भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का प्रकाशन पार्टी जीवन पाक्षिक वार्षिक मूल्य : 70 रुपये; त्रैवार्षिक : 200 रुपये; आजीवन 1200 रुपये पार्टी के सभी सदस्यों, शुभचिंतको से अनुरोध है कि पार्टी जीवन का सदस्य अवश्य बने संपादक: डॉक्टर गिरीश; कार्यकारी संपादक: प्रदीप तिवारी

About The Author

Communist Party of India, U.P. State Council

Get The Latest News

Sign up to receive latest news

फ़ॉलोअर

बुधवार, 31 मई 2017

Delegation of Left Parties will reach Saharanpur on June 2. 2017

2 जून को सहारनपुर पहुंचेगा वामपंथी दलों का उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल लखनऊ- उत्तर प्रदेश के 6 वामपंथी दलों का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधि मंडल वहां कई दौरों में हुयी हिंसा के पीढ़ितों के जख्मों पर मरहम लगाने, उनकी पीढ़ा से रुबरु होने और स्थिति का जमीनी स्तर पर जायजा लेने को दिनांक- 2 जून को सहारनपुर पहुंच रहा है. पहले दौर की हिंसा की घटनाओं के बाद भी वामदलों के प्रतिनिधि अलग अलग वहाँ पहुंचे थे और महामहिम राष्ट्रपति तक को वहाँ की भयावह स्थिति से अवगत कराया था. लेकिन उसके बाद वहाँ कई घटनाक्रम घटित हुये हैं और वामपंथी दलों ने वहाँ संयुक्त रुप से पहुंचने का निश्चय किया है. कार्यक्रमानुसार वामपंथी नेता वहाँ पीढ़ितों से मिलेंगे, जनपद के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों से भेंट करेंगे और पत्रकारों से वार्ता करेंगे. वामपंथी दलों के इस प्रतिनिधिमंडल में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा. गिरीश, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी( मा.) के राज्य सचिव का. हीरालाल यादव, भाकपा- माले के राज्य सचिव का. सुधाकर यादव, फारबर्ड ब्लाक के राज्य सचिव का. एस. एन. सिंह चौहान और एसयूसीआई-सी के सचिव का. जगन्नाथ वर्मा प्रमुख रुप से शामिल रहेंगे. डा. गिरीश
»»  read more

मंगलवार, 30 मई 2017

CPI on BABARI Issue

बाबरी विध्वंस मामला- भाकपा ने किया अदालत के फैसले का स्वागत: उमा को हठाया जाये लखनऊ- माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद दोबारा शुरु हुये बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में श्री लालकृष्ण आड्वाणी, श्री मुरली मनोहर जोशी, सुश्री उमा भारती सहित 12 के खिलाफ सीबीआई अदालत द्वारा आज अभियोग आरोपित करने की घटना एक ऐतिहासिक घटना है और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की उत्तर प्रदेश राज्य काउंसिल इसका तहेदिल से स्वागत करती है. एक ऐसे दौर में जब सताधारी गिरोह ने तमाम संवैधानिक संस्थाओं को रौंदने का काम शुरु कर दिया है अदालत का यह फैसला न्याय और लोकतंत्र के प्रति हमारे विश्वास को मजबूत करता है. यह भाईचारे और एकदूसरे पर विश्वास की भावना जो कि राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिये बेहद आवश्यक है को मजबूत करता है. संरक्षित ढांचे को ध्वस्त करने, राष्ट्रीय एकता को क्षति पहुंचाने और सांप्रदायिक दंगे भड़्काने आदि आरोपों को अदालत द्वारा स्वीकार करने के बाद कई सवाल खड़े होगये हैं. पहला- क्या दिन रात कथित रुप से रामकाज में जुटी होने का दावा करने वाली सुश्री उमा भारती नैतिकता का परिचय देते हुये केंद्रीय मंत्रिमंडल से स्तीफा देंगी? दूसरा- यदि नहीं तो शुचिता, नैतिकता और औरों से अलग पार्टी होने का प्रपोगंडा करने वाली भाजपा और उसके प्रधानमंत्री उनसे स्तीफा लेंगे और तीसरा- अपने प्रभाव और षडयंत्रों के बल पर संविधान के साथ धोखाधड़ी कर मंत्रिमंडलों में शामिल रहने वाले श्री आडवानी, श्री जोशी, सुश्री उमा भारती आदि के बारे में सर्वोच्च न्यायालय स्वत: संज्ञान लेते हुये एक और अदालती कार्यवाही का निर्देश देगा? भाकपा की राय है कि यह मामला सामान्य नहीं है, बेहद विशिष्ट है. क्योंकि इसमें शामिल लोग अति विशिष्ट हैं और उनसे ज्यादा जिम्मेदाराना व्यवहार की अपेक्षा की जाती है. अतएव उन्हें सामान्य व्यक्तियों की तरह लाभ नहीं दिया जाना चाहिये. भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि आज भी भाजपा के नेता और प्रवक्ता बयान दे रहे हैं कि उन्होने सीबीआई को औरों की तरह बंधक नहीं बनाया है. यदि इसमें तनिक भी सच्चाई होती तो मामले में 25 साल की देरी न होती. लेकिन सच तो यह है कि यह कार्यवाही सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद होरही है. अब मामले में सीबीआई को सबूत दाखिल करने हैं और आने वाले दिनों में यह साबित हो जायेगा कि सीबीआई अपनी जिम्मेदारी निष्पक्षता से निभाती है अथवा केंद्र सरकार के प्रभाव में आजाती है. भाकपा ने सुश्री उमा भारती को मंत्रिमंडल से तत्काल हठाये जाने की मांग करते हुये सभी न्यायप्रिय संस्थाओं और व्यक्तियों से उपर्युक्त तीन बिंदुओं पर आवाज उठाने की जरुरत पर बल दिया है. डा.गिरीश
»»  read more

