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बुधवार, 29 अगस्त 2018
at 7:16 pm | 0 comments |
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की निन्दा और उनकी फौरन रिहाई की मांग की
लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मण्डल ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं
और बुध्दिजीवियों सुधा भारद्वाज, वरनन गोन्साल्वस, गौतम नवलखा, वरवारा राव एवं अरुण
फ़रेरा जो दलितों, आदिवासियों और समाज के अन्य कमजोर तबकों के लिये
संघर्ष करते रहे हैं के घरों पर देश भर में की गयी छापेमारी और उनकी गिरफ्तारी की कड़े
शब्दों में निन्दा की है।
सरकार ने उनके ऊपर शहरी नक्सलवादी होने का काल्पनिक
आरोप लगाया है। यह कितना आश्चर्यजनक है कि एक ओर सरकार अपनी पीठ थपथपाने के लिये नक्सलवाद
के खत्म होने के दाबे करती है वहीं दूसरी तरफ प्रतिरोध की आवाज को दबाने को हर घ्रणित
हथकंडा अपना रही है।
भीमा कोरेगांव में दलितों के खिलाफ हिंसक वारदातों के
बाद भाजपा की केन्द्र और महाराष्ट्र सरकार इन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के ऊपर फर्जी
आरोप लगाने और उनको माओवादियों से जोड़ने के लिये विभिन्न जांच एजेंसियों का स्तेमाल
करती रही हैं।
भाकपा की यह द्रढ़ राय है कि यह सब कार्यवाही सनातन संस्था
द्वारा ईद और गणेश चतुर्थी पर सीरियल ब्लास्ट करने की योजना और गौरी लंकेश, दाभोलकर, गोविंद पनसारे और दूसरे पोंगापंथ विरोधियों
की हत्या में इनकी संलिप्तता से ध्यान हटाने के उद्देश्य से कीगयी है।
यह दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों तथा समाज के अन्य कमजोर तबकों के ऊपर होने वाले अन्याय और अत्याचारों
के खिलाफ आवाज उठाने वालों को धमका कर उनकी आवाज बन्द करने की साजिश है। सर्वोच्च न्यायालय
ने भी इस पर गंभीर टिप्पणी की है कि असहमति की आवाज लोकतन्त्र के लिये सेफ्टी बाल्व
है।
इन कारगुजारियों से एक बार फिर वर्तमान सरकार का फासीवादी
चेहरा सामने आगया है। यह घटनाक्रम एक बार फिर भारतीयों के संवैधानिक अधिकारों और लोकतन्त्र
की रक्षा के लिये सभी धर्मनिरपेक्ष, लोकतान्त्रिक एवं
वामपंथी ताकतों की एकता और कार्यवाही की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
भाकपा सभी गिरफ्तार शख़्सियतों की तत्काल रिहाई और उन
पर लगाये गए सभी झूठे और मनगढ़ंत आरोपों की वापसी की मांग करती है।
डा॰ गिरीश
सोमवार, 27 अगस्त 2018
at 8:18 pm | 0 comments |
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश ने केरल आपदा राहत हेतु एक लाख रुपयों का चैक भाकपा महासचिव को सौंपा।
लखनऊ/ नई दिल्ली 27 अगस्त 2018- भारतीय कम्युनिस्ट
पार्टी की उत्तर प्रदेश राज्य काउंसिल के सचिव डा॰ गिरीश एवं अन्य साथियों ने केरल
की आपदा राहत हेतु रुपये एक लाख का चेक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव
कामरेड एस॰ सुधाकर रेड्डी एवं सचिव का॰ शमीम फ़ेजी को पार्टी के केन्द्रीय मुख्यालय, नई दिल्ली पहुँच कर सौंपा।
इस अवसर पर भाकपा की प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य
का॰ गफ्फार अब्बास, का॰ जितेन्द्र शर्मा, का॰ शरीफ अहमद, बीकेएमयू के नेता विजेन्द्र निर्मल, प्रोफेसर सदासिव, मुक्ति संघर्ष के सह संपादक महेश
राठी, सगीर अहमद एवं मोहम्मद शाहिद आदि प्रमुख रूप से मौजूद
थे।
इस अवसर पर डा॰ गिरीश ने कहाकि भाकपा की उत्तर
प्रदेश राज्य इकाई केरल के पुनर्निर्माण में हर संभव योगदान करेगी। महासचिव एस॰ सुधाकर
