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शुक्रवार, 13 मार्च 2015
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भाकपा, उत्तर प्रदेश के प्रेस बयान (२)
ओलों वर्षा और तूफ़ान से फसलों को हुआ भारी नुकसान: भाकपा ने की तत्काल पर्याप्त मुआबजे की मांग
लखनऊ-१३ मार्च: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि गत सप्ताहों में समूचे उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर ओला, बारिश और तूफ़ान से आलू, गेहूं, दलहन और तिलहन की फसलों की भारी तबाही हुयी है. कहीं कहीं तो
पूरी की पूरी फसल ही नष्ट होगयी है. इस बरबादी से ग्रामीण क्षेत्रों में हाहाकार मचा हुआ है. पीड़ित किसान या तो सदमे से डीएम तोड़ रहे हैं या फिर आत्म हत्याएं कर रहे हैं. पिछले छह दिनों में अलीगढ़/ हाथरस जनपद में ही तीन किसान सदमे से जान गंवा बैठे और चार किसानों ने आत्महत्यायें कर लीं. यही हालत प्रदेश के अन्य भागों की है.
भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि किसान के ऊपर आई इस विपत्ति के समय केन्द्र और राज्य सरकारें उदासीन बनी हुयी हैं. केन्द्र ने किसी राहत पैकेज की घोषणा नहीं की तो राज्य सरकार सर्वे कराने में समय जाया कर रही है. इससे किसानों का धैर्य जबाव देरहा है, और वे सदमे से मौत के शिकार होरहे हैं या फिर आत्महत्या कर रहे हैं. पहले मौसम की मार और अब सरकारी दुराचार किसानों के लिए आफत बने हैं.
भाकपा राज्य सचिव ने केन्द्र सरकार से मांग की कि वह उत्तर प्रदेश में हुयी फसल हानि के लिए एक राहत पैकेज की शीघ्र घोषणा करे. राज्य सरकार से मांग की कि वह फसलों की हानि की शत प्रतिशत भरपाई की तत्काल घोषणा करे. साथ ही जिन किसानों ने सदमे के चलते दम तोडा है, या फिर जिन्होंने एटीएम हत्या की है उनके परिवारीजनों को रूपये पांच लाख का मुआबजा दिया जाये.
डा. गिरीश ने बताया कि भाकपा की सभी जिला इकाइयों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने जनपदों में किसानों के बीच जाकर उनकी हिम्मत बंधाएं तथा किसानों को राहत दिलाये जाने के लिए आन्दोलन आदि संगठित करें.
इलाहाबाद में वकील की हत्या को अफसोसजनक बताया
भाकपा राज्य सचिव डा.गिरीश ने गत दिन इलाहाबाद के न्यायालय परिसर में पुलिस और अधिवक्ताओं के बीच हुये खूनी विवाद और उसमें एक वकील की हुयी हत्या को बेहद अफसोसजनक बताया है. भाकपा ने समूचे प्रकरण को राज्य की ख़राब कानून व्यवस्था की देन बताते हुये ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति से बचाए जाने हेतु समुचित कदम उठाने की मांग की है.
भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि आज न्यायालय परिसर तक असहिष्णुता और अराजकता के अड्डे बन गये हैं. प्रदेश में आये दिन न्यायालय परिसरों में वकीलों की पुलिस और अन्य तबकों से मुठभेड़ें आम बात होगयी हैं. इससे जन और धन की हानि तो हो ही रही है न्याय पाने के लिए न्यायालय परिसर आने वालों को भारी हानि उठानी पड़ रही है. वक्त आगया है कि सरकार, न्याय प्रणाली और बार एसोसिएशंस को इस समस्या पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. इसे इलाहाबाद की एकमात्र घटना के रूप में न देख कर समग्रता से देखा जाना चाहिए. क्यों न्याय प्रक्रिया से जुड़े अलग अलग समूह आपसी टकराव में उलझ जाते हैं, इस पर विचार किया जाना चाहिए. भाकपा इस तरह की वारदातों से बेहद चिंतित है और अपनी चिंता से समाज के विभिन्न तबकों को अवगत करना चाहती है, डा.गिरीश ने कहा है.
डा.गिरीश
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