गुरुवार, 25 मई 2017

जल रहा है उत्तर प्रदेश: योगीजी को केंद्र में बुलाये भाजपा

लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने उत्तर प्रदेश के बिगड़ते हालातों पर गहरी चिंता व्यक्त की है. पार्टी ने दृढता के साथ कहा कि इन खौफनाक कारनामों में अधिकतर के पीछे शासक दल के लोग हैं. जब तक शासक दल संरक्षित गिरोहों पर रोक नहीं लगाई जायेगी प्रदेश के हालात सुधर नहीं सकते. यहाँ जारी एक प्रेस बयान में पार्टी के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि कल जेबर के पास यमुना एक्सप्रेस वे पर एक परिवार के वाहन को रोक कर महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार, ह्त्या और लूट की घटना ने हर नागरिक को झकझोर कर रख दिया है. यह घटना राज्य सरकार के माथे पर गहरा कलंक है. घटना की जितनी निंदा की जाए कम है. असली अपराधियों को तत्काल पकडे जाने, दोषी पुलिसजनो को सजा दिए जाने और पीड़ित परिवार की फ़ौरन मदद किये जाने की जरूरत है. भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि सूबे के मुखमंत्री आये दिन दरोगा की तरह धमकियां दे रहे हैं. लेकिन उन्हीं की पार्टी के सांसद, विधायक और कार्यकर्ता अराजकता फैला रहे हैं. सहारनपुर आज भी सुलग रहा है. संभल, मुरादाबाद, मेरठ, बुलंदशहर, मथुरा, अलीगढ़, आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, कानपुर, पीलीभीत, लखनऊ, शाहजहांपुर में बढी बढी वारदातें होरही हैं. सांप्रदायिक, सामंती तत्व और पेशेवर गुंडे खुल कर अराजकता फैला रहे हैं. दलितों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं, अन्य कमजोरों और यहाँ तक कि व्यापारियों को निशाना बनाया जारहा है. आदमी न तो घर में सुरक्षित है न घर के बाहर. डा. गिरीश ने कहा कि सवा दो माह की इन ताबड़तोड़ वारदातों से जाहिर है कि श्री योगी जी से प्रदेश संभल नहीं रहा. उनकी और भाजपा की चिंता में प्रदेश के हालात सुधारना कम भाजपा के बिगड़ते हालातों को सुधारना और शिक्षा, शासन और प्रशासन में संघ के एजेंडे को घुसाना ज्यादा है. अपनी नाकामियों पर संजीदा होने के बजाय वे विपक्ष पर हमले बोल रहे हैं. तवाही उत्तर प्रदेश की जनता झेल रही है. यदि योगीजी भाजपा के लिए अनमोल रतन हैं तो मोदीजी - अमित शाह को उन्हें केन्द्र में बुला कर बड़ी से बड़ी जिम्मेदारी सौंपनी चाहिये. उसी के लिए कि उत्तर प्रदेश की जनता ने उन्हें सांसद बनाया भी था. पर अब उत्तर प्रदेश की जनता पर मेहरवानी करें मोदी जी, अमित शाह जी, भाकपा राज्य सचिव ने कहा है. डा. गिरीश
»»  read more

सोमवार, 22 मई 2017

CPI on Munispal elections

समय पर कराये जायें निकाय चुनाव: भाकपा लखनऊ- 22 मई 2017, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनाव निर्धारित समय पर कराये जाने की मांग की है. यहां जारी एक प्रेस बयान में पार्टी के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि सूबे के मुख्यमंत्री और राज्य निर्वाचन आयोग के अलग अलग बयानों से साफ होगया है कि प्रदेश के निकाय चुनावों को हठाने की साजिश चल रही है. मुख्यमंत्री वोटरलिस्ट की गड़्बड़ियों को दुरुस्त करने ओर ओबीसी सर्वे को पुन: कराने का बहाना ले रहे हैं तो राज्य निर्वाचन आयोग खराब कानून- व्यवस्था का सहारा ले रहा है. लेकिन इन दोनों बातों की जिम्मेदार तो राज्य सरकार ही है. भाकपा ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के तीन साल और योगी सरकार के दो माह के कार्यकाल की कलई खुल चुकी है. भाजपा यह जान चुकी है कि जिस छल से उसने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बहुमत हथिया लिया अब वह दोबारा चलने वाला नहीं है. इससे बचने को वह वोटरलिस्ट और वार्डों के आरक्षण के आधार को बदलना चाहती है. इसी कृत्य के लिये वह चुनावों को हठा रही है. सर्व सत्ताहरण की भाजपा की यह साजिश लोकतंत्र के लिये खतरनाक है. डा. गिरीश ने कहा कि जब सपा और बसपा की सरकारों ने निकाय चुनावों को टाला था, भाकपा ने तब भी उसका विरोध किया था और आज भी वह इस कार्यवाही की विरोधी है. जिस पार्टी पर ईवीएम में गड़बड़ी करने के आरोप लग रहे हैं, सत्ता में रहते हुये वह क्या मतदाता सूचियों के पुनर्निर्माण और आरक्षण का आधार बदलने से चूक जायेगी? भाकपा ने सवाल किया है. भाकपा ने सभी वामपंथी और जनवादी ताकतों का आह्वान किया है कि वे समय पर निकाय चुनाव कराने और मतदाता सूची और आरक्षण आधार में बदलाव करने की भाजपा सरकार की साजिश को विफल बनाने को आवाज उठायें. डा.गिरीश
»»  read more

गुरुवार, 18 मई 2017

Two months of Yogi Government in U.P.