रेड्डी ने कहाकि उत्तर प्रदेश की भाकपा ने इस मानवीय कार्य को जिस संजीदगी से लिया
है उसके लिए उसके नेता और कार्यकर्ता बधाई और प्रशंसा के पात्र हैं। उन्होने
उम्मीद जताई कि भाकपा उत्तर प्रदेश राहत राशि इकट्ठा करना जारी रखेगी और केन्द्रीय
मुख्यालय को भेजती रहेगी।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा उत्तर प्रदेश
रविवार, 26 अगस्त 2018
at 6:54 pm | 0 comments |
अस्थियों पर वोट की राजनीति कर रहे हैं संघ और भाजपा: डा॰ गिरीश
प्रक्रति के प्रकोप के चलते कई वर्षों से गुमनामी
के अंधेरे में खोये रहे पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी अंततः इस
दुनियां को अलविदा कह गये। उनकी मौत पर हर कोई दुखी था और दलीय तथा विचारधाराओं की
सीमायें लांघ कर लगभग सभी दलों ने उन्हें सादर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन
कम्युनिस्ट पार्टियों ने भी जो वैचारिक रूप से संघ और भाजपा की सांप्रदायिक, विभाजनकारी, फासीवादी और जनविरोधी नीतियों की मुखर
आलोचक रही हैं।
इसका कारण यह था कि हम एक बहुदलीय लोकतन्त्र में
जीरहे हैं जिसमें राजनैतिक विरोध स्वाभाविक है, व्यक्तिग्त विरोध
का कोई स्थान नहीं। हालांकि राजनैतिक दलों की संकीर्णता और निहित स्वार्थों के
चलते समय समय पर व्यक्तिगत विरोध भी छलकता रहता है। दूसरे हमारी ऐतिहासिक परंपरा है
कि म्रत्यु के बाद मतभेद अथवा वैमनस्य खत्म होजाता है।
लेकिन भारतीय जनता पार्टी और संघ परिवार ने श्री
अटल बिहारी बाजपेयी जो कि कई वर्षों से संघ परिवार में पूरी तरह उपेक्षित थे और
यदि वे स्वस्थ होते तो श्री आडवाणी जी की तरह ही घनघोर उपेक्षा के शिकार होते, की मौत को 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले वोट बटोरने के एक नायाब मौके के
रूप में देखा और पूरा संघ परिवार उनकी मौत को भुनाने में जुट गया। अन्त्येष्टि से
लेकर अस्थि कलश विसर्जन तक सबकुछ सुनियोजित तरीके से किया गया और आगे भी हमें ऐसे कई
हथकंडे देखने को मिलेंगे।
2014 के लोकसभा चुनावों में वोट बटोरने के लिये
उछाले गये जुमले जब बुरी तरह बेनकाब होकर निष्प्रभावी होगये तो 2019 के चुनाव की
पूर्व वेला में श्री अटल बिहारी के दिवंगत होने की प्राक्रतिक घटना को संघ ने
भुनाने की ठान ली। दिवंगत अटल बिहारी भाजपा के लिये अब ‘वोट बिहारी’ बन कर रह गये हैं। उनकी अस्थियाँ आज ‘वोटस्थियाँ’ और अस्थि कलश आज ‘वोट
कलश’ बन कर रह गये हैं। यही वजह है कि श्री अटल के असली परिवारीजन
और विपक्षी पार्टियां भाजपा पर आज हड्डियों पर राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं।
अब अस्थियों पर राजनीति करने की भाजपा और संघ की
कोशिश कितनी सफल होगी यह तो भविष्य ही तय करेगा। पर ये वो आसुरी शक्तियां हैं जो
अस्थियों पर राजनीति करने के लिये सुविख्यात हैं। राजनैतिक स्वार्थों के लिये ये
अपनों की मौत को कई दिनों तक छिपाये रह सकते हैं। मौत की अधिक्रत घोषणा से पहले
श्रध्दांजलि अर्पित कर सकते हैं। वोटों की खातिर सूखी आंखों को पोंछ कर गम का
क्रत्रिम इजहार कर सकते हैं।
1989 में अयोध्या में कथित कार सेवकों जिन्होने
इनके उकसाबे पर संविधान, राष्ट्रीय एकता परिषद और सर्वोच्च
न्यायालय के निर्देशों की धज्जियां उड़ायीं थीं, की कथित हड्डियों
को गांव गांव गली गली घुमाकर इन्होने समाज विशेष की कोमल भावनाओं को सांप्रदायिक
ज्वार में बदला और फिर उनके नाम पर वोट बटोर कर उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में
