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शुक्रवार, 25 जून 2010
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बंद्योपाध्याय आयोग की सिफारिशें लागू कराने हेतु आर-पार की लड़ाई
9 मई 2010 को पटना में वर्ग संघर्ष का एक नया नजारा देखने को मिला। गांधी मैदान में राज्य के बड़े भूस्वामियों के नेतागण “किसान महापंचायत” बुलाकर ऐलान कर रहे थे कि डी. बंद्योपाध्याय भूमि सुधार आयोग की सिफारिशें लागू हुईं तो बिहार में “गृहयुद्ध” होगा। ठीक उसी समय पटना जंक्शन गोलंबर पर किसानों और खेतमजदूरों के नेता ऐलान कर रहे थे कि बंद्योपाध्याय भूमि सुधार आयोग की सिफारिशें लागू करा के रहेंगे और इसके लिए आर-पार की लड़ाई होगी।शासक पार्टी जदयू और विपक्षी राजद के बड़े भूस्वामी पक्षी नेताओं की इस “किसान महापंचायत” के जवाब में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) से संबद्ध किसान और खेत मजदूर संगठनों ने 9 मई को पूरे राज्य में “भूमि सुधार दिवस” मनाया। इस अवसर पर उन्होंने राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर धरना आयोजित करके राज्य सरकार से मांग की कि डी. बंद्योपाध्याय भूमि सुधार आयोग की सिफारिशें लागू करो।इसी क्रम में पटना में जंक्श्न गोलबंर पर संयुक्त धरना का आयोजन किया गया। आयोजक संगठन थे बिहार राज्य किसान सभा (अजय भवन), बिहार राज्य किसान सभा (जमाल रोड), बिहार राज्य खेत मजदूर यूनियन और बिहार प्रांतीय खेतिहर मजदूर यूनियन। धरनास्थल पर आयोजित सभा की अध्यक्षता बिहार राज्य किसान सभा के अध्यक्ष जलालुद्दीन अंसारी और बिहार राज्य खेतिहर मजदूर यूनियन के अध्यक्ष सारंगधर पासवान ने की।अपने अध्यक्षीय भाषण में सारंगधर पासवान ने कहा कि किसान महापंचायत के नाम पर बटाईदारी कानून का विरोध करना वास्तव में गरीबों पर हमला है। यह पंचायत बटाईदारों काअधिकार छिनने के लिए लगाई गयी है। उन्होंने आगे कहा कि जो यह कहते हैं कि राज्य में कोई बटाईदारी कानून नहीं है, वो झूठ बोल रहे हैं और भ्रम फैलाने का काम कर रहे हैं। सच्चाई यह है कि वर्षों से राज्य में बटाईदारी कानून है और न्यायालय का फैसला भी बटाईदारों के पक्ष में ही है। उन्होंने आगे यह आरोप लगाया कि वास्तव में किसान महापंचायत के आयोजक सरकार पर कब्जा करना चाहते हैं, उन्हें किसानों से कुछ लेना-देना नहीं है। उन्होंने अपने भाषण के अंत में यह विश्वास जताया कि बटाईदारों को हक दिलाने के लिए कार्यकर्त्ता हर कुर्बानी देंगे और जमीनचोरों को जमीन छोड़ने के लिए मजबूर करेंगे।अध्यक्षीय भाषण के बाद बिहार राज्य खेत मजदूर यूनियन के महासचिव जानकी पासवान ने उपस्थित कार्यकर्ताओं और आम जनता को संबोधित करते हुए कहा कि आज आयोजित किसान महापंचायत में आदमी से ज्यादा गाड़ियां आई हुई हैं। इससे सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि इस महापंचायत से कैसे लोग जुड़े हैं। किसान महापंचायत के बहाने भूमि-सुधार रोकने के लिए सभी बुर्जुवा दलों के सामंत एक हो गये हैं, उन्होंने अपने भाषण के अंत में यह चेतावनी दी कि भूमिपति और जमींदार ज्यादा दिनों तक भूमि पर नाजायज कब्जा नहीं रख सकते हैं। राज्य की मेहनतकश जनता जल्द ही सीलिंग से अतिरिक्त जमीन पर कब्जा करके रहेगी।इसके बाद बिहार राज्य किसान सभा के कोषाध्यक्ष का. रामाधार सिंह ने कहा कि बंद्योपाध्याय आयोग की रिपोर्ट आने के ठीक बाद से ही उसे लागू नहीं करने का राजनीतिक छल-प्रपंच और नाटक शुरू हो चुका है और इसी का एक नमूना आज भूपतियों द्वारा आयोजित किसान महापंचायत है। उन्होंने आगे कहा कि बंद्योपाध्याय आयोग की अनुशंसाओं के मुताबिक राज्य के भूमिपतियों के कब्जे में यही सीलिंग से अधिक जमीन को भूमिहीन किसानों में बांट दी जाए तो ऐसे प्रत्येक परिवार को एक एकड़ जमीन पर मालिकाना हक मिल जायेगा। रामाधार सिंह के बाद बिहार प्रांतीय खेतिहर मजदूर यूनियन के सचिव का. दिनेश कुमार ने कहा कि बिहार की वर्तमान सरकार सामंतो की सरकार है। बिहार का सही मायनों में विकास करने के लिए भूमिहीनों को जमीन उपलब्ध करवाना पहली शर्त है। इससे न सिर्फ गरीबों को सम्मान मिलेगा बल्कि इससे उत्पादन होगा, पूंजी पैदा होगी और इस पूंजी से उद्योग लगेंगे।