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने आज दो माह पूरे कर लिये हैं. खुद योगी जी ने दोमाह में सब कुछ ठीक करने के दाबे किये थे. अब वे इसके लिये एक वर्ष का समय मांग रहे हैं. इससे भी बड़ी बात यह है कि वे इन बिगड़े हालातों के लिये विपक्ष पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं. सभी को उम्मीद थी कि नई सरकार आने के बाद प्रदेश के हालात सुधरेंगे, पर इसके ठीक विपरीत वे बद से बदतर होते जा रहे हैं. सामान्यतौर पर यह कानून व्यवस्था की समस्या दिखाई देती है. पर गहराई से देखने पर सब कुछ सुनियोजित सा लगता है. 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के वास्ते बूचड़ खाना बना दिया गया था और बड़े पैमाने पर अल्पसंख्यकों के जानमाल को हानि पहुंचाई गयी थी. पर अब सारे उत्तर प्रदेश को बूचड़ खाना बनाया जारहा है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश तो मानो अब भी जल रहा है. उत्तर प्रदेश की आधी आबादी- दलितों, महिलाओं अल्पसंख्यकों और व्यापारियों का बड़ा भाग आज युध्द जैसे हालातों का सामना कर रहा है. उन सबको क्या पता था कि जिनको वोट देकर वे सत्ता सौंपने जारहे हैं वो ही उनके खून के प्यासे बन जायेंगे. जो कल तक हाथ जोड़ कर वोट की गुहार लगा रहे थे, वे ही आज हथियार लेकर हमले कर रहे हैं. पुलिस प्रशासन को अर्दब में लेकर उन्हीं के खिलाफ कार्यवाही करबा रहे हैं. रोजी रोटी छीन रहे हैं, उकसाबे की कार्यवाहियां कर रहे हैं, मार रहे हैं और प्रतिरोध की हर आवाज को हर तरह से कुचल रहे हैं. सत्ता में आते ही योगी सरकार ने मीटबंदी का तुगलकी फरमान जारी कर दिया. लाखों लोग बेरोजगार होगये. यह अल्पसंख्यकों के एक खास तबके पर आर्थिक हमला था, लेकिन इसकी चपेट में पशुपालक किसान, पशु व्यापारी, टैनरी और साबुन जैसे उद्योग भी आये हैं. सरकार ने आदेश पारित कर उन्हें निशाना बनाया तो सरकार समर्थकों ने उन पर शारीरिक हमले किये. कथित गोरक्षकों ने उनकी दुकानों, खोखों में तोड़ फोड़ की, आग लगायी और पशु ले जाते व्यापारियों- किसानों पर कातिलाना हमले किये. कई को जेल के सींखचों के पीछे पहुंचा दिया गया. इसी तरह योगी सरकार ने खनन पर रोक लगा दी. खनन के काले कारोबार में सरकार और सत्ता पक्ष से जुड़े लोग अरबों- खरबों कमाते रहे हैं. भाजपा सरकार इस समूचे काले धंधे को अपने अधीन कर लेना चाहती है. पर इसका नतीजा यह निकला कि बालू, बजरी और गिट्टी- मिट्टी के अभाव में उत्तर प्रदेश का समूचा निर्माण उद्योग ठप होकर रह गया और इस कार्य में लगे लगभग एक करोड़ मजदूर, ठेकेदार और व्यापारी बेरोजगार होगये. एंटी रोमियो अभियान चलाकर युवाओं को निशाना बनाया गया और पुलिस- प्रशासन के अलाबा बजरंग दल ने युवक- युवतियों की ठुकाई की. युवाओं में एक अजीब सा भय व्याप्त है. सहारनपुर, शामली, संभल और मेरठ में आजकल जो कुछ घट रहा है वह बेहद गंभीर है. पहले भाजपा ने वहां दलितों और अल्पसंख्यकों के बीच फूट के बीज बोने की कोशिश की. सहारनपुर के सड़क दूधली गांव में वर्षों पहले विवाद के चलते डा. भीमराव अंबेडकर जयंती के कार्यक्रमों पर रोक लगा दी गयी थी. लेकिन भाजपा के सांसद, विधायकों और स्थानीय नेताओं ने वहां अंबेडकर शोभायात्रा का आयोजन किया. स्थानीय अंबेडकरवादियों ने इस आयोजन से दूरी बना कर रखी. अनुमति न होने के बावजूद सैकड़ो की तादाद में भाजपाई वहां पहुंचे और जानबूझ कर अल्पसंख्यक आबादी से जुलूस निकालने की कोशिश की. पुलिस ने इस अवैध यात्रा को रोकने की कोशिश की तो बौखलाये भाजपाइयों ने अल्पसंखकों की दुकानों- मकानों पर हमले वोले और गाड़ियों को रुकवा कर मुसलमानों को मारा- पीटा. इतना ही नहीं सांसद राघव लखनपाल के नेत्रत्व में भाजपाइयों ने सहारनपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के आवास पर हमला बोल दिया, वहां तोड़ फोड़ की, सीसीटीवी कैमरे तोड़ दिये . एसएसपी का परिवार और बच्चे दहशत में आगये. वहां भी पुलिस की मौजूदगी में अल्पसंख्यकों को मारा- पीटा गया. घटना के तूल पकड़ने के बावजूद राज्य सरकार ने कानून हाथ में लेने वाले सांसद और उनकी मंडली के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की. उलटे एसएसपी का तबादला कर दिया गया. इसके एक दिन पहले शामली के थाना भवन में बाइक से ट्रक टकरा जाने को लेकर अल्पसंख्यकों पर हमला बोला गया. कई अल्पसंख्यकों ने थाने में घुस कर जान बचाई. अब भाजपा के निशाने पर दलित आगये हैं क्योंकि वे अल्पसंख्यकों के खिलाफ भाजपा के हाथ की कठपुतली नहीं बने. सहारनपुर, बिजनौर और शामली जनपदों का यह धुर पश्चिमी- उत्तरी क्षेत्र एक ओर जहां सांप्रदायिक रुप से संवेदंशील है वहीं दलितों और गैर दलितों के लोगों के बीच वहां लगातार टकराव चलते रहते हैं. सामंती उत्पीड़न का मुकाबला करने को यहाँ के दलितों ने बिजनौर के कामरेड ब्रह्मानंद के नेत्रत्व में 60- 70 के दशक में 'चमार यूनियन' नामक संगठन का गठन भी किया था. गत लोक सभा और विधान सभा चुनावों में यहां अधिकतर सीटों पर भाजपा से दबंग और सामंती लोग विजयी हुये हैं और दबंग जातियों के हौसले सातवें आसमान पर हैं. 5 मई को ठाकुर बिरादरी के लोगों ने समूचे प्रदेश में बड़े पैमाने पर महाराणा प्रताप जयंतियों का आयोजन किया. देवबंद क्षेत्र के बढ़ाकलां शब्बीरपुर गांव में भी प्रताप जयंती का आयोजन किया गया. इस गांव के दलित 14 अप्रेल को रैदास मंदिर में डा. अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करना चाहते थे. ठाकुरों ने इसका विरोध किया था. तभी से दलितों और ठाकुरों के बीच तनाव चल रहा था. इस तनाव के बीच जब बिना अनुमति के राणाप्रताप शोभायात्रा निकाली गयी. जब यह यात्रा दलितों की आबादी में पहुंची तो डी. जे. की आवाज को लेकर विवाद हो गया. दोनों तरफ से पथराव शुरु होगया. आस पास के गांवों के दबंग लोग हथियार बंद हो कर आगये. इस बीच ठाकुर बिरादरी के एक युवक की मौत होगयी. चर्चा है कि उसकी मौत सिर में पत्थर लगने से हुयी जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार उसकी मौत दम घुटने से हुयी. बौखलाये दबंगों ने शब्बीरपुर के दलितों पर हमला बोल दिया. पचास से ज्यादा मकान और दुकानें फूंक दी गयीं. दर्जंनों लोग घायल हुये. पुलिस कर्मियों के वाहन आदि भी जला दिये गये. पुलिस ने दोनों तरफ के लोगों को बराबर का दोषी मानते हुये लगभग डेढ़ दर्जन लोगों को जेल भेज दिया. भयभीत दलित गांव से पलायन कर गये. पुलिस- प्रशासन ने विपक्षी दलों के गांव में घुसने पर पाबंदी लगा रखी है. हालातों का जायजा लेने को पुलिस महानिदेशक और प्रमुख सचिव- ग्रह सहारनपुर पहुंचे, मगर उन्होने घटना स्थल पर पहुंचने से परहेज बरता. इससे दलितों अल्पसंख्यकों का सरकार पर से विश्वास डिगा है. 