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रविवार, 29 जून 2014
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केंद्र सरकार की महंगाई बढ़ाने वाली नीतियों और प्रदेश की कानून व्यवस्था की जर्जर हालत के खिलाफ भाकपा ने आन्दोलन का निर्णय लिया.
लखनऊ- २९ जून- २०१४. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य काउन्सिल की दो दिवसीय बैठक आज यहाँ संपन्न हुयी. आज की बैठक की अध्यक्षता का. सुरेन्द्र राम ने की.
बैठक के निर्णयों की जानकारी देते हुए राज्य सचिव डॉ. गिरीश ने कहा कि हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा महंगाई बढ़ाने वाले कई कदम उठाये हैं जिससे खुदरा और थोक बाज़ार में चीजों के दामों में उछाल दर्ज किया गया है. खरीफ फसलों के खरीद मूल्य भी लागत की तुलना में काफी कम बढ़ाये गये हैं जिससे किसान ठगा महसूस कर रहे हैं. आम जनता अभी से ठगा महसूस करने लगी है. राज्य सरकार भी महंगाई की इस मार को और तेज कर रही है. उसने जनहित की लैपटाप, कन्या विद्याधन एवं बेरोजगारी भत्ता जैसी योजनाओं को भी इस लिए समाप्त कर दिया क्योंकि लोकसभा चुनाव में जनता ने उन्हें करारा झटका दे दिया. महिलाओं से दुराचरण की घटनाओं को रोकने में और कानून-व्यवस्था को पटरी पर लाने में यह सरकार विफल रही है. गन्ना बकायों का भुगतान तो हो नहीं पाया, सूखे की इस स्थिति में बिजली संकट और नहरों में पानी न आने से खरीफ की फसलों पर असर पड़ रहा है.
अतएव भाकपा राज्य काउन्सिल ने केंद्र और राज्य सरकार के इन गरीब और किसान विरोधी कदमों के खिलाफ १४ जुलाई को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर धरने और प्रदर्शन आयोजित करने का निर्णय लिया है.
डॉ. गिरीश ने बताया कि प्रदेश में विधान सभा एवं लोक सभा के होने वाले उपचुनावों में भी भाकपा ने प्रत्याशी खड़े करने का निर्णय लिया है.
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शनिवार, 28 जून 2014
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महंगाई को केन्द्र एवं राज्य सरकारें दे रहीं हैं बढ़ावा
लखनऊ 28 जून। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य कौंसिल की दो दिवसीय बैठक आज यहां भाकपा के राज्य कार्यालय पर अतुल कुमार सिंह की अध्यक्षता में शुरू हो गयी है।
बैठक में राज्य सचिव डा. गिरीश ने राजनैतिक एवं संगठनात्मक रिपोर्ट पेश की जिस पर चर्चा चल रही है। बैठक का यह मानना है कि मोदी सरकार ने जिस प्रकार यात्री भाड़े और रेल भाड़े के साथ-साथ डीजल के दामों में बढ़ोतरी एवं चीनी के आयात शुल्क में वृद्धि जैसे महंगाई बढ़ाने वाले फैसले लिये हैं, उससे आसमान छूती महंगाई से जनता को निकट भविष्य में किसी भी प्रकार की राहत मिलना सम्भव नहीं है। न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करते समय भी फसलों की आ रही लागत को विचार में नहीं लिया गया और किसान विरोधी फैसला किया गया है।
सोने का आयात खोल देने से सोने के भावों में आई गिरावट में बड़े पूंजीपतियों ने अपने काले धन का निवेश सोने में कर देने के कारण सोने के भाव फिर बढ़ गये। वैसे भी सोने की खरीद-फरोख्त जनता के बड़े तबके द्वारा नहीं की जाती है।
मोदी सरकार बनने की प्रत्याशा में सरकार बनने के पूर्व से ही कुलांचे मार रहा शेयर बाजार अब लड़खड़ाने लगा है और विदेशी मुद्रा बाजार में रूपये की वैल्यू लगातार गिर रही है जिसके कारण तमाम जिन्सों के दामों में बढ़ोतरी के आसार पैदा हो रहे हैं। अपने निर्णयों से मोदी सरकार ने यह संकेत दे दिया है कि वह महंगाई फैलाने वाले और बेरोजगारी बढ़ाने वाली कांग्रेस की नई आर्थिक नीतियों को ही आगे बढ़ायेगी। मोदी सरकार ने पहले ही कड़े फैसलों का संकेत दे दिया है और निश्चित रूप से यह कड़े फैसले आम जनता के ही खिलाफ लिये जायेंगे न कि मुनाफाखोरों और बड़े घरानों के खिलाफ।
राज्य सरकार के कार्यों की समीक्षा करते हुए बैठक में सामान्य राय यह है कि लोक सभा चुनावों के परिणामों से सपा ने कोई सबक नहीं लिया है और पूरी तरह एक जन विरोधी बजट पेश किया गया है। नये बजट में सरकार ने लैपटाप, कन्या विद्या धन तथा बेरोजगारी भत्ता जैसी कई योजनाओं को खत्म कर दिया। सवाल उठता है कि क्या उन लोगों को अब उसकी जरूरत नहीं है? या फिर इस सबका उद्देश्य केवल वोट हासिल करना था। और जब जनता ने वोट नहीं दिया तो एक झटके में उससे सभी कुछ छीन लिया गया।
कानून-व्यवस्था के मामले में भी सरकार नकारा साबित हुई है। प्रदेश में प्रति दिन लगभग एक दर्जन बालिकाओं के साथ बलात्कार, बलात्कार के बाद हत्या या हत्या के प्रयास की खबरें आ रही हैं। अब तो पुलिस अधिकारियों और कर्मियों पर दुराचार के आरोप लग रहे हैं। सरकार केवल नौकरशाहों को उद्देश्यहीन तरीके से थोक में लगातार इधर से उधर कर रही है और कानून-व्यवस्था को सुधारने के कोई प्रयास नहीं कर रही है।
वर्षा के बारे में मौसम विभाग के स्पष्ट संकेतों के बावजूद सूखे से निपटने के मोर्चे पर सरकार ने अभी सोचना भी शुरू नहीं किया है। बिजली में बेतहाशा कटौती के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में अभी तक कृषि कार्य शुरू नहीं हो सका है। सरकार बिजली की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी कर महंगाई को आगे बढ़ाने का ही काम कर रही है।
बैठक अभी चल रही है और कल तक चलेगी। कई सांगठनिक एवं कार्यक्रम सम्बंधी फैसले लिये जा सकते हैं।
कार्यालय सचिव
बुधवार, 25 जून 2014
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मोदी सरकार का एक माह- अच्छे दिनों की बदरंग शुरुआत.
