण, उपजाऊ भूमि के अधिग्रहण को बढ़ावा देने एवं महंगाई को काबू करने में राज्य सरकार के स्तर से की जाने वाली कार्यवाही में उदासीनता बरतने जैसे ज्वलंत सवालों पर 1 जून से ही आन्दोलन चलाने का बिगुल फूंक दिया था। 1 जून को ही उन चारों जिलों में जहां अस्पतालों का निजीकरण किया जाना है भाकपा ने विरोध प्रदर्शन करते हुए राज्यपाल महोदय के नाम ज्ञापन जिलाधिकारियों को सौंपे थे। अन्य जिलों में भी उपर्युक्त सभी सवालों पर धरना, प्रदर्शनों, सभाओं, नुक्कड़ सभाओं तथा पद यात्राओं का सिलसिला जारी है जो 30 जून तक जारी रहेगा।
भाकपा राज्य सचिव ने अस्पतालों के निजीकरण के फैसले को रद्द करने पर गहरा संतोष जताया क्योंकि इन अस्पतालों के निजीकरण से गरीब जनता इलाज के अभाव में तड़प कर रह जाती और निजी अस्पतालों को जनता की और निरंकुश लूट का मौका मिलता।
लेकिन भाकपा ने राज्य ऊर्जा निगम के शनैः शनैः निजीकरण पर घोर आपत्ति दर्ज करायी है। डॉ. गिरीशने इस बात पर भी अफसोस जताया कि इसके लिये स्वयंः सरकार एवं उसके मंत्री जिम्मेदार रहे हैं। क्या वजह है कि एक साल के भीतर हरदुआगंज एवं परीक्षा में निर्माणधीन परियोजनाओं की चिमनियां ध्वस्त हो गई? क्या इसके लिये भारी भ्रष्टाचार और निर्माण कार्य की फ्रैंचाइजी निजी हाथों को सौंपने के सरकार के फैसले पर नहीं जाती? उन्होंने आरोप लगाया कि आगरा की विद्युत वितरण व्यवस्था निजी कंपनी ‘टोरंट’ को सौंपने के बाद वहां की विद्युत व्यवस्था तहस-नहस हो गयी है और सरकार वहां रामराज्य आने के थोथे दावे कर रही है।
भाकपा इन सभी सवालों पर आपना आन्दोलन जारी रखेगी और उसको और मजबूत बनाने पर विचार भी किया जायेगा, डॉ. गिरीश ने कहा है।
यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डॉ. गिरीश ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा अस्पतालों के निजीकरण, विद्युत वितरण व्यवस्था को विदेशी एवं निजी कम्पनियों को सौंपने शिक्षा के व्यवसायीकरण, उपजाऊ भूमि के अधिग्रहण को बढ़ावा देने एवं महंगाई को काबू करने में राज्य सरकार के स्तर से की जाने वाली कार्यवाही में उदासीनता बरतने जैसे ज्वलंत सवालों पर 1 जून से ही आन्दोलन चलाने का बिगुल फूंक दिया था। 1 जून को ही उन चारों जिलों में जहां अस्पतालों का निजीकरण किया जाना है भाकपा ने विरोध प्रदर्शन करते हुए राज्यपाल महोदय के नाम ज्ञापन जिलाधिकारियों को सौंपे थे। अन्य जिलों में भी उपर्युक्त सभी सवालों पर धरना, प्रदर्शनों, सभाओं, नुक्कड़ सभाओं तथा पद यात्राओं का सिलसिला जारी है जो 30 जून तक जारी रहेगा।
भाकपा राज्य सचिव ने अस्पतालों के निजीकरण के फैसले को रद्द करने पर गहरा संतोष जताया क्योंकि इन अस्पतालों के निजीकरण से गरीब जनता इलाज के अभाव में तड़प कर रह जाती और निजी अस्पतालों को जनता की और निरंकुश लूट का मौका मिलता।
लेकिन भाकपा ने राज्य ऊर्जा निगम के शनैः शनैः निजीकरण पर घोर आपत्ति दर्ज करायी है। डॉ. गिरीशने इस बात पर भी अफसोस जताया कि इसके लिये स्वयंः सरकार एवं उसके मंत्री जिम्मेदार रहे हैं। क्या वजह है कि एक साल के भीतर हरदुआगंज एवं परीक्षा में निर्माणधीन परियोजनाओं की चिमनियां ध्वस्त हो गई? क्या इसके लिये भारी भ्रष्टाचार और निर्माण कार्य की फ्रैंचाइजी निजी हाथों को सौंपने के सरकार के फैसले पर नहीं जाती? उन्होंने आरोप लगाया कि आगरा की विद्युत वितरण व्यवस्था निजी कंपनी ‘टोरंट’ को सौंपने के बाद वहां की विद्युत व्यवस्था तहस-नहस हो गयी है और सरकार वहां रामराज्य आने के थोथे दावे कर रही है।
भाकपा इन सभी सवालों पर आपना आन्दोलन जारी रखेगी और उसको और मजबूत बनाने पर विचार भी किया जायेगा, डॉ. गिरीश ने कहा है।
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