9 मई को भीम आर्मी एकता मिशन नामक संगठन ने शब्बीरपुर कांड को लेकर रैदास छात्रावास में बैठक बुलाई जिसे पुलिस ने रोक दिया. तब दलित स्थानीय गांधी पार्क में एकत्रित हुये मगर पुलिस ने वहां से भी उन्हे खदेड़ दिया. गुस्साये दलितों ने सहारनपुर नगर को आने वाले तमाम मार्गों पर जाम लगा दिया और पुलिस से मुठभेड़ें कीं. यह हिंदूवादी जातिवादी उत्पीड़न के खिलाफ दलितों का स्वाभाविक प्रस्फोट था. अब सरकार दलितों के खून की प्यासी बन गयी है और 24 लोगों को संगीन दफाओं में गिरफ्तार किया गया है. भीम सेना के पदाधिकारियों की गिरफ्तारी की कोशिश जारी है. दबंगों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि उसने दलितों के खिलाफ कठोर कार्यवाही न की तो वे खुद हथियारबंद कार्यवाही करेंगे. इससे पहले बुलंदशहर जनपद के पहासू थानांतर्गत एक गांव में एक हिंदू युवती के मुस्लिम युवक के साथ चले जाने पर बजरंग दल और हिंदू युवा वाहिनी के लोगों ने गांव पर धाबा बोल दिया और एक अधेड़ मुस्लिम को पीट पीट कर मार डाला. संभल जिले के गुन्नौर थानांतर्गत नदरौली गांव में एक विवाहिता के मुस्लिम युवक के साथ चले जाने पर गांव के मुस्लिमों के ऊपर हमला बोल दिया. उनके मकान जला डाले गये, औरतों के साथ बदसलूकी की गयी और बच्चों तक को निशाना बनाया गया. यह सब कुछ पुलिस की मौजूदगी में हुआ. शासन- प्रशासन पर से लोगों का विश्वास पूरी तरह हठ गया है और इस गांव के लोग आसपास के शहरों को पलायन कर गये हैं. संभल जिला भी बहुत ही संवेदनशील है. यहाँ अप्रेल में भी सांप्रदायिक मुठ्भेड़ हुयी थी. अब यहाँ भी दलित और सामंती टकराव उभर रहा है. दलितों के उत्पीड़न और उनके बाल काटने को स्थानीय नाइयों पर सवर्णों द्वारा लगायी गयी पाबंदी के विरोध में वाल्मीकि समाज के लोगो ने हिंदू देवताओं की मूर्तियों का रामगंगा नदी में विसर्जन किया. बजरंग दल ने उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन दलितों ने उन्हें खदेड़ दिया. दलितों ने चेतावनी दी है कि यदि उनके साथ भेदभाव न रोका गया तो वे धर्म परिवर्तन करेंगे और अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण करेंगे. अलीगढ़ के गांधीपार्क क्षेत्र में कल्लू बघेल नामक व्यक्ति द्वारा अपनी बीमार भेंस बेचने पर कथित गौरक्षकों ने न केवल उसे पीटा बल्कि छह लोगों को जेल भिजवा दिया. भाजपाइयों के इशारों पर नाच रही पुलिस ने कल्लू बघेल को पीटने वालों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की. यू. पी. में दलितों को अपमानित करने के उद्देश्य से जगह जगह अंबेडकर प्रतिमायें तोड़ी जारही हैं. दलित इस पर प्रतिरोध दर्ज करा रहे हैं. जहाँ दलितों और सामंती तत्वों के बीच भूमि विवाद चल रहे हैं वहां उन जमीनों को दलितों से हड़पने की कोशिशें की जारही हैं. जगह जगह सांप्रदायिक वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है. बजरंग दल, हिंदू युवा वाहिनी, प्रताप सेना जैसे संगठन निर्भीक होकर आपराधिक और सांप्रदायिक घटनाओं को अंजाम देरहे हैं. प्रेम प्रसंग के मामलों में पहले भी उत्पीड़न की बारदातें होती थीं लेकिन इन दो माहों में परिवारीजनों द्वारा कानून हाथ में लेकर कई युगलों को मौत के घाट उतार दिया. बलात्कार और बलात्कार के बाद हत्याओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा. राजधानी लखनऊ तक में ऐसी दर्जन भर घटनायें होचुकी हैं. अब आईएएस अधिकारी के वीआईपी गेस्ट हाउस में हुये कत्ल ने सरकार की अकर्मण्यता की कलई खोल कर रख दी है. मथुरा में सर्राफा व्यापारियों की लूट के उद्देश्य से की गयी हत्याओं के अलावा कत्ल, लूट और लूट के साथ हत्या की तमाम बारदातें निर्बाध रुप से जारी हैं. अकेले ब्रज क्षेत्र में कल तक 104 लूट और 76 हत्याओं की घटनायें अंजाम दी जाचुकी हैं. आगरा में 21 लूट, 13 हत्या, फीरोजाबाद में 11 लूट 6 हत्यायें, कासगंज में 10 लूट, 11 हत्यायें, मैनपुरी में 14 लूट, 8 हत्यायें, मथुरा में 17 लूट और 9 हत्यायें, एटा में 8 लूट और 10 हत्यायें, अलीगढ़ में 12 लूट, 10 हत्यायें जबकि हाथरस में 10 लूट और 9 हत्यायें होचुकी हैं. अन्य अपराधों के आंकड़े भी कम नहीं हैं. समूचे उत्तर प्रदेश के आंकड़ों का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है. यही वजह है कि मुख्यमंत्रीजी अपराधों के आंकड़े देने से कतरा रहे हैं. इसके अलाबा इस अवधि में अल्पसंख्यकों के आस्थास्थलों पर 220 हमले हुये हैं जबकि 180 छोटी- बड़ी सांप्रदायिक वारदातों को अंजाम दिया जा चुका है. जगह जगह भाजपा के नेता पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों तक पर हमले कर रहे हैं. योगीजी की कथित चेतावनियों का उन पर कोई असर नहीं दिखाई दे रहा है. जिस कानून व्यवस्था की बदहाली के नाम पर पिछली सरकार को मतदाताओं ने 'गुड बाय' कह दिया था योगी सरकार उससे भी बुरी साबित हो रही है. अपने राजनैतिक उद्देश्यों के लिये सांप्रदायिक तत्वों और दबंगों को खुली छूट दिये हुये हैं. अपनी इन बदनीयत कारगुजारियों से ध्यान हठाने को भाजपा, आरएसएस और स्वयं योगी आदित्य नाथ सांप्रदायिक और विभाजनकारी एजेंडे को हवा दे रहे हैं. पर शासन में रहते हुये उनकी यह कारगुजारी उनके इरादों को परवान चढ़ाने में सहायक होगी या आपात्काल की तरह उनकी पराजय का कारण बनेगी, अभी देखना बाकी है. डा. गिरीश
»»  read more