किसी भी सरकार के मूल्यांकन के लिये एक माह का कार्यकाल पर्याप्त नहीं कहा जा सकता. लेकिन केंद्र सरकार ने एक माह में जिस तरह ताबड़तोड़ फैसले लिये हैं और आम जनता में इसकी जैसी तीखी प्रतिक्रिया हुई है उसके चलते बरबस ही सरकार के कामकाज पर चर्चा शुरू होगयी है.
शुरुआत चुनाव नतीजे आते ही होगयी थी. भारतीय जनता पार्टी को इस बार पर्याप्त बहुमत हासिल हुआ है अतएव उसे सरकार गठन के लिए कोई अतिरिक्त व्यवस्था नहीं करनी थी. फिर भी उसने परिणामों के ठीक दस दिन बाद- २६ मई को भव्य शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया. लोकतंत्र में राजतंत्र जैसा शपथग्रहण आजादी के बाद पहली बार देखने को मिला. सभी पड़ोसी क्षत्रपों को शपथग्रहण समारोह का आमंत्रण दिया गया था. अम्बानी, अदानी जैसे धनपति और कई फिल्म सेलिब्रिटी समारोह के खास मेहमान थे. तो फिर व्यवस्था भी भव्य की ही जानी थी. लेकिन पूरे दस दिनों तक इतने बड़े देश में कोई जबाबदेह सरकार नहीं थी. इसकी जिम्मेदारी तो फिर भाजपा की ही बनती है. इसका पहला खामियाजा गोरखधाम एक्सप्रेस के उन निर्दोष रेल यात्रियों को भुगतना पड़ा जो शपथग्रहण के दिन ही दुर्घटनाग्रस्त होगयी और लगभग दो दर्जन लोग काल कवलित होगये. इधर मृतकों और घायलों के परिवारीजनों का करुण क्रंदन जारी था और उधर राजतिलक का लकदक आयोजन चल रहा था. कहाबत है रोम जब जल रहा था तो नीरो बांसुरी बजा रहा था. ऐसा यदि किसी अन्य दल ने किया होता तो भाजपा ने जरूर आसमान सिर पर उठा लिया होता. लेकिन इतने बड़े हादसे के बाद भी श्री मोदी ने समारोह को सादगी से आयोजित करने की सदाशयता नहीं दिखाई.
सरकार के आगाज के साथ ही सेंसेक्स ने जो छलांग लगाई, शेयर बाज़ार के बड़े खिलाड़ी मालामाल होगये. सोने का आयात खोल दिया गया और परिणामतः सोने के दाम काफी नीचे आगये. आम लोगों को भ्रम हुआ कि उनके अच्छे दिन आगये और अब वे भी सस्ते सोने के आभूषण पहन सकेंगे. लेकिन उनका यह सपना पलक झपकते ही धूल धूसरित होगया और सोने की कीमतें फिर से चढ़ने लगीं. लेकिन इस बीच काले धन वालों ने जम कर सोना खरीदा और अब उसे वह ऊंची कीमतों पर बेचेंगे. उनके तो अच्छे दिन आही गये.