सत्तायें हथियायीं। उसी सरकार की छतरी तले वे सारे कायदे कानूनों और आदेशों
निर्देशों को ठेंगा दिखा कर बाबरी ढांचे को ध्वस्त कर चुके हैं। इससे उपजे
सांप्रदायिक विभाजन पर ये आज तक वोटों की फसलें उगा रहे हैं।
अपने सुपरिचित हथकंडों को अपनाते हुये आज वे पुनः
श्री अटल बिहारी बाजपेयी की अस्थियों पर वोट की फसल उगाने की कोशिश में जुटे हैं। हिन्दू
धर्म और परंपराओं के रक्षक होने का दाबा करने वाले ये लालची धर्म और परंपराओं को भी
भूल गये। शास्त्रों के अनुसार अस्थियों का विसर्जन किसी मान्य तीर्थस्थल पर
निकटस्थ परिजनों द्वारा एकल रूप से किया जाना चाहिये ताकि दिवंगत आत्मा को
चिरस्थायी शान्ति प्राप्त होसके। लेकिन इन्होने उन्हे 4000 भागों में बांट दिया।
अब मुश्किल से 70- 75 ग्राम आस्थियाँ चार हजार कलशों में क्यों और कैसे विभाजित की
गईं यह तो भाजपा ही बता सकती है।
अटलजी उस संघ के कार्यकर्ता थे जिसके पास तिल को ताड़
बनाने की ताकत है। वह संघ जो अपने झूठे प्रचार और मैसमेरिज्म के जरिये करोड़ों लोगों
को भ्रमित कर गणेश प्रतिमाओं को दूध पिलाने को मंदिरों के बाहर कतारों में खड़ा कर सकता
है। उसी संघ की छतरी तले अटल जी का अधिकांश जीवन विपक्ष में ही बीता। उनकी वाकपटुता
को संघ ने खूब भुनाया। वे कई बार चुनाव हारे तो संघ ने उसे एक योग्य नेता का अपमान
प्रचारित किया। पहली बार वे जोड़तोड़ से प्रधानमंत्री बने और विश्वास हासिल नहीं कर पाये।
संघ ने प्रचारित किया कि यह एक योग्य व्यक्ति को सत्ता से दूर रखने की साजिश है। अंततः
वे फिर जोड़तोड़ से प्रधानमंत्री बने। संघ ने जनता को फर्जी ‘फील गुड’ का अहसास कराया और ‘इंडिया
इज शाइनिंग’ का जुमला उछाला। लेकिन 2004 में जनता ने उन्हें बाहर
का रास्ता दिखा दिया। उसके बाद वे गुमनामी में किसी और ने नहीं उसी संघ और भाजपा ने
धकेल दिये जिनके कि वे सदैव संकटमोचक बने।
‘जिन्दा हाथी लाख का मरा डेढ़ लाख का’ की तर्ज पर भाजपा आज उनकी सीमित लोकप्रियता को बढ़ा चड़ा कर पेश कर रही है।
वह आज उन्हें आजादी के बाद का सबसे महान नेता जताने का प्रयास कर रही है। संघ उस ऐतिहासिक
तथ्य को भी ढांपना चाहता है कि वह आजादी के आंदोलन से बाहर था और उसके द्वारा क्रत्रिम
तौर पर गड़े और खड़े किये गये क्रत्रिम नायक या तो अंग्रेजों से माफी मांग रहे थे या
फिर आजादी के लिये जूझने वालों के खिलाफ गवाहियाँ डेराहे थे। वीर सावरकर और अटल बिहारी
संघ द्वारा गड़े गये नायकों में सबसे आगे की कतार में खड़े हैं।
उनके पास आज आज सत्ता है, सत्ता के कारण भीड़ है, पर्याप्त संख्या में संघ का काडर
है, दौलत है और सबसे ऊपर हवाबाज़ मीडिया है। इस सबके बल पर वे
अटलजी का क्रत्रिम महिमा क्षेत्र तैयार कर रहे हैं। भूख, गरीबी, दमन, अत्याचार से दमित जनता का ध्यान बंटाने की कोशिश
कर रहे हैं। हर चुनाव क्षेत्र तक लाव लश्कर के साथ पहुँचने के लिये गंदी संदी नालेनुमा
नदियों तक में अस्थि विसर्जन का ढोंग रचा जारहा है। आयोजनों पर अनाप शनाप जनता की गाड़े
पसीने की कमाई को बहाया जारहा है। आपदाग्रस्त केरल को मात्र रु॰ 600 करोड़ देकर हाथ
झाड लिये गये मगर वोट कलश विसर्जन पर अथाह धन व्यय किया जारहा है। देश के कोने कोने
में बाड़ आयी हुयी है। आम जनता पर अनेक मुसीबतों का पहाड़ टूटा पड़ा है, पर मान्य मंत्रीगण कंधों पर कलश लिये घूम रहे हैं। वोट बटोरने की इस म्रग
मरीचिका में वे अपने निर्धारित दायित्वों से भाग रहे हैं।
अब यह तो वक्त ही बताएगा कि 2004 में खुद सिंहासन पर