CPI on Law and Order in U.P.

भाकपा ने प्रदेश में बढते अपराधों पर गहरी चिंता जताई व्यापारिक संगठनों के आंदोलन को समर्थन प्रदान किया लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने पिछले दो माहों में उत्तर प्रदेश में आई अपराधों और अत्याचारों की आंधी पर गहरी चिंता व्यक्त की है. पार्टी ने सरकार से प्रदेशवासियों को अपराध और अत्याचारों से मुक्ति दिलाने की मांग की है. भाकपा ने अपराधों के खिलाफ कल व्यापारिक संगठनों द्वारा किये जाने वाले विरोध प्रदर्शन को समर्थन प्रदान किया है. यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि उत्तर प्रदेश जल रहा है और मुख्यमंत्री अपराधों और अत्याचारों की बाढ़ से अपना पल्ला झाड़ कर विपक्ष पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं. यह मुख्यमंत्री के पद की गरिमा के अनुकूल नहीं है. सच तो यह है कि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद सारे शातिर अपराधी और गुन्डे मवालियों को भाजपा में भर्ती कर लिया गया है. और वे दिन में पीला दुपट्टा ओड़ कर पुलिस प्रशासन के अधिकारियों पर रौब गांठते हैं और दिन छिपते ही जघन्य वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. यही वजह है कि प्रदेश में हत्या, लूट, वाहन लूट, लूट के लिये हत्या, बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, बलात्कार के बाद हत्या, दलितों अल्पसंख्यकों और सभी शांतिप्रिय नागरिकों पर अत्याचारों की बाढ सी आगयी है और प्रदेश की कानून व्यवस्था चौपट होगयी है. नोट बंदी, मीट बंदी और खनन और भर्तियों पर लगी रोक ने बेरोजगारी में अचानक इजाफा कर दिया है, और सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा अर्दब में लिये गये अधिकारी संभवत: अपने विवेक का स्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं. मुख्यमंत्री पहले कानून- व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिये दो माह का समय मांग रहे थे, अब दो माह पूरे होजाने पर एक साल का समय मांगने लगे. 'आपकी नीतियां और कारगुजारियां यदि वैसी ही रहीं जैसी अब तक हैं, तो योगीजी आप एक साल तो क्या पांच सालों में भी कुछ नहीं कर पाओगे', भाकपा राज्य सचिव ने आगाह किया है. भाकपा राज्य सचिव मंडल ने पार्टी की सभी जिला इकाइयों को निर्देश दिया है कि वे अपराधों के खिलाफ कल दि. 19 मई को होने वाले व्यापारिक संगठनों के आंदोलन को नैतिक और भौतिक समर्थन प्रदान करें. डा. गिरीश
»»  read more