विपक्ष खासकर वामपंथी विपक्ष लगातार कहता रहा है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही आर्थिक नवउदारवाद की नीतियों की पोषक हैं अतएव महंगाई भ्रष्टाचार एवं बेरोजगारी जैसे सवालों पर जनता को भाजपा से ज्यादा उम्मीद नहीं करनी चाहिये. यह तब स्पष्ट होगया जब केंद्र सरकार ने अपने जश्नकाल में ही डीजल की कीमतें बड़ा कर महंगाई बढ़ने देने का रास्ता खोल दिया और मई माह में थोक और खुदरा बाज़ार में महंगाई ने बढ़त जारी रखी. अब रेल किराये में १४.२प्रतिशत और मालभाड़े में ६.४प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर महंगाई को छलांग लगाने का रास्ता हमबार कर दिया. रही सही कमी चीनी पर आयात शुल्क में १५ के स्थान पर ४०प्रतिशत की वृध्दि ने कर दी. निर्यात पर प्रति टन रु. ३३०० की दर से दी जाने वाली सब्सिडी को सितंबर तक बढ़ा दिया गया. पेट्रौल में दस प्रतिशत एथनाल मिलाने की छूट दे दी. परिणामस्वरूप बाज़ार में एक ही झटके में चीनी के दामों में एक रु. प्रति किलो की बढोत्तरी होगयी जो चंद दिनों में रु.३.०० प्रति किलो तक जा सकती है. एक तरफ उपभोक्ताओं पर भीषण कहर वरपा किया गया वहीं चीनी उद्योग समूह को रु.४४०० करोड़ का व्याजमुक्त अतिरिक्त ऋण देने का निर्णय भी ले डाला. पूर्ववर्ती केंद्र सरकार पहले ही इस मद में रु.६६०० करोड़ दे चुकी है. यह सब किसानों के मिलों पर बकाये के भुगतान के नाम पर किया जारहा है. नीति वही पुरानी है केवल अमल करने वाले बदल गये हैं. आज भी यह सब कुछ विकास के नाम पर किया जारहा है.
दिन दो दिन में गैस और केरोसिन के दाम बढ़ाये जाने हैं जो चौतरफा महंगाई वृध्दि का रास्ता खोलेंगे. प्याज के दामों में वृध्दि जारी है और वह रुलाने के स्तर तक पहुँच कर ठहरेगी. आम बजट और रेल बजट की तस्वीर भी कुछ कुछ दिखाई देने लगी है.
जनविरोधी इन नीतियों को आसानी से लोगों के गले उतारने की फिराक में विभाजनकारी एजेंडे को पहले ही दिन से चालू कर दिया गया. अनुच्छेद ३७० और कामन सिविलकोड पर अलग अलग प्रवक्ता पैरवी करते दिखे. राम मन्दिर का निर्माण अभी ठन्डे बस्ते में है लेकिन बहुसंख्यक समुदाय की भावनाओं के दोहन के लिये गंगा की शुध्दि को साइन बोर्ड के तौर पर स्तेमाल किया जारहा है. गंगा की शुध्दि के लिये कड़े नैतिक कदम उठाने की जरूरत है पर एनडीए सरकार मुद्दे को सिर्फ गरमाए रखना चाहती है. सोशल मीडिया पर हिंदी के प्रयोग को बलात लादने के गृह मन्त्रालय के फैसले को भी इसी श्रेणी में रखा जारहा है. इराक युध्द को लेकर भी केंद्र सरकार अँधेरे में हाथ पैर मार रही है और वहां फंसे भारतीय कार्मिकों की सुरक्षित वापसी के लिये कुछ भी नहीं कर पायी है.
यहाँ बहुत याद करने पर भी एक माह में सरकार का एक भी काम याद नहीं आपारहा जिसे आम जनता के लिये अच्छे दिनों की शुरूआत माना जासके. जनता का दोहन करने वालों के लिये अच्छे दिनों की शुरुआत अवश्य होगयी. मोदी ने जब कुछ कठोर कदम उठाने की बात की थी तो सभी ने अलग अलग अलग मायने निकाले थे. कुछ ने माना था कि बेतहाशा दौलत वालों को कटघरे में लाया जायेगा. काले धनवालों की एक सूची भी सरकार के पास है. लगा कि उन पर कार्यवाही होगी. बैंकों के बड़े बकायेदारों से बसूली का मामला भी सरकार के सामने है. लोग उम्मीद कर रहे हैं कि छप्पन इंच के सीने वाला प्रधानमन्त्री अवश्य ही कुछ करेगा. लेकिन पहला माह कारपोरेटों को लाभ पहुँचाने और आमजनों की कठिनाइयाँ बढ़ाने वाला ही दिखा. निश्चय ही जनता आने वाले माहों में अच्छे दिनों के आने की उम्मीद लगाये बैठी है.
डा. गिरीश.
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मंगलवार, 24 जून 2014
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दलितों और महिलाओं पर जुल्म रोकने में नाकामयाब ऊतर प्रदेश सरकार स्तीफा दे.
महिलाओं के बाद अब दलितों पर हमलाबर सामन्ती और पुलिस हमलाबरों को जेल भेजो- भाकपा.
लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा. गिरीश ने राज्य सरकार को कटघरे में खड़े करते हुए कहाकि अभी तक यह सरकार महिलाओं और बच्चियों से दरिंदगी और उनकी निर्मम हत्यायों को रोक पाने में तो पूरी तरह विफल रही अब इसके शासनकाल में दलितों पर सामन्ती और पुलिसिया दमन सारी सीमायें पार कर गये हैं.
कल ही बाराबंकी के सतरिख थाने में गत माह हुई हत्या के सिलसिले में एक दलित श्री राम सुरेश और उसकी पत्नी कौशल्या को लाया गया और राम सुरेश को इस हद तक पीटा गया कि उसकी मौत होगयी. इतना ही नहीं उसकी लाश को बिना घरवालों को बताये मोर्चरी में लाकर रख दिया गया.
इसी तरह हाथरस जनपद के सिकंदरा राऊ थानान्तर्गत एक गाँव में दबंगों ने एक दलित युवक को बेरहमी से पीटा और परिजनों के तमाम आग्रह के बाद भी घटना की रिपोर्ट नहीं लिखी गयी. हौसलाबुलंद सामंतों ने दलित के घर में आग लगा कर उसे जला कर ख़ाक कर दिया. अब बसपा- भाजपा , सपा जैसी पार्टियाँ मामले पर राजनैतिक रोटियां सेंक रही हैं.