आरूढ़ प्रधानमंत्री श्री बाजपेयी तत्कालीन एनडीए को बहुमत नहीं दिला पाये तो क्या आज
के एनडीए की डूबती नाव को पार लगा पायेंगे। पर संघ और भाजपा 2019 के लोकसभा चुनावों
की पूर्ववेला में हुयी श्री अटल की मौत को राजनैतिक रूप से भुनाने में कोई कसर नहीं
छोड़ना चाहते।
डा॰ गिरीश
सोमवार, 20 अगस्त 2018
at 7:19 pm | 0 comments |
Implement Prportinal representative system
समानुपातिक चुनाव प्रणाली और बुनियादी चुनाव
सुधार लागू कराने को वामपंथी लोकतान्त्रिक दल अभियान तेज करेंगे। वाम कन्वेन्शन संपन्न
लखनऊ- 20 अगस्त 2018,
समानुपातिक चुनाव प्रणाली लागू कराने एवं चुनाव प्रणाली में आवश्यक सुधार किये
जाने के सवाल को जनता के बीच लेजाने के महान संकल्प के साथ वामदलों का संयुक्त
सम्मेलन आज यहाँ व्यापक और गंभीर चर्चा के साथ संपन्न होगया।
सम्मेलन का आयोजन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी ( मार्क्सवादी ) भाकपा- माले और फारबर्ड ब्लाक
की राज्य कमेटियों ने संयुक्त रूप से किया था। कई धर्मनिरपेक्ष और लोकतान्त्रिक
दलों के नेताओं ने सम्मेलन में पहुँच कर वामपंथी दलों की इस पहल के साथ एकजुटता का
इजहार किया। इससे इस कन्वेन्शन का संदेश और व्यापक हुआ है।
कन्वेन्शन में भाकपा ( मा॰ ) की पोलिट ब्यूरो के
सदस्य और पूर्व सांसद नीलोत्पल बसु ने कहाकि इस सरकार ने संसद में बिना चर्चा
कराये अपने संख्या बल पर संविधान में संशोधन कर पूँजीपतियों से चुनाव बाण्ड्स के जरिये
असीमित चंदा लेने का रास्ता खोल दिया है। इससे चुनावों में पहले से चली आरही धन की
भूमिका खतरनाक हद तक बढ़ जायेगी। मुट्ठी भर कारपोरेट घराने और पूंजीपति अपने धन के
बल पर सत्ताधारी दल और उन दलों को जो उनके हितों को पूरा कराने को जनता के हितों
को कुचलते हैं, पर अपना नियंत्रण और मजबूत करेंगे।
उन्होने
कहाकि इस नियम को बदलवाने के लिये वामपंथी दलों और अन्य दलों को जनता के बीच जाकर
अभियान चलाना होगा और इस कानून को पलटवाना होगा नहीं तो 2019 के चुनाव की तस्वीर
बहुत ही भयावह होगी। समानुपातिक चुनाव प्रणाली की वकालत करते हुये उन्होने कहाकि
हमें इसी पर नहीं रुक जाना चाहिये अपितु ऐसी चुनाव प्रणाली के लिये काम करना
चाहिये जो सर्वाधिक लोकतान्त्रिक हो। उन्होने उत्तर प्रदेश के वामदलों की प्रशंसा
की कि उन्होने एक अति सामयिक मुद्दे को उठाने की पहलकदमी की है।
कन्वेन्शन के प्रारंभ में चर्चा हेतु आधार पत्र
प्रस्तुत करते हुये भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य
एवं राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने कहाकि हमारे देश की मौजूदा चुनाव प्रणाली उस ब्रिटिश
उपनिवेशवाद की देन है जो ब्रिटेन में एक उदार लोकतन्त्र और अपने औपनिवेशिक देशों
में कठोरतम लोकतन्त्र चलाना चाहता था। इस प्रणाली में अल्पमत बहुमत पर शासन चलाता
है। गत लोकसभा चुनाव में मात्र 31 प्रतिशत मत लेकर भाजपा 282 सीटें हथिया लेगयी
जबकि उसके विपक्ष में पड़े 69 प्रतिशत वोटो का प्रतिनिधित्व बहुत कम है। आज यह
प्रणाली धनबली बाहुबली, जातिवादी और सांप्रदायिक तत्वों को
सत्ता हथियाने का साधन बन गयी है। समाज के वंचित तबके सत्ता में भागीदारी से वंचित
होते जारहे हैं।
उन्होने कहाकि समानुपातिक निर्वाचन प्रणाली में
पार्टियों को प्राप्त मतों के समकक्ष प्रतिनिधित्व मिलता है। महिलाओं, अल्पसंख्यकों, दलितों,
आदिवासियों और अन्य तबके भी सत्ता में भागीदार बनते हैं। पार्टियों की नीतियों पर