बुधवार, 10 मई 2017

CPI On Saharanpur

सहारनपुर की स्थिति को शीघ्र काबू में करे राज्य सरकार: भाकपा लखनऊ- 10 मई 2017, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने आरोप लगाया है कि कल की सहारनपुर की घटनायें भाजपा की मात्र डेढ माह पुरानी सरकार की राजनैतिक और प्रशासनिक विफलता का परिणाम हैं. पिछले तीन सप्ताह में इस जनपद में हिंसा और आगजनी की ये तीसरी बड़ी वारदात है. यद्यपि इन घटनाओं के लिये शासन- प्रशासन पूरी तरह जिम्मेदार है लेकिन जिन लोगों ने गुस्से में आकर कानून हाथ में लिया और जन और धन को निशाना बनाया वह निंदनीय है. एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि इस क्षेत्र के दलित और अल्पसंख्यक इन दिनों लगातार सामंती और सरकार के आक्रमणों को झेल रहे हैं. 5 मई को हुये उपद्रव में यद्यपि एक क्षत्रिय युवक की दुखद मौत होगयी थी लेकिन शब्बीरपुर और उसके आसपास के गांवों में बड़े पैमाने पर दलितों के ठौर- मकान फूंक डाले गये थे. इस मुद्दे पर विचार करने हेतु दलित रविदास छात्रावास में बैठक करना चाहते थे जिसको रोक दिया गया. पुन: उन्होने गांधीपार्क में बैठक बुलाई और उन्हें वहां से भी खदेड़ दिया गया. भाकपा की यह द्रढ़ राय है कि यदि रविदास छात्रावास में हो रही बैठक को होने दिया गया होता तो मामला सड़कों पर न आता. यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि तीन सप्ताह से सुलग रहे सहारनपुर और उसके आसपास के क्षेत्र में पर्याप्त सुरक्षाबल तैनात नहीं किये गये. आस पास के जिलों की फोर्स मुख्यमंत्री जी की सुरक्षा हेतु मेरठ भेज दी गयी थी. डा. गिरीश ने कहाकि भाजपा ने कई हथकंडे अपना कर गत विधानसभा चुनावों में दलितों के वोट तो हथिया लिये मगर अब सत्ता पर काबिज होने के बाद वह असली रुप में आगयी है. सरकार, शासन- प्रशासन सभी में सामंती तत्वों का जमाबड़ा है अतएव समूचे प्रदेश में कमजोर तबकों पर चहुंतरफा हमले बोले जारहे हैं. किसी को रोमियो बता कर मारा जा रहा है तो किसी को शराब का विरोध करने पर पीटा जारहा है. बजरंगदल और हिंदू युवा वाहिनी के मुस्तंड एक ओर आमजनों पर हमले बोल रहे हैं और जहाँ तहां पुलिस को भी निशाना बना रहे हैं. नोटबंदी, मीटबंदी, खननबंदी जैसी कार्यवाहियों से लोगों के रोजगार छिन गये हैं और उनके जीवनयापन की समस्या खड़ी होगयी है. प्रताडित और प्रभावित लोगों से सरकार ने पूरी तरह से संवाद बंद कर रखा है और हर तबके से लाठी डंडे से निपट रही है. यहाँ तक कि पीड़ित लोगों से विपक्षी दलों के मिलने पर पाबंदी लगा दी है. राजनैतिक- सामाजिक प्रयासों के अभाव में स्थिति दिन ब दिन बद से बदतर होती जारही है. समूचा उत्तर प्रदेश सुलग रहा है. सतापक्ष ही कानून व्यवस्था के लिये चुनौती खड़ा कर रहा है. आज भी सहारनपुर में दलितों को निजी हथियारों के बल पर सबक सिखाने की चुनौती कुछ लोग खुले आम देरहे हैं. भाकपा ने सरकार से आग्रह किया कि वह स्थिति से निपटने के लिये संतुलित और न्यायोचित कदम फौरन उठाये. विपक्षी दलों के जनता से संवाद पर लगी रोक को हठाये. जन और धन की हानि का मुआबजा दे. बजरंग दल और हिंदू युवा वाहिनी जैसे संगठनों की गुंडागर्दी को रोके. भाकपा ने चेतावनी दी है कि पूर्वाग्रहों के आधार पर और बदले की भावना से की गयी किसी भी कार्यवाही का भाकपा पुरजोर विरोध करेगी. डा. गिरीश
»»  read more