भाकपा ने अखिलेश सरकार से मांग की कि या तो वह इन जघन्य अपराधों को रोके या विदाई ले.
डा. गिरीश.
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सोमवार, 16 जून 2014
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बिना विलम्ब कानून व्यवस्था को पटरी पर लाये उत्तर प्रदेश सरकार- भाकपा
लखनऊ- १६ जून २०१४- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने दिन- दिन बद से बदतर होती जा रही उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर गहरी चिंता व्यक्त की है.
यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा.गिरीश ने कहा कि अब तक महिलाएं, बच्चियां, आम आदमी और अपराधियों से नेता बने लोग ही बिगडी कानून व्यवस्था के शिकार हो रहे थे लेकिन अब तो पुलिस भी अपराधियों के निशाने पर है. गत रात फिरोजाबाद में बदमाशों ने दो सिपाहियों की हत्या कर दी और आज हत्या के विरोध में सड़कों पर उतरे आक्रोशित लोगों ने न केवल बड़े पैमाने पर तोड़- फोड़ की अपितु पथराब में एक बड़े पुलिस अधिकारी भी घायल हुए हैं. बलात्कार, बलात्कारों के बाद हत्या और उसके बाद महिलाओं को फांसी पर लटकाने की घटनायें थमने का नाम नहीं लेरही हैं.
भाकपा इस बात पर गहरी चिंता जाहिर करती है की राज्य सरकार कानून- व्यवस्था पटरी पर लाने में पूरी तरह असफल है और निहित स्वार्थी राजनैतिक तत्वों ने इन हालातों पर घ्रणित राजनीति शुरू कर दी है. कुछ पार्टियाँ और संगठन इन घटनाओं की आड़ में सांप्रदायिक और जातीय खेल खेलने में जुट गये हैं. ठीक उसी तर्ज़ पर जैसाकि गत वर्ष मुज़फ्फरनगर में किया गया. सभी को इसे गंभीरता से लेना चाहिये. भाकपा राज्य सरकार से मांग करती है कि बिना विलम्ब किये कानून व्यवस्था को काबू में लाये और इसकी आड़ में राजनैतिक रोटियां सैंकने वाले तत्वों का पर्दाफाश करे.
डा. गिरीश
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शनिवार, 14 जून 2014
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रेलों के ठहराव रद्द करने के विरोध में भाकपा ने रेलमंत्री को खत लिखा
लखनऊ- १४ जून २०१४, उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्टेशनों से चलने वाली और गुजरने वाली लगभग दो दर्जन ट्रेनों के कई ठहरावों के रद्द किये जाने के प्रस्ताव पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. भाकपा ने इस प्रस्ताव को तत्काल रद्द करने की मांग की है.
रेल मंत्री को लिखे गये पत्र में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा है कि जिन ट्रेनों के विभिन्न स्टेशनों पर ठहरावों को रद्द करने की घोषणा रेलवे ने की है, वे जनता की मांग पर उनकी सुविधा के लिए निश्चित किये गये थे. अब जनता से इस सुविधा को छीनने की कोशिश की जारही है. इससे आमजनता को बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा और सरकार को भी जनता के विरोध का सामना करना पड़ेगा. इसलिए बेहतर यही होगा कि जनता से इस सुविधा को छीना न जाये.
डा. गिरीश ने कहा कि यद्यपि इस प्रस्ताव को ३० सितंबर तक के लिये स्थगित कर दिया गया है लेकिन भाकपा जनहित में ऐसे जनविरोधी प्रस्ताव को पूरी तरह रद्द करने की मांग करती है.
डा. गिरीश
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गुरुवार, 12 जून 2014
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महिलाओं की रक्षा और कानून के राज के लिये भाकपा ने किया प्रदेशव्यापी प्रदर्शन
अत्याचार रोके न गये तो आन्दोलन को और तेज किया जायेगा - भाकपा
लखनऊ 12 जून। प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ दरिंदगी और अत्याचारों की वारदातें थमने का नाम नहीं ले रहीं हैं। कानून व्यवस्था भी दिन-प्रति-दिन बद से बदतर होती जा रही है। शहर हो या गांव महिलाओं का तो सड़कों पर निकलना और सुरक्षित लौट के घर आना बेहद मुश्किल हो गया है। घर में भी वे हिंसा की शिकार हो रही हैं। इस स्थिति को लम्बे समय तक बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। महिलाओं और संवेदनशील समाज की इस पीड़ा को आज भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने मजबूत आवाज प्रदान की। “महिलाओं की रक्षा करो, कानून का राज कायम करो” नारे के तहत भाकपा की तमाम जिला इकाइयों ने आज जिला केन्द्रों पर जुझारू तेवरों के साथ धरने-प्रदर्शंन आयोजित किये और महामहिम राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारियों को सौंपे।