वोट मिलता है और पार्टियों में आंतरिक लोकतन्त्र स्थापित करना पड़ता है। इस प्रणाली
के जरिये गरीबों का शासन स्थापित किया जासकता है और समतमूलक समाज की स्थापना के
काम को आगे बढ़ाया जासकता है। आज दुनियाँ के 92 देश इस प्रणाली को अपना चुके हैं।
हाल ही में नेपाल में भी अर्ध समानुपातिक प्रणाली से चुनाव हुये और धर्मान्ध
ताकतों को मुह की खानी पड़ी। डा॰ गिरीश ने कहाकि यदि यह प्रणाली लागू होजायेगी तो
भाजपा कभी भी सत्ता का मुह नहीं देख पायेगी। उन्होने जनता के दूसरे सवालों के साथ
जोड़ कर इस सवाल पर आंदोलन खड़ा करने पर ज़ोर दिया।
भाकपा- माले के पोलिट ब्यूरो के सदस्य का॰ रामजी
राय ने कहाकि यह लड़ाई उस उत्तर प्रदेश से शुरू हुयी है जिसने 1857 में अँग्रेजी
हुकूमत को ललकारा था। वामपंथ को चाहिये कि वह जनता के ज्वलंत मुद्दों पर चल रहे
आंदोलनों को और तेज करे।
कन्वेन्शन को आल इंडिया फारबर्ड ब्लाक के नेता उदय
भान सिंह, सीपीएम के राज्य सचिव डा॰ हीरालाल यादव, भाकपा-
माले के राज्य सचिव सुधाकर यादव, भाकपा के राज्य सह सचिव
अरविंदराज स्वरूप, राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय सचिव शिव
बरन सिंह, पूर्व विधायक, राष्ट्रवादी
कांग्रेस के नेता अरुण यादव, अपना दल ( क्रष्णा पटेल ) के
अध्यक्ष आर॰ बी॰ सिंह पटेल तथा लोकतान्त्रिक जनता दल के अध्यक्ष जुबेर अहमद ने भी
संबोधित किया। अध्यक्षता इम्तियाज़ अहमद पूर्व विधायक,
दीनानाथ यादव पूर्व विधायक, सुधाकर यादव तथा हरीशंकर गुप्ता
ने की।
कन्वेन्शन में पारित प्रस्ताव में मांग की गयी है
कि निर्वाचन आयोग चुनाव सुधार पर विभिन्न आयोगों, कमेटियों
और न्यायिक फैसलों के आधार पर एकमुश्त ड्राफ्ट तैयार करे जिसमें समानुपातिक चुनाव
प्रणाली की सिफ़ारिश भी शामिल हो। इस पर चर्चा के लिये सभी राजनेतिक दलों की बैठक
बुलाई जाये।
ईवीएम के सवाल पर कन्वेन्शन की राय है कि सारा
मतदान वीवीपेट युक्त मशीनों से हो। इन मशीनों की विश्वसनीयता की गारंटी करना
निर्वाचन आयोग और सरकार की ज़िम्मेदारी है।
साथ ही पूँजीपतियों द्वारा राजनैतिक दलों को चंदा
देने पर रोक लगाने, और यह चंदा चुनाव आयोग को दिये
जाने, चुनाव प्रचार के लिये स्टेट फंडिंग किये जाने, चुनावी विज्ञापन और धन के बल पर होने वाले मीडिया मैनेजमेंट को
प्रतिबंधित किये जाने, प्रत्याशी के चुनाव खर्च में दल का
खर्च भी जोड़े जाने, अपराधियों के चुनाव लड़ने से रोकने की
कारगर प्रणाली तैयार करने तथा चुने प्रतिनिधियों को वापस बुलाने का अधिकार जनता को
दिये जाने की मांग भी की गयी है।
कन्वेन्शन ने सभी लोकतान्त्रिक दलों, शख़्सियतों, बुद्धिजीवियों,
दलितों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं, आदिवासियों और इन सभी के शुभचिंतकों से अपील की है कि वे समानुपातिक
चुनाव प्रणाली और चुनाव सुधार लागू कराने की मुहिम में वामपंथी दलों का साथ दें।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
शुक्रवार, 17 अगस्त 2018
at 8:13 pm | 0 comments |
An Apeal of CPI, U.P. for Kerala Flood Relief Fund
केरल में बाढ़ की
विभीषिका से पीड़ितों की जीजान से मदद करें
सभी संवेदनशील
नागरिकों, पार्टी इकाइयों और पार्टी साथियों से भाकपा उत्तर प्रदेश की पुरजोर अपील
भाइयो बहिनों और साथियो,
केरल में बाढ़ और जल प्लावन से
हुयी भीषण तबाही से आप सभी भली भांति परिचित हैं. इस प्राकृतिक आपदा में सौ से
अधिक लोगों की जान जाचुकी है. चल अचल संपत्ति को हुये नुकसान का तो अभी अनुमान
लगाना बेहद कठिन है. तबाही अभी भी जारी है.