शनिवार, 6 मई 2017

भाजपा और उसके सहयोगी संगठनों की साजिश का नतीजा हैं सहारनपुर की वारदातें

लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य इकाई ने कल सहारनपुर जनपद के ग्राम- शब्बीरपुर में हुयी घटना पर गहरा रोष और अफसोस जताया है जिसमें एक युवक की जान चली गयी, दर्जनों लोग घायल हुये हैं तथा तमाम सरकारी और निजी संपत्तियों का विनाश हुआ है. यहाँ जारी एक बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि गत दो सप्ताहों में सहारनपुर हुयी यह दूसरी बड़ी घटना है जिससे जनता की एकता तार तार हुयी है. दोनों घटनायें पूर्व नियोजित जान पड़ती हैं और इनमें कई समानताएं हैं. दोनों घटनाओं में कमजोर तबकों को निशाना बनाया गया है तथा दोनों के मूल में भाजपा के बड़े नेता और कार्यकर्ता हैं. भाकपा के सूत्रों के अनुसार शब्बीरपुर गाँव के दलित समाज के लोग काफी समय से वहां के रैदास मंदिर पर डा. अंबेडकर की प्रतिमा लगाने का प्रयास कर रहे थे और स्थानीय भाजपा और क्षत्रिय समाज उसका विरोध कर रहे थे. अतएव वहां पहले से ही तनाव व्याप्त था. ऐसे तनावग्रस्त गाँव में दलितों की आबादी के बीच से महाराणा प्रताप की शोभा यात्रा निकालना और आयोजन में भाजपा के चार चार मंत्रियों व विधायकों को आमंत्रित करने को दलितों को सबक सिखाने के उद्देश्य से की गयी कार्यवाही माना जारहा है. सभी को मालूम है कि गत 20 अप्रेल को इसी जनपद के गाँव- सड़क दूधली में भाजपा के सांसद और विधायक ने अल्पसंख्यकों की आबादी में जबरिया तरीके से डा. अंबेडकर शोभा यात्रा निकाली जो अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करने और दलितों व अल्पसंख्यकों के बीच फूट डालने के उद्देश्य से आयोजित की गयी थी. अराजकता का ऐसा नंगा नाच खुद शासक दल के नेता कर रहे हैं. दोनों वारदातों में अल्पसंख्यकों और दलितों तथा उनकी संपत्तियों को निशाना बनाया गया और पुलिस के अफसरों और उनके वाहन आदि को क्षति पहुंचाई गयी है. यह मामला बेहद संवेदनशील इसलिए भी है कि इस समूचे क्षेत्र में सामंती ताकतें काफी मजबूत हैं. उन्हीं के बीच से भाजपा के सांसद और विधायक चुने गए हैं और उनमें से कई मंत्री हैं. एक युवक की दुर्भाग्यपूर्ण मौत को बहाना बना कर वे जातीय उन्माद भड़का सकते हैं और दलितों व अल्पसंख्यकों पर हमले बोल सकते हैं. गत लोकसभा चुनाव से पहले से ही भाजपा और संघ परिवार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वोटों के लिए विभाजन और हिंसा का सहारा लेता रहा है और लगता है वे इस आग को सुलगाये रखना चाहते हैं. सहारनपुर ही नहीं उत्तर प्रदेश में हर बड़ी आपराधिक वारदात भाजपा और उसके सहयोगी संगठनों के सौजन्य से होरही है और योगी सरकार को बदनामी झेलनी पड़ रही है. भाकपा ने कहा कि राज्य सरकार ये सुनिश्चित करे कि राज्य सत्ता में भागीदारों के दबाव में कमजोर वर्गों के लोग न पिसने पावें और वास्तविक दोषियों को क़ानून के हवाले किया जाय. डा. गिरीश
»»  read more