बदायूं के कटरा सआदत गंज में सामूहिक बलात्कार के बाद दो किशोरियों को फांसी पर लटकाने और हर दिन लगभग दर्जन भर महिलाओं के साथ दुराचार और अनेक जगह उनकी हत्यायों को गंभीरता से लेते हुये भाकपा ने अपनी समस्त जिला इकाइयों का आह्वान किया था कि वे आज के दिन इस ज्वलंत समस्या को लेकर जिला केन्द्रों पर व्यापक तैयारी के साथ धरने प्रदर्शन आयोजित करें और प्रदर्शनों में महिलाओं की अच्छी भागीदारी सुनिश्चित करें। आन्दोलन को कामयाब बनाने के लिए भाकपा के राज्य नेतृत्व ने प्रदेश के विभिन्न भागों के दौरे किये और भाकपा का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल राज्य सचिव के नेतृत्व में कटरा सआदतगंज भी गया था।
आज सुबह 11 बजे से ही एक के बाद एक जिले से सफल प्रदर्शनों की रिपोर्ट भाकपा के राज्य मुख्यालय को प्राप्त होने लगी थीं। बदायूं, जहां की घटना ने सारी दुनियां का ध्यान आकर्षित किया था, जिला कलेक्ट्रेट के समक्ष एक विशाल धरना दिया गया जिसका नेतृत्व महिला फेडरेशन की नेता प्रो. निशा राठौर एवं भाकपा के जिला सचिव रघुराज सिंह ने किया। राज्यपाल महोदय को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा गया। बदायूं के मंडलीय मुख्यालय बरेली में भी भाकपा एवं महिला फेडरेशन ने एक संयुक्त धरना कलेक्ट्रेट के समक्ष तिकोनियां पार्क में दिया और व्यापक नारेबाजी की। बाद में जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया जोकि राज्यपाल को संबोधित था। प्रदर्शन का नेतृत्व भाकपा जिला सचिव राजेश तिवारी, ट्रेड यूनियन नेता तारकेश्वर चतुर्वेदी, युवा नेता मसर्रत वारसी तथा महिला फेडेरेशन की नेता सबीना बेगम ने किया। इसी मंडल के जनपद शाहजहांपुर में भी जिला कलेक्ट्रेट पर भारी नारेबाजी के साथ प्रदर्शन किया गया और जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया। नेतृत्व जिला सचिव मोहम्मद सलीम, रामशंकर नेताजी, सुरेश नेताजी, जुगेन्द्र कौर एवं पद्मावती ने किया।
संतकबीर नगर में जिला कलेक्ट्रेट पर हुए प्रदर्शन में पुरुषों के अतिरिक्त लगभग दो सौ से अधिक महिलाओं ने भारी नारेबाजी के बीच ज्ञापन दिया। नेतृत्व भाकपा जिला सचिव श्रीमती हरजीत कौर, महिला फेडरेशन की नेता श्रीमती सुनीता मोदनवाल तथा शिव कुमार गुप्ता ने किया। देवरिया में भी जिला सचिव चक्रपाणी तिवारी एवं आनंद चौरसिया के नेतृत्व में धरना आयोजित किया गया। लखनऊ में महिला फेडरेशन की नेत्री श्रीमती आशा मिश्रा, श्रीमती बबिता एवं भाकपा जिला सचिव मोहम्मद खालिक के नेतृत्व में पार्टी के जिला कार्यालय कैसरबाग से जिलाधिकारी कार्यालय तक जुलूस निकाला तथा कलेक्ट्रेट पर सभा के उपरान्त उपजिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा।
प्रदेश के पश्चिमी भाग गाज़ियाबाद में पार्टी के जिला सचिव जितेन्द्र शर्मा के नेतृत्व में जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर बड़ा धरना लगाया गया जिसमें महिलाओं की भागीदारी शानदार रही। भारी नारेबाजी के बाद जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया। अलीगढ में भी भाकपा एवं महिला फेडरेशन के कार्यकर्ता निषेधाज्ञा तोड़ कर जिलाधिकारी कार्यालय परिसर में घुस गये और जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष भीषण नारेबाजी की और ज्ञापन सौंपा। नेतृत्व जिला सचिव प्रो. सुहेव शेरवानी, रामबाबू गुप्ता एवं इक़बाल मंद ने किया।
फैजाबाद में तहसील के बाहर तिकौनियां पार्क में हुए धरने का नेतृत्व जिला सचिव रामतीर्थ पाठक, रामजी यादव, परमा देवी तथा रीता देवी ने किया। जनपद मऊ में जिला कलेक्ट्रेट के समक्ष धरना दिया गया जिसका नेतृत्व पूर्व विधायक इम्तियाज़ अहमद एवं विनोद राय ने किया। इसके बाद जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया। सुल्तानपुर में शारदा पाण्डेय के नेतृत्व में जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा। इसी तरह ललितपुर में बाबूलाल अहिरवार, जिला सचिव के नेतृत्व में ज्ञापन दिया गया। हाथरस में पार्टी के कार्यवाहक सचिव चरण सिंह बघेल, नगर सचिव जगदीश आर्य एवं आर. डी. आर्य के नेतृत्व में ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा गया। कानपुर महानगर में राज्य सहसचिव अरविन्द राज स्वरूप, जिला सचिव ओमप्रकाश आनंद तथा महिला फेडरेशन की नेता श्रीमती उमा गुप्ता के नेतृत्व में राम आसरे पार्क में धरना दिया गया और सभा की गयी। सिटी मजिस्ट्रेट ने वहां पहुँच कर ज्ञापन प्राप्त किया।
अन्य जिलों में भी धरने प्रदर्शनों के आयोजन की रिपोर्ट राज्य कार्यालय को लगातार प्राप्त हो रही है।
भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने बताया कि महामहिम राज्यपाल को संबोधित ज्ञापनों में प्रदेश में महिलाओं के ऊपर चलाये जा रहे दमन चक्र की कड़े शब्दों में निंदा की गयी है और जर्जर बन चुकी कानून व्यवस्था की हालत पर तीखा आक्रोश प्रकट किया गया है। भाकपा राज्य सचिव मंडल ने महामहिम राज्यपाल से मांग की है कि वे महिलाओं की सुरक्षा और कानून के शासन के लिये अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार को कड़े निर्देश जारी करें। भाकपा राज्य सचिव मंडल ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि यदि उसने इस दिशा में सही कदम शीघ्र न उठाये तो भाकपा और व्यापक आन्दोलन करेगी और इसकी रुपरेखा 28-29 जून को होने जा रही राज्य काउन्सिल की बैठक में तैयार की जायेगी। डा. गिरीश ने पार्टी के कार्यकर्ताओं को बधाई दी कि उन्होंने इस भीषण गर्मीं में जनहित के सवालों पर सडकों पर उतर कर आवाज बुलंद की।
कार्यालय सचिव
बुधवार, 11 जून 2014
at 11:12 am | 1 comments |
”महिलाओं की रक्षा करो, कानून का राज कायम करो“ नारे के तहत भाकपा समस्त उत्तर प्रदेश में करेगी धरना-प्रदर्शन
लखनऊ 11 जून। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने इस बात पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है कि प्रदेश सरकार के लाख दावों के बावजूद उत्तर प्रदेश में महिलाओं एवं बालिकाओं के साथ दरिन्दगी और उनकी हत्याओं की वारदातों में कोई कमी नहीं आई है।
शासक दल के नेताओं और सर्वोच्च पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा इस सम्बंध में दिये जा रहे गैरजिम्मेदाराना बयान अपराधी तत्वों की हौसला अफजाई करते हैं। वहीं शासक दल एवं उसकी पिट्ठू पुलिस द्वारा अपराधियों को दिया जा रहा संरक्षण अपराधों को बढ़ा रहा है और पीड़ितों को न्याय से वंचित रख रहा है।
भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि उत्तर प्रदेश महिलाओं के लिए कसाईखाना जैसा बन गया है, जहां प्रतिदिन औसतन एक दर्जन दरिन्दगी की वारदातें अंजाम दी जा रही हैं। हत्या एवं दूसरे अपराधों में तेजी से वृद्धि हुई है।
अतएव भाकपा कल दिनांक 12 जून 2014 को ”महिलाओं की रक्षा करो! कानून का राज कायम करो!!“ नारे के तहत प्रदेश भर में जिला मुख्यालयों पर धरने/प्रदर्शनों का आयोजन करेगी और महामहिम राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन जिलाधिकारियों को सौंपे जायेंगे।
गुरुवार, 5 जून 2014
at 4:39 pm | 1 comments |
एआईएसएफ की मांग - ”टैबलेट दो, लैपटॉप दो - वरना गद्दी छोड़ दो“
लखनऊ 5 जून। आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) ने आज अपनी राज्य स्तरीय कार्यकर्ता बैठक में 12 अगस्त को अपने स्थापना दिवस पर प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर विचार गोष्ठियां आयोजित करने का फैसला लिया। विचार गोष्ठियों का नारा होगा - ”टैबलेट दो, लैपटॉप दो - वरना गद्दी छोड़ दो“ तथा ”शिक्षा का बाजारीकरण बन्द करो“।
फेडरेशन ने जून माह में पूरी तैयारी कर पूरे प्रदेश में जुलाई एवं अगस्त माह में सघन सदस्यता अभियान चलाने, सितम्बर में जिला सम्मेलन आयोजित करने तथा अक्टूबर माह में राज्य सम्मेलन आयोजित करने का फैसला भी लिया।
फेडरेशन ने ”सामाजिक परिवर्तन के लिए शिक्षा में सुधार“ विषय पर एक राज्य स्तरीय गोष्ठी लखनऊ में आयोजित करने का भी फैसला लिया है जिसमें शिक्षा शास्त्रियों तथा समाज शास्त्रियों को आमंत्रित किया जायेगा। फेडरेशन ने सोशल मीडिया पर भी अपनी गतिविधियां तेज करने का फैसला लिया है।
फेडरेशन की कार्यकर्ता बैठक ने सांगठनिक कारणों से राज्य कमेटी को भंग कर दिया तथा एक तदर्थ समिति का गठन किया जो अगले राज्य सम्मेलन तक राज्य कार्यालय का कार्य देखेगी। ओंकार नाथ पाण्डेय को तदर्थ समिति का संयोजक तथा अमरेश चौधरी को सह संयोजक बनाया गया है। तदर्थ समिति के अन्य सदस्य हैं - रजनीश मिश्रा, तिलक राम मांझी, हरी मोहन त्रिपाठी, कु. शिवानी मौर्या तथा उत्कर्ष त्रिपाठी।
बुधवार, 4 जून 2014
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भाकपा के प्रतिनिधिमंडल ने सआदत गंज का दौरा किया. सपा समर्थकों एवं पुलिस को ठहराया घटना के लिये जिम्मेदार
लखनऊ- ४ जून २०१४. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी एवं उसके सहयोगी संगठनों के प्रतिनिधियों ने बदायूं जनपद के कटरा सआदतगंज पहुँच कर पीड़ित परिवार से भेंट की, उनके प्रति सहानुभूति प्रकट की तथा उस स्थल को भी देखा जिसमें दो किशोरियों के साथ बलात्कार के बाद उन्हें फांसी पर लटका दिया गया था.
भाकपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव डॉ. गिरीश के नेत्रत्व में वहां पहुंचे प्रतिनिधिमंडल में भाकपा की राष्ट्रीय परिषद् के सदस्य एवं हरियाणा प्रदेश के सचिव का. दरयाब सिंह कश्यप, पार्टी की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य का. अजय सिंह, राज्य काउन्सिल के सदस्य एवं गाज़ियाबाद के जिला सचिव का. जितेन्द्र शर्मा, बरेली के जिला सचिव राजेश तिवारी, बदायूं के जिला सचिव रघुराज सिंह, उत्तर प्रदेश महिला फेडरेशन की काउन्सिल सदस्य प्रोफेसर निशा राठोड़, जिला संयोजक विमला, भारतीय खेत मजदूर यूनियन के राष्ट्रीय सचिव का. विजेंद्र निर्मल, उत्तर प्रदेश किसान सभा के सचिव का. रामप्रताप त्रिपाठी, उपाध्यक्ष का. छीतरसिंह, दिल्ली विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर सदाशिव,बरेली से पार्टी के प्रत्याशी रहे का. मसर्रत वारसी, वरिष्ठ पार्टी नेता डी.डी. बेलवाल, शाहजहांपुर के वरिष्ठ नेता का. सुरेश कुमार, का. प्रेमपाल सिंह, प्रवीण नेगी, सुरेन्द्र सिंह, सुखलाल भारती, सुरेन्द्र सिंह, हरपाल यादव, राकेश सिंह, रामप्रकाश, मुन्नालाल, राकेश सिंह सहित लगभग ५० कार्यकर्ता शामिल थे जो आठ गाड़ियों के काफिले के साथ वहां पहुंचे थे.
प्रतिनिधि मंडल को पीड़ित परिवार एवं उपस्थित महिलाओं ने बताया कि गाँव के दबंग लोग जो समाजवादी पार्टी के समर्थक हैं, अक्सर गाँव के कमजोर परिवारों की महिलाओं और किशोरियों से अशोभनीय व्यवहार करते हैं. उनके पशु कमजोर तबकों के किसानों के खेतों में चरते हैं और कोई उनसे मना करने की हिम्मत जुटाता है तो उसके साथ मारपीट करते हैं. एक गरीब महिला ने बताया कि उसके बेटे की पिछले वर्ष हत्या करदी गई और आज तक पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की. पुलिस हर मामले में और हमेशा इन दबंगों का ही साथ देती है और यह दमन चक्र सपा की सरकार आते ही और बढ़ जाता है. महिलाओं ने बताया कि गाँव में शौचालयों का बेहद अभाव है. शिक्षा के लिये कोई कालेज भी नहीं है.
उनकी पीड़ा इस बात को लेकर भी झलकी कि अभी तो सभी लोग यहाँ आ- जा रहे हैं, जब कुछ दिनों बाद लोगों का आना- जाना बंद होजायेगा तो गाँव के ये दबंग तत्व फिर दबंगई करेंगे.
प्रतिनिधिमंडल की ओर से डॉ. गिरीश ने उपस्थित लोगों से कहा कि हम लोग आपका दर्द बाँटने आये हैं सहानुभूति के दो शब्द कहने आये हैं तथा आपकी आवाज को आवाज देने का भरोसा दिलाने आये हैं. हमारे पास अन्य दलों की तरह देने को न धन है न झूठे बायदे. न ही हम औरों की तरह वोट की राजनीति करते हैं. हम पीड़ित परिवार की प्रशंसा करते हैं कि आज के युग में जब लोग एक एक पैसे के लिए सर्वस्व लुटाने को तैय्यार हैं इस परिवार ने सरकार की मदद को ठुकरा दिया अपराधियों को सजा दिलाने की दृढ़ता दिखाई. सभी लोगों ने भाकपा की इस भावना को सराहनीय बताया.
भाकपा की यह स्पष्ट राय है कि सआदतगंज की इस घटना के लिए स्थानीय पुलिस पूरी तरह जिम्मेदार है. वह वहां अपराधियों को प्रश्रय देने में जुटी थी और पीड़ित परिवार को ही डरा धमका रही थी. राज्य सरकार कई दिनों तक अपराधियों के प्रति सहानुभूति का रवैय्या अख्तियार किये रही. ठीक उसी तरह जैसे सी.ओ. पुलिस जिया उल हक हत्याकांड में अपनाती रही थी. वह तब हरकत में आयी जब मामला काफी तूल पकड़ गया.
भाकपा मांग करती है कि पीड़ित परिवार और गाँव के अन्य कमजोरों की जान माल और आबरू की सुरक्षा हेतु कड़े कदम उठाये जायें, वहां थाने और चौकियों पर कमजोर वर्गों से आने वाला स्टाफ तैनात किया जाये, तत्कालीन थानाध्यक्ष उसैहत सहित तमाम दोषी पुलिसजनों को सस्पेंड किया जाये, मृतक दोनों बहिनों के नाम पर वहां एक सरकारी बालिका विद्यालय खोला जाये, हर घर में शौचालय बनबाये जायें तथा अति पिछड़े इस क्षेत्र के विकास के लिए वहां सार्वजनिक क्षेत्र में उद्योग लगाए जायें.