केरल एक ऐसा राज्य है जो
देश के किसी भी भाग में आयी विपत्ति में दिलोजान से मदद करता रहा है. कुदरत की मार
के चलते आज उसे सारे देशवासियों की मदद की जरुरत है.
जहां तक भाकपा की उत्तर प्रदेश
राज्य काउंसिल की बात है वह देश के किसी भी कोने में आयी विपत्ति में सबके साथ खड़ी
रही है. अपने संवेदनशील कार्यकर्ताओं की मदद से हमने जनता से धन एकत्रित कर
विपदाग्रस्त इलाकों के लिये भेजा है. कई बार तो हमने पीड़ित स्थल पर जाकर राहत
सामग्री का वितरण किया है.
अतएव केरल की जनता पर आयी
हुयी इस महाविपदा में भी हम पूरी तरह उनके साथ हैं. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के
केन्द्रीय सचिव मंडल ने भी केरल की जनता के लिये राहत राशि इकठ्ठा कर शीघ्र भेजने
की अपील की है. अतएव भाकपा की उत्तर प्रदेश राज्य काउंसिल आप सभी से अपील करती है
कि आप जनता से धन इकठ्ठा करके अथवा निजी तौर पर अपना आर्थिक योगदान शीघ्र से शीघ्र
भाकपा राज्य काउंसिल, उत्तर प्रदेश को प्रेषित करें ताकि पहली किश्त जल्द से जल्द
सहायतार्थ भेजी जासके.
सहयोगी जन संगठनों से भी
अपील है कि वे पार्टी राज्य केन्द्र की इस काम में मदद करें.
आप अपनी सहयोग राशि भाकपा
राज्य कार्यालय ( 22, कैसरबाग, लखनऊ ) में नकद जमा कर रसीद कटा सकते हैं, चेक अथवा
ड्राफ्ट से भेज सकते हैं अथवा राज्य काउंसिल के खाते में भी धन स्थानांतरित कर
सकते हैं. खाते का विवरण निम्न प्रकार है-
बैंक का नाम- यूनियन बैंक
आफ इण्डिया, शाखा क्लार्क अवध लखनऊ
खातेदार का नाम- कम्युनिस्ट
पार्टी आफ इंडिया, यू.पी. स्टेट काउंसिल
खाता संख्या-
353302010017252
आई एफ एस कोड- UBIN 0535338
आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास
है कि आप अपना योगदान अबिलंब प्रेषित करेंगे.
सधन्यवाद!
आपके साथी
डा. गिरीश, राज्य
सचिव – 9412173664
कामरेड अरविन्दराज
स्वरूप एवं कामरेड इम्तेयाज़ अहमद, सहसचिव
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी,
उत्तर प्रदेश राज्य काउंसिल
22, कैसरबाग, लखनऊ-
226001
गुरुवार, 16 अगस्त 2018
at 6:55 pm | 0 comments |
CPI, U.P. Pays Tribute to Shree A.B. Bajapeyii
भाकपा उत्तर प्रदेश ने
श्री अटल बिहारी बाजपेयी के निधन पर गहरा दुःख जताया
लखनऊ- 16 अगस्त 2018,
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य काउंसिल ने पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी
बाजपेयी के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है. उनके शोक संतप्त परिवार को शान्ति
की कामना करते हुये भाकपा ने उन्हें भावपूर्ण श्रध्दांजलि अर्पित की है.
यहाँ जारी भाकपा राज्य
समिति की विज्ञप्ति में कहा गया है कि श्री बाजपेयी का निधन भारत की लोकतांत्रिक
राजनीति के लिये एक झटका है. विभाजन, असहिष्णुता और हिंसा की राजनीति करने वाले
अपनों को भी उन्होंने राजधर्म का पाठ पढ़ाया था. आज भी वोट की खातिर हिंसा और
विभाजन की राजनीति करने वालों को उनकी इस सीख पर गौर करना होगा. संभवतः यही उनके
प्रति सच्ची श्रध्दांजलि होगी. भाकपा पुनः उन्हें श्रध्दांजलि अर्पित करती है.