सभा में टेªड यूनियन नेता का. अरुण कुमार मिश्र ने कहा कि वर्तामन सरकार खेती पर राज्य के कुल बजट का मात्र 1.5 प्रशित खर्च कर रही है। इससे पता चलता है कि यह सरकार मजदूर-किसानों की कितनी चिंता करती है। इसके बाद का. शिव शंकर शर्मा ने कहा कि हम समग्र भूमि-सुधार के लिए आंदोलन चला रहे हैं, बटाईदारों से जुड़े मामले उसका एक हिस्सा मात्र है। उन्होंने आगे यह स्पष्ट किया कि प. बंगाल में भूमि सुधार सिर्फ-सिर्फ इस कारण नहीं लागू हो गया था कि वहां पर किसी आयोग की सिफारिशें मौजूद थीं। पं. बंगाल में भूमि-सुधार लागू हुआ क्योंकि वहां खेतिहर मजदूरों और किसानों का सशक्त संगठन था और भूमि सुधार लागू करने की इच्छा रखने वाली एक प्रगतिशील और जनवादी सरकार थी। उन्होंने अपने भाषण के अंत में कहा कि वर्तमान में बिहार की जाति आधारित राजनीति अपने वर्ग चरित्र के आधार पर लामबंद हो रही है। यह वर्ग संघर्ष को तेज कर अंजाम तक पहुंचाने का एक अभूतपूर्व अवसर है।प्रतिरोध सभा में बिहार राज्य किसान सभा के प्रदेश सचिव अवधेश कुमार ने कहा कि किसान महापंचायत की असफलता दर्शाती है कि राज्य के गरीब किसानों, भूमिहीनों ने उनकी धमकियों का करारा जवाब दिया है। उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि कुछ दिनों पहले गरीबी पर हुए अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में सभी विशेषज्ञों ने एक सुर में कहा कि बिहार के विकास के लिए भूमि सुधार पहली शर्त है। लेकिन यह सरकार न जनता की आवाज सुनने को तैयार है और नहीं विशेषज्ञों की सलाह। यह सरकार सिर्फ सभी को बरगला रही है। उन्होंने अंत में कहा कि हम आने वाले दिनों में इस आर-पार की लड़ाई को तेज कर आगामी वि.स. चुनावों में पूंजीवादी दलों को गर्त में डाल देंगे।सभा की अध्यक्षता कर रहे बिहार राज्य किसान सभा के अध्यक्ष एवं पूंर्व सांसद नेता जलालुद्दीन अंसारी ने कहा कि आज की महापंचायत में किसान नहीं, गरीब ढोकर लाये गये हैं। किसान महापंचायत के कर्त्ताधर्त्ता सत्ता पाने के लिए जनता को भ्रम में डाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम फिर जमीन पर चढ़ेंगे। लड़े हैं। और आगे भी लड़ेंगे। उन्होंने जनता को चेताया कि वह जात-पात और धर्म की राजनीति करने वाले बटमार नेताओं से सावधान रहे। उन्होंने भूमि सुधार के संघर्ष को अंजाम तक पहुंचाने का संकल्प लेते हुए कहा कि लाल झंडे की लड़ाई हजारों एकड़ जमीन रखने वाले जमींदारों के खिलाफ है, छोटे किसानों के खिलाफ नहीं।प्रतिरोध सभा के अंत में भाकपा (मा) के प्रदेश सचिव विजयकांत ठाकुर ने कहा कि आज ही के दिन लाल झंडे की सेना ने हिटलर को नेस्ताबूद कर दिया था और एक बार फिर आज के ही ऐतिहासिक दिन बिहार के गरीब जनता और खेतिहर मजदूरों ने हिटलर की बिहारी औलादों, यहां के भूमिपतियों के मंसूबों को विफल करने का संकल्प लिया है। उन्होंने आगे कहा कि बिना भूमि सुधार के विश्व में कहीं भी विकास संभव नहीं हो पाया है इसलिए बिहार में भी ऐसा करना ही होगा। बिहार में हर साल दाखिल-खारिज संबंधी 5 लाख केस दाखिल होता है। बिहार की गरीब जनता को इस दुष्चक्र से बचाने के लिए भूमि सुधार जरूरी है। उन्होंने अपने भाषण के अंत में कहा कि जमीन किसानों की थी, है और रहेगी। अगर सरकार ने बंद्योपध्याय आयोग की अनुशंसाओं पर अमल नहंी किया तो हम खून-पसीना बहाकर इस पर अमल करने के लिए सरकार को मजबूर करेंगे। सारंगधर पासवान के धन्यवाद ज्ञापन के साथ प्रतिरोध सभा का समापन हुआ और इसके बाद उपस्थित जनता ने का. गजनफर नवाब की आवाज में आवाज मिलाते हुए क्रांतिकारी नारे लगाये।राजधानी पटना सहित राज्य भर में इस चिलचिलाती धूप में हजारों की संख्या में किसानों-मजदूरों ने प्रतिरोध सभा में इकट्ठा होकर यह ऐलान किया कि वह जमींदारों की हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं। भूमि सुधार लागू करने के लिए हर कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं। वाम दलों के कार्यकर्ताओं ने इस सभा के माध्यम से बंद्योपाध्याय आयोग की रिपोर्टाें को लागू कराने के लिए करो-मरो का संघर्ष शुरू कर दिया है।
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