डॉ. गिरीश ने कहा है कि आज उतर प्रदेश महिलाओं के लिये तो कसाईघर बन कर रह गया है. हर दिन प्रदेश भर में लगभग दर्जनभर महिलाओं के साथ दरिंदगी की ख़बरें मिल रहीं हैं. प्रदेश की कानून व्यवस्था समाप्त ही होगयी है. इसकी नैतिक जिम्मेदारी मुख्यमंत्री को अपने ऊपर लेनी चाहिये और सरकार को त्यागपत्र देदेना चाहिये.
भाकपा ने महिलाओं की सुरक्षा के प्रश्न पर व्यापक आन्दोलन छेड़ने का निश्चय किया है. प्रदेश भर में जन जागरण छेड़ दिया है और १२ जून को भाकपा “महिलाओं की रक्षा करो” नारे के साथ सभी जिला मुख्यालयों पर धरने प्रदर्शनों का आयोजन करेगी.
डॉ. गिरीश
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सोमवार, 2 जून 2014
at 10:56 am | 0 comments |
महिलाओं की सुरक्षा की मांग को लेकर सड़कों पर उतरेगी भाकपा
लखनऊ 2 जून। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य कार्यकारिणी की एक बैठक आज यहां सम्पन्न हुई। बैठक में चुनाव परिणामों एवं चुनाव के बाद पैदा हुई राजनैतिक स्थिति पर गहन मंथन किया गया तथा उत्तर प्रदेश में महिलाओं की इज्जत और उनकी जिन्दगी पर हो रहे गहरे आक्रमणों पर चर्चा हुई। साथ ही उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था एवं बिजली कटौती से पैदा हुए संकट से भी विचार हुआ। भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश द्वारा इस सम्बंध में प्रस्तुत लिखित रिपोर्ट पर हुई चर्चा में 20 साथियों ने भाग लिया।
भाकपा राज्य कार्यकारिणी ने इस बात पर गहरा रोष प्रकट किया कि उत्तर प्रदेश में महिलाओं की जिन्दगी और इज्जत तार-तार हो रही है। प्रतिदिन लगभग दर्जन भर संगीन वारदातों की खबरें राज्य भर से प्राप्त हो रही हैं। पुलिस और प्रशासन में पैठ बनाये हुए असामाजिक और गुण्डा तत्व इन घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं और पुलिस प्रशासन ऐसे अपराधियों को प्रश्रय दे रहा है। राज्य सरकार भी कुछ कर नहीं पा रही। भाकपा ने तय किया कि महिलाओं की सुरक्षा के इस सवाल पर सघन आन्दोलन चलाया जाये। इस हेतु 12 जून को भाकपा महिलाओं को सुरक्षा दिये जाने के लिए सभी जिला केन्द्रों पर प्रदर्शन करेगी। साथ ही भाकपा का एक प्रतिनिधिमंडल राज्य सचिव डा. गिरीश के नेतृत्व में कल दिनांक 3 जून को बदायूं पहुंचेगा और पीड़ित परिवार के साथ दुःख बांटेगा।
भाकपा ने प्रदेश में कानून-व्यवस्था की भी नाजुक स्थिति पर नाराजगी जाहिर की है। प्रदेश में पैदा हुए अभूतपूर्व बिजली संकट पर भाकपा ने मांग की है कि केन्द्र और राज्य सरकारें इस संकट का निदान खोजें, परस्पर बयानबाजी से कोई हल निकलने वाला नहीं है। गन्ना किसानों के मिलों पर पड़े बकाये के भुगतान और गन्ने की अगली फसल के लिए उचित मूल्य निर्धारण के लिए भी भाकपा आन्दोलन की रूपरेखा बनाने जा रही है।
राज्य कार्यकारिणी ने इस बात का नोटिस लिया कि नई सरकार को सत्तारूढ़ हुए एक पखवाड़ा बीत रहा है परन्तु अभी तक महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी जैसी समस्याओं से निबटने की कोई सक्रियता केन्द्र सरकार ने नहीं दिखाई है। कथित अच्छे दिनों की शुरूआत रेल दुर्घटना में मरे लगभग 2 दर्जन लोगों से हुई और अब डीजल के दाम बढ़ा कर इस कड़ी को और आगे बढ़ाया गया है। लोगों को एकजुट करने के बजाय धारा 370 और कॉमन सिविल कोड जैसे विभाजनकारी एजेंडे चालू कर दिये गये हैं और सरकार महंगाई के बारे में चिन्तित दिखाई ही नहीं दे रही है। विदेशी बैंकों में जमा धन की एक सूची केन्द्र सरकार के पास पहले से ही है लेकिन वायदे के अनुसार उसको भारत में लाने का कार्य शुरू नहीं किया गया है। एक भारी भरकम जांच कमेटी बना कर लोगों को इस धन को अपनी सुविधा के अनुसार ठिकाने लगाने का वक्त दे दिया गया है। उद्योगपतियों और पूंजीपतियों पर बैंकों के एनपीए बकायों को वसूली करने का अभियान भी अभी शुरू नहीं किया गया है।
पार्टी की राज्य कौंसिल की बैठक 28-29 जून को लखनऊ में आयोजित करने का फैसला लिया गया है ताकि उसमें सभी बिन्दुओं की समीक्षा कर भविष्य की रणनीति तैयार की जा सके।
कार्यालय सचिव
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