डा. गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
मंगलवार, 14 अगस्त 2018
at 12:54 pm | 0 comments |
CPI CONDEMNS ATTACK ON ITS ACTIVIST IN KUSHIINAGAR
तमकुहीराज ( कुशीनगर ) में भाकपा के आंदोलनकारियों पर हुये जानलेवा हमले की निन्दा
भाकपा राज्य सचिव मण्डल ने की कड़ी कार्यवाही की मांग
लखनऊ- 14 अगस्त 2018, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश के राज्य
सचिव मण्डल ने कुशीनगर जनपद की तमकुहीराज तहसील पर गत 7 अगस्त से आम जनता के
सवालों पर भाकपा के बैनर तले निरंतर धरना देरहे गरीब किसान मजदूरों पर सत्ता पोषित
माफिया- गुंडों द्वारा किये गये हमले की कड़े शब्दों में निन्दा की है।
भाकपा ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक एवं
प्रमुख सचिव गृह से मांग की कि वे गरीबों के हक की आवाज कुचलने वालों की इस करतूत
के खिलाफ कड़े से कड़े कदम उठाए।
यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा॰
गिरीश ने कहाकि ये गरीब लोग चन्द माफियाओं द्वारा गरीबों की जमीन मकान हड़पने के
खिलाफ और रोजगार दिलाने, बन्द उद्योगों और चीनी मिलों को
चलवाने, जनपद कुशीनगर और पूर्वाञ्चल के विकास की मांगों को
लेकर शांतिपूर्ण धरना देरहे थे। सप्ताह बीत जाने के बाद भी स्थानीय प्रशासन ने कोई
सुधि नहीं ली। उलटे दर्जन भर सशस्त्र गुंडों ने गत रात 11 बजे उन पर हमला बोल
दिया। सभी को गहरी चोटें आयी हैं। हमलावर लोग उनका सामान भी उठा कर लेगये।
ये योगी- मोदी के अच्छे दिनों की बानगी मात्र है।
आज उत्तर प्रदेश में हक और न्याय की आवाज उठाने वालों को हर तरह से प्रताड़ित किया
जारहा है। भाकपा इसकी निन्दा करती है।
भाकपा ने अपनी गोरखपुर मण्डल की समस्त जिला इकाइयों
को निर्देश दिया कि वे भाकपा कुशीनगर के साथियों के प्रति एकजुटता का इजहार करें
और 16 अगस्त को अपने जिला मुख्यालयों पर उनको न्याय दिलाने को ज्ञापन दें।
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा , उत्तर प्रदेश
रविवार, 12 अगस्त 2018
at 4:52 pm | 0 comments |
Left Convention in U.P. on Proportional electoral system and election reforms
समानुपातिक चुनाव प्रणाली और चुनाव सुधार लागू
कराने को
वामपंथी दलों का प्रदेश स्तरीय सम्मेलन 20 अगस्त
को लखनऊ में
लखनऊ- 12 अगस्त 2018, उत्तर
प्रदेश के वामपंथी दलों की एक बैठक आज यहां संपन्न हुयी। बैठक की अध्यक्षता भारतीय
कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा॰ गिरीश ने की।
बैठक में वामदलों ने आगामी 20 अगस्त को समानुपातिक
चुनाव प्रणाली एवं चुनाव सुधारों पर एक राज्य स्तरीय कन्वेन्शन आयोजित करने के
पूर्व के निर्णय की पुष्टि की गयी। यह कन्वेन्शन लखनऊ के गोमती नगर स्थित
अंतर्राष्ट्रीय बौध्द शोध संस्थान लखनऊ में पूर्वान्ह 11 बजे से आयोजित किया
जाएगा।
कन्वेन्शन को वामपंथी दलों के राष्ट्रीय नेता भी
संबोधित करेंगे। भाकपा के केन्द्रीय सचिव मण्डल के सदस्य एवं सांसद कामरेड डी॰
राजा, भाकपा ( मा॰ ) की पोलिट ब्यूरो के सदस्य और पूर्व सांसद का॰ नीलोत्पल बसु, भाकपा ( माले ) की पोलिट ब्यूरो के सदस्य का॰ कविता क्रष्णन तथा फारबर्ड
ब्लाक के राष्ट्रीय सचिव का॰ देवब्रत विश्वास आदि नेता प्रमुख रूप से संबोधित
करेंगे।
वामदलों ने सभी धर्मनिरपेक्ष दलों के प्रदेश
प्रमुखों को अपने बहुमूल्य सुझाव देने हेतु कन्वेन्शन में आमंत्रित करने का निश्चय
भी किया है। उनको निमंत्रण पत्र भेजा जारहा है। वामदलों के राज्य स्तरीय नेतागण भी
अपने विचार रखेंगे।
बैठक में भाकपा (मा॰ ) के राज्य सचिव का॰ हीरालाल
यादव, सचिव मण्डल के सदस्य का॰ प्रेमनाथ राय, भाकपा राज्य