गुरुवार, 4 मई 2017

cpi

लखनऊ- 4 मई 17, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी को श्री सुब्रह्मण्यम स्वामी और उनके बयान के बारे में जनता के सामने अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिये. आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री आदित्य नाथ योगी से मिलने के बाद श्री स्वामी द्वारा दिया गया बयान कि मंदिर तो श्री राम के जन्म स्थान पर ही बनेगा, मस्जिद तो कहीं भी बन सकती है, कई सवाल खड़े करता है, अलाबा इसके कि यह भाजपा के सांप्रदायिक और विभाजनकारी एजेंडे को गरम रखने की कवायद है. यहाँ जारी एक बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहाकि जब मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है और सर्वोच्च न्यायालय श्री स्वामी को अवांछित पक्ष बता चुका है, फिर भी स्वामी निरंतर विवादित बयानबाजी कर रहे हैं. आज का उनका बयान एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति- मुख्यमंत्री से भेंट के बाद आया है. इसके क्या अर्थ निकाले जायें? एक ओर भाजपा, प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री दुहरा चुके हैं कि अयोध्या विवाद का समाधान सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अथवा आपसी सहमति से ही संभव है, उन्हीं की पार्टी के एक नेता जनता के समक्ष इससे विपरीत बात रखते हैं. भाजपा इसे उनकी निजी राय बता कर पला झाड़ सकती है, पर यह सवाल तो बना रहेगा कि कैसे केंद्र और उत्तर प्रदेश में शासक दल का एक व्यक्ति निरंतर एक ही बयान दिये जारहा है. क्योंकि यह बयान श्री स्वामी ने मुख्यमंत्री से मुलाक़ात के बाद दिया है अतएव मुख्यमंत्री को इस संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिये. यह इसलिए भी जरुरी है कि प्रधानमंत्रीजी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और हमारे मुख्यमंत्रीजी लगातार सार्वजनिक बयान दे रहे हैं कि किसी को भी क़ानून से खेलने की इजाजत नहीं दी जायेगी और कार्यकर्ता शालीनता बरतें. ऐसे में उनका एक अग्रणी नेता लगातार क़ानून को चुनौती देने वाली और समुदाय विशेष में भय पैदा करने वाली भाषा बोल रहा है तो भाजपा को सबसे पहले उसीको पटरी पर लाना चाहिये. वरना जनता इसका यही अर्थ लेगी कि ये सारी बयानबाजियां जनता को भ्रम में डालने के लिए होरही हैं. डा. गिरीश, राज्य सचिव
»»  read more

सोमवार, 1 मई 2017

CPI, U.P.

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश का राज्य स्तरीय शिक्षण शिविर दिनांक- 26, 27, 28 मई 2017 को जनपद- बाराबंकी के फतेहपुर कस्बे में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश का एक तीन दिवसीय शिक्षण शिविर दिनांक- 26, 27 एवं 28 मई 2017 को जनपद- बाराबंकी के कस्बे- फतेहपुर के नेशनल इंटर कालेज में होने जा रहा है. इस शिविर में गत विधान सभा और लोक सभा चुनावों में पार्टी के प्रत्याशी रहे साथी अनिवार्य रुप से भाग लेंगे. जिन जिलों में चुनाव नहीं लड़ा गया वहाँ से जिला सचिव, सह सचिव अथवा राज्य काउंसिल के सदस्य जिन्होने अभी तक इस स्तर के किसी शिविर में भाग नहीं लिया है, भाग लेंगे. यदि इस स्तर के साथी पहले शिविर कर चुके हों तो जिला कार्यकारिणी स्तर के साथियों को मौका दिया जाये. महिलाओं और जन संगठनों को अतिरिक्त कोटा दिया जायेगा. शिक्षण शिविर 26 मई को सुबह 11.00 बजे शुरु होगा और 28 मई दोपहर को समाप्त होगा. भाग लेने वाले साथियों को सुबह 10.00 बजे तक अवश्य पहुंचना होगा और शिविर की समाप्ति तक पूरे समय शिविर में उपस्थित रहना होगा. पश्चिम अथवा बुंदेलखंड से आने वाले साथी पहले लखनऊ पहुंचें. लखनऊ के कैसरबाग बस अड्डे से फतेहपुर के लिये बसें जाती हैं. जिनकी ट्रेनें बाराबंकी जाती हैं वे बाराबंकी रेलवे स्टेशन पर उतर सकते हैं. पूरब से आने वाले साथी बाराबंकी स्टेशन पर ही उतरें. वहां से रोडवेज बस अड्डा मात्र 500 मीटर की दूरी पर है जहां से बस पकड़ कर फतेहपुर पहुंचें. फतेहपुर बस अड्डे से नेशनल इंटर कालेज मात्र 1.00 कि. मी. के फासले पर है और पैदल अथवा रिक्शे से पहुंचा जा सकता है. निम्न साथियों से मोबाइल पर संपर्क किया जा सकता है. का. रणधीर सिंह सुमन एडवोकेट, राज्य काउंसिल सदस्य- 9450195427 का. ब्रज मोहन वर्मा एडवोकेट, जिला सचिव- 9044720559 शिविर का उद्घाटन भाकपा के राष्ट्रीय सचिव व सांसद का. डी. राजा करेंगे तथा का. अनिल राजिमवाले आदि उच्च स्तरीय व्याख्याताओं के व्याख्यान होंगे.
»»  read more
Share |

लोकप्रिय पोस्ट

कुल पेज दृश्य