सचिव डा॰ गिरीश, सहसचिव का॰ अरविन्दराज स्वरूप, भाकपा ( माले ) के प्रांतीय नेता का॰ अरुण कुमार, का॰ रमेश सिंह सेंगर, फारवर्ड ब्लाक के राज्य
महासचिव एस॰ एन॰ सिंह चौहान, डा॰ विश्वास एवं विजय पाल सिंह
आदि ने विचार व्यक्त किये॰
डा॰ गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
सोमवार, 6 अगस्त 2018
at 4:31 pm | 0 comments |
CPI on Devriya Episode
देवरिया काण्ड राज्य
सरकार के माथे पर है कलंक का टीका
मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ जिम्मेदारी से बच नहीं सकते
सुप्रीम कोर्ट की
निगरानी में सीबीआई करे जांच
भाकपा कल से ही
करेगी विरोध प्रदर्शन
9 अगस्त को भाकपा का
महिला दलित अल्पसंख्यक दमन विरोधी दिवस
लखनऊ- 6 अगस्त 2018, भारतीय
कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने देवरिया के बालिका संरक्षण गृह में अबोध
बालिकाओं के साथ लंबे समय से चल रहे अमानुषिक अत्याचार और उनके यौन शोषण पर गहरा
रोष प्रकट किया है. भाकपा ने इस जघन्य काण्ड के लिये राज्य सरकार को सीधे
जिम्मेदार ठहराया है. भाकपा राज्य केन्द्र ने अपनी कतारों का आह्वान किया है कि वे
इस घटना पर तत्काल प्रतिरोध दर्ज करायें और बलात्कारियों की संरक्षक योगी सरकार के
पुतले जलायें. साथ ही भाकपा ने 9 अगस्त को प्रदेश भर में महिला और दलित उत्पीडन विरोधी
दिवस पूरी तैयारी के साथ आयोजित करने का आह्वान भी पार्टी की जिला इकाइयों से किया
है.
यहाँ जारी एक प्रेस बयान
में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहाकि गत साढे चार सालों से देश में मोदी की
और डेढ़ साल से उत्तर प्रदेश में योगी की सरकार है. लेकिन महिलाओं और अबोध बालिकाओं
के साथ एक से एक शर्मनाक वारदातें व्यापक पैमाने पर और सर्वत्र जारी हैं. देवरिया
की वारदात इसलिए और संगीन है कि यह मुख्यमंत्री के कार्यक्षेत्र में निर्बाध रूप
से जारी थी और संबंधित एनजीओ का लाइसेंस एक साल पहले ही रद्द किया जाचुका था. मात्र
जिले के अधिकारियों पर इस ‘महापाप, की जिम्मेदारी डाल कर राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी
से बच नहीं सकती. भाकपा की मांग है कि योगी आदित्यनाथ को इसकी नैतिक जिम्मेदारी
लेनी चाहिये.
डा. गिरीश ने कहाकि ये काम
करने वाली नहीं बकबास करने वाली सरकार है. यह शासन नहीं दंगासन चला रही है. यह
महिलाओं को भोग की वस्तु मानने वालों की सरकार है. भाजपा और उसके आका संघ के
अधिकांश शीर्षस्थ नेता भारतीय संस्कृति में निर्धारित गृहस्थ आश्रम में जाने से
कतराते हैं. और यह भी सर्वविदित है कि वे ब्रह्मचारी नहीं हैं. ऐसे लोगों के सत्ता
में रहते न महिलाओं की इज्जत आबरू सुरक्षित है न कमजोर तबकों का मान सम्मान. “बेटी
बचाओ बेटी पढाओ” जैसा पवित्र नारा बेटियों की बोटी नोंचने वालों के हाथ पढ़ गया है.
भाकपा राज्य सचिव ने कहाकि
देवरिया की इस खौफनाक घटना की जांच सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में सीबीआई
द्वारा कराई जानी चाहिये. राज्य प्रशासन से इसलिए कोई उम्मीद नहीं कि पूरा खेल
उनके सरंक्षण में चल रहा था और आज भी घटना का खुलासा एक बच्ची ने सरंक्षण गृह से
भाग कर किया है, पुलिस- प्रशासन ने नहीं. भाकपा प्रदेश के अन्य बालिका संरक्षण गृहों
की जांच की मांग भी करती है और भोगी सफेदपोशों के खिलाफ पास्को एक्ट के तहत
कार्यवाही की मांग करती है.
भाकपा ने निश्चय किया है कि
वह इस जघन्य काण्ड के खिलाफ कल से ही सडकों पर उतरेगी और महिलाओं, दलितों और
अल्पसंख्यकों पर प्रदेश और देश में होरही अत्याचार की घटनाओं के खिलाफ 9 अगस्त को महिला, दलित और अल्पसंख्यकों पर दमन
विरोधी दिवस आयोजित करेगी.
डा. गिरीश, राज्य सचिव
भाकपा, उत्तर प्रदेश
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